- हरी इल्ली गोभी की फसल में होने वाला एक मुख्य कीट है जो फसल को काफी नुकसान पहुंचा सकता है।
- इसका लार्वा 25-30 मिमी लंबा, पांच आड़ी-पीली लाइनों के साथ पीले हरे रंग का होता है।
- इसकी बाहरी त्वचा पर छह जोड़ी काले और पीले धब्बे होते हैं।
- इस कीट की इल्लियाँ पत्तों में गोलाकार छेद कर फसल को हानि पहुंचाते हैं।
- कभी कभी यह इल्ली पत्तों को किनारे से भी खाना शुरू कर देते हैं या फिर पत्तों के बीच में से भी नुकसान पहुंचाता है।
- इस इल्ली के नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG@ 100 ग्राम/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
इंदौर के भीकनगांव मंडी में क्या चल रहा है भाव?
डिवीजन | मंडी | फसल | न्यूनतम दर (₹/क्विंटल) |
अधिकतम दर (₹/क्विंटल) |
मॉडल दर (₹/क्विंटल) |
इन्दौर | भीकनगांव | कपास | 4000 | 5650 | 4930 |
इन्दौर | भीकनगांव | गेहूँ | 1661 | 1794 | 1691 |
इन्दौर | भीकनगांव | अरहर | 4500 | 5551 | 5311 |
इन्दौर | भीकनगांव | मक्का | 971 | 1309 | 1268 |
इन्दौर | भीकनगांव | सोयाबीन | 4141 | 5341 | 4467 |
नहीं आये पीएम किसान के पैसे तो निराश न हों, इस तारीख तक आ जाएंगे
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत आने वाली सातवीं क़िस्त का इंतजार कई किसानों के लिए पिछले दिनों 25 दिसंबर 2020 को पूरा हो गया। हालांकि अभी भी बहुत सारे ऐसे किसान हैं जिनके बैंक खाते में अभी तक यह रकम नहीं पहुंची है। ऐसे किसानों को निराश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि आगामी 31 मार्च 2021 तक किसानों के खाते में क़िस्त भेजे जाने के प्रक्रिया जारी रहेगी।
कई बार किस्त नहीं आने की वजह आपके द्वारा दर्ज की गई जानकारियों में ग़लतियाँ भी हो सकती हैं। इससे बचने के लिए आप PM Kisan पोर्टल पर जाकर अपना स्टेटस चेक कर सकते हैं।
इसके लिए आप https://pmkisan.gov.in पर जाएँ और ‘Farmers Corner’ पर क्लिक करने के बाद ‘Beneficiary Status’ ऑप्शन पर क्लिक करें। ऐसा करने से नया पेज खुलेगा जहाँ आपको आधार नंबर, बैंक खाता संख्या या मोबाइल नंबर में से किसी एक विकल्प को चुनना होगा। इस चुनाव के बाद आपको ‘Get Data’ पर क्लिक करना है। इससे आपको सभी ट्रांजेक्शन की जानकारी मिल जाएगी। यहीं पर अब पानी जानकारियों की सत्यता भी चेक कर सकते हैं। अगर आपकी सभी जानकारियाँ सही हैं तो आपको फ़िक्र करने की जरुरत नहीं है। आपकी क़िस्त 31 मार्च 2021 तक आपके खाते में पहुँच जायेगी।
स्रोत: इंडिया डॉट कॉम
Shareआने वाले 48 घंटे में मध्यप्रदेश समेत इन क्षेत्रों में होगी भारी बारिश
आने वाले 48 घंटे में पश्चिम भारत के कई क्षेत्रों में माध्यम से भारी बारिश के होने की संभावना है।
वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर
Shareजैविक उत्पादों का करें उपयोग, फसल एवं मिट्टी को मिलेंगे कई लाभ
- जैविक उत्पाद के उपयोग से फसल अपने अवशेषों को नहीं छोड़ते है एवं इनसे वातावरण प्रदूषण भी नहीं होता है।
- जैविक उत्पाद मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की क्रियाशीलता को बढ़ाते हैं।
- यह मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाते है एवं मिट्टी की जल धारण क्षमता भी बढ़ाते हैं।
- जैविक उत्पाद रासायनिक उत्पादों की तुलना में कम कीमत एवं कम मात्रा में उपयोग होते हैं।
