सुपर फसल प्रोग्राम से मिट्टी परीक्षण के साथ मिलेंगे कई और फायदे

Super Fasal Program

मिट्टी की उत्पादन क्षमता उसकी उर्वरा सकती पर निर्भर करती है। पौधे अपने विकास और बढ़वार के लिए आवश्यक पोषक तत्व मिट्टी से प्राप्त करते हैं, इसीलिए मिट्टी का पोषक तत्वों से परिपूर्ण रहना बहुत महत्वपूर्ण होता है। आपकी खेत की मिट्टी पोषक तत्वों से परिपूर्ण या नहीं इसकी जानकारी आपको मिट्टी परीक्षण से मिलती है। पर सिर्फ मिट्टी परीक्षण से ही मिट्टी से संबंधित हर समस्या का निदान नहीं हो सकता है इसीलिए आपको ग्रामोफ़ोन के सुपर फसल प्रोग्राम से जुड़ना होगा। 

सुपर फसल प्रोग्राम के अंतर्गत आपको एक साथ कई लाभ मिलेंगे। इसमें मिट्टी परीक्षण तो होगा ही साथ ही आपके द्वारा लगाई जाने वाली अगली फसल के लिए कृषि विशेषज्ञों की टीम द्वारा कृषि कार्यमाला सूची तैयार की जाएगी। इस सूची में आपको फसल बुआई से लेकर कटाई तक की सम्पूर्ण कार्यमाला दी जाएगी। साथ ही आपको समय समय पर कृषि विशेषज्ञों के सलाह भी मिलते रहेंगे।   

सुपर फसल प्रोग्राम से मिलने वाले फायदे

  • मिट्टी का नमूना लेने आपके खेत पर जाएंगे ग्रामोफ़ोन के प्रतिनिधि।

  • आपके खेत की मिट्टी का मध्य प्रदेश के सबसे विश्वसनीय मृदा परीक्षण संस्थान से घर बैठे होगा परीक्षण।  

  • मिट्टी के नमूने का परीक्षण रिपोर्ट आने के बाद आपकी अगली फसल के आधार पर कृषि कार्यमाला सूची तैयार की जाएगी।  

  • परीक्षण रिपोर्ट और कृषि कार्यमाला सूची की घर पहुँच सेवा दी जाएगी। 

  • पूर्ण फसल चक्र में कृषि विशेषज्ञों की सलाह व निरीक्षण की सुविधा मिलेगी। 

तो अब सोचना क्या, तुरंत सुपर फसल प्रोग्राम के अंतर्गत ऑर्डर करें और पाएं अपनी खेत की मिट्टी से बंपर मुनाफा। ऑर्डर करने के लिए 18003157566 पर मिस्ड कॉल करें या फिर बाजार सेक्शन में जाएँ। 

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आ गई है कोरोना की दूसरी लहर, जानें बचाव के उपाय, अन्य लोगों को भी जागरूक करें

preventive measures from Corona

कोरोना एक वायरस है जिसके संक्रमण की वजह से करीब एक साल से भी ज्यादा समय से वैश्विक महामारी फैली हुई है। इसने पूरी दुनिया को अपने गिरफ्त में ले लिया है। यह महामारी भारत में भी फैली हुई है और फिलहाल यह भारत के लगभग सभी राज्यों में असर दिखा रहा है। हालांकि इसकी वैक्सीनेशन भी अब शुरू हो चुकी है परन्तु इसके बाद भी आपको इससे सम्बंधित हर जानकारी और बचाव के उपाय पता होने चाहिए। 

कैसे होता है कोरोना का संक्रमण?

कोरोना एक वायरस है और इसके संक्रमण में आये व्यक्ति के माध्यम से ही यह दूसरे व्यक्तियों को संक्रमित करता है। 

संक्रमण से बचने के लिए क्या करें?

  • कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए आपको अपने हाथ को साबुन से धोना चाहिए। 

  • साबुन न हो तो आप 60% अल्कोहल वाले सेनेटाइजर से भी अपने हाथ साफ़ कर सकते हैं। 

  • आपके मुंह, आँख और नाक से ही कोरोना वायरस आप में प्रवेश कर सकता है इसलिए अपने हाथों से अपने मुंह, आँख और नाक को छूने से बचना चाहिए।

  • इसका संक्रमण संक्रमित व्यक्ति से होता इसलिए जब तक इस पर काबू ना पाया जा सके तब तक आपको किसी भी व्यक्ति से 6 फिट की दूरी पर रहना चाहिए साथ ही मास्क भी जरूर पहनना चाहिए। 

  • शुरूआती दिनों में संक्रमित व्यक्ति को भी यह पता नहीं होता है की वो संक्रमित है पर उससे यह संक्रमण दूसरे में फैलता रहता है इसलिए सरकार सोशल डिस्टेंसिंग यानी लोगों से दूर दूर रहने को कह रही है। 

देश के सभी लोगों  वैक्सीनेशन होने में समय लगेगा इसलिए अभी भी इसके फैलाव को रोकने के लिए सरकार मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, लॉकडाउन और कर्फ्यू का पालन करने को कह रही है। अतः सरकार के द्वारा उठाये जा रहे क़दमों में अपनी सहभागिता दर्ज करवाएं और कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकें।

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अगले 24 घंटे में मध्य प्रदेश के इन क्षेत्रों में होगी हल्की बारिश, जाने मौसम पूर्वानुमान

Weather report

अगले 24 घंटों में मध्य प्रदेश के साथ साथ छत्तीसगढ़, विदर्भ, मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र के कई इलाकों में बारिश होने की संभावना है। हालांकि इन सभी जगहों पर बारिश रुक रुक कर होगी। मध्य प्रदेश के पूर्वी, पश्चिमी और दक्षिणी जिलों में बारिश की गतिविधियां हल्की रहेगी। वहीं मध्य प्रदेश के उत्तरी जिले शुष्क बने रहने की संभावना है।

स्रोत : स्काईमेट वीडियो

मौसम सम्बंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। नीचे दिए गए शेयर बटन को क्लिक कर इस लेख को अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

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जीवाणु अंगमारी के फसलों पर ऐसे होते हैं लक्षण, जानें बचाव के उपाय

Crops will be harmed due to bacterial blight
  • इस रोग की वजह से फसल की पत्तियों के सतह पर भूरे, सूखे और उभरे हुए धब्बे बन जाते हैं।

  • पत्तियों की सतह पर ये धब्बे लाल रंग के सदृश्य पाए जाते हैं।

  • जब रोग का प्रकोप बढ़ता है तो ये धब्बे आपस में मिल जाते हैं, पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और आखिर में ये पत्तियां समय से पहले झड़ जाती हैं।

  • इससे नियंत्रण हेतु स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट आईपी 90% + टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 10% w/w @ 20 ग्राम प्रति एकड़ या कसुगामाइसिन 3% SL @ 300 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

  • या फिर कसुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% WP @ 250 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में रोगों व कीटों के प्रकोप की समयपूर्व जानकारी प्राप्त करते रहें । इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने किसान मित्रों से भी करें साझा।

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लहसुन के भंडारण के समय जरूर बरतें ये सावधानियां

What are the precautions to be taken for storing of garlic
  • आजकल सभी स्थानों पर लहसुन की कटाई लगभग पूर्ण हो चुकी है और किसान लहसुन को भंडारित करके रख रहे हैं।

  • लहसुन का भंडारण करने की स्थिति में किसान को कुछ सावधानियां बरतनी बहुत जरूरी होती है।

  • भंडारण के पहले लहसुन को धूप में अच्छे से सुखा लें। ऐसा करने से लहसुन में नमी बिलकुल खत्म हो जाएगी। दरअसल थोड़ी भी नमी होने से लहसुन के ख़राब होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

  • यदि आपके पास पर्याप्त जगह हो और आप लहसुन को ज्यादा समय तक सुरक्षित रखना चाहते हों तो तने से कंद को न काटें, जब जरूरत हो तभी काटें। उन्हें एक गुच्छे में बांध कर फैला कर रख दें।

  • यदि कटाने की आवश्यकता हो तो सबसे पहले उन्हें 8-10 दिन तक तेज धूप में सूखने दें।

  • लहसुन के कंद की जड़ को तब तक सूखने दें जब तक जड़े बिखर न जाए।

  • इसके बाद कंद से तने के बीच में 2 इंच की दूरी रख कर ही काटें ताकी उनकी परत हटने पर कली ना बिखरे और कंद ज्यादा समय तक सुरक्षित रहे।

  • कई बार कुदाली या फावड़े से कंद को चोट लग जाती है। लहसुन के कंद की छटाई करते वक्त दाग लगे हुए कंद को अलग निकाल दें, बाद में इन्हीं दागी कंदो में सड़न पैदा हो कर अन्य दूसरे कंदों में भी सड़न फैल जाती है।

