धान की खेती के लिए भूमि की तैयारी क्यों आवश्यक है?

👉🏻किसान भाइयों धान की अच्छी पैदावार लेने के लिए खेत को सही से तैयार करना अति आवश्यक है। 

👉🏻अच्छी तरह से तैयार भूमि खरपतवार रहित होते हैं एवं जल धारण क्षमता भी अधिक होती है। 

👉🏻भूमि में पाए जाने वाले जैविक तत्व (केंचुआ) अच्छी तरह से काम करते हैं। इससे पौध का जड़ का विकास सही से होता है। 

👉🏻धान क फसल के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा 2-3 जुताई  कल्टीवेटर करके खेत तैयार करना चाहिए। इसके बाद खेत को मचाकर एक समान रूप से समतल कर लेना चाहिए। 

👉🏻खेत में चारों तरफ से मजबूत मेढ़ बंदी कर देनी चाहिए, जिससे की वर्षा जल को खेत में लम्बे समय तक संचित किया जा सके। 

👉🏻पडलिंग पद्धति द्वारा एक असामान्य खेत को समतल बनाया जाता है। 

👉🏻खेत में पानी की सामान्य गहराई को बनाए रखता है। 

👉🏻पानी की उपयोगिता को बढ़ाने के लिए भूमि का समतलीकरण अति आवश्यक है। 

👉🏻एक अच्छी जुताई से खेती योग्य भूमि में ऑक्सीजन की उपलब्धता बनी रहती है।

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सोयाबीन की बुवाई के बाद खरपतवार नियंत्रण के उपाय

यांत्रिक विधि:- सोयाबीन की बुवाई के 20-25 दिन बाद हाथों से पहली निराई-गुड़ाई करें एवं दूसरी निराई-गुड़ाई बुवाई के 40-45 दिनों की अवस्था पर करें।

चौड़ी और सकरी पत्ती के खरपतवार के लिए:- सोयाबीन उगने के 12 – 20 दिन बाद तथा 2 – 4 पत्ती वाली अवस्था में मिट्टी में पर्याप्त नमी के साथ शकेद (प्रोपाक्विजाफोप 2.5% + इमाज़ेथापायर 3.75% डब्ल्यूपी) @ 800 मिली या वीडब्लॉक, एस्पायर (इमाज़ेथापायर 10% एसएल) @ 400 मिली प्रति एकड़ 150-200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

सकरी पत्ती के खरपतवार के लिए 

सोयाबीन के उगने के बाद 20-40 दिन की अवस्था में, टरगा सुपर (क्यूजालोफाप इथाइल 5% ईसी) @ 400 मिली या गैलेन्ट (हेलोक्सीफॉप आर मिथाइल 10.5% ईसी) @ 400 मिली प्रति एकड़ 150-200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। छिड़काव के समय खेत में नमी अवश्य रखे एवं फ्लैट फेन नोजल का प्रयोग करें।

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अब बारिश के लिए 2 दिन करना होगा इंतजार, देखें मौसम पूर्वानुमान

know the weather forecast,

अब उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश तथा मध्य भारत में मध्य प्रदेश उत्तरी गुजरात तथा उत्तरी छत्तीसगढ़ के अधिकांश भागों का मौसम शुष्क हो जाएगा। तापमान बढ़ने लगेंगे। 26 और 27 जून से हल्की मेघ गर्जना शुरू होगी तथा 28 जून से कई राज्यों में बारिश बढ़ेगी। 28 से 30 जून के बीच मानसून दिल्ली सहित उत्तराखंड, पंजाब और हरियाणा के पूर्वी जिलों तक पहुंच जाएगा। पूर्वी, पूर्वोत्तर तथा दक्षिण भारत में बारिश की गतिविधियों में थोड़ी कमी आ सकती है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

मौसम सम्बंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। आज की जानकारी पसंद आई हो तो लाइक और शेयर जरूर करें।

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देश के विभिन्न मंडियों में 23 जून को क्या रहे फलों और फसलों के भाव?

Todays Mandi Rates

देश के विभिन्न शहरों में फलों और फसलों की कीमतें क्या हैं?

