सोयाबीन की फसल में जिस प्रकार रस चूसक कीटों का प्रकोप होता है, ठीक उसी प्रकार इल्लियाँ जैसे तम्बाकू की इल्ली,सेमीलूपर,ग्राम पॉड बोरर आदि का प्रकोप बहुत अधिक होता है। ये सोयाबीन की फसल में तना, फूल एवं फल को नुकसान पहुंचाते हैं।
सेमीलूपर :- सेमीलूपर सोयाबीन की फसल पर बहुत अधिक आक्रमण करता है। सोयाबीन की फसल की कुल उपज में 30-40% तक हानि का कारण बनता है। सोयाबीन की फसल के प्रारंभिक चरणों से ही इसका प्रकोप हो जाता है। यह फसल की इस अवस्था में बहुत प्रभावित करता है और यदि इस इल्ली का प्रकोप फली या फूल वाली अवस्था में होता है तो, इससे सोयाबीन की उपज में काफी नुकसान होता है। इल्ली का प्रकोप आमतौर पर जुलाई के अंत और सितंबर माह के शुरुआत तक होता है।
बिहार हेयरी कैटरपिलर (स्पाइलोसोमा ओबलीकुआ) :-
नवजात इल्लियाँ झुंड में रहती हैं एवं सभी एक साथ मिलकर पत्तियों पर आक्रमण करके हरे भाग को खुरच कर खा जाती है। एवं बाद में पूरे पौधे पर फैल कर सम्पूर्ण पौधों को नुकसान पहुंचाती है। इन इल्लियों के द्वारा खाये गये पत्तियों पर सिर्फ जाली ही रह जाती है।
तम्बाकू की इल्ली
इस कीट के लार्वा सोयाबीन की पत्तियों को खुरचकर पत्तियों कें क्लोरोफिल को खाते हैं, जिससे खाये गए पत्ते पर सफ़ेद पीले रंग की रचना दिखाई देती है। अत्यधिक आक्रमण होने पर ये तना, कलिया, फूल और फलो को भी नुकसान पहुंचाते है। जिससे पौधों पर सिर्फ डन्डीया ही दिखाई देती है।
इनके नियंत्रण के लिए
प्रोफेनोवा (प्रोफेनोफोस 50% ईसी) @ 400 मिली या नोवालक्सम (थायमेथोक्सम 12.60% + लैम्ब्डा-सायहालोथ्रिन 9.50 % जेडसी) @ 50 मिली + सिलिको मैक्स @ 50 मिली, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।
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