छोटे व मंझौले किसानों की मदद के लिए सरकार भरेगी फसल बीमा का प्रीमियम

To help farmers the government will pay the premium of crop insurance

मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री श्री कमल पटेल ने बताया है कि किसानों के फसल बीमा का प्रीमियम सरकार भरने जा रही है। इस विषय पर जल्द ही फैसला कर लिया जाएगा। इस फैसले से उन छोटे व मंझौले किसानों को लाभ मिलेग जो किसी कारणवश अपना प्रीमियम नहीं भर पा रहे हैं। सरकार के प्रीमियम भरने से किसानों को बीमा का लाभ आसानी से मिल पायेगा।

इसके अलावा किसानों को एक ही स्थान पर कृषि उत्पाद व उपकरण से लेकर अन्य सामान कम दर में उपलब्ध कराने के लिये मंडी परिसर में कैंटीन शुरू करने पर भी विचार हो रहा हैं। सरकार इस विषय पर भी शीघ्र निर्णय लेने वाली है। इसके साथ ही अलावा मंडी आने वाले किसानों के लिए अटल बिहारी बाजपेयी के नाम पर क्लिनिक सुविधा भी प्रारंभ होने वाली है। यहाँ किसानों की सभी प्रकार की मेडिकल जांच होगी और उनके कार्ड भी बनेगें।

स्रोत: कृषक जगत

कृषि एवं किसानों से सम्बंधित लाभकारी सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। इस लेख को नीचे दिए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ साझा करना ना भूलें।

Share

कपास की फसल में फूल लगने के पहले जरूर कर लें कीट व रोग प्रबधन

  • कपास की फसल के पुष्प गूलर तथा अन्य बढ़वार अवस्थाओं में, भिन्न-भिन्न किस्म के कीट एवं रोग सक्रिय रहते हैं।

  • इन कीटों एवं बीमारियों के नियंत्रण के लिए 40-45 दिनों में छिड़काव प्रबंधन करना बहुत आवश्यक है।

  • गुलाबी सुंडी के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए बीटासायफ्लूथ्रिन 8.49% + इमिडाक्लोप्रिड19.81 OD% @ 150 मिली/एकड़ का या मकड़ी की रोकथाम के लिए एबामेक्टिन 1.9% EC @ 150 मिली/एकड़ का या जैविक नियंत्रण के लिए बेवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें।

  • कवक जनित रोग के नियंत्रण के लिए, कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें या जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • होमोब्रेसिनोलाइड 0.04 W/W @ 100मिली/एकड़ का उपयोग करें, पौधे की अच्छी वृद्धि एवं फूलों के अच्छे विकास के लिए यह छिड़काव करना बहुत आवश्यक है।

  • छिड़काव के 24 घंटे के अंदर अगर वर्षा हो जाये तो पुनः छिड़काव करें।

    पत्तियों की निचली सतह पर अच्छी तरह से छिड़काव किया जाना चाहिए क्योंकि कीट पत्तियों की निचली सतह पर अधिक सक्रिय होते हैं।

  • कवक रोग, कीट नियंत्रण एवं पोषण प्रबंधन के लिए उपाय करने से कपास की फसल का उत्पादन अच्छा होता है। इस प्रकार से छिड़काव करने से डेंडू का निर्माण बहुत अच्छा होता है एवं उपज की गुणवत्ता बढती है।

फसल की बुआई के साथ ही अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

Share

मिर्च की बाढ़ सिंचाई वाली फसल में 20-30 दिनों में जरूर करें उर्वरक प्रबधन

Benefits of fertilizer management in 20-30 days in flood irrigated chili crop
  • मिर्च की फसल के अच्छे उत्पादन के लिए समय समय पर पोषक तत्वों का प्रबंधन भी बहुत आवश्यक होता है क्योंकि पोषक तत्वों की कमी मिर्च की फसल में पीलापन एवं पत्तियों के आकार में परिवर्तन का कारण बनती है। इन पोषक तत्वों की कमी के कारण मिर्च की फसल का विकास रुक जाता है।