मंडी

फसल

न्यूनतम मूल्य (किलोग्राम में)

अधिकतम मूल्य (किलोग्राम में)

लखनऊ

प्याज़

9

10

लखनऊ

प्याज़

10

11

लखनऊ

प्याज़

12

14

लखनऊ

प्याज़

15

17

लखनऊ

प्याज़

11

13

लखनऊ

प्याज़

16

17

लखनऊ

प्याज़

17

18

लखनऊ

लहसुन

10

लखनऊ

लहसुन

20

24

लखनऊ

लहसुन

25

30

लखनऊ

लहसुन

35

40

लखनऊ

आलू

14

16

लखनऊ

अदरक

28

लखनऊ

आम

28

35

लखनऊ

अनन्नास

25

30

लखनऊ

मोसम्बी

30

32

लखनऊ

हरा नारियल

36

40

गुवाहाटी

प्याज़

11

गुवाहाटी

प्याज़

13

गुवाहाटी

प्याज़

14

गुवाहाटी

प्याज़

15

गुवाहाटी

प्याज़

11

गुवाहाटी

प्याज़

12

गुवाहाटी

प्याज़

13

गुवाहाटी

प्याज़

14

गुवाहाटी

प्याज़

15

गुवाहाटी

प्याज़

19

गुवाहाटी

प्याज़

20

गुवाहाटी

प्याज़

22

गुवाहाटी

लहसुन

22

27

गुवाहाटी

लहसुन

28

34

गुवाहाटी

लहसुन

34

40

गुवाहाटी

लहसुन

40

42

गुवाहाटी

लहसुन

23

26

गुवाहाटी

लहसुन

27

33

गुवाहाटी

लहसुन

34

40

गुवाहाटी

लहसुन

40

42

जयपुर

अनन्नास

52

55

जयपुर

सेब

105

जयपुर

नींबू

28

29

जयपुर

आम

32

35

जयपुर

नींबू

40

जयपुर

नींबू

40

जयपुर

अदरक

30

जयपुर

हरा नारियल

35

जयपुर

आलू

13

15

वाराणसी

आलू

15

16

वाराणसी

अदरक

38

40

वाराणसी

आम

30

40

वाराणसी

आम

45

50

वाराणसी

आम

35

36

वाराणसी

अनन्नास

20

30

वाराणसी

प्याज़

10

वाराणसी

प्याज़

12

14

वाराणसी

प्याज़

14

15

वाराणसी

प्याज़

15

16

वाराणसी

प्याज़

11

वाराणसी

प्याज़

12

14

वाराणसी

प्याज़

14

15

वाराणसी

प्याज़

15

16

वाराणसी

लहसुन

12

18

वाराणसी

लहसुन

15

22

वाराणसी

लहसुन

20

30

वाराणसी

लहसुन

30

35

रतलाम

प्याज़

3

6

रतलाम

प्याज़

6

9

रतलाम

प्याज़

9

12

रतलाम

प्याज़

10

14

रतलाम

लहसुन

7

11

रतलाम

लहसुन

12

21

रतलाम

लहसुन

20

34

रतलाम

लहसुन

33

39

गुवाहाटी

प्याज़

11

गुवाहाटी

प्याज़

12

गुवाहाटी

प्याज़

14

गुवाहाटी

प्याज़

10

गुवाहाटी

प्याज़

12

गुवाहाटी

प्याज़

13

गुवाहाटी

प्याज़

18

गुवाहाटी

प्याज़

13

गुवाहाटी

प्याज़

18

गुवाहाटी

प्याज़

20

गुवाहाटी

प्याज़

21

गुवाहाटी

लहसुन

20

25

गुवाहाटी

लहसुन

28

33

गुवाहाटी

लहसुन

34

38

गुवाहाटी

लहसुन

38

42

गुवाहाटी

लहसुन

20

25

गुवाहाटी

लहसुन

28

34

गुवाहाटी

लहसुन

35

40

गुवाहाटी

लहसुन

40

42

गुवाहाटी

अदरक

28

30

गुवाहाटी

आलू

17

19

गुवाहाटी

आलू

21

22

गुवाहाटी

नींबू

48

गुवाहाटी

आम

35

आगरा

नींबू

30

35

