मटर की खेती को बनाएं मुनाफे की खेती, चुनें उन्नत बीज किस्में

रबी मौसम की दलहनी फसलों में मटर का विशेष स्थान होता है साथ ही इसका उपयोग सब्जियों में भी किया जाता है इसलिए इसकी खपत खूब रहती है। यही कारण है की किसान भाई इसकी खेती बढ़-चढ़ कर करते हैं। मटर की खेती से अधिक उपज प्राप्त करने के लिए मटर की कुछ मुख्य किस्मों का उपयोग बुवाई के लिए करना चाहिए। ये किस्में अधिक पैदावार देने वाली एवं रोग प्रतिरोधी होती हैं। इस लेख में मटर की उन्नत किस्में कौन-कौन सी है, उनकी विशेषताएं क्या है और इससे किसानों को कितनी पैदावार मिल सकती है, की जानकारी का विस्तार से दी जा रही है। 

  1. मालव सुपर अर्केल और मालव अर्केल: यह मटर की दो मुख्य किस्में हैं जिनको अर्केल किस्म के नाम से भी जाना जाता है। इनकी फसल अवधि 60 से 70 दिनों की होती है। इन किस्मो में फल की तुड़ाई 2-3 बार की जा सकती है। इसमें एक मटर की फली में बीजों की संख्या 6-8 रहती है। इन किस्मो में पौधा बोना होता है एवं यह उच्च उत्पादन वाली किस्में होती हैं। इसकी फलिया गहरे हरे रंग की होती है और ये दोनों किस्म पाउडरी मिल्डयू के लिए प्रतिरोधी है। इन किस्मों में 55-60 दिनों में पहली तुड़ाई की जा सकती है  एवं प्रति एकड़ उपज 2 टन होती है। 

  1. मालव वेनेज़िया, यूपीएल/एडवंटा/गोल्डन GS10, मालव MS10: यह मटर की तीन मुख्य किस्में हैं जिनको पेंसिल किस्म के नाम से भी जाना जाता है। यह खाने में मीठी होती हैं और इनकी फसल अवधि 75-80 दिनों की होती है। इनकी तुड़ाई 2-3 बार की जा सकती है। इनकी एक फली में बीजों की संख्या 8-10 रहती है। इनके पौधे माध्यम आकार के एवं इनकी शाखाएँ फैली हुई होती हैं। इन किस्मों की प्रति एकड़ उपज 4 टन होती है एवं ये किस्में पाउडरी मिल्डयू के लिए प्रतिरोधी होती हैं।

  1. मास्टर हरिचंद्र PSM-3, सीड एक्स PSM-3 और अंकुर सीड्स अन्वय: यह मटर की दो मुख्य किस्मे है जिनको PSM-3 किस्म के नाम से भी जाना जाता है। इनकी फसल अवधि 60 दिनों की होती है। इन किस्मों में फल की तुड़ाई 1 बार होती है। यह जल्दी पकने वाली किस्में हैं जिसे आर्केल एंड जीसी 141 के क्रॉस के माध्यम से विकसित किया गया है। इसके पौधे गहरे हरे पत्ते के साथ बौने होते हैं। इसकी फली 6-8 बीजों से भरी होती है। इन किस्मों की पैदावार 3 टन/एकड़ रहती है।

4. मास्टर हरिचंद्र AP3: इस किस्म की फसल अवधि 60-70 दिनों की होती है और इसकी तुड़ाई 1 बार होती है। इसकी फली 6-8 बीजों से भरी होती है। यह एक जल्दी पकने वाली किस्म है। बुवाई के 70 दिनों के बाद पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसको अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में बोया जाता है। यह औसतन 2 टन /एकड़ की पैदावार देती है।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

Share

See all tips >>