पाला पड़ने की संभावना:-
- पाले का पौधों पर प्रभाव शीतकाल में अधिक होता है।
- जब तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे गिर जाता है तथा हवा रुक जाती है, तो रात्रि को पाला पड़ने की संभावना रहती है।
- वैसे साधारणता पाले का अनुमान दिन के बाद के वातावरण से लगाया जा सकता है।
- सर्दी के दिनों में जिस दोपहर से पहले ठंडी हवा चलती रहे एवं हवा का तापमान जमाव बिंदु से नीचे गिर जाए। दोपहर बाद अचानक हवा चलना बंद हो जाए तथा आसमान साफ रहे हैं, या उस दिन आधी रात के बाद से ही हवा रुक जाए, तो पाला पड़ने की संभावना अधिक रहती है।
- रात को विशेष तीसरे एवं चौथे पहर में पाला पड़ने की संभावनाएं रहती हैं।
- साधारणतया तापमान चाहे कितना ही नीचे चला जाए, यदि शीतलहर हवा के रुप में चलती रहे तो नुकसान नहीं होता है परंतु यदि इसी बीच हवा चलना रुक जाए तथा आसमान साफ हो तो पाला पड़ता है, जो फसलों के लिए नुकसानदायक है।
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