आगरा

कटहल

10

12

आगरा

अनन्नास

22

23

आगरा

तरबूज

4

5

आगरा

आम

25

40

आगरा

नींबू

45

48

आगरा

पत्ता गोभी

12

13

आगरा

शिमला मिर्च

20

25

जयपुर

प्याज़

11

12

जयपुर

प्याज़

13

14

जयपुर

प्याज़

15

16

जयपुर

प्याज़

4

5

जयपुर

प्याज़

6

7

जयपुर

प्याज़

8

9

जयपुर

प्याज़

10

11

जयपुर

लहसुन

12

15

जयपुर

लहसुन

18

22

जयपुर

लहसुन

28

35

जयपुर

लहसुन

38

45

जयपुर

लहसुन

10

12

जयपुर

लहसुन

15

18

जयपुर

लहसुन

22

25

जयपुर

लहसुन

30

35

सिलीगुड़ी

प्याज़

10

सिलीगुड़ी

प्याज़

12

सिलीगुड़ी

प्याज़

16

सिलीगुड़ी

प्याज़

18

19

सिलीगुड़ी

प्याज़

10

सिलीगुड़ी

प्याज़

14

सिलीगुड़ी

प्याज़

16

सिलीगुड़ी

प्याज़

18

सिलीगुड़ी

प्याज़

17

सिलीगुड़ी

प्याज़

19

सिलीगुड़ी

लहसुन

17

सिलीगुड़ी

लहसुन

26

सिलीगुड़ी

लहसुन

35

सिलीगुड़ी

लहसुन

38

सिलीगुड़ी

अदरक

20

सिलीगुड़ी

अनन्नास

45

सिलीगुड़ी

आम

40

45

सिलीगुड़ी

आम

40

50

सिलीगुड़ी

आलू

18

कानपुर

प्याज़

9

कानपुर

प्याज़

12

कानपुर

प्याज़

14

15

कानपुर

प्याज़

19

कानपुर

लहसुन

10

11

कानपुर

लहसुन

20

कानपुर

लहसुन

25

28

कानपुर

लहसुन

35

38

कोलकाता

आलू

22

कोलकाता

अदरक

34

कोलकाता

प्याज़

9

कोलकाता

प्याज़

12

कोलकाता

प्याज़

14

कोलकाता

लहसुन

16

कोलकाता

लहसुन

34

कोलकाता

लहसुन

48

कोलकाता

तरबूज

16

कोलकाता

अनन्नास

45

55

कोलकाता

सेब

135

145

कोलकाता

आम

65

75

कोलकाता

लीची

45

50

कोलकाता

नींबू

50

60

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महोगनी की खेती से करें करोड़ों की कमाई, जानें इसके फायदे

कम समय में लाखों की कमाई करने के लिए महोगनी की खेती एक बढ़िया विकल्प है। यह एक ऐसा पेड़ है जिसकी लकड़ी के अलावा पत्ती, फूल, बीज और छाल सभी बाजार में अच्छी कीमतों पर बिकते हैं। महोगनी की लकड़ी मजबूत और काफी लंबे समय तक टिकने वाली मानी जाती है, जिस कारण बाजार में इसकी काफी मांग है।

महोगनी पेड़ की उपयोगिता

महोगनी की लकड़ी का इस्तेमाल प्लाईवुड, फर्नीचर, सजावट की चीजें बनाने से लेकर जहाज़ बनाने में किया जाता है। इसके साथ ही इसकी पत्ती और छाल का प्रयोग औषधी के रूप में भी किया जाता है। ये ब्लड प्रेशर, अस्थमा, सर्दी और मधुमेह जैसी घातक बीमारियों के खिलाफ काफी असरदार है। इसके अलावा इसकी पत्तियों व छाल से बने तेल का इस्तेमाल मच्छर और कीट भगाने के लिए भी किया जाता है। इस कारण व्यापारिक दृष्टिकोण से भी महोगनी की खेती सबसे बेहतर विकल्प है।

