नारियल के रेशों से कुछ इस प्रकार तैयार होता है कोकोपीट

This is how coco peat is prepared from coconut fibers
  • बहुत से आवश्यक पोषक तत्व नारियल के रेशों में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं और इन्ही नारियल के रेशों को कृत्रिम रूप से अन्य पोषक खनिज लवणों के साथ मिलाकर मिट्टी का निर्माण करने की प्रक्रिया को “कोकोपीट” कहते हैं।

  • यह नारियल उद्योग का एक उत्पाद है और समुद्री इलाकों के लोगों को एक अतिरिक्त आय का स्रोत भी देता है।

  • नारियल के ऊपरी रेशे को सड़ाकर कर उसे छिलके निकाल कर बुरादा बनाकर इसे प्राप्त किया जाता है।

  • पीट मोस या कोकोपिट दोनों का उद्देश्य एक सा ही है, दोनों ही गमले की मिट्टी को हवादार बनाते हैं साथ ही उसमें नमी रोककर रखते हैं और यह बहुत हल्का भी रहता है।

स्मार्ट कृषि से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख रोजाना पढ़ें। इस लेख को शेयर बटन पर क्लिक कर अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

गर्मियों के मौसम में जब खेत खाली हो तब इन कार्यों को जरूर करें

Work to be done in the empty field in summer
  • गर्मियों के समय बहुत से किसानों के खेत खाली पड़े रहते हैं। इसीलिए ऐसे समय में खेत से जुड़े महत्वपूर्ण कार्यों को कर लेना उपयुक्त होता है।

  • किसान गर्मी के मौसम में खाली पड़े खेतों में डिकम्पोज़र का उपयोग करके अपने खेत में पड़े फसल अवशेषों को उपयोगी खाद में बदल कर अपने खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ा सकते हैं।

  • पुराने पूरी तरह सड़ चुके गोबर को खेत में डालकर खेत की उर्वरा शक्ति में वृद्धि की जा सकती है।

  • खेत की अच्छे से गहरी जुताई करके खेत में उग रहे खरपतवारों के बीजों को नष्ट किया जा सकता है।

स्मार्ट कृषि से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख रोजाना पढ़ें। इस लेख को शेयर बटन पर क्लिक कर अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

पीएम किसान योजना की आठवीं क़िस्त के 2000 रूपये किसानों को जल्द मिलने वाले हैं

PM Kisan Samman Nidhi Yojna

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत सभी पात्र किसानों के बैंक खातों में 2000 रुपये की अगली किस्त मई महीने के शुरुआत के बाद किसी भी वक़्त आनी शुरू हो जायेगी। बता दें की यह क़िस्त, इस योजना की आठवीं क़िस्त है और इससे पहले सात क़िस्त किसानों को दी जा चुकी है।

अगर आप इस योजना के पात्र किसान हैं तो अपना स्टेटस चेक कर लें और यह निश्चित कर लें की आपके आवेदन में कोई त्रुटि तो नहीं है।

अपना स्टेटस चेक करने के लिए :

  • योजना की अधिकारिक वेबसाइट ? pmkisan.gov.in पर जाएँ और फार्मर कॉर्नर पर क्लिक करें। इसके बाद आपको लाभार्थी की स्थिति दिखाई देगी। अब आप उस पर क्लिक कर दें।

  • लाभार्थी की स्थिति पर क्लिक करने के बाद आपको अपना आधार नंबर, खाता नंबर और मोबाइल नंबर दर्ज करना होगा।

  • इतना करने के बाद आपको इस बात की जानकारी मिल जाएगी कि आपका नाम पीएम किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थियों की सूची में है या नहीं।

  • अगर आपका नाम इस लिस्ट में है और उसमें किसी प्रकार की गलती नहीं है, तो आपको योजना का लाभ जरूर मिलेगा।

स्रोत : कृषि जागरण

कृषि एवं किसानों से सम्बंधित लाभकारी सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। इस लेख को नीचे दिए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ साझा करना ना भूलें।

