प्याज भंडार गृह निर्माण हेतु सरकार देगी 50% की सब्सिडी, पढ़ें पूरी प्रक्रिया

Government to give 50% subsidy for building onion stores

कृषि उत्पादन बढ़ाने के साथ साथ सरकार उपज के भंडारण हेतु भी कई योजनाएं चलाती है जिसका लाभ किसान ले सकते है। इसी कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार ने प्याज भंडारण गृह के निर्माण हेतु सब्सिडी देने का निर्णय किया है। इस सब्सिडी के लिए सरकार ने इक्च्छुक किसानों से आवेदन मांगे हैं।

इस योजना में प्याज भंडार गृह निर्माण पर किसान को 50% तक की भारी सब्सिडी मिलेगी। बता दें कि 50 मीट्रिक टन भंडारण वाले भंडार गृह हेतु अधिकतम 3,50,000 रुपये लगते हैं जिसमे किसानों को अधिकतम 1,75,000 रुपये सब्सिडी के तौर पर मिलेगी।

इस योजना का लाभ राज्य के अनुसूचित जाति व जनजाति के वैसे किसान ले सकते हैं जो कम से कम 2 हेक्टेयर क्षेत्र में प्याज की खेती करते हों। इस योजना की अधिक जानकारी हेतु मध्यप्रदेश की उद्यानिकी एवं विभाग से संपर्क कर सकते हैं।

स्रोत: किसान समाधान

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मध्य प्रदेश में अगले 1-2 दिनों में बारिश की है संभावना, जाने मौसम पूर्वानुमान

Weather report

बांग्लादेश से होते हुए एक ट्रफ रेखा आ रही है। इस ट्रफ रेखा से मध्य प्रदेश के पूर्वी और ख़ास कर के दक्षिणी पूर्वी जिलों के साथ साथ विदर्भ और छत्तीसगढ़ में अगले 1-2 दिनों के दौरान बारिश होने की संभावना है।

स्त्रोत : स्काईमेट वेदर

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नर्सरी में बुआई से पहले मिर्च के बीजों का ऐसे करें उपचार

How to treat seed before sowing of chilli nursery
  • नर्सरी में मिर्च के बीजों की बुआई करने से पहले बीज उपचार किया जाना बहुत आवश्यक होता है इसलिए जहाँ तक संभव हो बीज उपचार करके ही बुआई की जानी चाहिए।

  • मिर्च में बीज उपचार रासायनिक एवं जैविक दोनों विधियों से किया जाता है।

  • रासायनिक उपचार: इस उपचार के अंतर्गत कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% @ 2.5 ग्राम/किलो बीज या थियामेथाक्साम 30% FS @ 6-8 मिली/किलो बीज की दर से बीज उपचार के लिए उपयोग करें।

  • जैविक उपचार: ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 5-10 ग्राम/किलो बीज या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 5-10 ग्राम/किलो बीज की दर से बीज उपचार करें।

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कोरोना का टीका लगवाने के लिए घर बैठे करें रजिस्ट्रेशन, जानें पूरी प्रक्रिया

corona vaccine

कोरोना महामारी से बचाव के लिए 1 मई से टीकाकरण की शुरुआत होने वाली है जिसमे 18 साल से ऊपर के सभी लोग टीका लगवा पाएंगे। टीका लगवाने के लिए Co-WIN पोर्टल या फिर Aarogya Setu App पर आप रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।

रजिस्ट्रेशन के लिए आपको cowin.gov.in या aarogyasetu.gov.in की वेबसाइट पर जाना होगा या फिर आरोग्य सेतु ऐप पर भी रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। आपको अपना मोबाइल फोन नंबर दर्ज करना होगा जिसके बाद आपके नंबर पर एक OTP आएगा। इस OTP को वेबसाइट या ऐप पर भरे और फिर वेरिफाई बटन पर क्लिक करें।

इतना करने के बाद रजिस्ट्रेशन पेज खुलेगा जिसमें आपको नाम, पता जैसी जानकारी भरनी होगी। साथ ही एक फोटो पहचान पत्र में भी यहाँ सबमिट करना होगा। यहाँ आपको अपने स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियां भी भरनी है। आखिर में सबमिट पर क्लिक करें। इस तरह आप कोरोना वैक्सीन हेतु घर बैठे रजिस्ट्रेशन कर पाएंगे।

स्रोत: कृषि जागरण

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अच्छे उपज के लिए ऐसे करें मिर्च की नर्सरी की तैयारी

How to prepare for chilli Nursery
  • मिर्च की उन्नत खेती के लिए सामान्य रूप से पहले नर्सरी तैयार की जाती है क्योंकि नर्सरी में पौध तैयार करने से बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं।

  • जुताई से पहले नर्सरी के लिए चयनित क्षेत्र को पहले साफ कर लें।

  • चयनित क्षेत्र अच्छी तरह से सूखा होना चाहिए और जलजमाव से मुक्त होना चाहिए साथ ही वहां उचित धूप मिलनी चाहिए।

  • नर्सरी में पानी एवं सिंचाई की उचित व्यवस्था होनी चाहिए ताकि सिंचाई समय से हो सके।

  • इस क्षेत्र को पालतू और जंगली जानवरों से अच्छी तरह से संरक्षित किया जाना चाहिए।

  • कार्बनिक पदार्थ से भरपूर बालुई दोमट और दोमट मिट्टी नर्सरी हेतु उपयुक्त होती है।

  • स्वस्थ रोपाई के लिए मिट्टी रोगज़नक़ से मुक्त होनी चाहिए।

  • इसके बाद बेड की तैयारी से पहले हल से 2 बार खेत की जुताई करें। बीज बोने के लिए आवश्यकतानुसार उठी हुई क्यारियां (जैसे 33 फीट × 3 फीट × 0.3 फीट) बनायें।

