शुरू करें बकरी पालन का व्यवसाय, सरकार करेगी 8 लाख रुपये तक की मदद

Start goat rearing business, government will help up to Rs 8 lakh

किसान खेती के साथ साथ पशुपालन कर के भी अपनी आर्थिक स्थिति बेहतर कर सकते हैं। पशुपालन की इसी खूबी को देखते हुए सरकार भी किसानों को पशुपालन करने के लिए प्रोत्साहित करती है और कई योजनाएं भी चलाती है। इसी कड़ी में बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के माध्यम से चलने वाले बकरी फार्म योजना का लाभ प्रदेश के किसान उठा सकते हैं।

बता दें की इस योजना के तहत बकरी पालन शुरू करने के लिए 60% तक की बंपर सब्सिडी का लाभ लिया जा सकता है। इसके तहत आवेदन कर के पशुपालक राज्य सरकार से 1.21 लाख से 7.82 लाख रुपये तक की सब्सिडी का लाभ ले सकते हैं।

गौरतलब है की बकरी फार्म योजना के माध्यम से सामान्य वर्ग के पशुपालक 50% तक की सब्सिडी ले कर बकरी पालन शुरू कर सकते हैं वहीं अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के पशुपालक इसके तहत 60% तक की सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं।

योजना के माध्यम से फार्म शुरू करने हेतु 20 बकरी व 1 बकरा या फिर 100 बकरी व 5 बकरा के लिए पशुपालक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के लिए आपको पशुपालन विभाग की ऑफिशल वेबसाइट पर विजिट करना होगा।

स्रोत: कृषि जागरण

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बुआई से पहले बीज उपचार करने के मिलते हैं कई फायदे

There are many benefits of treating seeds before sowing
  • बुवाई और रोपाई के दौरान बीमारियों और कीटों के दबाव से बीजों और पौध को बचाने के लिए बीज उपचार करना बेहद महत्वपूर्ण होता है। ऐसे सैकड़ों रोगजनक और कीड़े हैं जो बीजों या अंकुरों को विकसित होने से पहले ही नुकसान पहुंचा सकते हैं या मार भी सकते हैं।

  • यह पूरे बढ़ते मौसम में फसल वृद्धि को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है और फसल के समय उपज के परिणामों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। यहाँ प्रणालीगत और गैर-प्रणालीगत दोनों प्रकार के पौधों की बीमारियों के प्रसार को रोकने में प्रभावी होती हैं।

  • इससे बीज सड़न और पौध झुलसा रोग से बचाव होता है। एक बार बीज बोने के बाद, बीज के चारों ओर सुरक्षात्मक कोटिंग, बीज-जनित और मिट्टी-जनित जीवों के खिलाफ बाधा के रूप में कार्य करती है।

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मध्य प्रदेश के मंडियों में क्या चल रहे हैं सरसों के भाव?

Mustard mandi bhaw

सरसों के मंडी भाव में तेजी देखने को मिल रही है। देखिये मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं सरसों के भाव!

