- धतूरा एक पादप है जो लगभग 1 मीटर तक ऊँचा होता है। इसके पेड़ काले-सफेद दो रंग के होते हैं।
- धतूरा आम तौर पर ज़हरीला और जंगली फल माना जाता है।
- इसके औषधीय गुणों के कारण इसका कृषि में भी काफी महत्व होता है।
- इसकी पत्तियों को गोमूत्र एवं पानी में गलाकर उपयोग करने पर यह कीटनाशक की तरह कार्य करता है।
- धतूरे का उपयोग पंचगव्य बनाने में भी किया जाता है।
ग्रामोफ़ोन के को-फाउंडर हर्षित गुप्ता को फोर्ब्स की प्रतिष्ठित 30 Under 30 सूची में मिली जगह
ग्रामोफ़ोन के को-फाउंडर हर्षित गुप्ता को विश्व प्रसिद्ध पत्रिका फोर्ब्स ने प्रतिष्ठित 30 Under 30 उद्यमियों की सूची में स्थान दे कर सम्मानित किया है। बता दें की फोर्ब्स पत्रिका हर साल ये सूची जारी करता है जिसमें 30 वर्ष की आयु से कम के 30 सफल उद्यमियों को शामिल किया जाता है।
हर्षित गुप्ता इस प्रतिष्ठित सूची में एग्रीटेक सेक्टर का नेतृत्व कर रहे हैं। बता दें की ग्रामोफ़ोन की शुरुआत साल 2016 में हुई और इसकी नीव IIM तथा IIT जैसे बड़े संस्थानों से निकले चार युवाओं ने हर्षित गुप्ता, तौसीफ खान, निशांत वत्स एवं आशीष सिंह ने रखी। आज ग्रामोफ़ोन से 6 लाख से अधिक किसान जुड़ें हुए हैं और यह संख्या हर रोज बढ़ रही है।
Shareमध्य प्रदेश समेत इन राज्यों में तापमान में आएगी गिरावट, जाने मौसम पूर्वानुमान
मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों में उत्तरी हवाओं का प्रभाव देखने को मिलेगा जिसके कारण तापमान में भी गिरावट देखने को मिलेगी। इस कारण इस क्षेत्र में ठंड में थोड़ी वृद्धि देखने को मिल सकती यही।
स्रोत: स्काईमेट वेदर
Shareमटका खाद कैसे होता है तैयार और क्या हैं इसके फायदे
- जिस प्रकार नाडेप विधि, वर्मीकम्पोस्ट, बायो गैस आदि खाद बनने की विधि है ठीक उसी प्रकार मटका खाद बनने की भी एक सामान्य एवं सरल विधि है।
- इस विधि के द्वारा अच्छी गुणवत्ता वाला खाद बनता है एवं यह कम खर्च में तैयार हो जाता है।
- इसे तैयार करने के लिए गाय-भैंस का मूत्र, गुड़, एक मटका, पानी एवं गोबर की आवश्यकता होती है।
- इन सभी सामग्रियों को आपस में मिलाकर मटके में डाल कर रखें एवं हर 2-3 दिनों में लकड़ी की सहायता से इसे हिलाते रहें।
- इस प्रकार 7 से 10 दिनों में मटका खाद बनकर तैयार हो जाता है।
लहसुन एवं प्याज की फसल में पीलेपन की समस्या का ऐसे करें निवारण
- जिस प्रकार मौसम में लगातार परिवर्तन हो रहे हैं, इसके कारण लहसुन एवं प्याज की फसल में पीलेपन की समस्या बहुत अधिक आ रही है।
- लहसुन एवं प्याज की फसल में पीलापन कवक जनित रोगों, कीट जनित रोगों एवं पोषण संबधी समस्या के कारण भी हो सकता है।
- यदि यह कवक जनित रोगों के कारण से होता है तो कासुगामाइसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@ 300 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।
- पोषक तत्वों की कमी के कारण होने पर सीवीड@ 400 मिली/एकड़ या ह्यूमिक एसिड 100 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- कीटों के प्रकोप के कारण होने पर प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG@ 80 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
तरबूज की फसल के बेहतर विकास के लिए महत्वपूर्ण है बोरान