Share

मध्य प्रदेश के पूर्वी जिलों में हो सकती है बारिश, जानें मौसम पूर्वानुमान

Weather report

मध्य भारत के तेलंगना, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों में हल्की बारिश हुई है। आने वाले दिनों में पूर्वी मध्य प्रदेश, विदर्भ और तेलंगाना जैसे इलाकों में बारिश की गतिविधियां होने की संभावना पुनः बन रही है और इसके साथ मध्य महाराष्ट्र के दक्षिणी जिलों में भी बारिश की गतिविधियां जारी रहने ही संभावना है।

स्रोत : स्काईमेट वेदर

मौसम सम्बंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। नीचे दिए गए शेयर बटन को क्लिक कर इस लेख को अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

सिंचाई हेतु तालाब निर्माण पर मध्यप्रदेश के किसानों को मिलेगी 1 लाख तक की सब्सिडी

Balram Tal Scheme

कृषि क्षेत्र में विकास हेतु मध्य प्रदेश सरकार बलराम ताल योजना चला रही है। इस योजना का उद्देश्य सतही व भुमीगत जल की उपलब्धता को बढ़ाना है। इसके लिए सामान्य किसानों को खेत में तालाब बनाने के लिए होने वाले खर्च का 40% हिस्सा अनुदान के रूप में दिया जाता है।

इसमें हितग्राही किसान को अनुदान के 50% (अधिकतम राशि ₹80000) के अतिरिक्त खर्च को स्वयं वहन करना होगा। अगर हितग्राही अनुसूचित जाति/जनजाति के होंगे तो अनुदान के 75% (अधिकतम राशि ₹100000) के अतिरिक्त के खर्च को स्वयं वहन करना होगा। इस योजना में आवेदन के लिए ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर जाएँ।

स्रोत: किसान समाधान

कृषि एवं किसानों से सम्बंधित लाभकारी सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। इस लेख को नीचे दिए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ साझा करना ना भूलें।

Share

मिर्च की बुआई के पहले खेत में डिकम्पोजर के उपयोग से पिछली फसल के अवशेषों का करें निपटारा

How to use Decomposer before sowing chilli
  • डिकम्पोजर एक प्रकार का बायोफर्टिलाइजर है जो मिट्टी की उर्वरा शक्ति सुधारक के रूप में भी काम करता है।

  • जब खेत में से फसल की कटाई हो चुकी हो तब इसका उपयोग करना चाहिए।

  • किसान भाई पाउडर के रूप में डिकम्पोज़र को 4 किलो प्रति एकड़ की दर खेत की मिट्टी या गोबर में मिलाकर भुरकाव करें।

  • भुरकाव के बाद खेत में थोड़ी नमी की मात्रा बनाये रखें। आप छिड़काव के 10 से 15 दिनों के बाद मिर्च की फसल की रोपाई कर सकते हैं।

  • चूंकि ये सूक्ष्म जीव पुरानी फसलों के अवशेषों को खाद में बदलने का काम करते हैं, इसलिए इनकी पाचन प्रक्रिया एनएरोबिक से एरोबिक में बदल जाती है, जो रोगकारक एवं हानिकारक जीवों को नष्ट कर देती है।

  • जैव संवर्धन और एंजाइमी कटैलिसीस की सहक्रियात्मक क्रिया के द्वारा पुरानी अवशेषों को स्वस्थ, समृद्ध, पोषक-संतुलित खाद में बदल देती है।

स्मार्ट कृषि से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख रोजाना पढ़ें। इस लेख को शेयर बटन पर क्लिक कर अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

बुआई पूर्व मिर्च के बीजों का उपचार करने से पौध को बेहतर शुरुआती बढ़वार मिलेगी

Benefits of Chilli Seed Treatment
  • मिर्च के बीजों का उपचार करने से बीज को कीट जनित एवं कवक जनित रोगों से सुरक्षा मिल जाती है।

  • इसके साथ ही जड़ों की अच्छी वृद्धि एवं विकास मिलती है, सफ़ेद जड़ों की संख्या बढ़ती है एवं मिर्च की फसल को अच्छी शुरुआत मिलती है।

  • जैविक कीटनाशक से बीज़ उपचार करने से भूमि में दीमक एवं सफेद ग्रब आदि की रोकथाम हो जाती है।

