- खरपतवार हर फसल के लिए एक बहुत बड़ी समस्या होती है।
- खरपतवार को खेत से निकालने के लिए खरपतवार निकलने वाले यंत्र का उपयोग बहुत लाभकारी होता है।
- यह हुक टाइप का एक ऐसा हस्तचालित यंत्र होता है जो फसल की पंक्तियों के बीच खरपतवार को नष्ट करता है।
- इसमें एक रोलर होता है जिसमें लोहे की रॉड द्वारा फिट की गई दो डिस्क लगी होती है। रॉड पर छोटे समचतुर्भुज आकार के हुक जुड़े होते हैं। इस यंत्र का रोलर नरम लोहे से निर्मित होता है।
इस दिन शुरू होगा गेहूँ व अन्य रबी फसलों की एमएसपी पर बिक्री हेतु पंजीकरण
मध्यप्रदेश में गेहूँ समेत अन्य रबी फसलों की समर्थन मूल्य पर बिक्री हेतु पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। यह प्रक्रिया आगामी 25 जनवरी से शुरू होगी। हरियाणा राज्य में यह प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी गई है।
बता दें कि केंद्र सरकार के द्वारा हर साल खरीफ एवं रबी की 23 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी किये जाते हैं। इसी के अंतर्गत साल 2021-22 के लिए रबी फसलों जैसे गेहूँ 1975 रुपये प्रति क्विंटल, जौ 1600 रुपये रुपये प्रति क्विंटल, चना 5100 रुपये प्रति क्विंटल रुपये, मसूर 5100 रुपये रुपये प्रति क्विंटल, रेपसीड एवं सरसों 4650 रुपये रुपये प्रति क्विंटल एवं कुसुम 5327 रुपये रुपये प्रति क्विंटल जारी किये गए हैं।
स्रोत: किसान समाधान
Shareपीएम किसान योजना का फायदा इन किसान परिवारों को नहीं मिलेगा, जानें वजह
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत हाल ही में सातवीं क़िस्त किसानों के बैंक खाते में भेजी गई है। इस योजना से देश के करोड़ों किसान भाई लाभ उठा रहे हैं। हालांकि, इसके बावजूद कुछ ऐसे किसान परिवार भी हैं, जिन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल सकता है।
किन्हें नहीं मिलेगा योजना का लाभ?
- संस्थागत किसानों को नहीं मिलेगा इसका लाभ।
- संवैधानिक पद पर पदस्थ रह चुके व्यक्ति को नहीं मिलेगा इसका लाभ।
- राज्य सरकार, केंद्र सरकार, पब्लिक सेक्टर कंपनी, सरकारी स्वायत्त संगठन आदि के सेवारत या सेवानिवृत्त कर्मचारी को इसका लाभ नहीं मिलेगा। इसमें मल्टी टास्किंग, ग्रुप डी और चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों को शामिल नहीं किया गया है।
- पिछले असेसमेंट वर्ष में आयकर भरने वाले लोग भी इसका लाभ नहीं उठा सकते।
- डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, चार्टर्ड अकाउंट और प्रोफेशनल संगठनों के साथ रजिस्टर्ड आर्किटेक्ट्स भी इसका लाभ नहीं उठा सकते।
स्रोत: जागरण
Shareग्रामोफ़ोन की फोटो प्रतियोगिता के पहले दिन ये रहे टॉप दस किसान
ग्रामोफ़ोन कृषि मित्र एप पर कल यानी 22 जनवरी से ‘मेरा गांव मेरा अभिमान’ फोटो प्रतियोगिता शुरू हुआ। पहले ही दिन इस प्रतियोगिता में हजारों किसानों ने भाग लिया और अपने गांव की तस्वीरें पोस्ट कर अपने दोस्तों से उसपर लाइक बढ़ाएं।
22 जनवरी को शीर्ष पर रहे दस किसान
- शिवशंकर यादव
- सतीश मेवाड़ा
- मोतीलाल पाटीदार
- संदीप रघुवंशी
- धरम कन्नोज
- कमल कृष्ण माली
- प्रकाश पाटीदार
- अशोक पाटीदार
- प्रिंसू
- प्रीतेश गोयल
ग़ौरतलब है की इस दस दिनी प्रतियोगिता में अभी नौ दिन और शेष हैं। इसीलिए इसमें बढ़-चढ़ कर भाग लें और आकर्षक पुरस्कार जीतें।
इस प्रतियोगिता में विजेताओं का चुनाव पोस्ट की गई गांव की तस्वीरों पर आये लाइक्स की संख्या के आधार पर किया जाएगा। 10 दिनों तक चलने वाली इस प्रतियोगिता में हर दो दिन पर अपनी तस्वीरों पर सबसे अधिक लाइक प्राप्त करने वाला एक प्रतियोगी को पुरस्कार मिलेगा और इसके साथ ही दस दिनी प्रतियोगिता के अंत में टॉप किसानों को मिलेंगे बम्पर पुरस्कार।
*नियम व शर्तें लागू
Shareसमन्वित कीट प्रबंधन से फसल में कीटों के प्रकोप से पाएं छुटकारा
- समन्वित कीट प्रबंधन से आशय यह है की कीटों द्वारा फसलों को नुकसान पहुंचाने से पहले ही कीटों का नियंत्रण करना।
- समन्वित कीट प्रबंधन के अंतर्गत लाभकारी कीटों की पहचान करके उनके सरक्षण के उपाय किये जाते हैं।