महोगनी की खेती से आमदनी

एक बार में महोगनी के 1200 से 1500 पेड़ लगाकर किसान भाई करोड़ों की कमाई कर सकते हैं। महोगनी का पेड़ 12 से 15 साल में कटाई के लिए तैयार हो जाता है। जिसकी लकड़ियों को 2000 से 2200 रूपए प्रति क्विंटल के हिसाब से थोक में आसानी से बेचा जा सकता है। इसके साथ ही महोगनी के बीज और फूल को बाजार में बेचकर बढ़िया मुनाफा कमाया जा सकता है।

स्रोत : आज तक

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मध्यप्रदेश की चुनिंदा मंडियों में क्या चल रहे चने के भाव?

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे छिंदवाड़ा, देवास, खंडवा, खातेगांव, धार और मनावर आदि में क्या चल रहे हैं चने के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में चना के ताजा मंडी भाव

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

खंडवा

3600

4201

भीकनगांव

4000

4200

सनावद

4060

4740

धार

3500

4575

मनावर

4100

4100

खाचरौद

4061

4061

खातेगांव

3120

4349

अशोकनगर

4030

4503

कटनी

4340

4539

छिंदवाड़ा

4000

4390

गैरतगंज

4200

4450

बेगमगंज

3700

4390

लटेरी

4155

4375

खिरकिया

3700

4316

टिमरनी

3870

4241

स्रोत: मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड

अब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपने चना जैसी फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें। लेख पसंद आया हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।

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मध्यप्रदेश की चुनिंदा मंडियों में क्या चल रहे प्याज़ के भाव?

onion Mandi Bhaw

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे मन्दसौर, बदनावर, आष्टा, हरदा, खंडवा, देवास, मनावर और बड़वाह आदि में क्या चल रहे हैं प्याज़ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में प्याज़ के ताजा मंडी भाव

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

आष्टा

150

1202

बदनावर

500

1600

बड़वाह

850

1250

देवास

200

500

हरदा

600

800

कालापीपल

110

1250

खंडवा

300

1000

मनावर

900

1100

मन्दसौर

200

1315

पिपरिया

400

1400

रतलाम

370

1521

सैलान

199

1303

सांवेर

900

1200

शुजालपुर

500

1401

सिंगरोली

1000

1000

स्रोत: एगमार्कनेट

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मध्य प्रदेश की मंडियों में गेहूँ भाव में दिखी कितनी तेजी?

wheat mandi rates

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे मंदसौर, रतलाम, खातेगांव, खरगोन, लटेरी, आलमपुर, अमरपाटन और अजयगढ़ आदि में क्या चल रहे हैं गेहूँ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में गेहूं के ताजा मंडी भाव

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अजयगढ़

1900

1915

आलमपुर

1950

1980

अमरपाटन

1900

2100

आष्टा

2042

2391

आष्टा

2040

2525

आष्टा

2561

2702

आष्टा

1801

1878

आष्टा

1925

1991

बड़नगर

1850

2300

बड़नगर

1856

2250

बदनावर

1800

2445

बड़वाह

1987

2100

बकतरा

2000

2019

बेरछा

2050

2050

भानपुरा

2015

2015

भीगनगांव

1885

2148

बीना

1800

2105

बुरहानपुर

1965

2098

छिंदवाड़ा

1870

2160

गदरवाड़ा

1600

1898

गोरखपुर

1800

1850

हरपालपुर

1890

2000

कालापीपल

1850

1950

कालापीपल

1800

1920

कालापीपल

1850

2110

करेरा

1980

2115

करही

1980

2030

खनियाधाना

1805

1920

खरगोन

1900

2188

खातेगांव

1820

2130

खुजनेर

1750

1915

कोलारस

1868

1951

लटेरी

1700

1975

लटेरी

2380

2380

लटेरी

2000

2115

मन्दसौर

1850

2191

पचौर

1800

2200

पन्ना

1840

1880

पथरिया

1810

1914

पवई

1900

1900

रतलाम

2020

2401

रतलाम

2570

2570

सनावद

1814

2075

सांवेर

1805

2022

सेमरी हरचंद

1625

1965

शाहगढ़

1870

1912

श्योपुरबडोद

1860

1960

सिमरिया

1750

1850

सिंगरोली

1850

1850

स्रोत: एगमार्कनेट

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अब गोबर से भी होगी बढ़िया आमदनी, पशुपालकों के लिए हुई खास योजना लागू