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मध्य प्रदेश में आने वाले 24 घंटे में कैसा रहेगा मौसम, जानें मौसम पूर्वानुमान

Weather Update Hot

मध्य प्रदेश में फिलहाल बारिश की कोई गतिविधि देखने को नहीं मिलने वाली है। पर मध्य भारत के कुछ क्षेत्रों में मराठवाड़ा और तेलंगाना के कुछ क्षेत्रों में बारिश होने की संभावना है। वहीं मध्य प्रदेश के सभी इलाके शुष्क बने हुए रहेंगे और गर्मी जारी रहेगी।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

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पॉलीहाउस में ऐसे करें मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन

How to manage soil health in polyhouses
  • पॉलीहाउस/ग्रीनहाउस में वर्ष भर फसलों की अच्छी पैदावार हेतु अलग अलग प्रकार के खादों का प्रयोग निरंतर किया जाता है।

  • खादों के प्रयोग के कारण 3-4 वर्षों में ही पॉलीहाउस की मिट्टी का स्वास्थ्य ख़राब होने लगता है।

  • अच्छे बीज, उचित पोषक तत्व तथा सभी सावधानियों के बावजूद फसल की पैदावार तथा गुणवत्ता में भरी कमी आनें लगी है।

  • अतः यह आवश्यक है कि वैज्ञानिक ढंग से खेती करने के लिए किसान मिट्टी के स्वास्थ्य की लगातार जांच कराएं और उसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी रखें।

  • मिट्टी की जांच के लिए सही तरीके से नमूना लेना बहुत महत्वपूर्ण है।

  • नमूना पॉलीहाउस/ग्रीनहाउस के अंदर से अलग-अलग स्थानों से लिए जाता है, फिर इसे अच्छी तरह मिलाकर चार भागों में बाँट दिया जाता है।

  • इस प्रक्रिया को तब तक दोहराया जाता है जब तक नमूना आधा किलोग्राम न रह जाए।

  • इस तरह से प्राप्त किये गये नमूने को जाँच केंद्र में भेज दिया जाता है।

  • परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार ही खेत में उर्वरक का उपयोग करना होता है।

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कैसे करें अम्लीय भूमि की पहचान और क्या है इसके प्रबंधन का तरीका?

How to manage acidic land
  • यदि भूमि का पी एच मान 6.5 से नीचे हो तो इस प्रकार की मिट्टी अम्लीय भूमि कहलाती है।

  • मिट्टी जहाँ अत्यधिक अम्लीय होती है वहां अम्ल के प्रति संवेदनशील फसलें लगायी जा सकती है।

  • अधिक अम्लीय मिट्टी की स्थिति में लाइमिंग (Liming) की पद्धति अपनाना आवश्यक होता है।

  • लाइमिंग से बेस संतृप्तता (base saturation) और कैल्शियम एवं मैग्नीशियम की उपलब्धता बढ़ जाती है।

  • फास्फोरस (P) और मॉलिब्डेनम (Mo) का स्थिरीकरण करने से अभिक्रियाशील घटकों को निष्क्रिय किया जा सकता है।

  • लाइमिंग सूक्ष्म जीवों की क्रियाशीलता को प्रेरित करती है और नाइट्रोजन स्थिरीकरण व नाइट्रोजन खनिजीकरण को बढ़ाती है। इस प्रकार लाइमिंग से फलीदार फसलों को बहुत लाभ होता है।

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तरबूज की फसल को नुकसान पहुंचाएगी फल मक्खी, जानें नियंत्रण विधि

How to control fruit fly in watermelon
  • फल मक्खी के मादा कीट तरबूज के कोमल फलों में अपने अंडे देती है।

  • इन अंडों से इल्ली बाहर निकलती है और फल में सुरंग बना कर फल के गुद्दे को खाती है जिससे फल सड़ने लगते हैं।

  • इससे फल टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं तथा कमजोर होकर बेल से अलग हो जाते हैं।

  • क्षतिग्रस्त फल पर अंडा दिए गए स्थान से तरल पदार्थ निकलता रहता है जो बाद में खुरंट बन जाता है।

  • इस कीट के नियंत्रण के लिए फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC@ 60 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।

  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में रोगों व कीटों के प्रकोप की समयपूर्व जानकारी प्राप्त करते रहें । इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने किसान मित्रों से भी करें साझा।

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करेले की फसल को मकड़ी के प्रकोप से होगा नुकसान, जाने बचाव विधि

How to control mites in bitter gourd crop
  • मकड़ी छोटे एवं लाल रंग के कीट होते है जो करेले की फसल के कोमल भागों जैसे पत्ती, फूल कली एवं टहनियों पर भारी मात्रा में पाए जाते हैं।

  • करेले के जिन पौधों पर मकड़ी का प्रकोप होता है उन पौधे पर जाले दिखाई देते हैं।

  • यह कीट पौधे के कोमल भागों का रस चूसकर उनको कमज़ोर कर देते हैं एवं इसकी वजह से अंत में पौधा मर जाता है।

  • रासायनिक प्रबंधन: प्रोपरजाइट 57% EC @ 200 मिली/एकड़ या स्पाइरोमैसीफेन 22.9% SC @ 200 मिली/एकड़ या ऐबामेक्टिन 1.8% EC @ 150 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • जैविक प्रबधन: जैविक उपचार के रूप में मेट्राजियम @ 1 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।

अपनी करेले एवं अन्य सभी प्रकार की फसलों को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जरूर जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें समय पूर्व कृषि सलाह। इस लेख को शेयर बटन पर क्लिक कर अपने मित्रों संग भी साझा करें।

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