पहचान:-
- मादा मोथ बैगन के पौधों की शाखाओं पर अंडे देती है |
- मादा हल्के पीले सफ़ेद रंग के अंडे पत्तियों की निचली सतह पर तने, फुल कलिकाओं या फलों के निचले भाग पर देती है|
- अंडे से निकली हुई ईल्ली 15-18 मिमी. लम्बी हल्के सफ़ेद रंग की होती है| जो व्यस्क हने पर हल्के बैगनी रंग में परिवर्तित हो जाती है|
- वयस्क मोथ सफ़ेद रंग के होते है इनके पंख भूरे रंग के होते है, जिन पर बैगनी या नीले रंग की आभा दिखाई देती है|
- अंडे से निकले हुये लार्वा सीधे फलों में छेद करके प्रवेश करते है|
- लार्वा अवस्था का जीवन चक्र पूरा हो जाने पर ये तने, सुखी शाखाओं या गिरी हुई पत्तियों पर प्यूपा का निर्माण करते है|
- गर्म वातावरणीय दशा में फल एवं तना छेदक ईल्ली की संख्या में अधिक वृद्धि होती है|
हानि:-
- इस कीट के द्वारा हानि रोपाई के तुरंत बाद से लेकर अंतिम तुड़ाई तक होता है|
- वयस्क मादा मक्खी पत्तियों की निचली सतह पर कलियों एवं फलों पर अंडे देती है|
- प्रारंभिक अवस्था में छोटी गुलाबी ईल्ली रहनी एवं तने में छेद करके प्रवेश करती है जिसके कारण पौधे की शाखाएँ सुख जाती है|
- बाद में इल्ली फलों में छेद कर प्रवेश करती है और गुदे को खा जाती है |
नियंत्रण:-
- एक ही खेत में लगातार बैगन की फसल न लेते हुये फसल चक्र अपनाये|
- छेद हुये फलों को तोड़कर नष्ट कर दें|
- कीट रोकथाम के लिए साईपरमेथ्रिन 25% EC (0.5 मिली. प्रति ली. पानी ) या क्लोरोपाईरिफोस 20% EC ( 4 मिली. प्रति ली पानी ) में घोल बनाकर रोपाई के 35 दिनों के बाद से 15 दिन के अंतराल पर छिडकाव करे|
- कीट के प्रभावी रोकथाम के लिए कीटनाशक के छिड़काव के पूर्व छेद किये गये फलों की तुड़ाई कर लें|
नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।
Share