मध्य प्रदेश के 5 लाख किसानों के बैंक खातों में दी गई 2000 रुपये की किश्त

2000 rupees given in bank accounts of 5 lakh farmers of Madhya Pradesh

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की तर्ज पर कुछ राज्य सरकारों की तरफ से भी किसानों को आर्थिक मदद देने हेतु योजनाएं बनाई गई है। ऐसी ही एक योजना मध्यप्रदेश सरकार ने भी शुरू की है जिसका नाम है “मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना” और इस योजना के अंतर्गत पीएम किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थी किसान परिवारों को 4000 रुपये 2 किस्तों में दिए जाने हैं।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 2 नवम्बर को इसी योजना के अंतर्गत प्रदेश के उपचुनाव वाले 19 जिलों को छोड़कर 5 लाख किसानों को कुल 100 करोड़ रुपए भेजे। बता दें की इस योजना के अंतर्गत किसान परिवारों को दी गई 2000 रुपये की यह पहली किश्त है।

स्रोत: किसान समाधान

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फूल आने की अवस्था में अरहर की फसल में ऐसे करें प्रबंधन

Crop Management in Pigeonpea at Flowering Stage
  • अरहर की खेती करने वाले किसानों के लिए यह बहुत ही सावधान रहने का समय है क्योंकि इस समय अरहर की फसल में फूल आते हैं।
  • ऐसे में थोड़ी सी सावधानी बरत कर किसान अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं। फूल आने की अवस्था में अरहर की फसल में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए।  
  • अरहर में फूल झड़ने का एक कारण थ्रिप्स का प्रकोप भी है जिसका नियंत्रण समय पर करना बहुत आवश्यक होता है। 
  • इसी के साथ यदि इस अवस्था में अरहर की फसल में तनाव की स्थिति बनती है तो इसके निवारण के लिए होमोब्रेसिनोलाइड @ 100 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें। 
  • थ्रिप्स के प्रकोप के निवारण के लिए फिप्रोनिल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ या लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 200 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG@ 40 ग्राम/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC @ 80 मिली/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC @ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें 
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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चना समृद्धि किट का फसल पर उपयोग कैसे करें?

How to use Gram samridhi Kit
  • चने की फसल के लिए ग्रामोफ़ोन की ख़ास पेशकश ‘चना समृद्धि किट’ का उपयोग मिट्टी उपचार के रूप में किया जाता है। 
  • इस किट की कुल मात्रा 4.5 किलो है और यह मात्रा एक एकड़ के खेत के लिए पर्याप्त है।
  • इसका उपयोग DAP या पोटाश में मिलाकर किया जा सकता है। 
  • इसका उपयोग 50 किलो पकी हुई गोबर की खाद, कम्पोस्ट या मिट्टी में भी मिलाकर कर सकते हैं।
  • इसके उपयोग के समय खेत में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है।
  • अगर बुआई समय इस किट का उपयोग नहीं कर पाए हैं तो बुआई बाद 15-20 दिनों के अंदर इसका उपयोग मिट्टी में भुरकाव के रूप में कर सकते हैं।
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किसानों की आय 40% तक बढ़ाने में सफल हो रहा है ग्रामोफ़ोन एप

Gramophone app is increasing farmers' income by 40%

साल 2016 में अपने शुरुआत के समय से अब तक पांच लाख से ज्यादा किसान ग्रामोफ़ोन से जुड़ चुके हैं और उनकी कृषि में बहुत सारे सकारात्मक सुधार भी देखने को मिले हैं। ग्रामोफ़ोन के कृषि विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में हज़ारों किसानों के आय में अच्छी वृद्धि देखने को मिली है। बहुत सारे किसानों की आय में औसतन 40% तक की वृद्धि देखने की मिल रही है।

खंडवा जिले के किसान पूनम चंद सिसोदिया ने अपनी सोयाबीन की फसल को बुआई के समय ही ग्रामोफ़ोन एप से जोड़ दिया और उन्हें सभी जरूरी सलाहें फ़ोन पर मिलती रहीं। इसका प्रतिफल उपज में 60% वृद्धि के रूप में सामने आया। इसके अलावा कृषि लागत में भी कमी आई।

खंडवा जिले के ही सागर सिंह सोलंकी ने भी ग्रामोफ़ोन एप के इस्तेमाल से अपनी कृषि लागत को 21% घटाया और आय में 25% की वृद्धि की। उनका कुल मुनाफ़ा पहले की तुलना में 37% तक बढ़ गया।

ऐसे ही एक किसान हैं देवास जिले निवासी विनोद गुज्जर जिनके लिए ग्रामोफ़ोन का मूंग समृद्धि किट किसी वरदान की तरह साबित हुआ। किट के उपयोग से 5 एकड़ में बोई गई फसल की उपज पहले के 25 क्विंटल से बढ़कर 30 क्विंटल हो गई। उपज बढ़ने के साथ ही आय में 38% और प्रॉफिट में 100% का इज़ाफा भी हुआ।