- यह उत्पाद फसलों की जड़ों का मिट्टी में प्रसार करने में बहुत मददगार होते हैं।
प्याज़ एवं लहसुन की फसल को सफेद गलन रोग से ऐसे बचाएं
सफेद गलन (व्हाइट रॉट): प्याज व लहसुन में सफेद गलन रोग स्लेरोशियम सेपी वीरम या स्क्लेरोशियम रोल्फ साई नामक फफूंद द्वारा होता है।
इस रोग के लक्षण जमीन के समीप प्याज/लहसुन का ऊपरी भाग गल जाता है तथा संक्रमित भाग पर सफेद फफूंद और जमीन के ऊपर हल्के भूरे रंग के सरसों के दाने की तरह सख्त संरचना बन जाती है, जिन्हें स्केलेरोशिया कहते हैं। संक्रमित पौधे मुरझा जाते हैं तथा बाद में सूख जाते हैं।
रासायनिक उपचार: इस रोग के निवारण के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP@ या 250 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
जैविक उपचार: जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से पौधों के पास जमीन से दें।
Share50-60 दिनों की हो गई हो प्याज़ की फसल तो जरूर अपनाएं ये फसल सुरक्षा उपाय
- प्याज़ की 50-60 दिनों की फसल में कीटों के प्रकोप एवं कवक रोगों से बचाव के साथ साथ पोषक तत्वों की पूर्ति की भी जरूरत पड़ती है।
- कीटों से सुरक्षा के लिए थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC@ 80 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- रोगों से सुरक्षा के लिए क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 400 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- प्याज़ की फसल में 50-60 दिनों में पोषण प्रबंधन करने के लिए कैल्शियम नाइट्रेट @ 10 किलो/एकड़ + पोटाश@ 25 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
- प्याज़ की फसल में पोषक तत्व प्रबधन छिड़काव के रूप में करने के लिए सूक्ष्म पोषक तत्व @ 250 मिली/एकड़ के रूप में करें।
इंदौर के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहा है भाव?
डिवीजन | मंडी | फसल | न्यूनतम दर (₹/क्विंटल) |
अधिकतम दर (₹/क्विंटल) |
मॉडल दर (₹/क्विंटल) |
इन्दौर | खण्डवा | आलू | 1000 | 2300 | 2000 |
इन्दौर | खण्डवा | कपास | 3901 | 5491 | 5250 |
इन्दौर | खण्डवा | करेला | 100 | 1900 | 1300 |
इन्दौर | खण्डवा | खीरा | 700 | 1200 | 900 |
इन्दौर | खण्डवा | गेहूँ | 1535 | 1770 | 1615 |
इन्दौर | खण्डवा | चना | 3451 | 4500 | 3565 |
इन्दौर | खण्डवा | टमाटर | 600 | 1200 | 900 |
इन्दौर | खण्डवा | तुअर | 5300 | 5601 | 5501 |
इन्दौर | खण्डवा | पत्ता गोभी | 650 | 850 | 730 |
इन्दौर | खण्डवा | प्याज | 800 | 1400 | 1250 |
इन्दौर | खण्डवा | पालक | 500 | 700 | 600 |
इन्दौर | खण्डवा | फूलगोभी | 600 | 900 | 750 |
इन्दौर | खण्डवा | बैंगन | 800 | 1600 | 1100 |
इन्दौर | खण्डवा | भिण्डी | 800 | 1800 | 1200 |
इन्दौर | खण्डवा | मक्का | 1152 | 1233 | 1191 |
इन्दौर | खण्डवा | मेथी | 500 | 700 | 600 |
इन्दौर | खण्डवा | मूली | 500 | 700 | 600 |
इन्दौर | खण्डवा | लौकी | 500 | 800 | 700 |
इन्दौर | खण्डवा | शिमला मिर्च | 1000 | 2100 | 1500 |
इन्दौर | खण्डवा | सोयाबीन | 3750 | 5551 | 4337 |
इन्दौर | खण्डवा | हरी मटर | 1200 | 2200 | 1700 |
इन्दौर | खरगोन | कपास | 4400 | 5705 | 4900 |
इन्दौर | खरगोन | गेहूँ | 1575 | 1777 | 1630 |
इन्दौर | खरगोन | चना | 3500 | 3900 | 3801 |
इन्दौर | खरगोन | ज्वार | 1131 | 1280 | 1157 |
