कद्दुवर्गीय फसल का लाल कीट:-
पहचान:-
- अंडे गोलाकार, पीले- गुलाबी रंग के जो कुछ दिनों बाद नारंगी रंग के हो जाते है |
- अंडे से निकला हुआ नया लार्वा सफ़ेद गंदे रंग का होता है, किन्तु व्यस्क लार्वा 22 सेमी. लंबा एवं पीले क्रीम रंग के होते है|
- प्यूपा हल्के पीले रंग के होते है, जो भूमि के अन्दर 15 से 25 की गहराई पर होते है|
- वयस्क बीटल 6-8 मिमी. लम्बे, पंख चमकदार पीले लाल रंग के होते है, जो शरीर को समान रूप से ढ़ककर रखते है|
नुकसान:-
- अंडे से निकले हुये ग्रब जड़ो, भूमिगत भागो एवं जो फल भूमि के संपर्क में रहते है उन्है खाता है|
- उसके बाद ग्रसित जड़ो एवं भूमिगत भागों पर मृतजीवी फंगस का आक्रमण हो जाता है जिसके फलस्वरूप अपरिपक्वफल व लताएँ सुख जाती है|
- इसमें ग्रसित फल उपयोग करने हेतु अनुपयुक्त होते है|
- बीटल पत्तियों को खाकर छेद कर देते है |
- पौध अवस्था में बीटल का आक्रमण होने पर मुलायम पत्तियों को खाकर हानि पहुचाते है जिसके कारण पौधे मर जाते है |
नियंत्रण:-
- गहरी जुताई करने से भूमि के अन्दर उपस्थित प्यूपा या ग्रब ऊपर आ जाते है सूर्य की किरणों में मर जाते है |
- बीजो के अंकुरण के बाद पौध के चारों तरफ भूमि में कारटाप हाईड्रोक्लोराईड 3 G दाने डाले|
- बीटल को इकट्ठा करके नष्ट करें|
- साईपरमेथ्रिन (25 र्इ.सी.) 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी + डायमिथोएट 30% ईसी. 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोल बना कर छिडकाव करें। या कार्बारिल 50% WP 3 ग्राम प्रति ली पानी की दर से घोल बना दो छिड़काव करें। छिडकाव रोपण के 15 दिन व दूसरा इसके 15 दिन बाद करे।
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