- तरबूज की फसल के लिए मुख्य रूप से 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। जिनमे बोरान एक प्रमुख आवश्यक पोषक तत्व है।
- बोरान तरबूज के पौधे की जड़ों को विकृत नहीं होने देता है और लगातार जड़ों के विकास को बनाए रखता है।
- बोरान की कमी से पत्तियों की आकृति विकृत हो जाती है, फल कम बनते हैं, पत्तियां एवं तने का विकास बहुत कम होता है एवं तरबूज का फल फटने लगता है।
- फसल में बोरान पोषक तत्व की पूर्ति छिड़काव के द्वारा, ड्रिप के माध्यम से या खेत में बुआई पूर्व मिट्टी में मिलाकर पूर्ति की जा सकती है।
- इसलिए मिट्टी की जांच के बाद बोरान का उपयोग करें, ध्यान रहे बोरान की अधिकता भी पौधे पर विषैला प्रभाव डालती है।
खेती में गौमूत्र के इस्तेमाल से आपको मिलेंगे कई लाभ
- गौमूत्र आपकी फसल एवं आपके खेत की मिट्टी के लिए अमृत की तरह है।
- गौमूत्र से तैयार कीटनाशक के छिड़काव के बाद फसल या फल पर किसी प्रकार के कोई कीट नहीं बैठते हैं।
- इससे तैयार कीटनाशक से किसी प्रकार की कोई दुर्गंध भी नहीं आती है।
- गोमूत्र में नाइट्रोज़न की अच्छी मात्रा पाई जाती है। इसका छिड़काव पौधे की जड़ में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाता है।
- इसके उपयोग से जड़ों को बढ़ने में सहायता मिलती है।
- इसके उपयोग से मिट्टी में सूक्ष्म लाभकारी जीवाणु बढ़ते हैं साथ ही मिट्टी का प्राकृतिक रूप बना रहता है।
मध्यप्रदेश में सर्दियाँ बढ़ेगी और कुछ क्षेत्रों में बारिश भी हो सकती है
मध्य प्रदेश के उत्तरी तथा पश्चिमी क्षेत्रों में उत्तरी बर्फीली हवाएं चल रही हैं। इन हवाओं के कारण तापमान में 2 से 3 डिग्री की गिरावट हो गई है। सर्दियों के बढ़ने के साथ साथ प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में बारिश की संभावना भी बनी हुई है।
वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर
Shareजैविक विधि से करें सुरक्षित खेती और पाएं अच्छा उत्पादन
- जैविक खेती किसानों के लिए बहुत लाभकारी खेती होती है।
- इससे भूमि की उपज क्षमता में वृद्धि हो जाती है।
- इससे सिंचाई अंतराल में भी वृद्धि होती है क्योंकि जैविक खाद लम्बे समय तक मिट्टी में नमी को बनाये रखते हैं।
- रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से लागत में कमी आती है।
- फसलों की उत्पादकता में वृद्धि होती है।
- जैविक खेती से प्राप्त उत्पादों का बाजार भाव अधिक मिलता है जिससे किसानों की आय में वृद्धि होती है।
आरा मक्खी से सरसों की फसल को होगा काफी नुकसान, जानें नियंत्रण विधि
- सरसोंं की फसल में आरा मक्खी का प्रकोप होने का डर सबसे ज्यादा रहता है।
- आरा मक्खी दरअसल काले रंग की होती हैं जो पत्तियों को बहुत तेजी के साथ नुकसान पहुँचाती है।
- इसके अलावा इसके कारण पत्तियों के किनारों पर छेद जैसी संरचना बनती है और यह कीट पत्तियों को खाती चली जाती है। इसके कारण सरसों की पत्तियां बिल्कुल छलनी हो जाती हैं।
- इसके निवारण के लिए प्रोफेनोफोस 50% EC@ 500 मिली/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC@ 80 मिली/एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 30.5% SC@ 50 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।