  • मिर्च की रोपाई के 20-30 दिनों बाद उर्वरक प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है। इस समय मिर्च के पौधों की जड़ें मिट्टी में फैलती हैं और पौधा वृद्धि करने लगता है। पौधे एवं जड़ों की अच्छी बढ़वार के लिए उर्वरक प्रबंधन बहुत आवश्यक है।

  • इस समय उर्वरक प्रबंधन के लिए यूरिया @ 45 किलो/एकड़, DAP @ 50 किलो/एकड़, मैग्नेशियम सल्फेट @ 10 किलो/एकड़, सल्फर @ 5 किलो/एकड़, जिंक सल्फेट @ 5 किलो/एकड़ की दर से खेत में भुरकाव करें। उर्वरकों के उपयोग के समय खेत में नमी होना बहुत आवश्यक है।

  • यूरिया: मिर्च की फसल में यूरिया, नाइट्रोज़न की पूर्ति का सबसे बड़ा स्त्रोत है। इसके उपयोग से पत्तियों में पीलापन एवं सूखने जैसी समस्या नहीं आती है। यूरिया प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को तेज़ करता है।

  • DAP (डाय अमोनियम फॉस्फेट): डाय अमोनियम फॉस्फेट का उपयोग फास्फोरस की पूर्ति के लिए किया जाता है। इसके उपयोग से जड़ की वृद्धि अच्छी होती है और पौधे की बढ़वार में सहायता मिलती है।

  • मैग्नीशियम सल्फेट: मिर्च में मेग्नेशियम सल्फेट के अनुप्रयोग से फसल में हरियाली बढ़ती है। प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में तेज़ी आती है और अंततः उच्च पैदावार व उपज की गुणवत्ता भी बढ़ती है।

  • ज़िंक सल्फेट: पौधों की सामान्य बढ़वार के लिए जिंक प्रमुख सूक्ष्म पोषक तत्व हैं। इसके उपयोग से, मिर्च के पौधे में वृद्धि अच्छी होती है और फसल की उपज भी बढ़ती है।

  • सल्फर: यह पौधों की जड़ों की बढ़वार के लिए मुख्य रूप से सहायक होता है। विभिन्न कोशिकाओं के विभाजन में भी इस तत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

फसल की बुआई के साथ ही अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

Share

कपास की फसल में 40-50 दिनों में इन उर्वरकों की पूर्ति है जरूरी

How to supply fertilizer in cotton crop in 40-50 days
  • कपास की फसल में 40-45 दिनों की अवस्था, डेंडू बनने की शुरुआती अवस्था होती है। इस अवस्था में कपास की फसल को अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है इस हेतु निम्नलिखित पोषक तत्वों का उपयोग करना जरूरी हो जाता है।

  • यूरिया @ 30 किलो + MOP @ 30 किलो + मैग्नीशियम सल्फेट @ 10 किलो/एकड़ की दर से भूमि में मिलाएं।

  • यूरिया: कपास की फसल में यूरिया नाइट्रोज़न की पूर्ति का सबसे बड़ा स्त्रोत है। इसके उपयोग से पत्तियों में पीलापन एवं सूखने जैसी समस्या नहीं आती है, यूरिया प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को भी तेज़ करता है।

  • MOP (पोटाश): पोटाश संश्लेषित शर्करा को कपास के पौधे के सभी भागों तक पहुंचाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पोटाश प्राकृतिक नत्रजन की कार्य क्षमता को बढ़ावा देता है और पौधों में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ता है।

  • मैग्नीशियम सल्फेट: मेग्नेशियम सल्फेट अनुप्रयोग से कपास की फसल में हरियाली बढ़ती है एवं प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में तेज़ी आती है। अंततः उच्च पैदावार और उत्पादन की गुणवत्ता भी बढ़ती है।

  • इस प्रकार पोषण प्रबधन करने से कपास की फसल में नाइट्रोज़न की पूर्ति बहुत अच्छे से होती है। पोटाश के कारण डेंडु की संख्या और आकार में बढ़ोतरी होती है। मैगनेशियम सल्फेट सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति करता है। यदि डेंडू का निर्माण बहुत अच्छा होता है तो कपास का उत्पादन भी अधिक होता है।

