आने वाले 3 से 4 दिनों में मध्यप्रदेश के इन जिलों में हो सकती है भारी बारिश

Take precautions related to agriculture during the weather changes

मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार अगस्त महीने में एक नया सिस्टम सक्रिय होने वाला है और ऐसा होने के बाद नए सिरे से बारिश का सिलसिला शुरू हो जाएगा। ग़ौरतलब है की पिछले चौबीस घंटे में मध्यप्रदेश के कई जिलों में इसका दिखा है। मौसम विभाग की तरफ से कई जिलों में बारिश होने की संभावना जताई है।

मौसम विभाग के मुताबिक अनूपपूर, उमरिया, डिंडौरी, दमोह, छतरपुर, शिवपुरी, ग्वालियर, दतिया, भिंड आदि जिलों में कही कही भारी बारिश की संभावना है। इसके साथ ही रीवा, शहडोल, ग्वालियर, चंबल आदि क्षेत्रों में गरज के साथ बारिश की संभावना जताई गई है।

बात करें देश के अन्य राज्यों की तो मौसम विभाग के अनुसार उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम और पूर्वोत्तर राज्यों में आने वाले 3 से 4 दिनों में भारी बारिश होने की संभावना है। इसके साथ ही पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश में 29 से 31 जुलाई के बीच बारिश हो सकती है।

स्रोत: एमपी ब्रेकिंग न्यूज़

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मिर्च की फसल में 45 से 60 दिनों में उर्वरक प्रबंधन

  • मिर्च की फसल में जिस प्रकार रोपाई के समय या रोपाई के बाद पोषण/उर्वरक प्रबंधन बहुत आवश्यक होता है ठीक उसी प्रकार मिर्च की फसल जब 40 दिनों की हो जाती है तो उसके बाद 45 से 60 दिनों में भी पोषण/उर्वरक प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
  • इस समय पोषण/उर्वरक प्रबंधन करने से मिर्च की फसल में फूल अच्छे बनते हैं एवं फूल गिरने की समस्या भी फसल में नहीं होती है।
  • इस समय जो पोषण/उर्वरक प्रबधन किया जाता है वह मिट्टी उपचार के रूप में किया जाता है।

इसके लिए निम्न उत्पादों का उपयोग किया जाता है

  • यूरिया @ 45 किलो/एकड़ + DAP@ 50 किलो/एकड़ + मैगनेशियम सल्फेट @ 10 किलो/एकड़ + सूक्ष्म पोषक तत्व @ 10 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
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मिर्च की फसल में 40-50 दिनों में छिड़काव प्रबंधन

  • जिस प्रकार बुआई के समय एवं बुआई के 25-30 दिनों में कीट, रोगों एवं कवक जनित रोगों के नियंत्रण के लिए एवं अच्छी वृद्धि एवं विकास के लिए छिड़काव प्रबंधन किया जाता है ठीक उसी तरह बुआई के 40-50 दिनों में भी छिड़काव किया जाना बहुत जरूरी होता है।
  • खरीफ की फसल होने के कारण मिर्च की फसल जिस खेत में बोई जाती है वहां नमी अधिक होती है इस कारण बहुत से कवक जनित रोगों का प्रकोप मिर्च की फसल पर होता है।
  • इन रोगों के नियंत्रण के लिए टेबूकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WDG @ 500 ग्राम/एकड़ या हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ या थायोफिनेट मिथाईल 70% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसीन 3% SL@ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार में कवक जनित रोगों के लिए सुडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ उपयोग करें।
  • यदि खेत में मकड़ी का प्रकोप है तो इसके नियंत्रण के लिए एबामेक्टिन 1.9 % EC @ 150 मिली/एकड़ या प्रॉपरजाइट 57% EC@ 400 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
  • रस चूसक कीट के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8%SL @ 100 मिली/एकड़ या थियामेंथोक्साम 25% WG@ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • कीट जनित रोगों के लिए बवेरिया बेसियाना @250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • मिर्च की फसल की अच्छी वृद्धि एव विकास के लिए होमोब्रेसिनोलाइड @ 100 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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आने वाली है पीएम किसान योजना की अगली क़िस्त, अगर नहीं मिल रहा लाभ तो करें ये काम

