- मोजेक वायरस से ग्रसित पौधों को निकाल कर नष्ट कर दें।
- प्रतिरोधक किस्मों जैसे पूसा ज्वाला, पन्त सी-1, पूसा सदाबहार, पंजाब लाल इत्यादि को लगाएँ।
- वैक्टर को कम करने के लिए एसिटामिप्रीड 20% एसपी @ 130 ग्राम/एकड़ का नियमित अंतराल पर छिड़काव करें या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% डब्ल्यूजी @ 40 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें।
मिर्च में मोजेक वायरस की पहचान
- इस वायरस के संपर्क में आने से पत्तियों पर गहरे हरे और पीले रंग के धब्बे निकलते हैं।
- इसके कारण हलके गड्ढे और फफोले भी दिखाई पड़ते हैं।
- कभी-कभी पत्ती का आकार अति सुक्ष्म सूत्रकार हो जाता है।
- यह सफ़ेद मक्खी के माध्यम से फैलता है।
- इस वायरस से ग्रषित पौधों में फूल और फल कम लगते हैं।
- इसके कारण फल भी विकृत और खुरदुरे हो जाते हैं।
Virus problem and solution in mungbean
- मूँग की फसल के विकास के दौरान, वायरस द्वारा पीला मोज़ेक, चुर्रा-मुर्रा और पत्ती का कुंचन रोग के लक्षणों को देखा जा सकता है।
- पौधे की उम्र और रोग के लक्षणों की शुरुआत के आधार पर वायरस द्वारा मूँग में अनाज की पैदावार में 2-95% तक की कमी हो सकती है।
- इन रोगों के नियंत्रण के लिए बुवाई के 15 दिन बाद थायमेथोक्साम 25% डब्ल्यूजी @ 60-100 ग्राम प्रति एकड़ का पत्तियों पर स्प्रे करे या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल @ 100 मिली प्रति एकड़ का पत्तियों पर स्प्रे करे
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ShareControl of mosaic virus in watermelon
- इस रोग के प्रारंभिक लक्षण पत्तियों पर आते हैं जो बाद में तने और फल पर भी फैल जाते हैं |
- प्रभावित पौधे के फल का आकार बदल जाता हैं और फल छोटे रहते है और डंठलों के पास से टूट जाते हैं |
- यह रोग माहु नामक कीट द्वारा फैलता हैं |
- इस रोग से बचने के लिए, फसल चक्र अपनाना चाहिए तथा बुवाई के लिए रोग मुक्त बीज लेने चाहिए |
- रोग ग्रस्त पौधों को उखाड़कर कर नष्ट कर देना चाहिये।
- इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल @70-100 मिली/एकड़ का छिड़काव करें |
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ShareControl of mosaic in tomato
- पत्तियों का सामान्य हरा रंग हल्के-पीले अनियमित धब्बों में परिवर्तित हो जाता है।
- पत्तियां चितकबरी, क्लोरोफिल विहीन, सिकुड़कर छोटी हो जाती है एवं फल नष्ट हो जाते है।
- बीजों को हमेशा स्वस्थ पौधे से ही एकत्र करें।
- पौधशाला में बीजों/पौधों को निर्जलीकृत की हुई मृदा में उगाया चाहिये।
- रोग ग्रस्त पौधों को उखाड़कर कर नष्ट कर देना चाहिये।
- इमिडाक्लोप्रिड (17.8% SL) @ 100-120 मिली प्रति एकड़ अथवा एसीफेट (75% SP ) @ 140- 200 ग्राम प्रति एकड़ का उपयोग करके रोग फैलाने वाले कीट का नियंत्रण करें|
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ShareManagement of mosaic virus in bottle gourd
- पौधे पूर्ण रूप से सुख जाते हैं| पत्तियों पर पीले धब्बे मोज़ेक जैसे बन जाते हैं|
- पौधे की पत्तियां नीचे की तरफ मुड़ी हुई रहती हैं और पत्ती का आकार सामान्य से छोटा होता हैं।
- फल का आकार बदल जाता हैं और आकार में छोटे होते हैं। यह रोग एफिड द्वारा फेलता हैं।
प्रबंधन –
- खरपतवार और रोगी पौधों को खेतों से हटाने से संक्रमण की संभावना कम हो सकती हैं|
- रोग प्रतिरोध किस्मो का उपयोग करके कुछ किसान वायरस फैलने पर नियंत्रण करते हैं।
- इमिडाक्लोप्रिड (17.8% SL) @ 100-120 मिली प्रति एकड़ अथवा एसीफट (75% SP ) @ 140- 200 ग्राम प्रति एकड़ का उपयोग करके रोग फैलाने वाले कीट का नियंत्रण करे।
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Yellow Mosaic Virus in Legumes crops
पीला मौजेक वायरस :- पीला मौजेक वायरस मुख्य रूप से खरीफ मौसम में सोयाबीन, उड़द, मूग व कुछ अन्य फसलो में भी होता हैं | सोयाबीन, उड़द आदि फसलो में रोग के प्रकोप से काफी नुकसान होता हैं | इससे पैदावार पर बुरा प्रभाव होता हैं, यह रोग 4-5 दिनों में पुरे खेत में फ़ैल जाता हैं और फसल पीली पड़ने लगती हैं रोग फैलाने मे मुख्य भूमिका सफ़ेद मक्खी की होती हैं |
