कपास की फसल में डेंडु बनते समय फल व फली छेदक कीट के प्रकोप के कारण डेंडू को नुकसान पहुँच सकता है।
कीट का प्रकोप फसल के प्रारंभिक अवस्था से ही शुरू हो जाता है। इसके अलावा गुलाबी इल्ली और बिहार कम्बलिया कीट आदि का प्रकोप भी होता है, अतः इनका नियंत्रण करना भी बहुत आवश्यक होता है।
इस के साथ-साथ कवक जनित एवं कीट जनित बीमारियों का नियंत्रण भी बहुत आवश्यक होता है एवं अच्छे डेंडू निर्माण के लिए भी इन वृद्धि कारकों का छिड़काव करना जरूरी होता है।
फसल बुआई के 40-45 दिनों बाद छिड़काव प्रबंधन के रूप में प्रोफेनोस 40% + साइपरमेथिन 4% EC@400 मिली/एकड़ + एबामेक्टिन 1.9% EC@400 मिली/एकड़ + कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ब 63% WP@ 400 ग्राम/एकड़ + जिब्बरेलिक एसिड @ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
इनका छिड़काव करने से डेंडू का निर्माण बहुत अच्छा होता है एवं कपास का उत्पादन बहुत अधिक रहता है।