फसल की बुआई के साथ ही अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

Share

मध्य भारत में भारी से अति भारी बारिश की आशंका, जानें मौसम पूर्वानुमान

weather forecast

मध्य भारत के ज्यादातर क्षेत्रों में भारी से अति भारी बारिश की आशंका बन रही है। दिल्ली सहित पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा उत्तरी राजस्थान में गर्मी और उमस से हाल बेहाल है। पूर्वी हवाएं शुरू हो गई है तथा उमस बढ़ गई है अब जल्द ही बारिश शुरू होगी। परंतु भारी बारिश की संभावना कम है। बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड सहित पूर्वोत्तर में जारी वर्षा में कमी आएगी। दक्षिण भारत में मानसून सक्रिय बना रहेगा।

वीडियो स्रोत: मौसम तक

मौसम सम्बंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। नीचे दिए गए शेयर बटन को क्लिक कर इस लेख को अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

अब मध्य प्रदेश समेत ज्यादातर राज्यों में होगी मॉनसून की भारी बारिश

weather forecast

गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र में भारी बारिश की संभावना तेलंगाना तेलंगाना में भी तेज बारिश के आसार। बंगाल की खाड़ी से आद्र हवा में नमी बढ़ा रही हैं। आज रात या कल से दिल्ली सहित पंजाब हरियाणा तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पूर्वी राजस्थान में बारिश की गतिविधियां शुरू हो जाएंगी। केरल गोवा कर्नाटक सहित दक्षिण भारत में मानसून सक्रिय रहेगा।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

मौसम सम्बंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। नीचे दिए गए शेयर बटन को क्लिक कर इस लेख को अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

शुरू हुआ फसल सुरक्षा अभियान, जहाँ किसानों को समाधान संग मिलेगा आकर्षक इनाम

Gramophon's Fasal Suraksha Abhiyan

ग्रामोफ़ोन एप के समुदाय सेक्शन पर किसान भाइयों के लिए ‘फसल सुरक्षा अभियान’ की शुरुआत की गई है। इस अभियान में शामिल हो कर किसान भाई अपनी फसलों में आ रही समस्याओं के त्वरित समाधान तो प्राप्त करेंगे ही साथ हीं साथ हर हफ्ते आकर्षक इनाम भी जीत सकेंगे।

फसल सुरक्षा अभियान में कैसे भाग लें?
फसल सुरक्षा अभियान में भाग लेने के लिए किसानों को अपने फसल से सम्बंधित समस्याओं की फोटोज ग्रामोफ़ोन एप के समुदाय सेक्शन पर पोस्ट करनी है और अपने सवाल पूछने हैं। आपके द्वारा पोस्ट की गई फोटोज के माध्यम से आपको कृषि विशेषज्ञों द्वारा उचित और सटीक समाधान बताये जाएंगे। इसके साथ ही हर हफ्ते फोटोज पोस्ट करने वाले किसानों में से पांच किसान चुने जाएंगे और उन्हें आकर्षक पुरस्कार भी दिया जाएगा। यह अभियान 9 जुलाई से 29 जुलाई 2021 तक चलेगा।

तो देर किस बात की आज ही आप अपनी फसलों में आ रही समस्याओं की फोटोज ग्रामोफ़ोन एप के समुदाय सेक्शन पर पोस्ट करें और समाधान के साथ साथ इनाम भी जीतें।

अपनी फसल समस्याओं की फोटोज पोस्ट करने के लिए यहाँ क्लिक करें।

*नियम व शर्तें लागू

Share

खरतपतवारों की ऐसे करें पहचान, जानें इससे फसलों को होते हैं किस प्रकार के नुकसान

Know what kind of damage weed causes to crops

फसलों को होने वाले नुकसान में सबसे ज्यादा करीब 35 से 70 प्रतिशत तो सिर्फ खरपतवारों के प्रकोप से होता होता है। खरपतवार नैसर्गिक संसाधन जैसे प्रकाश, जगह, जल, वायु के साथ-साथ पोषक तत्व के लिये फसल से प्रतिस्पर्धा करते हैं और उपज में भारी कमी लाते हैं। खरपतवारों के अधिक प्रकोप के कारण फसल में रोगों का प्रकोप भी बहुत अधिक बढ़ जाता है।