PM kisan samman

पीएम किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत छठी क़िस्त एक अगस्त से किसानों के बैंक खातों में भेजी जायेगी। कोरोना वायरस की वजह से लगे देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान बहुत सारे ऐसे भी किसान को इस योजना के तहत पांचवीं क़िस्त प्राप्त हुई थी। हालांकि कई ऐसे भी किसान थे जो इस क़िस्त से वंचित रह गए थे।

आप इस बार की क़िस्त से वंचित ना रह जाएँ इसलिए अपनी ग़लतियों का सुधार अभी से कर लें। आप ये घर पर बैठे ही कर सकते हैं। इसके लिए आपको इस योजना की ऑफिशियल वेबसाइट (https://pmkisan.gov.in/) पर जाना होगा। वेबसाइट पर दर्ज फार्मर कॉर्नर के अंदर जाकर Edit Aadhaar Details ऑप्शन पर क्लिक करें और गलतियों का सुधार कर लें। अगर इसके बाद भी समस्या आये तो आप हेल्पलाइन (155261 या 1800115526) पर संपर्क करें। इसके अलावा आप 011-23381092 पर भी बात कर सकते हैं।

स्रोत: लाइव हिंदुस्तान

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कपास की फसल में 60-70 दिनों में छिड़काव प्रबंधन

Spray management in cotton crop
  • कपास की फसल में 60-70 दिनों में सबसे ज्यादा प्रकोप गुलाबी इल्ली का होता है।
  • यह इल्ली शुरूआती दौर में कपास के फूल पर पायी जाती है।
  • ये फूल से कपास के परागकण खाने के साथ-साथ जैसे ही कपास का टिंडा तैयार होता है उसके अंदर चली जाती है और टिंडे के अंदर के कपास के बीज को खाना शुरू कर देती है।
  • इसी के साथ रस चूसक कीट एफिड, जेसिड, थ्रिप्स, सफेद मक्खी का भी प्रकोप कपास की फसल में होता है।
  • इनके नियंत्रण के लिए 60-70 दिनों में छिड़काव करना बहुत आवश्यक होता है।
  • इसके लिए नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC@ 600 मिली/एकड़ या या लैम्डा साइहेलोथ्रिन 4.6% + क्लोरानिट्रानिलीप्रोल 9.3% ZC@ 80 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • पायरीप्रोक्सीफैन 10% + बॉयफैनथ्रिन 10% EC 250 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @ 100 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।
  • अच्छी वृद्धि एवं विकास के लिए एमिनो एसिड @ 300 मिली/एकड़ + 00:52:34 @ 1 किलो/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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सोयाबीन की फसल में 35 से 40 दिनों में छिड़काव प्रबंधन

Spray management in soybean crop in 35-40 days
  • सोयाबीन की फसल में बुआई के समय एवं बुआई के 25-30 दिनों में कीट एवं कवक जनित रोगों के नियंत्रण के साथ ही अच्छी वृद्धि एवं विकास के लिए छिड़काव प्रबंधन किया जाता है ठीक उसी तरह बुआई के 35 से 40 दिनों में भी छिड़काव प्रबंधन किया जाना बहुत जरूरी होता है।
  • खरीफ की फसल होने के कारण सोयाबीन की फसल जिस खेत में बोई जाती है वहाँ नमी अधिक होती है। इस कारण बहुत से कवक जनित रोगों का प्रकोप सोयाबीन की फसल पर होता है।
  • इन रोगों के नियंत्रण के लिए हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ या थायोफिनेट मिथाईल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसीन 3% SL@ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • कीट जनित रोगों के नियंत्रण के लिए प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • सोयाबीन के फसल से फूल और फूल को झड़ने से रोकने के लिए होमोब्रेसिनोलाइड @100 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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अगले 24 घंटों में इन राज्यों में हो सकती है हल्की से मूसलाधार बारिश, कई राज्यों में हाई अलर्ट

Take precautions related to agriculture during the weather changes

जुलाई महीने के अंत आते आते पूरे देश में मानसून ने अपनी पकड़ बना ली है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब के अधिकतर क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बारिश हुई है। मौसम विभाग के मुताबिक, उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में आने वाले 24 घंटे में मूसलाधार बारिश होने की संभावना है।