रोग फेलने के मुख्य कारण :-
- यह विषाणु जनित रोग रस चूसक कीट व सफ़ेद मक्खी से फैलता हैं |
- बीजो का उचित उपचार नहीं किया जाना | साथ ही जानकारी का अभाव होना व लम्बे समय तक सुखा पड़ना भी वायरस को फैलाने में सहयोगी रहता हैं |
- कीटनाशको का अन्धाधुंध प्रयोग करना बिना उचित जानकारी के दवाइयों का मिश्रण कर उनका छिडकाव करना |
- किसानो द्वारा उचित फसल चक्र नहीं अपनाये जाना इसका मुख्य कारण होता हैं |
- खेतो के चारो और मेड़ो की सफाई नहीं होने के कारण भी फैलता हैं |
- सफ़ेद मक्खी पौधो के पत्ते पर बैठ कर रस चूसती है ओर लार वही छोड़ने से बीमारी का प्रकोप बढता हैं |
रोग के लक्षण :-
- प्रारंभिक अवस्था में गहरे पीले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं|
- रोग ग्रस्त पोधे की पत्तिया पीली पड़ जाती हैं |
- रोगग्रस्त पोधे की पतियों की नसे साफ़ दिखाई देने लगती है |
- पोधे की पत्तिया खुरदुरी हो जाती हैं |
- ग्रसित पोधा छोटा रह जाता हैं|
रोकथाम के उपाय :-
यांत्रिक विधि :-
- प्रारंभिक अवस्था मे रोग ग्रसित पौधो को खेत से उखाड़ कर जला दे |
- खेत मे सफ़ेद मक्खी को आकर्षित करने के लिए प्रति हक्टेयर 5-6 पीले प्रपंच लगाये |
- फसल के चारो और जाल के रूप मे गेंदे की फसल लगाये |
जैविक विधि :-
- प्रारंभिक अवस्था मे पौधो मे नीम तेल छिडकाव 1-1.5 ली. प्रति एकड़ चिपकने वाले पदार्थ मे मिलाकर 200-250 ली. पानी का घोल बना कर करे
- 2 किलो सहजन की पत्तियों को बारीक़ पीसकर 5 ली. गोमूत्र और 5 ली. पानी मिलकर गला दे| 5 दिन बाद पानी छान ले| 500 मिलीलीटर घोल को 15 लीटर पानी मे मिलाकर फसल पर छिडकाव करे | यह फसल मे टॉनिक का काम करेगा |
रासायनिक विधि :-
- डाइमिथिएट 250-300 मिलीलीटर या थायोमेथाक्सोम 25WP 40 ग्राम या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL 40 मिलीलीटर या एसिटामाप्रीड 40 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 200-250 लीटर पानी का घोल बनाकर छिडकाव करे |
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Management of Mosaic Virus Disease in Sponge Gourd
गिलकी में मोज़ेक वायरस रोग का प्रबंधन:-
- यह वायरस जनित रोग एफिड या सफ़ेद मक्खी या लाल कीड़ें द्वारा फैलाई जाती है, जो पौधे का रस चूसकर बीमारी फैलाते है|
- ग्रसित पौधे की नयी पत्तियों की शिराओ के बीच में पीलापन हो जाता है, एवं पत्तियाँ बाद में ऊपर की तरफ मुड़ जाती है|
- पुरानी पत्तियों के ऊपर उभरे हुए गहरे रंग के फफोलेनुमा संरचना दिखाई देती है| प्रभावित पत्तियाँ तन्तुनुमा हो जाता है |
- पौधा आकार में छोटा हो जाता है बीमारी से पौधे की वृद्धि, फल-फुल एवं उपज पर बुरा प्रभाव पड़ता है|
- ज्यादा प्रभाव वाले पौधे पर फल नहीं लगते है|
रोकथाम:-
- खेत में उपस्थित अन्य जरिये जैसे खरपतवार को उखाड़कर नष्ट करें|
- फसल चक्र अपनाये|
- मोज़ेक के लिए सवेंदनशील मौसम व क्षेत्रों में फसल को ना उगायें|
- 10-15 दिन के अंतराल पर डायमिथोएट 30% EC 30 मिली. प्रति पम्प स्प्रे करें साथ ही स्ट्रेप्टोमाईसीन 2 ग्राम प्रति पम्प का स्प्रे करें तथा शुरुआती संक्रमण से फसल को बचाये|
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ShareManagement of Mosaic Virus in chilli
लक्षण :-
- रोग का मुख्य लक्षण पत्तियों पर गहरे हरे और पीले रंग के धब्बे का प्रकट होना हे|
- हलके गड्डे और फफोले भी दिखाई पड़ते है|
- कभी-कभी पत्ते का आकार अति सुक्ष्म सूत्रकार हो जाती है|
- रोगी पोधो में फूल और फल कम लगते है|
- फल विकृत और खुरदुरे होते|
रोकथाम :-
- ग्रसित पोधों को निकाल कर नष्ट करे|
- प्रतिरोधक किस्मो जेसे पूसा ज्वाला, पन्त सी-1, पूसा सदाबहार, पंजाब लाल इत्यादी को लगाये|
- डायमिथोएट का 2 मिली/लीटर पानी में घोल बनाकर उचित अन्तराल पर छिडकाव कर कारक को रोके|
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