फसल में तीन प्रकार के खरपतवार होते हैं

  • सकरी पत्ती/एक बीज़ पत्रीय खरपतवार: घास परिवार के खरपतवारों की पत्तियाँ, पतली एवं लम्बी होती हैं तथा इन पत्तियों पर समांतर धारियां पाई जाती हैं। यह एक बीज पत्रीय पौधे होते हैं। इनके उदाहरणों में सांवक (इकाईनोक्लोआ कोलोना) तथा कोदों (इल्यूसिन इंडिका) इत्यादि शामिल हैं।

  • चौड़ी पत्ती/दो बीज़ पत्रीय खरपतवार: इस प्रकार के खरपतवारों की पत्तियाँ प्राय: चौड़ी होती हैं। यह मुख्यत: दो बीजपत्रीय पौधे होते हैं। इनमें छोटी और बड़ी दूधी, फुलकिया, दिवालिया, बोखाना, जंगली चौलाई (अमरेन्थस बिरिडिस), सफेद मुर्ग (सिलोसिया अजरेन्सिया), जंगली जूट (कोरकोरस एकुटैंन्गुलस) आदि शामिल होते हैं।

  • वार्षिक खरपतवार: इन खरपतवारों की पत्तियां लंबी तथा तना तीन किनारे वाला ठोस होता है। इनकी जड़ों में गांठे (ट्यूबर) पाए जाते हैं जो भोजन इकट्ठा करके नए पौधों को जन्म देने में सहायक होते हैं। इनमे दूब, मोथा (साइपेरस रोटन्ड्स, साइपेरस स्पीशीज) इत्यादि शामिल होते हैं।

खरपतवार के कारण फसल की उपज बहुत प्रभावित होती है। फसल को दिए जाने वाले पोषक तत्व भी खरपतवार के द्वारा ग्रहण कर लिए जाते हैं। सामान्यतः खरपतवार फसलों को मिलने वाली 47% फास्फोरस, 50% पोटाश, 39% कैल्शियम और 34 मैग्नीशियम तक का उपयोग कर लेते हैं। जिससे फसल की उपज घट जाती है। इन खरपतवारों के कारण फसल पर कवक जनित रोगों और कीटों का प्रकोप भी बहुत अधिक होता है।

फसल की बुआई के साथ ही अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

Share

10 जुलाई को क्या रहे इंदौर मंडी में क्या रहे प्याज के भाव?

What were the prices of onions in Indore's mandi today

वीडियो के माध्यम से जानें आज यानी 10 जुलाई के दिन इंदौर के मंडी में क्या रहे प्याज के मंडी भाव?

वीडियो स्रोत: यूट्यूब

अब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी लहसुन-प्याज जैसी फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें।

Share

इस स्कीम में एक बार प्रीमियम चुकाएं और 12000 रुपये मासिक पेंशन पाएं

LIC's Saral Pension Plan

एलआईसी की सरल पेंशन योजना एक सिंगल प्रीमियम योजना है जिसमें सिर्फ एक बार प्रीमियम जमा कर पूरे जीवन में आप एक निश्चित पेंशन राशि प्राप्त कर सकते हैं। यह योजना भारतीय जीवन बीमा निगम ने 1 जुलाई 2021 को शुरू की है।

इस स्कीम को आप ऑफलाइन या ऑनलाइन www.licindia.in की ऑफिसियल वेबसाइट से खरीद सकते हैं। इस पेंशन प्लान के अंतर्गत मिनियम एन्यूटी 12000 रुपये सालाना है। इस प्लान में अधिकतम खरीद मूल्य की कोई सीमा नहीं है। वहीं योजना 40 से 80 साल की आयु के लिए उपलब्ध है। मासिक पेंशन का फायदा प्राप्त करने के लिए आपको कम से कम 1000 रुपये का योगदान करना होगा। त्रिमासिक पेंशन के लिए यह रकम 3000 रुपये है।

स्रोत: नवभारत टाइम्स

आपके जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। नीचे दिए गए शेयर बटन पर क्लिक कर इस लेख को अपने मित्रों के साथ साझा करें।

Share