खेतों में उर्वरकों का प्रयोग करने से पहले अगर मिट्टी परीक्षण करवा लिया जाए और इसके परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर उर्वरक डाले जाएँ तो इससे हमें पता रहता कि हमें किस मात्रा में खाद का उपयोग करना है। इसलिए किसान अपने खेत का मिट्टी परीक्षण जरूर करवाएं। बहरहाल बहुत सारे किसान बुआई के समय आधार खाद का उपयोग हीं नहीं करते, वे अक्सर ये धारणा रखते हैं कि अभी गर्मी ज्यादा है तो खाद देना उचित नहीं होगा और बारिश होने पर देंगे लेकिन यह सोच गलत है। जड़ों का निर्माण, पौधे की वृद्धि और शाखाओं के निर्माण के लिए प्रारंभिक अवस्था में आधार खाद डालना अतिआवश्यक होता है, अन्यथा उत्पादन में भारी कमी हो जाएगी।
किसान गर्मियों के मौसम में आपने खाली खेत खेत की गहरी जुताई अवश्य करें, ताकि मिट्टी में मौजूद फफूंद और अन्य कीट का नियंत्रण किया जा सके, और साथ ही साथ मिट्टी भूरभूरी हो जाए जिससे इसकी जल धारण क्षमता अधिक हो जाए। उपलब्ध होने पर अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद/कम्पोस्ट को 4 से 5 टन प्रति एकड़ की दर से, अवश्य देना चाहिए।
इसके साथ हीं ग्रामोफ़ोन की “कपास समृद्धि किट” से मिट्टी उपचार करें। इस किट में कई जबरदस्त उत्पाद हैं, जो भूमि प्रबंधन को बेहतर बनाते हैं। इस किट में जिंक सॉल्युबलाइजिंग बैक्टेरिया, समुद्री शैवाल, एमिनो एसिड, ह्यूमिक एसिड, ट्राइकोडर्मा विरिडी और एनपीके बैक्टेरिया का कन्सोर्टिया है, जो फसल को संपूर्ण विकास व पोषण देने के साथ-साथ हानिकारक मिट्टीजनित कवक रोगों से भी सुरक्षा देते हैं।
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