पीला मौजेक वायरस :- पीला मौजेक वायरस मुख्य रूप से खरीफ मौसम में सोयाबीन, उड़द, मूग व कुछ अन्य फसलो में भी होता हैं | सोयाबीन, उड़द आदि फसलो में रोग के प्रकोप से काफी नुकसान होता हैं | इससे पैदावार पर बुरा प्रभाव होता हैं, यह रोग 4-5 दिनों में पुरे खेत में फ़ैल जाता हैं और फसल पीली पड़ने लगती हैं रोग फैलाने मे मुख्य भूमिका सफ़ेद मक्खी की होती हैं |
रोग फेलने के मुख्य कारण :-
- यह विषाणु जनित रोग रस चूसक कीट व सफ़ेद मक्खी से फैलता हैं |
- बीजो का उचित उपचार नहीं किया जाना | साथ ही जानकारी का अभाव होना व लम्बे समय तक सुखा पड़ना भी वायरस को फैलाने में सहयोगी रहता हैं |
- कीटनाशको का अन्धाधुंध प्रयोग करना बिना उचित जानकारी के दवाइयों का मिश्रण कर उनका छिडकाव करना |
- किसानो द्वारा उचित फसल चक्र नहीं अपनाये जाना इसका मुख्य कारण होता हैं |
- खेतो के चारो और मेड़ो की सफाई नहीं होने के कारण भी फैलता हैं |
- सफ़ेद मक्खी पौधो के पत्ते पर बैठ कर रस चूसती है ओर लार वही छोड़ने से बीमारी का प्रकोप बढता हैं |
रोग के लक्षण :-
- प्रारंभिक अवस्था में गहरे पीले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं|
- रोग ग्रस्त पोधे की पत्तिया पीली पड़ जाती हैं |
- रोगग्रस्त पोधे की पतियों की नसे साफ़ दिखाई देने लगती है |
- पोधे की पत्तिया खुरदुरी हो जाती हैं |
- ग्रसित पोधा छोटा रह जाता हैं|
रोकथाम के उपाय :-
यांत्रिक विधि :-
- प्रारंभिक अवस्था मे रोग ग्रसित पौधो को खेत से उखाड़ कर जला दे |
- खेत मे सफ़ेद मक्खी को आकर्षित करने के लिए प्रति हक्टेयर 5-6 पीले प्रपंच लगाये |
- फसल के चारो और जाल के रूप मे गेंदे की फसल लगाये |
जैविक विधि :-
- प्रारंभिक अवस्था मे पौधो मे नीम तेल छिडकाव 1-1.5 ली. प्रति एकड़ चिपकने वाले पदार्थ मे मिलाकर 200-250 ली. पानी का घोल बना कर करे
- 2 किलो सहजन की पत्तियों को बारीक़ पीसकर 5 ली. गोमूत्र और 5 ली. पानी मिलकर गला दे| 5 दिन बाद पानी छान ले| 500 मिलीलीटर घोल को 15 लीटर पानी मे मिलाकर फसल पर छिडकाव करे | यह फसल मे टॉनिक का काम करेगा |
रासायनिक विधि :-
- डाइमिथिएट 250-300 मिलीलीटर या थायोमेथाक्सोम 25WP 40 ग्राम या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL 40 मिलीलीटर या एसिटामाप्रीड 40 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 200-250 लीटर पानी का घोल बनाकर छिडकाव करे |
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