राजस्थान सरकार ने प्रदेश में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए ‘देवनारायण पशुपालक योजना’ की शुरूआत कर दी है। इस अनूठी योजना के तहत 501 आवासों का आंवटन किया गया है। इस योजना के लिए करीब 300 करोड़ रूपए खर्च किए गए हैं, जिसमें 15 हजार मवेशियों के रहने की व्यवस्था की गई है। 

पशुपालकों के लिए क्या है खास ?

इस योजना की खास बात यह है कि यहां रहने वाले पशुपालक दूध के अलावा अब गोबर भी बेच सकेंगे। इसके लिए पशुपालकों को एक रूपए प्रति किलो गोबर के हिसाब से भुगतान किया जाएगा। इसके साथ ही डेयरी व्यवसाय के लिए भी यहां विशेष प्रावधान किए गए हैं। इसमें मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट, बायोगैस प्लांट, पशु चिकित्सा और पशु मेला मैदान की व्यवस्था की गई है, ताकि पशुपालकों को किसी तरह की कोई परेशानी न हो।

इसके साथ ही पशुपालकों और उनके परिवार के सामाजिक, शैक्षणिक एवं आर्थिक विकास के लिए यहां पर सभी जरूरी व्यवस्थाएं की गई हैं। इसके अंतर्गत अंग्रेजी माध्यम स्कूल, चिकित्सालय, दुग्ध मंडी, हाट बाजार, आवागमन के लिए बस, सोसाइटी कार्यालय और पुलिस चौकी का निर्माण किया गया है। 

स्रोत: टीवी9भारतवर्ष

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जानिए, टमाटर की फसल में स्टेकिंग (सहारा देने की विधि) आवश्यकता क्यों?

टमाटर का पौधा एक तरह की लता होती है, जिसके कारण पौधे फलों का भार सहन नहीं कर पाते हैं और नमी की अवस्था में मिट्टी के संपर्क में रहने से सड़ जाते हैं। जिस कारण से फसल नष्ट हो जाती हैं। इससे किसान को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। साथ ही पौधे के नीचे गिरने से कीट और बीमारी भी अधिक लगती हैं। इसलिए टमाटर को नीचे गिरने से बचाने के लिए तार से बांध कर सुरक्षित रखते हैं।

मेड़ के किनारे-किनारे दस फीट की दूरी पर दस फीट ऊंचे बांस के डंडे खड़े कर दिए जाते हैं। इन डंडों पर दो-दो फीट की ऊंचाई पर लोहे का तार बांधा जाता है। उसके बाद पौधों को सुतली की सहायता से उन्हें तार से बांध दिया जाता है जिससे ये पौधे ऊपर की ओर बढ़ते हैं। इन पौधों की ऊंचाई आठ फीट तक हो जाती है, इससे न सिर्फ पौधा मज़बूत होता है, फल भी बेहतर होता है। साथ ही फल सड़ने से भी बच जाता है।

स्टेकिंग लगाने का तरीका और फायदे:-

👉🏻 स्टेकिंग करने के लिए, मेड़ के किनारे-किनारे 10 फीट की दूरी पर 10 फीट ऊंचे बांस के डंडे खड़े कर दिए जाते है। 

👉🏻इन डंडे पर 2-2 फीट की ऊंचाई पर लोहे का तार बांध दिया जाता है। उसके बाद पौधों को सुतली  की सहायता से उन्हें तार से बांध दिया जाता है, जिससे ये पौधे ऊपर की और बढ़ते हैं।

👉🏻पौधों की ऊंचाई 5-8 फीट तक हो जाती हैं, इससे न सिर्फ पौधा मजबूत होता है, बल्कि फल भी बेहतर होता है। साथ ही फल सड़ने से भी बच जाता है। इस विधि से खेती करने पर पारम्परिक खेती की तुलना में अधिक लाभ प्राप्त कर सकते है। 

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