मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी से फसलों में दिखाई देंगे ये लक्षण

nitrogen deficiency in soil
  • विशेष रूप से फल और बीज विकास के लिए पौधों द्वारा नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है।

  • इसके अलावा नाइट्रोजन पत्ती के आकार और गुणवत्ता को भी बढ़ाता है और पौधे की परिपक्वता को भी बढ़ाता है।

  • इसकी कमी के कारण पूरे पौधे का सामान्य क्लोरोसिस एक हल्के हरे रंग का हो जाता है और इसके बाद पुरानी पत्तियों का पीलापन युवा पत्तियों की ओर बढ़ने लगता है।

  • इसके कारण पत्तियां पर्याप्त क्लोरोफिल बनाने में असमर्थ हो जाती हैं। इस अवस्था में पत्तियों को क्लोरोटिक कहा जाता है। निचली पत्तियों (पुरानी पत्तियां) पर सबसे पहले इसके लक्षण दिखते हैं।

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मध्य प्रदेश के किसानों को सम्मान कार्ड के माध्यम से मिलेंगे कई लाभ

Madhya Pradesh farmers will get many benefits through Samman Card

मुख्यमंत्री कल्याण योजना के तहत मध्य प्रदेश के लाखों किसानों को सालाना चार हजार रुपए देने के बाद शिवराज सरकार अब ‘सम्मान कार्ड’ देने की तैयारी में है। इस योजना के तहत किसान ‘सम्मान कार्ड’ से मंडियों में बनाए जाने वाले बाजार में खरीदी कर सकेंगे। बता दे कि यह कार्ड बैंक खाता और आधार कार्ड से लिंक होगा।

प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल के अनुसार इस कार्ड की शुरुआत नए वित्तीय वर्ष में कर दी जाएगी और कुछ मंडियों में बाजार भी शुरू कर दिए जाएंगे। इस कार्ड से किसानों को मिलिट्री कैंटीन की तरह रियायती दर पर सामग्री मिलेगी। मध्य प्रदेश के किसानों को एक ही जगह पर सुविधाएं उपलब्ध करने के लिए सरकार कृषक बाजार बनाने जा रही है। इसके लिए मंडियों का चयन किया जा रहा है।

स्रोत : नई दुनिया

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गेहूँ की कटाई के बाद घर पर ही करें सुरक्षित भंडारण, देखें वीडियो

safe wheat storage

गेहूँ की फसल की कटाई बहुत सारे किसान भाइयों ने कर ली है। कटाई के बाद कई किसान उपज को भरोसेमंद खरीददारों के पास सही रेट पर बेचना चाहते हैं। इसके लिए तो ग्रामोफ़ोन का ग्राम व्यापार मददगार सिद्ध हो सकता है। यहाँ आप कई भरोसेमंद खरीददारों से संपर्क कर सकते हैं और घर बैठे सौदा तय कर सकते हैं। हालाँकि कई किसान अपनी गेहूँ की उपज को घर पर ही भंडारित कर के रखते हैं। तो घर पर घरेलू नुस्खों के साथ गेहूँ के सुरक्षित भंडारण हेतु देखें वीडियो।

वीडियो स्रोत: ग्रीन टीवी

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गेहूँ की पराली से खेत में ही बनाएं घरेलू खाद, जानें पूरी प्रक्रिया

Make domestic fertilizer in the field with wheat straw

किसानों के बीच फ़सल अवशेषों के निपटारे को लेकर अव्यवस्था की स्थिति बनी रहती है। अक्सर फसल की कटाई के बाद फ़सल अवशेषों को जलाये जाने की खबर आती है जिसके कारण प्रदूषण का स्तर भी काफी बढ़ जाता है। फसल अवशेषों को खेत में जलाने से खेत की उर्वरा शक्ति भी कम होती है। इसीलिए फ़सल अवशेषों के बेहतर निपटारे हेतु किसानों को कार्य करना चाहिए और इसके लिए सबसे बेहतर युक्ति है इन अवशेषों का डिकम्पोजर की मदद से घरेलू खाद बनाना। ऐसा करके वे ना सिर्फ फ़सल अवशेषों का निपटारा कर पाएंगे बल्कि डिकम्पोजर की मदद से तैयार घरेलू खाद से खेतों की उर्वरा शक्ति भी बढ़ा पाएंगे।

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इन उपायों से मिर्च की नर्सरी को डंपिंग ऑफ रोग से बचाएं

damping off disease in chilli nursery,
  • डम्पिंग ऑफ मिर्च की नर्सरी में लगने वाला एक प्रमुख रोग है।

  • इस रोग के कारण मिर्च की फसल नर्सरी अवस्था में बहुत अधिक प्रभावित होती है।

  • डम्पिंग ऑफ रोग के कारण अंकुरण के तने पानी से लथपथ और पतले, लगभग धागे जैसे हो जाते। हैं।

  • संक्रमित पत्तियाँ भूरे से हरे रंग की हो जाती हैं और युवा पत्तियां मुरझाने लगती हैं।

  • प्रबंधन हेतु थियोफैनेट मिथाइल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या मेटालेक्सिल + मेंकोजेब @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ दर से उपयोग करें।

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ऐसे जानें मिट्टी का पी.एच मान, फ़सलों को होता है इसका लाभ

How to know the pH of soil and its benefits in crops
  • मिट्टी के पीएच द्वारा मिट्टी की अभिक्रिया का पता चलता है। इससे पता चलता है की यह सामान्य, अम्लीय या क्षारीय किस प्रकृति का है?