- इसके अंतर्गत फसल में कीट लगने के पहले ही उनके नियंत्रण के लिए प्रयास किये जाते हैं एवं उपयोग किये जाने वाले रसायनों को बदल बदल कर उपयोग किया जाता है।
- जैविक उत्पादों जैसे फेरामोन ट्रैप लगाकर समन्वित कीट प्रबंधन किया जा सकता है।
ऐसे करें खेत से निकलने वाले कचरे का उचित प्रबंधन
- किसान भाई खेतों में कई प्रकार की फसलें लगाते हैं और जितने प्रकार की फसलें होती हैं उतनी ही प्रकार के फसल अवशेष यानी कचरा भी खेत से निकलता है।
- खेत से निकलने वाले इस कचरे का उचित तरीके से प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
- अतः खेत में बिखरे कचरे को एक स्थान पर इकट्ठा करके रखना चाहिए।
- खरपतवार का कचरा जिसमें खरपतवार के बीज़ होते हैं उन्हें खेत से दूर ले जाकर रखना चाहिए।
- फसलों के जो अवशेष होते है उनको खेत के एक कोने में इकठ्ठा करके रखना चाहिए।
- जानवरों के खाने लायक कचरे को अलग करके रखें।
- आजकल बाजार में बहुत से ऐसे उत्पाद उपलब्ध हैं जिनका उपयोग करके इस कचरे को सड़ा कर खाद में बदल कर उपयोग कर सकते हैं।
मछली रिटेल आउटलेट खोलने के लिए सरकार देगी 50% सब्सिडी
अगर आप मछली रिटेल आउटलेट खोलना चाहते है पर आपके पास इसके लिए पैसे नहीं हैं तो अब आपको निराश होने की जरुरत नहीं है। दरअसल केंद्र सरकार की मदद से मध्य प्रदेश सरकार किसानों को मछली रिटेल आउटलेट खोलने के लिए 50% की सब्सिडी दे रही है।
मध्य प्रदेश के सभी निवासी इस सब्सिडी को प्राप्त कर सकते है, हालाँकि इसमें प्राथमिकता अनुसूचित जन जाति, अनुसूचित जाति, महिला तथा बेरोजगार युवाओं को दी जाएगी। आउटलेट खोलने हेतु 100 वर्गफ़ीट की जगह जरूर होनी चाहिए। आउटलेट खुलने के बाद इसके मैंटेनस की सारी ज़िम्मेदारी हितग्राही की होगी।
बता दें की एक मछली आउटलेट को खोलने में तक़रीबन 10 लाख रुपये का खर्च आता है। सरकार इस पूरी रकम का आधा यानी 50% सब्सिडी के रूप में देगी और शेष खर्च हितग्राही को स्वयं करना होगा। इस योजना से जुड़ी अन्य जानकारी प्राप्त करने के लिए आप अपने जिले के कृषि विभाग या फिर क्षेत्रीय कृषि विभाग जा सकते हैं।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareमध्य प्रदेश समेत इन राज्यों में अब बढ़ेगा तापमान, जानें मौसम पूर्वानुमान
मध्य भारत के राज्यों में आगामी कुछ दिनों में उत्तरी हवाओं का आना कम होगा जिससे तापमान में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। इसके अलावा गणतंत्र दिवस से पहले उत्तर भारत के पहाड़ी और मैदानी इलाकों बारिश होने की संभावना है। 26 जनवरी से देश के अधिकांश हिस्सों में साफ और शुष्क मौसम रहने की संभावना है।
वीडियो स्रोत: स्काइमेट वेदर
Shareसमन्वित पौध प्रबंधन करने से मिलते हैं कई फायदे
- समन्वित पौध प्रबंधन से आशय यह है की पौधो को किसी भी प्रकार की क्षति पहुंचाए बिना उनका सही तरीके से प्रबंधन करना।
- इसके अंतर्गत इस बात का ध्यान रखा जाता है की किसी भी रसायन के उपयोग से फसल के लिए लाभकारी कीटों को कोई नुकसान नहीं हो।
- कीट प्रतिरोधी एवं रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करके बुआई करें।
- फसल चक्र अपनाकर फसल की बुआई करें। एक ही कुल की फसलों की बुआई एक ही खेत में ना करें।
- खेत की अच्छे से जुताई करके एवं बीज़ उपचार तथा मिट्टी उपचार करके ही बुआई करें।
डेरी फॉर्मिंग में साइलेज़ की मदद से दुग्ध उत्पादन को बढ़ाएं
- अच्छी गुणवत्ता वाले दूध का उत्पादन करने के लिए दुग्ध उत्पादकों को पूरे वर्ष अच्छी गुणवत्ता वाले हरे चारे की आवश्यकता होती है।
- यदि दुग्ध उत्पादक हरे चारे के लिए मक्का की खेती करते हैं, तो यह हरा चारा जानवरों को केवल 10 से 30 दिनों तक मिलता है।
- परन्तु यदि दुग्ध उत्पादक साइलेज़ का उपयोग करते हैं तो पूरे वर्ष जानवरों को हरा चारा मिलता रहता है।
- साइलेज का उपयोग करने से किसान के लिए श्रम लागत कम हो जाती है।
- अच्छा साइलेज़ बनाने के लिए मक्का, जई, बाजरा, लूसर्न जैसी फसलों का उपयोग किया जाता है जिन्हें साइलेज बनाने के लिए एकदम सही माना जाता है।