पिछले 24 घंटों के दौरान कोंकण गोवा, केरल, तमिलनाडु, तटीय कर्नाटक, रायलसीमा, दक्षिणी मध्य प्रदेश, दक्षिणी राजस्थान, विदर्भ, मराठवाड़ा, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश हुई है। वहीं उत्तर और पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, ओडिशा, गंगीय पश्चिम बंगाल, तटीय आंध्र प्रदेश, लक्षद्वीप, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर भारत में कुछ स्थानों पर हल्की बारिश हुई है।

आने वाले 24 घंटों में मौसम विभाग का पूर्वानुमान है की कोंकण गोवा और तटीय कर्नाटक में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, गुजरात, मध्य महाराष्ट्र, दक्षिण राजस्थान, दक्षिणी मध्य प्रदेश और अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। वहीं बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा और केरल में हल्की बारिश के बीच एक-दो स्थानों पर मध्यम बौछारें गिर सकती हैं।

स्रोत: कृषि जागरण

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कपास में चित्तीदार बोलवर्म का ऐसे करें प्रबंधन

Spotted boll worm management in cotton
  • यह कपास की फसल का मुख्य कीट है, यह कपास की फसल में फूल आने की शुरूआती चरणों के दौरान आक्रमण करता है।
  • इसके प्रकोप के कारण कपास की फसल की कलियाँ सूख जाती हैं।
  • यह कीट झुंड में आक्रमण करता है जिसके कारण फूल परिपक्व होने के पहले ही सूख कर गिर जाते हैं।
  • इसके प्रबंधन के लिए प्रोफेनोफोस 50% EC @ 500 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG@ 100 ग्राम/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC @ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के लिए बवेरिया बेसियाना @500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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अब किसान बनेंगे बीज बैंक के मालिक, ये है लाइसेंस लेने की प्रक्रिया

Relief for farmers, Govt. extended the duration of short-term crop loan

केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण विभाग बीज बैंक योजना को वृहत स्तर पर शुरू करने जा रही है।  इसके अंतर्गत पूरे देश के हर जिले में बीज बैंक बनाये जाएंगे और इसमें काम करने के लिए किसानों को लाइसेंस दिया जाएगा। 

बीज बैंक योजना के अंतर्गत पूरे देश के 650 जिले में बीज बैंक बनाये जायेंगे और किसानों को इसके लाइसेंस दिए जायेंगे। इस योजना के अंतर्गत लाइसेंस लेने की योग्यता भी निश्चित की गई है। लाइसेंस लेने की अर्जी देने वाले किसान को 10वीं पास होना होगा। इसके अलावा किसान के पास अपनी, बटाई या पट्टेदारी में कम से कम 1 एकड़ जमीन होनी चाहिए।

इस योजना के अंतर्गत सरकार की तरफ से एक मुश्त प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. साथ ही भंडारण की सुविधा, प्रशिक्षण की सुविधा और उपलब्ध संसाधनों पर सब्सिडी भी दी जाएगी। खास बात यह है कि बीज बैंक का लाइसेंस प्राप्त करने वाले किसान को बाजार उपलब्ध कराने की ज़िम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।

स्रोत: कृषि जागरण

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जैव उर्वरक क्या है?

What is Biofertilizers
  • मिट्टी की उर्वरता को बनाये रखने के लिए एवं फसल के अच्छे उत्पादन के लिए प्राकृतिक रूप से कुछ ऐसे जीवाणु या सूक्ष्मजीव पाए जाते हैं जिन्हे हम जैव उर्वरक कहते हैं।
  • जैव उर्वरक वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोज़न को अमोनिया के रूप में परिवर्तित कर के पौधों को प्रदान करते हैं।
  • यह भूमि में मौजूद अघुलनशील फास्फोरस को घुलनशील अवस्था में परिवर्तित कर के सरलता से पौधों को उपलब्ध करवाते हैं।
  • जैव उर्वरक पूर्णतः प्राकृतिक होते हैं इसलिए इनका पर्यावरण पर हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता है।
  • यह मिट्टी के भौतिक जैविक गुणों को बढ़ाने में सहयता करते हैं एवं मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं।
  • जीवाणु खाद का प्रभाव फसल एवं मिट्टी में बहुत धीरे-धीरे दिखाई देता है। खेत की एक ग्राम मिट्टी में लगभग दो-तीन अरब सूक्ष्म जीवाणु पाये जाते हैं जिसमें बैक्टिरीया, कवक आदि उपस्थित होते हैं जो मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने व फसलोत्पादन की वृद्धि की दिशा में कार्य करते हैं।
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