मध्य प्रदेश समेत देश के आधे से अधिक हिस्से में बारिश की संभावना

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मध्य प्रदेश के पूर्वी एवं दक्षिण पूर्वी क्षेत्रों में अच्छी बारिश होने की संभावना है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ के भी कई क्षेत्रों में बारिश की संभावना बनी हुई है। बारिश के साथ साथ देश के कई क्षेत्रों में ओलावृष्टि की संभावना भी बनी हुई है।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

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मूंग समृद्धि किट से मिलेगी बम्पर उपज, जाने इसके उपयोग की पूरी प्रक्रिया

Moong Samriddhi Kit
  • मूंग की फसल के लिए ख़ास तौर पर तैयार की गई ‘मूंग समृद्धि किट’ आपकी फसल का सुरक्षा कवच बनेगी।
  • इस किट में कई उत्पाद संलग्न हैं जिसमे पीके बैक्टीरिया का कंसोर्टिया, राइज़ोबियम बैक्टेरिया, ट्राइकोडर्मा विरिडी, ह्यूमिक एसिड, समुद्री शैवाल, अमीनो एसिड एवं मायकोराइज़ा शामिल हैं।
  • इस किट का कुल वज़न 5 किलो है जो एक एकड़ के लिए पर्याप्त है।
  • फसल की बुआई के पहले इस किट को 50-100 किलो FYM के साथ मिलाकर खाली खेत में भुरकाव करें।
  • इस बात का ध्यान रखें की जब इस किट का उपयोग किया जा रहा हो तब खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है।
  • यह किट मूंग की फसल को सभी जरुरी पोषक तत्व प्रदान करती है।
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गर्मियों में गोबर खाद के उपयोग से पहले इन बातों का जरूर रखें ध्यान

How and when to use cow dung fertilizer in summer
  • गर्मियों के मौसम में किसान अक्सर खेत में गोबर की खाद डालता है, परंतु इसका उपयोग करने से पहले यह जरूर ध्यान रखना चाहिए की गोबर खाद अच्छे से पकी हुई हो।
  • कभी कभी किसान खेत में डालने के लिए जिस गोबर खाद का उपयोग करता है वह अधपकी एवं पूर्ण पोषित भी नहीं होती है। जिसका नुकसान फसल को उठाना पड़ता है।
  • गोबर की खाद को खेत में डालने से पहले उसे पूरी तरह से डिकम्पोज़्ड कर लेना चाहिए।
  • गोबर की खाद में नमी की मात्रा पर्याप्त रखने के लिए इसे खेत में डालने के बाद हल्की सिंचाई करना बहुत आवश्यक होता है।
  • गोबर की खाद डालने के बाद खेत की जुताई भी अवश्य करें। ऐसा करने से गोबर खाद अच्छे से मिट्टी में मिल जाती है।
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शिवराज सरकार का बड़ा फैसला, फसल क्षति पर किसानों को 5000 रूपये तो ज़रूर मिलेंगे

प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों की फसलों को कई बार नुकसान का सामना करना पड़ता है। अब इसी नुकसान की भरपाई के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने निर्णय लिया है की प्राकृतिक आपदा से हुई फसल क्षति की भरपाई के लिए कम से कम 5 हजार रुपये की सहायता राशि तो जरूर मिलेगी।

यह निर्णय प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में लिया गया है। इस निर्णय में प्राकृतिक आपदाओं के साथ साथ वन्य प्राणियों द्वारा पहुंचाए जाने वाले नुकसान की भी भरपाई हेतु अनुदान देने की बात कही गई है।

स्रोत: कृषक जगत

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मध्य प्रदेश समेत इन क्षेत्रों में बारिश के साथ हो सकती है ओलावृष्टि

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छत्तीसगढ़ और ओडिशा के ऊपर विपरीत चक्रवातीय हवाओं का क्षेत्र सक्रिय है जिसके कारण मध्य प्रदेश समेत मध्य भारत के कई क्षेत्रों में बारिश के साथ साथ ओलावृष्टि होने की संभावना भी बन रही है। अगले दो-तीन दिनों के दौरान मध्य प्रदेश समेत महाराष्ट्र के विदर्भ, मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र के कई शहरों में गरज के साथ वर्षा होने की संभावना है।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

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अफरा रोग से पशुओं में आ सकती है सांस लेने में परेशानी, जानें बचाव की विधि

Prevention of Bloat disease in Animals Ruminant
  • जुगाली करने वाले पशुओं में अफरा रोग होना एक आम समस्या है।
  • इसके कारण पशुओं के पेट में बनी गैस मुँह के रास्ते से निकलती रहती है, परन्तु जब पशुओं में अपचन की समस्या के कारण गैस बहार नहीं निकलती है तो अफरा जैसी समस्या होती है।
  • इसके कारण पशुओं को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है।
  • साथ ही पशु द्वारा जुगाली करने की प्रक्रिया भी बंद हो जाती है।
  • इसके कारण पशु का पेट बायीं ओर कुछ अधिक फूल जाता है।
  • पशु खाना और पानी पीना बंद कर देता है साथ ही ज़मीन पर लेट कर पाँव पटकने लगता है।
  • इसके निवारण के लिए पशु को 400 से 500 मिली सरसों तेल के साथ 30-60 मिली तारपीन का तेल मिलाकर पिलाने से इस रोग का निवारण किया जा सकता है।
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दीमक जैसे जमीनी कीड़े से फसल का करें बचाव, अपनाएं जैविक नियंत्रण विधि

