What and When spraying in cotton ?

सभी किसान भाइयो की कपास की फसल को लगभग 35-45 दिन हो गए है,और सभी किसान भाई बारिश के बाद पहले स्प्रे की तैयारी कर रहे है | ग्रामोफ़ोन आपको कपास में स्प्रे निम्नानुसार करने की सलाह देता है 

  1. पहला स्प्रे बुवाई के 20-30 दिन बाद :- इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL @ 100-120 ml + 19:19:19 @ 1 किलो या विपुल @ 250 मिली + कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% WP @ 400 ग्राम प्रति एकड़ | इस स्प्रे की सहायता से रस चूसक कीटो व फफूंद के प्रारंभिक संक्रमण से फसल को बचाया जा सकता है | पौधो के शुरूआती विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध हो जाते है |
  2. दूसरा स्प्रे बुवाई के 40-45 दिन बाद :- मोनोक्रोटोफॉस 36% SL या एसीफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% SP के  साथ में प्रोफेनोफोस 40% EC + साइपरमेथ्रिन 5% EC के साथ में धनजाइम गोल्ड @ 250 मिली या विपुल बूस्टर @ 300 मिली प्रति एकड़ की दर से दें | इस स्प्रे की सहायता से सभी प्रकार के कीड़ो के लार्वा और अंडो का नियंत्रण किया जा सकता है |

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How much and when apply fertilizer in corn:

  • गोबर की अच्छी सड़ी खाद 10 टन प्रति एकड़ अंतिम जुताई के समय मिलाये |
  • मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट उपलब्ध नहीं होने पर यूरिया 20 किलो, डीएपी 70 किलो और पोटाश 35 किलो प्रति एकड़ के अनुसार बुवाई के समय देना चाहिए |
  • फसल में बेसल डोज मिट्टी, किस्म और अन्य कारकों पर भिन्न हो सकता है।
  • मक्का की फसल में यूरिया की कुल आवश्यकता 60-72 किग्रा/एकड़ होती है। यूरिया की पूरी मात्रा को निम्न अनुसार देना चाहिए | 
न.        फसल अवस्था       नाइट्रोजन  (%)
1 बेसल (बुवाई के समय )         20
2 V4 (चार पत्ती की अवस्था ) 25
3 V8 (आठ पत्ती की अवस्था) 30
4 VT (फूल आने के बाद ) 20
5 GF (दाने भरने की अवस्था ) 5

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Fall army worm :- Nature of Damage and Control measures

हानि:-

  • ये कीट सामान्यतया पत्तिया खाते है पर अधिक प्रकोप होने पर ये मक्के के फल को भी खाते है |
  • क्षतिग्रस्त पौधे की उपरी पत्तिया कटी फटी होती है, तथा डंठल आदि के पास नमी युक्त बुरादा पाया जाता है |
  • यह भुट्टे के ऊपरी भाग से खाना शुरू करते हैं

नियंत्रण :-

  • लाईट ट्रेप लगाए |
  • 5 प्रति एकड़ मादा की खुशबु वाले फेरोमोन ट्रेप सेट लगाए |
  • ईल्ली दिखाई देने पर निम्न में से किसी एक कीटनाशक का स्प्रे करें|
  • फ्लूबेंडामीड 480 एससी @ 60 मिली/एकड़।
  • स्पिनोसेड 45% एससी @ 80 मिली/एकड़
  • थायोडिकार्ब 75% डब्ल्यूपी @ 400 ग्राम/एकड़
  • क्लोरैट्रानिलिप्रोल 18.5% एससी @ 60 मिली/एकड़ |

इनमे से किसी एक कीट नाशक का प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी के साथ घोल बना कर छिड़काव करे।

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Irrigation schedule of soybean:

पानी पौधों के लिए जीवन हैं,जिसकी उचित मात्रा में पूर्ति करना आवश्यक हैं | सोयाबीन की फसल में अधिकांश पानी की पूर्ति वर्षा जल के द्वारा तथा बाकी की पूर्ति सिंचाई के द्वारा की जाती हैं |