मध्य प्रदेश की मंडियों में सरसों के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
शाजापुर आगर सरसों 5780 6055
भिंड आलमपुर सरसों 6190 6245
अशोकनगर अशोकनगर सरसों 5650 6501
अशोकनगर अशोकनगर सरसों-जैविक 6080 6400
सीहोर आष्टा सरसों 5721 5721
सीहोर आष्टा सरसों(काला) 5754 5801
छतरपुर बड़ामलहेड़ा सरसों 5240 6000
शिवपुरी बदरवास सरसों 6255 6355
शिवपुरी बराड़ सरसों 6251 6700
रायसेन बरेली सरसों 5011 5011
शाहडोल ब्यौहारी सरसों(काला) 5300 5300
भोपाल बैरसिया सरसों(काला) 5800 5800
बेतुल बेतुल सरसों(काला) 5900 5900
राजगढ़ ब्यावरा सरसों 4575 6500
मंडला बिछिया सरसों 6000 6000
छतरपुर बिजावर सरसों 5100 5400
रीवा चाकघाट सरसों 5200 5200
ग्वालियर डबरा सरसों 6025 6245
मन्दसौर दलौदा सरसों 5590 5840
दमोह दमोह सरसों 5750 6005
दतिया दतिया सरसों 5800 5805
सागर देवरी सरसों 5800 6100
नरसिंहपुर गाडरवाड़ा सरसों 5500 5505
रायसेन गैरतगंज सरसों 5455 5700
भिंड गोहाद सरसों(काला) 4700 6360
भिंड गोहाद पीला (काला) 6425 6425
गुना गुना सरसों 5895 6245
हरदा हरदा सरसों 3801 5520
इंदौर इंदौर सरसों 5260 6050
जबलपुर जबलपुर सरसों 5655 5655
रतलाम जावरा सरसों 6011 6210
राजगढ़ जीरापुर सरसों(काला) 6035 6165
मुरैना कैलारस सरसों 6200 6507
मुरैना कैलारस सरसों(काला) 6300 6555
कटनी कटनी सरसों 5500 6383
कटनी कटनी सरसों(काला) 5499 6089
टीकमगढ़ खरगापुर सरसों 5800 6200
राजगढ़ खिलचीपुर सरसों 5905 5905
शिवपुरी कोलारस सरसों 4805 6900
राजगढ़ कुरावर सरसों 5250 5250
भिंड लहार सरसों(काला) 5980 6199
भिंड लहार पीला (काला) 6050 6180
ग्वालियर लश्कर सरसों 5200 6585
ग्वालियर लश्कर सरसों-जैविक 6325 6325
नीमच मनसा सरसों 3000 6180
मन्दसौर मन्दसौर सरसों 5000 6125
मुरैना मुरैना सरसों 6075 6425
राजगढ़ नरसिंहगढ़ सरसों 5800 6075
नरसिंहपुर नरसिंहपुर सरसों(काला) 5800 5800
नीमच नीमच सरसों 4650 6163
नीमच नीमच सरसों(काला) 5950 6280
राजगढ़ पचौर सरसों 5450 6070
शिवपुरी पोहरी सरसों 6450 6680
शिवपुरी पोहरी सरसों(काला) 6390 6750
मुरैना पोरसा सरसों(काला) 5980 6300
सागर राहतगढ़ सरसों 5000 5000
छतरपुर राजनगर सरसों 5500 6000
छतरपुर राजनगर सरसों(काला) 4600 5300
रीवा रीवा सरसों(काला) 5600 5880
मुरैना सबलगढ़ सरसों 6200 6300
मुरैना सबलगढ़ सरसों(काला) 6210 6420
सागर सागर सरसों-जैविक 5400 6235
सतना सतना सरसों 4815 6115
सीहोर सीहोर सरसों 5599 5599
शाजापुर शाजापुर सरसों 5410 5410
मन्दसौर शामगढ़ सरसों 5699 6090
श्योपुर श्योपुरबडोद सरसों 6291 6291
श्योपुर श्योपुरकलां सरसों 6250 6560
शिवपुरी शिवपुरी सरसों 6140 6250
विदिशा सिरोंज सरसों 5490 5490
देवास सोनकैच सरसों 6001 6001
टीकमगढ़ टीकमगढ़ सरसों 5650 6100
टीकमगढ़ टीकमगढ़ सरसों-जैविक 5800 6150
उमरिया उमरिया सरसों 5600 5600
विदिशा विदिशा सरसों 5800 6286
श्योपुर विजयपुर सरसों 6400 6570

स्रोत: एगमार्कनेट

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बीज उपचार की फकीरा विधि फसलों के लिए है बेहद फायदेमंद

FIR method of seed treatment is very beneficial for crops

फसल की उत्पादकता बढ़ाने के लिए बीजों की बुआई से पहले “फ.की.रा” विधि से बीज उपचार करना फायदे का सौदा हो सकता है। फ.की.रा यानी फफूंदनाशक, कीटनाशक और राइजोबियम। इन तीनों की मदद से बीज उपचार करने से बीज को मिलती है तीन लेयर की सुरक्षा।

बीज उपचार के लिए अनुशंसित कवकनाशी-कीटनाशक-राइजोबियम (फ.की.रा) अनुक्रम का पालन किया जाना चाहिए। बीज जनित और मिट्टी जनित रोगों जैसे उकठा और जड़ सड़न आदि के प्रकोप को सीमित करने के लिए कवकनाशी से बीज उपचार महत्वपूर्ण है। मिट्टी में कीड़ों के प्रबंधन के लिए, कीटनाशकों से बीज उपचार करें।
बेहतर जड़ नोड्यूलेशन के लिए राइजोबियम उपभेदों के साथ बीज उपचार की सिफारिश की जाती है।

