आलू में सिंचाई प्रबंधन एवं क्रांतिक अवस्थाओं को समझें

  • आलू की फसल में एक बार में थोड़ा पानी कम अंतराल पर देना उपज के लिए अधिक लाभदायक है। 

  • रोपनी के 10 दिन बाद परन्तु 20 दिन के अंदर ही प्रथम सिंचाई अवश्य करनी चाहिए। ऐसा करने से अकुरण शीघ्र होगा तथा प्रति पौधा कंद की संख्या बढ़ जाती है जिसके कारण उपज में दोगुनी वृद्धि हो जाती है। 

  • प्रथम सिंचाई समय पर करने से खेत में डाले गए खाद का उपयोग फसलों द्वारा प्रारंभ से ही आवश्यकतानुसार होने लगता है। 

  • दो सिंचाई के बीज का समय खेत की मिट्टी की दशा एवं अनुभव के आधार पर घटाया बढ़ाया जा सकता है। फिर भी दो सिंचाई के बीच 20 दिन से ज्यादा का अंतर न रखें।

  • खुदाई के 10 दिन पूर्व सिंचाई बंद कर दें। ऐसा करने से, खुदाई के समय कंद स्वच्छ निकलेंगे। ध्यान रखें, प्रत्येक सिंचाई में आधी नाली तक ही पानी दें l 

  • वृद्धि के कुछ चरणों (क्रांतिक अवस्थाएँ) में जल प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण है-

1) अंकुरण अवस्था

2) कंद स्थापित अवस्था

3) कंद बढ़वार अवस्था

4) अंतिम फसल अवस्था

5) खुदाई के पूर्व 

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