    • सामान्यत: सोयाबीन में 3 – 4 सिंचाई की आवश्यकता होती हैं |
    • पहली सिंचाई बुवाई के समय या अंकुरण वाली अवस्था पर करना चाहिए |
    • दूसरी सिंचाई की आवश्यकता फूल बनते समय तथा तीसरी सिंचाई फली बनते समय करना चाहिए | 
    • अंतिम सिंचाई फली में दाना बनते समय करना अतिआवश्यक हैं | सोयाबीन में फली एवं फली में दाने बनते समय पानी की अधिक आवश्यकता होती हैं, यदि उस समय पानी नहीं दिया गया तो उत्पादन में कमी हो सकती हैं | 

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Weed management of Soybean

  • सोयाबीन उत्पादन में खरपतवार एक मुख्य समस्या हैं | इस समस्या के समाधान के लिए निम्न में से किसी एक खरपतवारनाशी का स्प्रे करे 
  • अंकुरण के पूर्व :- 
    • इमेजाथायपर 2 % + पेंडीमेथिलीन 30 % @ 1 लीटर/2 बीघा | या 
    • डाईक्लोसूलम  84 % WG @ 1 पाऊच (12.7 ग्राम )/2 बीघा का छिड़काव करे |
  • बुवाई के 15-20 दिन बाद 
    • फॉम्साफेन 11.1% + फ्लुज़िफ़ॉप-पी-ब्यूटाइल 11.1% SL @ 1 ली/ 6 बीघा | या 
    • क्लोरीमुरेन ईथाइल 25 % WG @ 15 ग्राम/एकड़ | या 
    • सोडियम एसिफ़्लुरफेन 16% + क्लोडिनाफ़ॉप प्रॉपगेल 8% ईसी @ 400 ग्राम/एकड़ ।   
    • इमेजाथायपर 10 % SL @ 400 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करना चाहिए |अधिक जानकारी के लिए आप हमारे टोल फ्री न. 1800-315-7566 पर कॉल करे |

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How to increase flowers in Okra

  • भिन्डी में फूल वाली अवस्था बहुत ही महत्वपूर्ण होती है|
  • बुवाई के 40-45 दिनों बाद भिन्डी की फसल में फूल वाली अवस्था प्रारम्भ होती है|
  • नीचे दिए गए कुछ उत्पादों के द्वारा भिन्डी की फसल में फूलों की संख्या को बढ़ाया जा सकता है|

होमोब्रासिनोलॉइड 0.04% डब्लू/डब्लू 100-120 मिली./एकड़ का स्प्रे करें|

समुद्री शैवाल का सत् 180-200 मिली. /एकड़ का उपयोग करें|

सूक्ष्म पोषक तत्त्व 300 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें|

2 ग्राम /एकड़ जिब्रेलिक एसिड का स्प्रे भी कर सकते है|

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Problems and solutions of sucking pest in chilli:-

मिर्ची की फसल में रस चूसने वाले कीटों जैसे एफिड,जैसिड और थ्रिप्स की मुख्य समस्या रहती हैं | यह कीट मिर्ची की फसल में पोधो के हरे भागो से रस चूस कर नुकसान पहुँचाते हैं, जिससे पत्तिया मुड़ जाती हैं और जल्दी गिर जाती हैं | रस चूसक कीटों के संक्रमण से फंगस और वायरस द्वारा फैलने वाली बीमारियों की संभावना बढ़ सकती हैं | अतः इन कीटों  का समय पर नियंत्रण करना आवश्यक हैं:-

नियंत्रण:- प्रोफेनोफोस 50% EC @ 400 मिली/एकड़ या 

एसीफेट 75% SP @ 250 ग्राम/एकड़ या 

लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 200-250 मिली/एकड़ या

फिप्रोनिल 5% SC @ 300-350 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करना चाहिए | अधिक जानकारी के लिए आप हमारे टोल फ्री न. 1800-315-7566 पर कॉल करे |

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Transplanting Precautions in Chilli

