Improved Variety of Soybean :- NRC-7

  • यह मध्यम अवधि की किस्म हैं जो लगभग 90-99 दिन में तैयार हो जाती हैं | 
  • इसके 100 दानो का वजन13 ग्राम से ज्यादा होता हैं | 
  • पौधों की सीमित वृद्धि होने की वजह से कटाई के समय सुविधा रहती हैं साथ ही इस किस्म में परिपक्व होने के बाद भी फल्लिया चटकती नही हैं फलस्वरूप उत्पादन में कोई नुकसान नहीं होता | 
  • फूलो का रंग बैगनी होता हैं इस किस्म की मुख्य विशेषता यह हैं की यह गर्डल बीटल और तना-मक्खी के लिए सहनशील हैं | 
  • इस किस्म की उपज 10-12 क्विंटल/एकड़ होती हैं | 

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How to protect Crop from nematode

  • निमेटोड से ग्रसित पौधों की पत्तियों का रंग हल्का पीला हो जाता तथा वृद्धि रुक जाती है जिससे पौधा छोटा ही रहता हैं तथा फलन पर प्रभाव पड़ता हैं |
  • निमेटोड जड़ों पर हमला करता है और जड़ो पर छोटी छोटी गठान बना देता हैं।
  • संक्रमित पौधे में मुरझाने के लक्षण दिखाई देते हैं |
  • जड़ो में गाठे बनने की वजह से जड़ो को मिट्टी से मिलने वाले पोषक तत्वों तथा पानी की उपलब्धता कम हो जाती हैं परिणाम स्वरूप पौधे मर जाते हैं |
  • कार्बोफ्युरोन 3% G @ 8 किलो/एकड़ की दर से देना चाहिए | या
  • नीम खली 80 किलो/एकड़ की दर से देना चाहिए | या
  • पेसिलोमाइसेस स्पी. 1% डब्ल्यूपी,
    • बीज उपचार के लिए 10 ग्राम/किलो बीज,
    • नर्सरी उपचार के लिए 50 ग्राम/वर्ग मीटर,
    • 2 किलो/एकड़ जमीन से देना चाहिए |

 

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Why use Magnesium on cotton crop

  • कपास के पौधे में भोजन बनाने की प्रक्रिया में मैग्नीशियम महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, यह क्लोरोफिल का महत्वपूर्ण घटक होता है इसके अलावा मैग्नीशियम पौधे में होने वाली विभिन्न एन्जायमिक क्रियाओ में तथा पौधे के उत्तको को बनाने में मुख्य भूमिका निभाता है |
  • कपास की फसल में मैग्नीशियम की कमी के लक्षण बुवाई के 25-30 दिनों बाद पौधे की निचली पत्तियों पर दिखाई देते है, मैग्नीशियम की कमी से ग्रसित पत्तियाँ बैंगनी से लाल रंग की तथा पत्तियों की शिराये हरे रंग की दिखाई देती है |
  • कपास की फसल को मैग्नेशियम की कमी से बचाने के लिए मैग्नेशियम को 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से बुवाई के समय बेसल डोज के साथ मिलाकर दिया जाता है |
  • कपास की फसल में मैग्नीशियम की कमी को दूर करने के लिये मेग्नेशियम सल्फेट @ 70-80 ग्राम प्रति एकड़ की दर  से एक सप्ताह के अंतराल में दो बार स्प्रे किया जाता है |

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Suitable varieties of Cauliflower

अच्छी किस्म सिर्फ अच्छी पैदावार ही नहीं बल्कि किसानो की कई समस्याओ को कम करती हैं जैसे अगर किस्मे किसी रोग के प्रति टॉलरेंस या सहिष्णु होती है तो किसानो का दवाओं एवं मजदूरो पर होने वाले खर्चे को कम करती हैं। गोबी की किस्मो का चुनाव करते समय हमें इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए की वह उस मौसम के लिए अनुकूल हो जिस समय आप उसे लगाना चाहते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम अभी आपको ऐसी दो किस्मो के बारे में बता रहे हैं जो अभी लगाने के लिए उपयुक्त मानी गई हैं |  

इम्प्रूव्ड करीना

यह जल्दी तैयार होने वाली किस्म हैं जो की बाजार के लिए उपयुक्त है इसकी बुवाई का उचित समय मई के पहले सप्ताह से अगस्त के आखरी सप्ताह तक हैं यह रोपाई 55-60 दिनों में तैयार हो जाती हैं इसकी पत्तिया मुड़ी हुई होती हैं तथा फूल का वजन 1.2 किलो के लगभग होता जिसका सफ़ेद हैं फूल गुम्बद के जैसा होता है | इसके लिए धूप अच्छी होती हैं |

