कपास की कीमतों में बढ़ोतरी के आसार

27% बढ़ सकता है कॉटन एक्सपोर्ट :- चीन द्वारा अमरीका से आयातित उत्पादों पर आयात शुल्क लगा देने से अमरीकन कपास मंहगी हो गई है| इसलिए चीन ने हाल में भारत से 2 लाख गाँठ कपास के आयात सौदे किये है | आगामी फसल सीजन में भारत से चीन को 25-30 लाख गाँठ निर्यात होने का अनुमान है | देश में कपास का निर्यात 70 लाख गाँठ तक पहुचने की उम्मीद है निर्यात पिछले अनुमान से करीब 27 फीसदी अधिक रहा सकता है| जानकारों का कहना है की कॉटन की एक्सपोर्ट मांग बेहतर होने से घरेलु कपास उत्पादकों को फायदा होगा |

स्त्रोत :- पत्रिका न्यूज नेटवर्क

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Suitable Soil for Chilli Production

मिर्च उत्पादन के लिए उपयुक्त मृदा (भूमि):-

  • सभी प्रकार की मिट्टी जहां से जल  निकास की व्यवस्था अच्छी हों की जा सकती हैं |
  • रेतीली दोमट मिट्टी सर्वोत्तम हैं |
  • अधिक क्षारीय व् अम्लीय भूमि उपयुक्त नहीं  हैं |  
  • भूमि का पी.एच. मान 6- 7 होना चाहिये |
  • अधिक लवणीय भूमि अंकुरण एवं बढवार को कम करता हैं |   

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Suitable Climate for Chilli

मिर्च के लिए उपयुक्त जलवायु :-

  • गर्म आद्र जलवायु में उष्णकटिबंधीय एवं क्षेत्रो  में ऊगाई जाती हैं |
  • 15-30  डिग्री से तापमान,मिर्च की खेती के लिए उपयुक्त है |
  • जहां पर औसत वार्षिक वर्षा- 1200 मि.मि. होते हे  वहा पर यह वर्षा आधारित फसल के रूप में उगाई जाती है |
  • अधिक गर्मी में फूल एवं फल झड जाते है |
  • प्रतिदिन 9-10 घंटे की धूप रहने पर फसल उत्पादन 21-24% तक बढ़ जाती हैं |

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Nutrient Management in Brinjal

बैगन में पोषक तत्व प्रबंधन:-

  • उर्वरक की मात्रा भूमि की उर्वरकता एवं फसल को दी गई कार्बनिक खाद की मात्रा पर निर्भर करती है|
  • फसल के अच्छे उत्पादन के लिए 20-25 टन पुर्णतः पकी हुई गोबर की खाद को खेत करते समय मिला देना चाहिए|
  • प्रायः खेत को तैयार करते समय 50 किलो यूरिया 350 किलो सिंगल सुपर फास्फेट एवं 100 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश को प्रति हेक्टेयर की दर से डालना चाहिए|
  • बची हुई 100 किलो यूरिया मात्रा को एक महीने के अंतराल से रोपाई के 3-4 सप्ताह बाद डालना चाहिए|
  • संकर किस्मों के लिए 200 किलो नाईट्रोजन, 100 किलो फास्फोरस एवं 100 किलो पोटाश की मात्रा अनुमोदित की गई है|

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Land Preparation For Tomato

टमाटर  के लिए खेत की  तैयारी:-

  • खेत की चार-बार जुताई करने के पश्चात पाटा चलाकर भूमि को नरम, भुरभुरी एवं समतल कर लेना चाहिये |
  • भूमि को तैयार करते समय 25 टन प्रति हेक्टेयर गोबर या कम्पोस्ट की पकी हुई खाद का प्रयोग करना चाहिये |
  • फास्फोरस एवं  पोटाश की पुरी मात्रा  और नाइट्रोजन की 25 से 33  प्रतिशत मात्रा का प्रयोग करना चाहिये |

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Nutrient Management in Watermelon

तरबूज में पोषक तत्व प्रबंधन:-

  • खेत की तैयारी करते समय 25-30 टन गोबर की खाद में मिलना चाहिये|
  • अंतिम जुताई के समय 75 किलो यूरिया, 200 किलो SSP एवं 75 किलो पोटाश की मात्रा खेत में मिलाये|
  • शेष बचे हुए 75 किलो यूरिया की मात्रा को खेत में दो से तीन बार में बराबर भागों में बांटकर डाले|
  • फास्फोरस, पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा नाईट्रोजन की एक तिहाई मात्रा को बनाये गए|

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Time of sowing of Bottle Gourd

लौकी की बुआई का समय:-

  • लौकी फसल को जनवरी से मार्च एवं सितम्बर एवं दिसम्बर के मध्य सफलतापूर्वक लगाया जाता है|
  • बारिश आधारित वाले क्षेत्रों में लौकी की बुआई मई से जून माह के प्रथम सप्ताह में बारिश के पहले कर देना चाहिए|

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Irrigation in Bitter Gourd

करेले में सिंचाई प्रबंधन:-

  • करेले की फसल सूखे एवं अत्यधिक पानी वाले क्षेत्रों के प्रति सहनशील नहीं होती है|
  • रोपण या बुवाई के तुरन्त बाद सिंचाई करनी चाहिये फिर तीसरे दिन एवं उसके बाद सप्ताह में एक बार भूमि में नमी के अनुसार सिंचाई करनी चाहिये|
  • भूमि की उपरी सतह (50 सेमी.तक) नमी बनाए रखना चाहिये| इस क्षेत्र में जड़ें अधिक संख्या मने होती है|

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Weed Control in Cauliflower

फुल गोभी में खरपतवार नियंत्रण:-

  • फसल की अच्छी बढ़वार के लिए खेत की निदाई बहुत आवश्यक है|
  • हाथ से निदाई 2-3 बार व 1-2 बार गुडाई करनी चाहिए| गहरी गुडाई नही करनी चाहिये|
  • रोपाई केबाद पेंडामिथेलीन 30% EC 3-3.5 लीटर प्रति हेक्टेयर का छिडकाव करना चाहिये|

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Nutrient management of Cauliflower

फुल गोभी में पौषक तत्व प्रबंधन:-

  • फुल गोभी को उगाने के लिए अत्यधिक पौषक तत्वों की आवश्यकता होती है|
  • उर्वरकों की मात्रा भूमि के प्रकार एवं कार्बनिक पदार्थों के उपयोग करने पर निर्भर करती है|
  • पौध को खेत में लगाने के 4 सप्ताह पूर्व 15-20 टन गोबर की खाद को भूमि में मिलाया जाता है|
  • फसल की अच्छी उपज के लिए उर्वरकों की अनुशंसित मात्रा सामान्य किस्में के लिए 100 किलो नत्रजन, 60 किलो फास्फोरस और 100 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर संकर किस्मों के लिए 120-180 किलो नत्रजन 60 किलो फास्फोरस और 100 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर|
  • खेत की तैयारी के समय नत्रजन की आधी मात्रा एवं फास्फोरस एवं पोटाश की पुरी मात्रा डाली जाती है|
  • नत्रजन की शेष आधी मात्रा को मिट्टी चढ़ाते समय दी जाती है|

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