  • मिर्च की रोपाई जुलाई-सितम्बर तक की जाती है |
  • अगस्त का महीना मिर्च की रोपाई के लिए सर्वोत्तम है, तत्पश्चात सितम्बर का महीना उत्तम है |
  • ट्रांसप्लांटिंग से 5-7 दिन पहले टेबुकोनाज़ोल का स्प्रे या ड्रेंचिंग करे जिससे की डम्पिंग ऑफ की समस्या न आये | ट्रांसप्लांटिंग से पहले रोपे की जड़ो को माइकोराइजा के घोल (100 ग्राम/10 लीटर पानी ) में डुबोये |
  • पौधों की स्पेसिंग ( कतार से कतार X पौधे से पौधे 3.5-5 फ़ीट X 1-1.5 फ़ीट ) को उचित अनुपात में रखना चाहिए|
  • अगर खेत में कीट का प्रकोप ज्यादा हो तो कार्बोफुरोन 3G @ 8 किलो/एकड़ की दर से बुरकाव करे| साथ ही खेत में पौधे सूखने की समस्या आती हो तो ट्राइकोडर्मा 4 किलो/एकड़ की दर से बुरकाव करे |

 

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Use of Trichoderma :- When, How and Why ?

ट्राइकोडर्मा सभी प्रकार के पौधों और सब्जियों के लिए जरूरी है जैसे कि गोभीवर्गीय, कपास, सोयाबीन आदि।

  • बीजोपचार:  1 किलो ट्राइकोडर्मा पाउडर प्रति क्विंटल बीज की दर से बुवाई से पहले बीजो में मिलाएं।
  • जड़ो के उपचार हेतु : 10  किलो गोबर की अच्छे से सड़ी हुई खाद तथा 100 लीटर पानी मिला कर घोल तैयार करे फिर इसमें 1 किलो  ट्राइकोडर्मा पाउडर मिला कर तीनो का मिश्रण तैयार कर ले अब इस मिश्रण में पौध की जड़ो को रोपाई के पहले 10 मिनट के लिए डुबोएं।
  • मृदा उपचार: 4  किलो ट्राइकोडर्मा पाउडर प्रति एकड़ की दर से 50 किलो गोबर की खाद के साथ मिला कर बेसल डोज के रूप में खेत में मिलाईये |    
  • खड़ी फसल में : खड़ी फसल में उपयोग हेतु एक लीटर पानी में 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर मिलाकर तना क्षेत्र के पास की मिट्टी में ड्रेंचिंग करें |

सावधानियां

  • ट्राइकोडर्मा के प्रयोग के बाद 4-5 दिनों के तक कोई भी रासायनिक कवकनाशी का उपयोग न करें।
  • सूखी मिट्टी में ट्राइकोडर्मा का प्रयोग न करें। इसकी वृद्धि और उत्तरजीविता के लिए नमी एक आवश्यक कारक है।
  • उपचारित बीज को सीधे सूर्य की किरणों में न रखे।
  • ट्राइकोडर्मा को FYM के साथ मिला कर अधिक समय तक न रखें।
  • ज्यादा जानकारी के लिए हमारे टोल फ्री न.( 1800-315-7566 ) पर मिस कॉल दे | 

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seed treatment in soybean

सोयाबीन का बीज उपचार :- सोयाबीन बीज को बुवाई के पहले कार्बाक्सिन 37.5% + थायरम 37.5 WP 250 ग्राम प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें या कार्बेन्डाजिम 12 % + मेन्कोजेब 63% WP 250 ग्राम प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें या थायोफिनेट मिथाईल 45%+ पायराक्लोस्ट्रोबीन 5% FS 200 मिली प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें| उसके बाद कीटनाशक ईमिडाक्लोरप्रिड 30.5% SC 100 मिली प्रति क्विंटल या थायमेथोक्साम 30% FS 250 मिली प्रति क्विंटल बीज का उपचार करने से रस चुसक कीट के 30 दिन तक सुरक्षा मिलती है |

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