देवास के ही एक दूसरे किसान रामनिवास परमार की सोयाबीन की फसल को ग्रामोफ़ोन की सोया समृद्धि किट ने इतना अच्छा पोषण दिया की फसल से प्राप्त मुनाफ़ा पहले से 180% बढ़ गया और फसल से प्राप्त उपज की क्वालिटी इतनी बढ़िया हुई की मंडी में इसका मूल्य भी अन्य किसानों की उपज से अधिक मिला।

इन किसानों की तरह ही लाखों किसान ग्रामोफ़ोन की उच्च सेवाओं का लाभ ले रहे हैं और अपनी आय में वृद्धि करने के साथ साथ अपनी कृषि लागत को भी कम कर रहे हैं। महज चार साल में ग्रामोफ़ोन ने अपने ही द्वारा निश्चित किये गए लक्ष्य को प्राप्त करने लगा है। आने वाले दिनों में ग्रामोफ़ोन पूरे देश के किसानों से जुड़ कर भारतीय कृषि और भारतीय किसानों को आधुनिक स्मार्ट खेती करने के लक्ष्य पर चल पड़ा है।

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लहसुन की फसल में 15 दिनों में ऐसे करें फसल प्रबंधन

How to manage garlic crop in 15 days
  • लहसुन की फसल एक कंद वाली फसल है इस वजह से इसमें पोषण प्रबंधन एवं रोग प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है। 
  • इस समय फसल प्रबंधन करने से लहसुन की फसल में कवकजनित रोगों जैसे जड़ गलन, तना गलन, पीलेपन आदि से फसल की सुरक्षा की जा सकती है। इसके प्रबंधन लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 300 ग्राम/एकड़ या हेक्साकोनाज़ोल 5% SC@ 400 मिली/एकड़ दर से छिड़काव करें।
  • लहसुन की फसल लगने वाले रस चुसक कीटों से फसल की रक्षा करने के लिए एसीफेट 75% SP @ 300 ग्राम/एकड़ या जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • लहसुन की फसल की एक सामान वृद्धि एवं जड़ों के अच्छे बढ़ावार के लिए यूरिया @ 25 किलो/एकड़ + ज़िंक सल्फेट @ 5 किलो/एकड़+ सल्फर 90% @ 10 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी में मिलाकर बुआई के बाद 15 दिनों में भुरकाव करें।
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गेहूँ की फसल में बुआई के समय पोषण प्रबंधन जरूर करें

How to manage nutrition at the time of sowing in wheat
  • रबी के मौसम की मुख्य फसल गेहूँ की बुआई के समय पोषण प्रबंधन करने से गेहूँ की फसल को एक अच्छी शुरुआत मिलती है, जड़ें अच्छी बनती है एवं कल्ले अच्छे फूटते हैं।
  • इस समय पोषण प्रबंधन करने के लिए यूरिया @ 50 किलो/एकड़ + DAP@ 20 किलो/एकड़ + MOP @ 25 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • यूरिया नाइट्रोज़न का स्रोत है, DAP नत्रजन एवं फास्फोरस का स्रोत है एवं MOP आवश्यक पोटाश की पूर्ति करता है। इस प्रकार गेहूँ की फसल में बुआई के बाद पोषण प्रबंधन करने से उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।
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प्याज़ की फसल में रोपाई के 15 दिनों में छिड़काव एवं पोषण प्रबंधन

Spray and nutrition and management in 15 days of onion transplanting
  • प्याज़ के अच्छे उत्पादन के लिए रोपाई के 15 दिनों में पोषण प्रबंधन एवं छिड़काव प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
  • उचित तरीके से पोषक तत्व प्रबंधन करने से प्याज़ के पौधों द्वारा पोषक तत्वों का सही प्रकार से उपयोग किया जाता है एवं प्याज़ की फसल की जड़ें जमीन में अच्छे से फैल जाती हैं। इससे फसल में रोगों के प्रति प्रतिरोधी क्षमता भी उत्पन्न हो जाती है। 
  • यूरिया @ 30 किलो/एकड़ + सल्फर 90% @ 10 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी में मिलाकर रोपाई से पहले खाली खेत में भुरकाव करें।
  • यूरिया नाइट्रोज़न का स्रोत है साथ हीं सल्फर कवक जनित रोगों की रोकथाम के साथ ही साथ पोषक तत्व की पूर्ति करने में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 
  • कीट के नियंत्रण के लिए फिप्रोनिल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें। 
  • अच्छी फसल वृद्धि एवं जड़ों के जमीन में अच्छे फैलाव के लिए ह्यूमिक एसिड @ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।  
  • कवक जनित रोगों के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 300 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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ग्रामोफ़ोन के मार्गदर्शन में महज 1.5 साल में किसान की वार्षिक कमाई बढ़ कर हुई 25 लाख