बीज उपचार के बाद बुआई से पहले बीज को छाया में सूखने दें। उपचारित बीजों को सीधी धूप में सुखाने से बचें। अधिमानतः बीज उपचार शाम के समय किया जाना चाहिए और बुआई सुबह के समय की जानी चाहिए।

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कश्मीर से कन्याकुमारी तक बारिश के बने आसार, देखें मौसम पूर्वानुमान

know the weather forecast,

मानसून की विदाई की सामान्य तिथि 27 सितंबर है परंतु 6 दिन की देरी से इस बार मानसून विदा होगा। बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव का क्षेत्र बना है जो धीरे-धीरे पश्चिम दिशा में आगे बढ़ते हुए और मजबूत होकर डिप्रेशन बन सकता है। यह इस सीजन का लगातार बनने वाला पांचवा डिप्रेशन होगा। आज गंगिय पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक सहित छत्तीसगढ़ के कई जिले अच्छी बारिश देखेंगे। जब यह डिप्रेशन महाराष्ट्र और दक्षिणी मध्य प्रदेश के आसपास पहुंचेगा, तो उस समय 25 और 26 सितंबर के आसपास पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, दक्षिणी हरियाणा और दक्षिण पूर्वी राजस्थान में भी बारिश होगी। बिहार और झारखंड सहित पूर्वोत्तर राज्यों में भी 24 घंटे के बाद बारिश की गतिविधियां शुरू हो जाएगी। लद्दाख और जम्मू कश्मीर में हल्की बारिश की संभावना है। तमिलनाडु और केरल हल्की बारिश देखेंगे। आंध्र प्रदेश में अच्छी बारिश हो सकती है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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प्याज की बुआई के तीन तरीके, जानें कौन सा तरीका है बेस्ट?

Three methods of sowing onion know which method is best?

वर्तमान में कई किसान प्याज की खेती की प्लानिंग कर रहे हैं। क्या आपको पता है की प्याज की खेती में बुआई का काम तीन तरीके से किया जा सकता है। आइये बारी बारी से जानते हैं इन तीनों विधियों के बारे में मुख्य जानकारी।

  • सीधे बीज डालकर: प्याज बुआई की इस विधि का उपयोग बलुआही मिट्टी (सैंडी साइल) में किया जाता है। इस विधि में मिट्टी को अच्छे ढंग से तैयार कर बीज खेत में छोड़ देते हैं। इस विधि में बीज की मात्रा 4-5 किलो प्रति एकड़ रखी जाती है।

  • गांठों से प्याज लगाना: बुआई की इस विधि में प्याज को पहले से ही अंकुरित कर के तैयार कर लिया जाता है। छोटे प्याज के गांठों को लगाया जाता है। प्याज की 4-5 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से गाँठ लगते हैं।

  • बीज से पौध तैयार कर खेत में लगाना: प्याज की खेती की यह सबसे ज्यादा अपनाई जाने वाली प्रचलित विधि है। इसके द्वारा पहले प्याज के बीज को नर्सरी में बोते हैं और फिर इसके पौध को मुख्य खेत में रोपा जाता है।

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लोबिया की फसल में जड़ सड़न व डम्पिंग ऑफ के प्रकोप को ऐसे करें नियंत्रित

Root rot and damping off of cowpea crop
  • रोगों के प्रकोप की वजह से अंकुर छोटे रह जाते हैं और इन अंकुरों में से कुछ हाइपोकोटिल क्षेत्र में सड़ जाते हैं एवं नीचे की ओर फैल जाते हैं।

  • इससे जड़ें भी सड़ने लगती हैं और पौधे सूखने लगते हैं।

  • परिपक्व पौधों के निचले तने पर भूरे-काले धंसे हुए घाव दिखाई देते हैं, और जड़ों में छोटे काले स्क्लेरोटिया जमा हो जाते हैं।

