Irrigation scheduling in Brinjal

  • पौधो की अच्छी वृद्वि के लिये, फूलों एवं फलों के वृद्वि एवं विकास के लिये समय पर सिंचाई करना आवश्यक होता हैं।
  • ठंड के समय हल्की सिंचाई 8 से 10 दिन के अंतराल एवं 5 से 6 दिन के अंतराल से ग्रीष्म ऋतु में देना चाहिये।  
  • ठंड के मौसम में हल्की सिंचाई देकर अधिक ठण्ड से होने वाली हानि को कम कर सकते है ।

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Storage technique in wheat

  • 10 % नमी बीज के भण्डारण के लिए उचित रहती है इसके लिए बीजो को धुप में सुखना चाहिए|
  • अनाज को साफ करने के बाद अनाज को  बोरो में भर कर भंडारण करें।
  • मिश्रण से बचने के लिए हमेशा नए बैग में बीज रखें।
  • बीज के लिए उपयोग होने वाले अनाज का उच्च गुणवत्ता वाला होना आवश्यक है ।
  • गर्मियों में भंडार गृह का तापमान ठंडा रखें।  
  • समय समय पर अनाज की जांच करें।

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Post-harvest management in wheat

  • जब गेहूँ की बाली पीली होकर सूख जाये, तब फसल की कटाई शुरू कर सकते हैं|
  • गेहूँ की कटाई के दौरान इसमें 13-14% नमी होनी चाहिए |
  • गेहू को राइपर (मशीन) द्वारा काटने के बाद थ्रेशिंग फ्लोर पर 3-4 दिनों के लिए सुखाया जाता है|
  • बीजो को हमेशा नए थैलों में संग्रहित करना चाहिए| आमतौर पर गोदामों में रखे अनाजों पर कीटो का प्रकोप हो जाता  है, इससे बचने के लिए समय समय पर कीटनाशक रसायनो का ध्रुमन करना चाहिए|
  • भंडार गृह में गेहूँ के बीज में 10-11%  नमी होनी चाहिए।

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Use of wheat and gram sawdust/straw

  • भूसा वह फसल सामग्री हैंं। जो फसल से अनाज को अलग करने के बाद बचा हुआ अवशेष होता है
  • जिसका अनेक तरह से उपयोग किया जा सकता है जैसे खाद बनाने, मल्च के रूप  में, नर्सरी की तैयारी के समय, इसके आलावा मिट्टी की जैविक क्षमता को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण होता है |  
  • गेहूं का भूसा/ पुआल मशरुम उत्पादन के लिए उपयुक्त सामग्री हैंं।
  • गेंहू और चने के भूसे का उपयोग गोबर की खाद बनाने में भी किया जाता है | और इसके साथ साथ गोबर के उपले बनाने के लिए भी इसे, गोबर के साथ मिलाया जाता हैंं।
  • कृषि उद्योग जैसे मुर्गी पालन आदि में सतह को सूखा रखने एवं तापमान नियंत्रित करने के लिए बिछाली के रूप में भी उपयोग किया जाता हे ।
  • गेहूं का भूसा / पुआल का उपयोग पशु आहार में भी किया जाता हैंं।

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Harvesting in wheat

  • जब पुआल पीला सूखा और भंगुर हो जाए एवं दाना कठोर हो जाए तब फसल की कटाई की जाती हैं |
  • हाल के वर्षों में देश के कई राज्यों में फसल की कटाई और गहाई के लिए थ्रेशिंग मशीन का उपयोग किया जाने लगा हैं|
  • जब अनाज में लगभग 15 प्रतिशत नमी हो तब फसल की कटाई कर लेना चाहिए।
  • गेहूं की बाली पीली होने पर ही फसल की कटाई की जाती हैं।
  • गेहूं की बुआई, से 110-130 दिनों अंतराल पर गेहूं कटाई की जाती हैंं।

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Post-harvest management in gram