साल 2016 में जब ग्रामोफ़ोन की शुरुआत हुई तब से लेकर अब तक 5 लाख से भी ज्यादा किसान ग्रामोफ़ोन से जुड़े हैं और इस जुड़ाव से किसानों की समृद्धि भी बढ़ रही है। इन्ही समृद्ध किसानों में से एक है खरगोन जिले के भीकनगांव तहसील के अंतर्गत आने वाले गांव पीपरी के निवासी शेखर पेमाजी चौधरी।

डेढ़ साल पहले टीम ग्रामोफ़ोन जब शेखर पेमाजी चौधरी से मिली थी तब उन्होंने अपने करेले के हरे भरे खेत दिखाए थे और बताया था की उन्होंने ग्रामोफ़ोन की सलाह पर अपने खेत की मिट्टी का परीक्षण करवाया और इसी कारण करेले की फसल से उन्हें करीब 8 लाख की कमाई हुई। इस शुरूआती सफलता के करीब डेढ़ साल बाद आज शेखर एक समृद्ध किसान हो गए हैं और अपने आसपास के अन्य किसानों के लिए एक आदर्श की तरह साबित हुए हैं।

पिछले दिनों जब एक बार फिर टीम ग्रामोफ़ोन शेखर से मिलने पहुंची तो उन्होंने अपनी समृद्धि के पीछे की बड़ी ही प्रेरक कहानी बताई। उन्होंने बताया की कैसे पिछले डेढ़ साल में उन्होंने अपने छह एकड़ के खेतों में अपनी मेहनत और ग्रामोफ़ोन की सलाहों की मदद से खेती की और सालाना 25 लाख की कमाई की। उन्होंने यह भी बताया की इस कमाई से उन्होंने 16 लाख का घर बनाया और 8 लाख की कार भी खरीदी। बता दें की शेखर जी की 25 लाख की कुल कमाई में करीब 12 लाख का कृषि खर्च आता है और 13 लाख का मुनाफ़ा उन्हें हर साल मिलता है।

शेखर जी की यह कहानी सभी किसान भाइयों के लिए एक प्रेरणादायी है। दूसरे किसान भाई भी शेखर जी की तरह ग्रामोफोन से जुड़ कर समृद्ध हो सकते हैं। ग्रामोफ़ोन से जुड़ने के लिए आप या तो टोल फ्री नंबर 18003157566 पर मिस्डकॉल करें या फिर ग्रामोफ़ोन कृषि मित्र एप पर लॉगिन करें।

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आलू की फसल में बुआई के 15 दिनों में छिड़काव प्रबंधन

Spray management in 15 days of potato crop
  • आलू की फसल में बुआई के 15 दिनों में पोषण प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है। 
  • आलू एक कन्दवर्गीय फसल है इसी कारण आलू की फसल को पोषक तत्वों की ज्यादा आवश्यकता होती है एवं कीट जनित एवं कवक जनित रोगों का प्रकोप भी इसमें बहुत अधिक होता है। 
  • बुआई के 15 दिनों में आलू की फसल अपनी वृद्धि के शुरूआती अवस्था में होती है, इसी कारण अच्छी वृद्धि एवं विकास के लिए पोषण प्रबंधन किया जाता है। ऐसा करने से कीट जनित एवं कवक जनित रोगों के प्रकोप से बचाव हो जाता है। 
  • कीट प्रबंधन के लिए थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC @ 80 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG@ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।   
  • कवक जनित रोगों के लिए थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ़्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें। 
  • पोषण प्रबंधन के लिए सीवीड एक्सट्रेक्ट @ 400 मिली/एकड़ या जिब्रेलिक एसिड@ 300 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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आलू की फसल में खरपतवारों का प्रबंधन कर नुकसान से बचें

Weed Management in Potato Crop
  • आलू की फसल रबी की मुख्य फसल है और बारिश के मौसम के बाद मिट्टी में बहुत अधिक नमी होने के कारण आलू की फसल की बुआई के बाद खरपतवार बहुत अधिक मात्रा में उगने लगते हैं।
  • सभी प्रकार के खरपतवारों का नियंत्रण समय पर एवं उचित खरपतवारनाशी का उपयोग करके किया जा सकता है। 
  • बुआई के 1-3 दिनों बाद खरपतवारों के रासायनिक नियंत्रण के लिए पेंडामेथलिन 38.7% CS @ 700 मिली/एकड़ का छिडकाव करें।
  • इस प्रकार छिड़काव करने से बुआई के बाद शुरूआती अवस्था में उगने वाले खरपतवारों का नियंत्रण किया जा सकता है। 
  • बुआई के बाद दूसरे छिड़काव में मेट्रीब्युजीन 70% WP @ 100 ग्राम प्रति एकड़ का छिड़काव बुआई के 3-4 दिन बाद या आलू का पौधा जब 5 सेमी का होने लगे तो उससे पहले ये छिडकाव करें।
  • अंतिम छिड़काव (सकरी पत्ती के लिए): बुआई के 20-30 दिनों बाद करें। इस अंतिम छिड़काव में प्रोपेकुजाफोफ 10% EC या क्विज़लॉफ़ॉप इथाइल 5% EC @ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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