Protect your crop from soil insect like termites
  • दीमक जैसे जमीनी कीड़े सभी प्रकार की फसलों को बर्बाद कर सकते हैं। ये पौधों की जड़ों को बहुत अधिक नुकसान पहुँचाते हैं।
  • आलू, टमाटर, मिर्च, बैंगन, फूल गोभी, पत्ता गोभी, सरसों, राई, मूली, गेहूँ आदि फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है।

इन कीटों के नियंत्रण हेतु निम्र प्रबंधन उपायों का उपयोग करें

  • बीजों को कीटनाशकों के द्वारा बीज़ उपचार करके ही बोना चाहिए।
  • कीटनाशी मेट्राजियम से मिट्टी उपचार अवश्य करना चाहिए।
  • कच्ची गोबर की खाद का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि कच्चा गोबर इस कीट का मुख्य भोजन होता है।
  • अतः गोबर का उपयोग करने से पहले उसे अच्छी तरह सड़ा कर ही उपयोग करें।
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शुरू होंगे 10000 नए एफपीओ, सरकार ₹6850 करोड़ करेगी खर्च, पढ़ें पूरी जानकारी

10000 new FPOs to start, Government will spend ₹6850 crore, read full information

केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक बार फिर 10 हजार नए एफपीओ खोलने की बात दोहराई है। उन्होंने कहा की “भारत में 86% छोटे तथा सीमांत किसान हैं और इनकी हर प्रकार की सहायता हेतु एफपीओ को बढ़ावा दिया जा रहा है। भारत सरकार देश में 10 हजार नए एफपीओ बनाने जा रही है, जिन पर आने वाले 5 वर्ष में 6850 करोड़ रूपए खर्च होंगे।”

बता दें की पिछले दिनों मधुमक्खी पालकों/शहद संग्राहकों के लिए 5 नए एफपीओ का शुभारंभ कुछ दिन पहले ही किया गया है। ये नए एफपीओ मध्य प्रदेश के मुरैना, पश्चिम बंगाल के सुंदरबन, बिहार के पूर्वी चंपारण, राजस्थान के भरतपुर और उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में बनाये गए हैं।

एफपीओ कृषक उत्पादक संगठन को कहते हैं। ये वैसे किसानों का समूह होता है जो कृषि उत्पादन के काम में हो और आगे चल के खेती से संबंधित व्यावसायिक गतिविधियां चलाने में सक्षम हो। आप भी एक समूह बना कर कंपनी एक्ट में रजिस्टर्ड हो सकते हैं।

कैसे करें आवेदन
इसके आवेदन हेतु आधिकारिक वेबसाइट http://sfacindia.com/FPOS.aspx पर जाएँ और आवेदन हेतु पूछी गई जानकारियों को सही सही भर दें। अधिक जानकारी के लिए इस लिंक http://sfacindia.com/UploadFile/Statistics/Farmer%20Producer%20Organizations%20Scheme.pdf पर क्लिक करें।

कृषक उत्पादक संगठन से जुड़े हुए किसानों को अपने उत्पादन के लिए बाजार के साथ साथ खाद, बीज, दवा तथा खेती के उपकरण आदि भी आसानी से सस्ती दरों पर मिल पाएंगे। इससे छोटे-मझौले किसानों के जीवन में बदलाव आएगा और इनकी आय काफी बढ़ेगी।

स्रोत: कृषि जागरण

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मध्य प्रदेश समेत इन क्षेत्रों में आने वाले कुछ दिनों में हो सकती है बारिश

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दक्षिण पूर्वी एवं पूर्वी मध्यप्रदेश के साथ साथ छत्तीसगढ़, झारखंड, तटीय पश्चिम बंगाल, ओडिशा, विदर्भ, मराठवाड़ा जैसे क्षेत्रों में कल से आने वाले कुछ दिनों तक बारिश की संभावना बन रही है। इसके साथ ही पहाड़ों पर हल्की बर्फबारी के भी आसार बन रहे हैं। उत्तर भारत में घना कोहरा छाये रहने की संभावना है। हालाँकि अब सर्दी के जल्द विदाई की संभावना बन गई है।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

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करेले की फसल में फल मक्खी का प्रबंधन

Management of fruit fly in bitter gourd crop
  • फल मक्खी प्रायः कोमल फलों पर ही अण्डे देती है और अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेंद करके उन्हे हानि पहुंचाती है।
  • मेगट (लार्वा) फलों में छेंद करने के बाद उनके भीतरी भाग को खाते है। इनसे ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते हैं।
  • इन छेदों से फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है। अंततः छेद ग्रसित फल सड़ने लगते हैं।
  • इस समस्या से ग्रसित फलों को इकठ्ठा करके नष्ट कर देना चाहिये।
  • इन मक्खीयों का नियंत्रण करने के लिये करेले के खेत में कतारों के बीच में मक्के के पौधों को उगाया जाना चाहिये, पौधे की उचाई ज्यादा होने के कारण मक्खी पत्तों के नीचे अंडे देती है।
  • गर्मी के दिनों में गहरी जुताई करके भूमि के अंदर की मक्खी की सुप्त अवस्था को नष्ट करना चाहिये।
  • कीट के प्रभावी नियंत्रण के लिए लाइट ट्रैप और फेरामोन ट्रैप का उपयोग करें।
  • इसके नियंत्रण के लिए फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC @ 400 मिली/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC @ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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