सुपर फर्स्ट क्रॉप:-

मध्यम तापमान और जलवायु में समय पर बुवाई के लिए उपयुक्त किस्म हैं जिसे मार्च से अगस्त माह तक लगा सकते हैं यह सर्दियों में कठोर होता है और मध्यम तापमान पर भी अच्छे फूल का उत्पादन करता है सफ़ेद रंग का तथा संगठित फूल होता हैं जिसका वजन लगभग 800 ग्राम से 1 किलो तक होता हैं |फूल लगभग 60 दिनों में तैयार हो जाते हैं | लम्बी दूरी के बाजारों में पहुंचने के लिए यह किस्म अच्छी मानी जाती हैं |इसकी एक खासियत यह भी हैं की यहाँ ब्लैक रॉट रोग के प्रति सहिष्णु हैं |

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Improved Varieties of Soybean

किस्मों का चयन कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार किया जाना चाहिए| हल्की भूमि व वर्षा आधारित क्षेत्रों में जहाँ औसत वर्षा 600 से 750 मि.मी. है वहाँ जल्दी पकने वाली (90-95 दिन) किस्म लगाना चाहिए| मध्यम किस्म की दोमट भूमि व 750 से 1000 मिमी. औसत वर्षा वाले क्षेत्रों में मध्यम अवधि में पकने वाली किस्में जो 100 से 105 दिन में आ जाएँ, लगाना चाहिए | 1250 मिमी. से अधिक वर्षा वाले तथा भारी भूमि में देर से पकने वाली किस्में लगाना चाहिये| इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिये की बीज की अंकुरण क्षमता 70 % से अधिक हो एवं खेत में अच्छी फसल हेतु पौधों की संख्या 40 पौधे प्रति वर्ग मीटर प्राप्त हो सकें, अंत: उपयुक्त किस्म के प्रमाणित बीज का ही चयन करना चाहिये |

मध्य प्रदेश के लिए उपयुक्त सोयाबीन की उन्नत किस्में:-

क्र. किस्म का नाम अवधि दिन में उपज प्रति हेक्टेयर
1. JS-9560 82-88 18-20
2. JS-9305 90-95 20-25
3. NRC-7 90-99 25-35
4. NRC-37 99-105 30-40
5. JS-335 98-102 25-30
6. JS-9752 95-100 20-25
7. JS-2029 93-96 22-24
8. RVS-2001-4 92-95 20-25
9. JS-2069 93-98 22-27
10. JS-2034 86-88 20-25

 

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Chilli nursery spray schedule

अच्छी पैदावार के लिए नर्सरी का ठीक से तैयार होना अति आवश्यक है अगर नर्सरी में पौध रोग रहित एवं स्वस्थ रहेगी तभी खेत में रोपाई के बाद तैयार मिर्च का पौधा भी मजबूत रहेगा इसलिए नर्सरी में पौधे की उचित देखभाल अवश्य करे | अच्छी पौधे तैयार करने हेतु ग्रामोफोन मिर्च की नर्सरी में तीन बार स्प्रै करने की सलाह देता हैं जो इस प्रकार है

  • पहला स्प्रे – थायोमेथोक्साम 25% डब्ल्यूजी 8 ग्राम/पम्प + एमिनो एसिड 20 मिली/पम्प (पत्तियों का रस चूसने वाले कीटो के नियंत्रण में सहायक) |
  • दुसरा स्प्रे – मेटलैक्सिल-M (मेफानोक्सम) 4% + मैनकोज़ब 64% डब्ल्यूपी 30 ग्राम/पम्प + 19:19:19 @ 100 ग्राम/पम्प ( डम्पिंग ऑफ के नियंत्रण में सहायक ) |
  • तीसरा स्प्रे – थायोमेथोक्साम 25% डब्ल्यूजी 8-10 ग्राम/पम्प + हुमिक एसिड 10-15 ग्राम/पम्प
  • समयानुसार अन्य कीट व रोग लगने पर उनका नियंत्रण करें |

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Cotton fertilizer management

फसल में उर्वरक का प्रबंधन मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार करना चाहिए |

यदि मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट उपलब्ध नहीं होने पर हमें उर्वरको का निम्नानुसार प्रबंधन करना चाहिए |