कृषि, फसल भंडारण एवं फसल बिक्री से संबंधित हर जानकारी आपको मिलती रहेगी ग्रामोफ़ोन एप पर। अपनी फसल बिक्री के लिए ग्राम व्यापार पर जाएँ और बिक्री सूची बनाएं।

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मध्य भारत में प्री-मानसून की गतिविधियां शुरू, रुक रुक कर होगी बारिश

Weather report

मध्य भारत में प्री-मानसून की गतिविधियां शुरू हो गई हैं। चक्रवातीय प्रवाह से महाराष्ट्र के कुछ इलाकों, मराठवाड़ा, मध्य महाराष्ट्र और विदर्भ में हल्की बारिश होने की संभावना है। इन इलाकों में बादल छाए रहेंगे। हालांकि इन इलाकों में मौसम गर्म रहेगा लेकिन रुक रुक कर बारिश मध्य प्रदेश के पूर्वी और दक्षिणी जिलों में हल्की और छिटपुट बारिश होगी।भी जारी रहने की संभावना है।

स्रोत : स्काईमेट वीडियो

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मूंग की फसल में इन उपायों को अपनाने से होगी फूल वृद्धि

What are the preventions to follow for flower growth in green gram crop
  • मूंग की फसल में पोषक तत्वों की कमी के कारण फूल गिरने की समस्या होती है।

  • अधिक मात्रा में फूल गिरने के कारण फसल उत्पादन बहुत प्रभावित होता है।

मूंग में अधिक फूल वृद्धि के लिए निम्र उत्पादों का छिड़काव करें

  • इस समस्या के निवारण के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

  • फूल गिरने से रोकने के लिए होमोब्रेसिनोलाइड @ 100 मिली/एकड़ या पिक्लोबूट्राज़ोल 40% SC @ 30 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में रोगों व कीटों के प्रकोप की समयपूर्व जानकारी प्राप्त करते रहें । इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने किसान मित्रों से भी करें साझा।

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मध्य प्रदेश समेत इन राज्यों में अगले 3-4 दिन हो सकती है बारिश

Weather report

मध्य भारत के दक्षिणी- पूर्व मध्य प्रदेश, विदर्भ, मराठवाड़ा, मध्य महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के दक्षिणी और मध्य जिलों में आने वाले दिनों में बारिश की गतिविधियां बढ़ेगी। अगले 24 घंटों में इन इलाकों में 1-2 घंटे तक बारिश होगी और कुछ समय बाद थम जाएगी। यह गतिविधियां इन सभी इलाकों में देखने को मिलेगी और अगले 3-4 दिनों के दौरान इन इलाकों में तापमान कम ही रहेंगे।

स्रोत : स्काईमेट वीडियो

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किसान रेल से किसानों को हो रहा है लाभ, पौने दो लाख टन उपज का हुआ परिवहन

Kisan Rail

साल 2020 में कोरोना महामारी की वजह से लगे देशव्यापी लॉकडाउन के समय किसानों को अपनी उपज को दूसरे स्थानों तक पहुँचाने में बहुत परेशानी हुई थी। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए किसान रेल चलाये गए।

केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पिछले बुधवार को बताया कि किसानों को फायदा पहुंचाने वाले इस किसान रेल ने अब तक 455 फेरे लगाए हैं। इन 455 फेरों के दौरान किसान रेल ने करीब पौने दो लाख टन तक की उपज को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाया है।

स्रोत: कृषक जगत

कृषि एवं किसानों से सम्बंधित लाभकारी सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। इस लेख को नीचे दिए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ साझा करना ना भूलें।

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डम्पिंग ऑफ रोग से फसलों को होता है काफी नुकसान, जानें इसका निदान

Dumping of disease causes great damage to crops, know its prevention
  • यह रोग किसी भी फसल के शुरुआती दौर में अंकुरण के समय लगता है।

  • इस रोग के कारण जड़ गलने लग जाती है और पौधे नष्ट होने लग जाते हैं।

  • मौसम की अनुकूलता, अधिक नमी एवं तापमान में परिवर्तन इस रोग का मुख्य कारण है।

  • इसके प्रबंधन के लिए थियोफैनेट मिथाइल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या मेटालेक्सिल 4% + मेंकोजेब 64% WP@ 500 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।

  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ दर से उपयोग करें।

फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले घातक रोगों से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन दबा के अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

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