  • मिट्टी के पीएच मान के घटने या बढ़ने से फसलों की वृद्धि पर असर पड़ता है।

  • जिस जगह pH मान की समस्या होती है ऐसे क्षेत्रों में फसल की उन उपयुक्त किस्मों की बुआई की जाती है जो कि अम्लीयता और क्षारीयता को सहन करने की क्षमता रखती हो।

  • मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 की बीच होने पर पौधों द्वारा पोषक तत्वों का सबसे अधिक ग्रहण किया जाता है।

  • पीएच मान 6.5 से कम होने पर भूमि अम्लीय और 7.5 से अधिक होने पर भूमि क्षारीय होती है।

  • अम्लीय भूमि के लिए चूने एवं क्षारीय भूमि के लिए जिप्सम डालने की सिफारिश की जाती है।

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पुर्तगाल से आये मिर्च ने भारत में काली मिर्च के एकाधिकार को खत्म किया

Chilli came from Portugal ended black pepper monopoly in India

इतिहास में भारत पूरी दुनिया में मसालों के लिए जाना जाता था। भारत में कई प्रकार के मसाले होते थे और इनमें प्रमुख थी काली मिर्च। एक वक़्त पर तीखे स्वाद के लिए काली मिर्च भारत समेत पूरी दुनिया में प्रसिद्ध थी। पर काली मिर्च के इस एकाधिकार को खत्म किया पुर्तगालियों के साथ आये मिर्च ने, जी हाँ मिर्च भारत में सबसे पहले सन 1498 में आई थी और इसे पुर्तगाली सबसे पहले गोवा लेकर आए थे। 

बस मिर्च के भारत आने भर की देर थी यह भारत के लोगों को भी खूब पसंद आई और जल्द ही भारत में भी इसकी खेती शुरू हो गई। आज पूरे विश्व में भारत ही है हर मायने में मिर्च का महाराजा। विश्व पटल पर भारत मिर्च का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक देश है। यहाँ लगभग 751 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मिर्च की खेती की जाती है जिससे लगभग 2149 हजार मीट्रिक टन उत्पादन प्राप्त होता है। तो इस तरह तीखेपन की जंग में देशी काली मिर्च विदेशी मिर्च से हार गई।

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1000 रुपये प्रति किलो बिकते हैं केकड़े, होती है लाखों में कमाई

Crabs are sold for 1000 rupees per kg

केकड़ा पालन किसानों के लिए कमाई का एक अच्छा स्रोत है। इसके पालन की प्रक्रिया कई तरीके से कर सकते हैं। इसमें खर्च भी बहुत ज्यादा नहीं लगता है और लाभ अच्छा मिल जाता है। बाजार में इसकी कीमत 1000 रुपये प्रति किलो से भी ज्यादा होते हैं। ज्यादा जानकारी के लिए देखे वीडियो।

वीडियो स्रोत: यूट्यूब

ये भी पढ़ें: केकड़ा पालन की विस्तृत जानकारी

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सल्फर आपकी फ़सलों को कैसे पहुँचाता है लाभ?

Importance of Sulfur in crops
  • सल्फर फ़सलों में प्रोटीन के प्रतिशत को बढ़ाने में सहायक होता है साथ ही साथ यह पर्णहरित लवक के निर्माण में भी योगदान देता है जिसके कारण पत्तियां हरी रहती हैं तथा पौधों के लिए भोजन का निर्माण हो पाता है।

  • सल्फर नाइट्रोजन की क्षमता और उपलब्धता को बढ़ाता है।

  • दलहनी फ़सलों में गंधक का प्रयोग पौधों की जड़ों में अधिक गाठें बनाने में सहायक होता है और इससे पौधों की जड़ों में उपस्थित राइज़ोबियम नामक जीवाणु वायुमंडल से अधिक से अधिक नाइट्रोजन लेकर फ़सलों को उपलब्ध करने में सहायक होते है।

  • यह तम्बाकू, सब्जियों एवं चारे वाली फ़सलों की गुणवत्ता को बढ़ता है।

  • सल्फर का महत्वपूर्ण उपयोग तिलहनों फ़सलों में प्रोटीन और तेल की मात्रा में वृद्धि करना है।

  • सल्फर आलू में स्टार्च की मात्रा को बढ़ाता है।

  • सल्फर को मिट्टी का सुधारक कहा जाता है क्योंकि यह मिट्टी के पीएच मान को कम करता है।

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