गेहूँ की फसल में कटाई का उचित समय एवं सावधानियां

Appropriate time and precautions for harvesting wheat crop

गेहूँ की फसल में साधारणत: फसल पकने पर पत्तियां सूखने लगती हैं, कभी-कभी एक-दो पत्तियां हरी भी रह सकती हैं एवं बाली के नीचे का भाग सुनहरा हो जाता है। साथ ही यदि दाने को अंगूठे से दबाया जाए तो दूध नहीं निकलता तथा दानों में कड़ापन आ जाता है। इसके अतिरिक्त जब दानों में 25-30 प्रतिशत तक नमी होती है, तब फसल की कटाई की जा सकती है। 

फसल पकने के तुरंत बाद काट लेना चाहिए, क्योंकि कटाई देर से करने पर कुछ किस्मों में दाने झडने लगते है, एवं चूहों तथा चिडियों से भी नुकसान हो सकता है। कभी-कभी फसल काटने में देर करने से गेहूँ के दाने की गुणवत्ता पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। अगर कटाई समय से न करें तो उपज में भी कमी आ सकती है, क्योंकि 5-10 प्रतिशत दानों की हानि झड़ने से, चिडियों और चूहों के खाने से तथा मौसम की खराबी से होती है।  

गेहूँ की फसल में कटाई से पहले सिंचाई बंद कर देनी चाहिए, साथ ही फसल को गिरने से बचाना भी अति आवश्यक होता है। कटाई के बाद 4-5 दिन गठ्ठर को धूप में सुखना चाहिए, क्योंकि अगर कटाई के समय दानों में मिट्टी मिल जाए तो गुणवत्ता पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

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मैदानी इलाकों में बारिश के आसार, पहाड़ों पर होगी भारी बर्फबारी

know the weather forecast,

3 मार्च के सुबह से ही पहाड़ों पर बर्फबारी शुरू हो जाएगी जो 4 मार्च तक जारी रहेगी। उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर सहित हिमाचल प्रदेश में कुछ स्थानों पर भारी बर्फबारी की संभावना है। पंजाब और हरियाणा के उत्तरी जिलों में भी बारिश हो सकती है। अगले दो दिनों के दौरान उत्तर पश्चिम भारत में न्यूनतम तापमान गिरेंगे। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात और पश्चिम मध्य प्रदेश सहित उत्तरी महाराष्ट्र में तापमान में गिरावट हो सकती है। दिन के तापमान में हल्की वृद्धि होने की संभावना दिखाई दे रही है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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मूंग एवं उड़द की फसल में आवश्यक है मोलिब्डेनम तत्व

Molybdenum element is essential in the crop of green and black gram
  • किसान भाइयों मोलिब्डेनम तत्व दलहनी फसलों के पौधों की जड़ों की गांठों में राइजोबियम बैक्टीरिया द्वारा सहजीवी नाइट्रोजन निर्धारण की प्रक्रिया के लिए आवश्यक होता है।

  • मोलिब्डेनम एक सूक्ष्म पोषक तत्व है जिसकी मूंग एवं उड़द की फसल को बहुत कम मात्रा में आवश्यकता होती है।

  • परंतु इसकी बहुत कम मात्रा भी मूंग एवं उड़द की फसल की अच्छी बढ़वार के लिए बहुत आवश्यक है।

  • मूंग एवं उड़द की फसल में मोलिब्डेनम तत्व नाइट्रोजन के रासायनिक परिवर्तन में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

  • यह पौधों की रोगरोधी क्षमता को बढ़ाता है l साथ ही पौधों में विटामिन-सी व शर्करा के संश्लेषण में सहायता करता है।

  • मोलिब्डेनम की कमी से ग्रस्त फसल का विकास सही से नहीं हो पाता है। 

  • पत्तियों के किनारों पर पीलापन आ जाता है, नई पत्तियां सूखने लगती है। सामान्यतः मोलिब्डेनम की कमी के लक्षण नाइट्रोजन की कमी के समान ही होते हैं।

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सतर्क रहें, नरवाई जलाना है होगा घातक

Burning crop residue is dangerous
  • किसान भाइयों खेत में फसल कटाई के बाद बचे फसल अवशेष ‘नरवाई’ को जलाने से मिट्टी में उपस्थित सूक्ष्मजीव एवं केंचुआ आदि जलकर नष्ट हो जाते हैं।

  • इसके कारण खेत की उर्वरता व जमीन की भौतिक दशा एवं रासायनिक क्रियाओं पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। जमीन कठोर हो जाती है, जिसके कारण जमीन की जल धारण क्षमता भी कम हो जाती है। 

  • नरवाई जलाना घातक है। इससे बचने के लिए किसान भाई निम्न कृषि यंत्रों का उपयोग कर सकते हैं –

  • कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रा रीपर का उपयोग करें इससे कटाई के साथ-साथ भूसा भी एकत्र होता रहता है।

  • रीपर कम बाइंडर से फसल अवशेष जड़ से समाप्त हो जाते हैं। 

  • सुपर सीडर एवं हैप्पी सीडर यंत्र से फसल कटाई के बाद यदि खेत में नमी है तो बुवाई भी की जा सकती है।

  • जीरो टिलेज सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल से नरवाई की अवस्था में भी बुवाई की जा सकती है। 

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