फ़सलों में पोटाश का महत्व

Importance of Potash in Crops
  • अच्छी फसल उत्पादन के लिए पोटाश एक आवश्यक पोषक तत्व माना जाता है।
  • पोटाश की संतुलित मात्रा फसल में बहुत तरह की प्रतिकूल परिस्थितियों जैसे बीमारियां, कीट, रोग, पोषण की कमी आदि के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
  • पोटाश के द्वारा फसल में अच्छा जड़ विकास एवं मज़बूत तना विकास होता है जिसके फलस्वरूप फसल मिट्टी में अपनी पकड़ अच्छी तरह बना लेती है।
  • पोटाश की संतुलित मात्रा मिट्टी की जल धारण क्षमता का विकास करती है।
  • पोटाश फसलों की पैदावार एवं गुणवत्ता बढ़ाने वाला तत्व है।
  • इसकी कमी से फसल का विकास रुक जाता है।
  • इसकी वजह से ही पत्तियों का रंग गहरा हो जाता है।
  • पोटाश की कमी से फसल की पुरानी पत्तियां किनारे से पीली पड़ जाती हैं एवं पत्तियों के ऊतक मर जाते हैं और बाद में पत्तियां सूख जाती हैं।
Share

खेती के साथ अब किसान कर सकते हैं व्यापार, केंद्र सरकार करेगी मदद

किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार की तरफ से लगातार कई नए प्रयास किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि ‘केंद्र सरकार ने वर्ष 2023-24 तक किसानों की आय बढ़ाने के लिए 10,000 एफपीओ का गठन करने का फैसला किया है। इन एफपीओ को सरकार द्वारा पांच साल के लिए समर्थन दिया जाएगा। इस कार्य में लगभग 6,866 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।’

इस योजना के बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि “किसान संगठन को रजिस्ट्रेशन के बाद उसके काम को देखकर हर साल 5 लाख रुपए दिये जाएंगे और यह राशि 3 साल के लिए 15 लाख होगी।” इस योजना में 300 किसान मैदानी क्षेत्र के और 100 किसान किसान पहाड़ी क्षेत्र के होंगे।

स्रोत: कृषि जागरण

Share

अम्लीय मिट्टी से क्या आशय है?

What do you mean by acidic soil
  • मिट्टी में अम्लीयता मिट्टी का एक प्राकृतिक गुण है और इसके कारण फसल के उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ता है।
  • अधिक वर्षा होने के कारण मिट्टी की ऊपरी परत पर जो क्षारीय तत्व पाए जाते है वह बह जाते हैं।
  • इसके कारण मिट्टी का pH मान 6.5 से कम हो जाता है। ऐसी मिट्टी अम्लीय मिट्टी कहलाती है।
  • अम्लीयता के कारण ऐसी मिट्टी में फसल का पूर्ण विकास नहीं हो पता है। एवं फसल की जड़ें छोटी और बहुत अधिक मोटी होकर आपस में इकट्ठी हो जाती हैं।
  • मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और कुछ पोषक तत्व जैसे कैल्शियम, बोरोन, पोटाश, मैगनीज एवं आयरन की अधिकता हो जाती है जिसका प्रतिकूल प्रभाव फसल पर होता है।
  • अम्लीयता के कारण मिट्टी में जो प्राकतिक रूप से सूक्ष्म पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं उनकी क्रियाशीलता भी प्रभावित होती है।
  • अम्लीय मिट्टी के प्रबंधन के लिए चूने का उपयोग करना चाहिए।
  • अम्लीय मिट्टी के प्रबंधन के लिए चूने की मात्रा, मिट्टी परीक्षण के बाद ही सुनिश्चित करें।
  • यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि अम्लता के उपचार में, चूने का उपयोग हमेशा मिट्टी के उपचार के रूप में किया जाना चाहिए।
  • चूने का उपयोग करने से मिट्टी में उपस्थित हाइड्रोजन की मात्रा कम हो जाती है एवं मिट्टी का पी.एच. मान बढ़ जाता है।
Share

मिर्च की फसल में 45-60 दिनों में पोषण प्रबंधन

  • मिर्च की फसल में 45-60 दिन में फसल के बेहतर विकास एवं अच्छे फूल एवं फल विकास के लिए प्रमुख और सूक्ष्म पोषक तत्व का फसल में उपयोग करना बहुत आवश्यक है।
  • ये सभी पोषक तत्व मिर्च की फसल में सभी तत्वों की पूर्ति करते है साथ ही फल विकास के समय मिर्च की फसल में रोगों से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।

