गर्दन तोड़ (नेक ब्लास्ट):- यह धान की एक प्रमुख बीमारी है। यह रोग ज्यादातर लंबे समय तक बारिश और दिन में ठंडे तापमान वाले क्षेत्रों में होता है। इस रोग की वजह से बाली की गर्दन का हिस्सा काला हो जाता है और आंशिक या पूर्ण रूप से नीचे की ओर झुक जाता है। जिस वजह से बाली में दाने नहीं बन पाते हैं और अंत में बाली टूट जाती है। धान का यह रोग अत्यंत विनाशकारी होता है। जिसके चलते उपज में भारी कमी आ सकती है।
पर्णच्छद अंगमारी (शीथ ब्लाइट):- जल स्तर अथवा भूमि की सतह के पास पर्णच्छद पर रोग के प्रमुख लक्षण प्रकट होते हैं। इसके प्रकोप से पत्ती के पर्णच्छद पर 2-3 सें.मी. लम्बे हरे भूरे रंग के धब्बे बनते हैं। जो बाद में भूसे के रंग के दिखने लगते हैं। धब्बों के चारों तरफ बैंगनी रंग की पतली धारी बन जाती है। अनुकूल वातावरण पर कवक जाल स्पष्ट दिखते हैं।
नियंत्रण के उपाय:- इसके नियंत्रण के लिए, नेटिवो(टेबुकोनाज़ोल 50% + ट्राइफ्लॉक्सीस्ट्रोबिन 25%डब्ल्यूजी) @ 80 ग्राम + नोवामैक्स @ 200 मिली + सिलिकोमैक्स गोल्ड@ 50 मिली प्रति एकड़, 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।
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