इन्दौर | खरगोन | तुअर | 4701 | 5357 | 5260 |
इन्दौर | खरगोन | मक्का | 1130 | 1285 | 1230 |
इन्दौर | खरगोन | सोयाबीन | 3815 | 4500 | 4450 |
इन्दौर | कुक्षी | अदरक | 2000 | 3000 | 2500 |
इन्दौर | कुक्षी | आलू | 1600 | 2000 | 1800 |
इन्दौर | कुक्षी | गाजर | 1200 | 1500 | 1300 |
इन्दौर | कुक्षी | टमाटर | 900 | 1200 | 1000 |
इन्दौर | कुक्षी | धनिया | 1500 | 2000 | 1600 |
इन्दौर | कुक्षी | पत्ता गोभी | 700 | 1200 | 900 |
इन्दौर | कुक्षी | प्याज | 1000 | 2200 | 1500 |
इन्दौर | कुक्षी | पालक | 700 | 1200 | 800 |
इन्दौर | कुक्षी | फूलगोभी | 800 | 1500 | 1200 |
इन्दौर | कुक्षी | बैंगन | 600 | 1000 | 800 |
इन्दौर | कुक्षी | भिण्डी | 800 | 1400 | 900 |
इन्दौर | कुक्षी | मक्का | 1200 | 1330 | 1265 |
इन्दौर | कुक्षी | मूली | 500 | 700 | 600 |
इन्दौर | कुक्षी | लहसुन | 2000 | 5500 | 2800 |
इन्दौर | कुक्षी | लौकी | 700 | 1200 | 800 |
इन्दौर | कुक्षी | सोयाबीन | 4295 | 4295 | 4295 |
इन्दौर | कुक्षी | हरी मटर | 1000 | 1800 | 1400 |
इन्दौर | कुक्षी | हरी मिर्च | 800 | 1500 | 1000 |
इन्दौर | धार | गेहूँ | 1560 | 1990 | 1680 |
इन्दौर | धार | चना देशी | 3252 | 4344 | 3932 |
इन्दौर | धार | डॉलर चना | 3005 | 5680 | 4897 |
इन्दौर | धार | मक्का | 1210 | 1320 | 1260 |
इन्दौर | धार | मसूर | 4840 | 4840 | 4840 |
इन्दौर | धार | सोयाबीन | 2675 | 4686 | 4050 |
इन्दौर | मनावर | आलू | 2500 | 2700 | 2600 |
इन्दौर | मनावर | कुम्हड़ा | 900 | 1100 | 1000 |
इन्दौर | मनावर | टमाटर | 1400 | 1600 | 1500 |
इन्दौर | मनावर | प्याज | 2400 | 2600 | 2500 |
इन्दौर | मनावर | फूलगोभी | 1150 | 1350 | 1250 |
इन्दौर | मनावर | बैंगन | 900 | 1100 | 1000 |
इन्दौर | मनावर | मक्का | 1171 | 1261 | 1250 |
इन्दौर | मनावर | मेथी | 900 | 1100 | 1000 |
इन्दौर | मनावर | हरी मटर | 1600 | 1800 | 1700 |
इन्दौर | मनावर | हरी मिर्च | 2400 | 2600 | 2500 |
इन्दौर | सेंधवा | टमाटर | 800 | 1100 | 950 |
इन्दौर | सेंधवा | पत्ता गोभी | 800 | 1100 | 950 |
इन्दौर | सेंधवा | फूलगोभी | 750 | 1300 | 1025 |
इन्दौर | सेंधवा | बैंगन | 900 | 1200 | 1050 |
इन्दौर | सेंधवा | भिण्डी | 900 | 1000 | 950 |
इन्दौर | सेंधवा | लौकी | 800 | 1200 | 1000 |
मध्यप्रदेश के इन क्षेत्रों में 3 से 5 जनवरी के बीच हो सकती है भारी बारिश
मध्य भारत में हवाओं का रुख बदल गया है और इससे मध्य प्रदेश सभी अन्य राज्यों में दक्षिणी हवाएं शीतलहर को कम कर रही हैं। बात बारिश की करें पश्चिमी मध्य प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में बारिश की गतिविधियां हमें देखने को मिल सकती हैं।
वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर
Shareलहसुन की 50 दिनों की फसल अवस्था में ऐसे करें उर्वरको की पूर्ति
- लहसुन की फसल से अच्छे उत्पादन के लिए उर्वरकों का प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
- सही समय पर उर्वरकों की पूर्ति करने से लहसुन की फसल में कंद का निर्माण बहुत अच्छा होता है।
- लहसुन की फसल में 50 दिनों में उर्वरक प्रबंधन करने के लिए कैल्शियम नाइट्रेट @ 10 किलो/एकड़ + पोटाश@ 20 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।