  • चने की फसल की कटाई के बाद पांच से छह दिनों तक अच्छे से सूखा लेना चाहिए |
  • सुखाने के बाद, कटी हुई फसल की थ्रेशिंग मशीन द्वारा गहाई की जाती हैंं।
  • भंडारण से पहले फसल के दानों को अच्छी तरह से सुखाया जाना चाहिये।
  • भंडारण के समय होने वाले पल्स बीटल के आक्रमण से बचने के लिए 10% मैलाथियान घोल में  बैग डुबोएं।

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Storage technique for gram

  • लगभग 13 से 15 प्रतिशत नमी होने पर फसल की कटाई करने से चने के दाने कम गिरते हैंं।
  • भण्डारण में उचित रखरखाव चने की गुणवत्ता को बहुत प्रभावित करता हैंं जैसे उसके रंग बाहरी संरचना आदि|
  • फसल भण्डारण से पहले उसकी सफाई कर लेना चाहिये।
  • भंडारण  में रखे अनाज का  समय समय पर निरिक्षण करते रहना चाहिए |
  • भंडारण के समय अनाज में नमी का विशेष ध्यान रखें। कम नमी होने पर दाना, रख रखाव के समय टूट सकता हैंं।
  • वातावरण अनुकूल न रहने पर अनाज अधिक टूटता हैंं|
  • अगर दाना स्वस्थ हो तो उसका बाजार मूल्य अधिक होता हैंं।

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Lesser grain borer control in wheat

  • अनाजों को भंडारित करने के पहले उन्हें अच्छे से धुप में सूखा लेना चाहिए |
  • सीमेंट या कंक्रीट से बने हुए पक्के भंडारगृह का उपयोग करना चाहिए, जिसमे हवा का आगमन अच्छा हो|
  • भंडारगृह में अनाज के बोरो की थप्पी  के बीच कम से कम 2 फ़ीट का अंतर होना आवश्यक है |
  • भंडारगृह में बोरो की थप्पी इस प्रकार रखे की वह न तो छत को न ही दीवारों को छुए।
  • भंडारणगृह में हवा का आवागमन अगर अच्छा रहे तो यह अनाज में  नमी की मात्रा बढ़ने नहीं देता हैंं जिससे अनाज में विभिन्न तरह के रोग एवं कीट से बचाया जा सकता हैंं।
  • अनाज के भंडारण के लिए नम और गीले बैग का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
  • शुष्क मौसम के दौरान महीने में कम से कम एक बार और बारिश के मौसम में एक पखवाड़े में अनाज का  निरीक्षण किया जाना चाहिए। यदि अनाज में नमी की मात्रा अधिक दिखे तो उसे जल्द से जल्द भंडार गृह से अलग कर सूखाने का प्रबंध करना चाहिए।
  • मेलाथियाँन @ 100 मिलीग्राम प्रति वर्ग मीटर का छिडकाव करना चाहिए।
  • डाईक्लोरवास @ 0.5 ग्राम प्रति वर्ग मीटर का उपयोग भी अनाज को संक्रमित होने से बचता हैंं|
  • डेल्टामेथ्रिन की 10 ग्राम प्रति लीटर का घोल बना कर भंडारगृह में स्प्रे करे |
  • कीटनाशक जहर हैंं| इसलिए लेबल पर सभी सुरक्षित एहतियात का पालन करना आवश्यक हैंं।

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Gram harvesting

  • जब अधिकांश फली पीली हो जाएं तो चने की कटाई करनी चाहिये।
  • चने में लगभग 15 प्रतिशत तक नमी रहनी चाहिये|
  • जब पौधा सूख जाता हैंं, और पत्तियां लाल भूरे रंग की हो जाती हैंं,और पत्तियां गिरना शुरू हो जाती हैंं, तो फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती हैंं।

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Thrips control in tomato

  • थ्रिप्स पौधों का रस चूसता हे जिससे पौधे पीले व कमज़ोर हो जाते है उपज कम होती है|
  • इसके नियंत्रण के लिए प्रोफेनोफोस 3 मिली. प्रति ली. पानी या फिप्रोनिल 3 मिली. प्रति ली. पानी  या थायमेथोक्जोम 0.5 ग्राम प्रति ली. पानी का स्प्रे हर 10 दिन के अंतराल पर करे |

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