पोषक तत्व प्रबंधन में निम्र उत्पादों का उपयोग करना चाहिए:

  • यूरिया- 45 किग्रा/एकड़, डीएपी- 50 किग्रा/एकड़, मैग्नीशियम सल्फेट- 10 किग्रा/एकड़, सूक्ष्मपोषक तत्व 10 किग्रा/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • सभी पोषक तत्व का उपयोग मिट्टी उपचार के रूप में करें।
Share

मक्का की फसल में पोषण प्रबंधन

Use of zinc in maize crop
  • दुनिया भर के मुख्य खाद्यान्न फ़सलों में गेहूँ एवं धान के बाद तीसरी मुख्य फसल के रूप में मक्का का स्थान आता है।
  • इसका मुख्य कारण है इसकी उत्पादकता – क्योंकि इसकी उत्पादन क्षमता गेहूँ एवं धान से 25-75 प्रतिशत तक अधिक रहती है। खरीफ मौसम में इसकी बुआई हेतु 15-30 जून तक का समय सबसे उपयुक्त होता है।
  • अधिकतम लाभ के लिए बुआई से पहले मिट्टी की जांच करवाना आवश्यक होता है।
  • बुआई से पूर्व खेत में भली भाँती सड़ी हुई 4-6 टन प्रति एकड़ की दर से गोबर या FYM को मिला देनी चाहिए।
  • मक्का की संकर एवं संकुल किस्मों द्वारा अधिकतम उपज लेने के लिए खाद एवं उर्वरक की पर्याप्त मात्रा उपयुक्त समय पर ही देनी चाहिए।
  • मक्का की फसल में बुआई के बाद 40-50 दिनों में भी उसी तरह पोषण प्रबंधन करना आवश्यक होता है जैसे बुआई के समय किया जाता है।
  • इसके लिए यूरिया@ 35 किलो/एकड़ + सूक्ष्मपोषक तत्व@ 8 किलो/एकड़ का उपयोग मिट्टी उपचार के रूप में करें साथ हीं 00:52:34 @ 1 किलो/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • उपयोग के समय यह सुनिश्चित करें की खेत में पर्याप्त नमी हो।
Share

कपास की फसल में गुलाबी इल्ली का प्रबंधन

  • गुलाबी सुंडी या इल्ली कपास के पौधे की पत्तियों में सबसे पहले नुकसान पहुँचाना शुरू करती है। 
  • शुरूआती दौर में ये कपास के फूल पर पायी जाती है और फूल से परागकण खाना शुरू कर देती है। 
  • जैसे ही कपास का डेंडु  तैयार होता है ये उसके अंदर चली जाती है और डेंडु के अंदर के कपास  को खाना शुरू कर देती है। 
  • इस कारण कपास का डेंडु अच्छी तरह से तैयार नहीं हो पाता है और कपास में दाग लग जाता है।  
  • रासायनिक उपचार के रूप में इस इल्ली के नियंत्रण के लिए तीन छिड़काव बहुत आवश्यक है।
  • पहला छिड़काव: बुआई के 40 से 45 दिन में फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • दूसरा छिड़काव: दूसरा छिड़काव पहले छिड़काव के 13 से 15 दिन के बाद करें और इसके अंतर्गत क्युँनालफॉस 25% EC @ 300 मिली/एकड़ प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC @ 400 मिली/एकड़ एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • तीसरा छिड़काव: यह छिड़काव दूसरे छिड़काव के 15 दिन बाद करें और इसके अंतर्गत नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC @ 600 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • इसके जैविक उपचार के रूप में फेरोमेन ट्रैप का उपयोग किया जा सकता है साथ ही बवेरिया बेसियाना 250 ग्राम/एकड़ के तीन छिड़काव अवश्य करें।
Share

जानें मध्य प्रदेश के मंडियों में क्या चल रहा है भाव?

Private mandis will now open in Madhya Pradesh, farmers will benefit from this

इंदौर के गौतमपुरा मंडी में गेहूं का भाव 1716 रूपये प्रति क्विंटल का है। वहीं इस मंडी में डॉलर चना का भाव 3800 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है। बात सोयाबीन की करें तो गौतमपुरा मंडी में इसका मॉडल रेट 3500 रूपये प्रति क्विंटल बताया जा रहा है।

गौतमपुरा के बाद इंदौर के ही महू (अंबेडकर नगर) मंडी की बात करें तो यहाँ गेहूं का भाव 1745 रूपये प्रति क्विंटल, डॉलर चने का भाव 4200 रूपये प्रति क्विंटल, आम चने का भाव 3925 रूपये प्रति क्विंटल और सोयाबीन का भाव 3560 रूपये प्रति क्विंटल है।

