रोग की पहचान:- चने की फसल में यह फफूंद जनित रोग सबसे विनाशकारी साबित होता है। यह रोग किसी भी अवस्था में फसल को प्रभावित कर सकता है। इस रोग के चलते पत्तियां नीचे से ऊपर की ओर पीली और भूरी पड़ जाती हैं। अंत में पौधा मुरझाकर सूख जाता है।
तने को चीर कर देखने से आंतरिक उत्तक भूरे रंग का दिखाई देता है, जिस कारण से पोषक तत्व एवं पानी पौधों के सभी भाग तक नहीं पहुँच पाता है और पौधे मरने लगते हैं। पौधों को उखाड़ कर देखने पर कॉलर एवं जड़ क्षेत्र गहरा भूरा या काला रंग का दिखाई देता है।
रोकथाम के उपाय:- इस रोग से बचने के लिए बुवाई के समय कॉम्बैट (ट्राइकोडर्मा विरिडी 1.0% डब्ल्यू.पी.) @ 10 ग्राम प्रति किग्रा बीज के हिसाब से उपचारित करके बोना चाहिए एवं अभी इसकी रोकथाम के लिए कॉम्बैट (ट्राइकोडर्मा विरिडी 1.0% डब्ल्यू.पी.) @ 1 किग्रा प्रति एकड़ के हिसाब से मिट्टी में समान रूप से भुरकाव कर हल्की सिंचाई करें।
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