  • इसके कारण कभी-कभी तने का मेखला अनुदैर्ध्य रूप से टूट भी सकता है।

  • इसके प्रकोप से बचने के लिए 2-3 वर्षों के लिए गैर-मेज़बान फसलों के साथ फसल चक्र को अपनाएँ।

  • नियंत्रण के लिए बुआई से पहले करमानोवा (कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 64%) @ 3 ग्राम/किग्रा बीज के साथ बीज उपचार करें।

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बंगाल की खाड़ी से नया निम्न दबाव करवाएगा भारी बारिश, जल्द शुरू होगी मानसून की विदाई

know the weather forecast,

पाकिस्तान के मध्य भागों में एक विपरीत चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बनने लगा है। इसके प्रभाव से शुष्क हवाएं उत्तर पश्चिम दिशा से चलना शुरू हो जाएंगे तथा पश्चिमी राजस्थान और कच्छ के कुछ इलाकों से मानसून की विदाई शुरू हो जाएगी। परंतु उसके बाद मानसून कुछ देर रुकेगा। बंगाल की खाड़ी में बना चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र एक निम्न दबाव बनाएगा जो पश्चिम दिशा में आगे बढ़ते हुए डिप्रेशन के रूप में सशक्त हो जाएगा। इसके प्रभाव से तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तरी कर्नाटक, महाराष्ट्र, दक्षिणी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अच्छी बारिश होगी। दो दिन बाद बिहार, झारखंड, गंगीय पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में भी बादल बरसेंगे। 25 और 26 सितंबर के आसपास दिल्ली, पूर्वी राजस्थान और पूर्वी गुजरात में भी बारिश होगी।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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तोरई की फसल में लीफ माइनर प्रकोप का ऐसे करें निदान

Attack of leaf miner in Ridge gourd
  • लीफ माइनर का वयस्क रूप एक हलके पीले रंग की मक्खी होती है जो पत्तियों पर अंडे देती है।

  • इससे पत्तियों पर सफेद टेढ़ी मेढ़ी धारियां बन जाती है तथा अधिक प्रकोप होने पर पत्तियाँ सूख कर गिर जाती हैं।

  • इस कीट से प्रभावित पौधों पर फलन की समस्या देखने को मिलती है जिससे उपज में कमी आ जाती है।

  • इससे बचाव के लिए खरपतवार को खेत और उसके आसपास से हटाएँ।

  • इसकी रोकथाम हेतु क्लोरीडा (इमिडाक्लोप्रिड 17.80% SL) @ 40 मिली/एकड़ या बेनेविया (सायनट्रानिलिप्रोल 10.26%) 360 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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सोयाबीन के फसल की कटाई के बाद खेत में करें डीकम्पोज़र का उपयोग

Use of Decomposers after soybean harvesting
  • सोयाबीन की फसल की कटाई के बाद उसके फसल अवशेष बहुत अधिक मात्रा में खेत में रह जाते हैं। 

  • इन अवशेषों के कारण लगायी जाने वाली अगली फसल में इन अवशेषों के कारण कवक जनित एवं जीवाणु जनित रोगों का प्रकोप बहुत अधिक मात्रा में होता है।

  • इसी कारण लगायी गई नई फसल में जड़ गलन, तना गलन आदि रोग हो जाते हैं।

  • इस प्रकार के कवक एवं जीवाणु जनित रोगों का प्रकोप नयी फसल में ना हो इसके  लिए सोयाबीन के फसल की कटाई के बाद खाली खेत में या फसल की बुआई के बाद दोनों ही स्थिति में डीकम्पोज़र का उपयोग करना बहुत आवश्यक होता है।

  • इसके लिए यदि किसान तरल द्रव्य का उपयोग करना चाहते हैं तो 1 लीटर/एकड़ की दर से डीकम्पोज़र का उपयोग छिड़काव के रूप में कर सकते हैं।

  • इसके अलावा ग्रामोफ़ोन किसानों को स्पीड कपोस्ट के नाम से डीकम्पोज़र उपलब्ध करवा रहा है जिसको 4 किलो/एकड़ की मात्रा में 10 किलो यूरिया मिलाकर, खेत की 50-100 किलो मिट्टी में मिलाकर खेत में भुरकाव करें।

  • जब डीकम्पोज़र का उपयोग किया जा रहा हो तो ध्यान रखें की खेत में पर्याप्त नमी हो।

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