  • कवकनाशकों से बीज़ उपचार करने से फसल की अंकुरण क्षमता बढ़ती है।

स्मार्ट कृषि से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख रोजाना पढ़ें। इस लेख को शेयर बटन पर क्लिक कर अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

घर घर ग्रामोफ़ोन – निमाड़ के किसानों के लिए सुनहरा मौका, पढ़ें पूरी जानकारी

Ghar Ghar Gramophone

ग्रामोफ़ोन ने हाल ही में निमाड़ क्षेत्र के किसानों के लिए “घर घर ग्रामोफ़ोन” अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान के तहत निमाड़ क्षेत्र के खंडवा, खरगोन और बड़वानी जैसे इलाकों में ग्रामोफ़ोन के प्रतिनिधि स्वयं किसानों के घर पहुंचेंगे और इस अभियान के माध्यम से मिलने वाले फायदों के बारे में बताएँगे।

पिछले दिनों इस अभियान की शुरुआत के बाद बहुत सारे किसान इस अभियान से जुड़े हैं और लाभ उठाया है। आइये जानते हैं इस अभियान से जुड़ने पर किसानों को क्या लाभ मिल रहे हैं।

जब भी कोई नया किसान इस अभियान के माध्यम से पहली बार ग्रामोफ़ोन से जुड़ता है और कृषि उत्पादों की खरीदी के लिए ऑर्डर करता है तब उस किसान को 500 रूपये की पहली खरीद पर 50 रूपये की छूट मिलती है, इस छूट को पाने के लिए कूपन कोड GMC50 का उपयोग नए किसानों को करना होता है। यहाँ यह ध्यान रखें है की यह ऑफर बीज की खरीदी पर उपलब्ध नहीं है।

जो किसान पहले से ग्रामोफ़ोन संग जुड़े हुए हैं उनके लिए भी “घर घर ग्रामोफ़ोन” के अंतर्गत कई ख़ास ऑफर है जिसकी जानकारी उन्हें 1800 315 7566 पर मिस्ड कॉल करने पर दी जाती है। बता दें की “घर घर ग्रामोफ़ोन” का यह अभियान 31 मई 2021 तक चलेगा अतः ज्यादा से ज्यादा इस अभियान के ऑफर का लाभ उठायें।

Share

29 व 30 अप्रैल को मध्यप्रदेश के इन इलाकों में हो सकती है बारिश

Weather report

मध्य भारत के ज्यादातर इलाकों में तापमान बढ़ने लगे हैं। हालाँकि बंगाल से होकर दक्षिणी भारत की तरफ जा रही तरफ रेखा की वजह से मध्य प्रदेश के पश्चिमी इलाकों के साथ साथ गुजरात के कुछ इलाकों में बारिश की गतिविधियां बढ़ने की संभावना है। बताया जा रहा है की मई के महीने में इन इलाकों में बारिश के और ज्यादा बढ़ जाने की संभावना है।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

मौसम सम्बंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। नीचे दिए गए शेयर बटन को क्लिक कर इस लेख को अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

मिर्च की नर्सरी बनाने से पहले मिट्टी उपचार जरूर करें

How to do soil treatment in chili nursery
  • नर्सरी में मिट्टी उपचार करके मिर्च के बीजों की बुआई करने से मिर्च की रोप बहुत अच्छी एवं रोग से मुक्त होती है।

  • मिट्टी उपचार के लिए 10 किलो FYM के साथ DAP 1 किलो और मैक्सरुट 100 ग्राम प्रति स्क़्वेर मीटर के हिसाब से बेड का मिट्टी उपचार करें।

  • बेड को चींटियों और दीमक से बचाने के लिए कार्बोफुरोन 15 ग्राम प्रति बेड के हिसाब से उपयोग करे और इसके पश्चात ही बुआई करें।

  • इस प्रकार मिट्टी उपचार करके मिर्च के बीज की बुआई करे और बुआई के बाद आवश्यकता अनुसार नर्सरी में सिंचाई करते रहे।

  • मिर्च के नर्सरी अवस्था में खरपतवार के निवारण के लिए आवश्यता अनुसार निदाई भी करते रहे।

स्मार्ट कृषि से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख रोजाना पढ़ें। इस लेख को शेयर बटन पर क्लिक कर अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share