बुवाई के 15-20 दिन बाद: – मानसून की पहली बौछार के बाद |

  • (यूरिया 50 किलो + डीएपी 50 किलो + एमओपी 50 किलो + PSB 1 ltr.+ KMB  1 ltr + NFB 1 ltr) प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में मिलाये ।

बुवाई के 30-35 दिन बाद: –

  • (डीएपी 50 किलो + यूरिया 25 किलो + Mgso4 10 किलो + ROOTZ 98 250 ग्राम + ( PSB @ 1 ltr.+ KMB @ 1 ltr+ ) प्रति एकड़ की दर से खेत में समान रूप से मिलाये और फिर सिंचाई शुरू करें।

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Fertilizer Management In Tinda

  • खेत की तैयारी करते समय 12 टन/एकड गोबर की खाद खेत में मिलाना चाहिये ।
  • खेत की जुताई के समय 30 किलो यूरिया, 80 किलो सिगल सुपरफास्फेट एवं 30 किलो पोटाश की मात्रा  खेत में मिलाये ।
  • शेष बचे हुये 30 किलो यूरिया की मात्रा को खेत में दो से तीन बार में बराबर भागों में बाँट कर डाले ।
  • खेत में नाइट्रोजन पोषक तत्व की कमी होने पर पत्तियाँ एवं लताएँ पीले रंग की हो जाती है, साथ ही पौधे की वृद्धि रूक जाती है ।
  • यदि भूमि में पोटेशियम की कमी होती है, तब पौधे की बढ़त पत्तियों का क्षेत्रफल कम हो जाता है और फूल झड़ने लगते है व फल लगने बंद हो जाते है ।

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Weed Management in Coriander

 

धनिया में फसल-खरपतवार प्रतिस्पर्धा की क्रांतिक अवधि 35-40 दिन है । इस अवधि में खरपतवारों की निंदाई नहीं करते है तो धनिया की उपज 40-45 प्रतिशत कम हो जाती है । धनिया में खरपतवरों की अधिकता या सघनता व आवश्यकता पड़ने पर निम्न में से किसी एक खरपतवानाशी दवा का प्रयोग कर सकते है ।
खरपतवार नाशी का तकनीकी नाम खरपतवार नाशी का व्यपारिक नाम दर सक्रिय तत्व(ग्राम/एकड़ .) खरपतवार नाशी की कुल मात्रा मि.ली /एकड़ .) पानी मात्रा ली/ ह. उपयोग का समय (दिन)
पेडिमिथलीन स्टाम्प 30 ई.सी 400 1200 240-280 0-2
पेडिमिथलीन स्टाम्प एक्स्ट्रा 38.7 सी.एस. 360 800 240-280 0-2
क्विजोलोफॉप इथाईल टरगासुपर 5 ई.सी. 20 40 240-280 15-20

 

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Maize:- Basis for Selection of Variety

 

6240 + सिनजेंटा 5 किलो / एकड़ 60 x 30-45 सेमी (पंक्ति x पौधा) 4-5 cm. खरीफ और जायद नारंगी पीला उत्कृष्ट नोक, बोल्ड कर्नेल के साथ समान और आकर्षक पौधे, बहुत सारी जगहों के लिए अनुकूलित हाइब्रिड किस्म, प्रबंधन के लिए अच्छा। 6240 से अधिक उपज देता है क्योंकि यह बीज कीटनाशक तथा फफूंदनाशक आदि से उपचारित किया हुआ आता हैं |    
सिनजेंटा एस 6668 5 किलो / एकड़ 60 x 30-45 सेमी (पंक्ति x पौधा) 4-5 cm. खरीफ और जायद नारंगी उच्च प्रबंधन के साथ सिंचित क्षेत्रो के लिए उपयुक्त, आकर्षक नारंगी कर्नेल और दाने टिप तक भरे रहते हैं, बड़े भुट्टे उच्च उपज
पायनियर 3401 5 किलो / एकड़ 60 x 30-45 सेमी (पंक्ति x पौधा) 4-5 cm. खरीफ और जायद नारंगी पीला शेलिंग प्रतिशत 80-85 % तक होता हैं एक भुट्टे में 16-20 लाइन होती हैं, नारंगी रेशे, भुट्टे में दाने शीर्ष तक भरे रहते हैं, लम्बी अवधि लगभग 110 दिन, उपज लगभग 30-35 क्विंटल

 

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