बात करें खरगोन मंडी की तो यहाँ गेहूं का भाव 1775 रूपये प्रति क्विंटल और मक्का का भाव 1150 रूपये प्रति क्विंटल है। इसके अलावा भीकनगांव मंडी में गेहूं 1787 रूपये प्रति क्विंटल, आम चना 3801 रूपये प्रति क्विंटल, तुअर/अरहर 4740 रूपये प्रति क्विंटल, मक्का 1185 रूपये प्रति क्विंटल, मूंग 6100 रूपये प्रति क्विंटल और सोयाबीन 3600 रूपये प्रति क्विंटल के भाव पर बिक रही है।

स्रोत: किसान समाधान

Share

ऐसे करें सोयाबीन की फसल में सेमीलूपर का नियंत्रण

Semi looper in soybean crop
    • सेमीलूपर का आक्रमण सोयबीन की फसल पर बहुत अधिक मात्रा में होता है।  
    • यह सोयाबीन की फसल की कुल उपज में  30-40% तक हानि का कारण बनता है।
    • सोयाबीन की फसल के प्रारभिक चरणों से ही इसका आक्रमण शुरू हो जाता है।
    • सेमीलूपर का प्रकोप फली एवं फूल पर अधिक होता है।  
    • सेमीलूपर का प्रकोप आमतौर पर अगस्त के अंत और सितंबर माह के शुरुआत से पहले होता है।

रासायनिक प्रबंधन :

    • प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC @ 400 मिलीग्राम/एकड़ या  इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @100 ग्राम/एकड़
    • फ्लूबेण्डामाइड  20%WG@ 100 ग्राम/एकड़ या  क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5 % SC@ 60 मिली/एकड़
    • लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 300 मिली/एकड़ या क्युँनालफॉस 25% EC 400मिली/एकड़   

जैविक प्रबंधन:

  • बवेरिया बेसियाना @250 ग्राम /एकड़ की दर से छिड़काव करें। 
Share

कपास की फसल में एफिड एवं जैसिड का प्रकोप और प्रबंधन

Aphid and Jassid Attack in Cotton Crop

एफिड (माहु) लक्षण: एफिड (माहु) एक छोटे आकर के कीट होते हैं जो पत्तियों का रस चूसते हैं। इसके फलस्वरूप पत्तियाँ सिकुड़ जाती हैं और पत्तियों का रंग भी पीला हो जाता है। बाद में पत्तियाँ ऐंठीं मतलब कड़क हो जाती है और कुछ समय बाद सूखकर गिर जाती हैं।

जेसिड (हरा मच्छर/फुदका) लक्षण: इस कीट के निम्फ (शिशु कीट) और प्रौढ़ (बड़ा कीट) दोनों ही अवस्था फसल को क्षति पहुँचाते हैं। यह कीट पौधों के कोमल तनों, पत्ती एवं पुष्प भागों से रस चूसकर पौधों का विकास रोक देते हैं। फलतः पौधे कमजोर, छोटे तथा बौने रह जाते हैं साथ ही पैदावार भी कम हो जाती है।

प्रबंधन: इन दोनों रस चूसक कीटों के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL.@ 100 मिली/एकड़ या थियामेंथोक्साम 25% WG@ 100 ग्राम/एकड़ या ऐसीफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% SP@ 400 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

Share

इन राज्यों में हो सकती है भारी बारिश, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट

Heavy rains may occur in these states, Meteorological Department issued alert

कोरोना महामारी के बीच देश के कई राज्यों में भारी बारिश और बाढ़ के कारण संकट की स्थिति बनी हुई है। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों के लिए भी कई राज्यों के लिए मूसलाधार बारिश का अलर्ट जारी किया है।

मौसम विभाग के मुताबिक, उत्तर भारत के अधिकतर क्षेत्रों में लगातार बारिश होने की संभावना है। इसके साथ ही कुछ इलाकों के लिए मौसम विभाग ने ऑरेंज और येलो अलर्ट भी जारी किये हैं।

भारतीय मौसम विभाग के अनुसार उत्तर भारत के कई राज्यों में आने वाले दो दिनों तक भारी बारिश की संभावना है। हरियाणा, दिल्ली-NCR, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश आदि इलाकों में कहीं सामान्य बारिश, तो कहीं मूसलाधार बारिश की संभावना है। इसके अलावा मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में भी हल्की से माध्यम बारिश की संभावना जताई गई है।

स्रोत: पत्रिका

Share