भंडारित अनाज में लगने वाले प्रमुख कीट एवं रोकथाम के उपाय

Major insect pests in stored crops
  • फसल कटाई के बाद सबसे आवश्यक कार्य अनाज भंडारण का होता है। 

  • वैज्ञानिक विधि द्वारा अनाज भंडारण करने से अनाज को लम्बे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है l प्राय: खाद्यान्नों में लगने वाले कीट कोलिओप्टेरा एवं लेपिडोप्टेरा गण के होते हैं जो भंडारित अनाज में अधिक नमी और तापमान की दशा में अधिक हानि पहुँचाते है। 

  • अनाज भंडारण के समय लगने वाले प्रमुख कीट अनाज का छोटा बेधक, खपड़ा बीटल, आटे का लाल भृंग, दालों का भृंग, अनाज का पतंगा, चावल का पतंगा आदि प्रकार कीट भंडारण के दौरान अनाज को नुकसान पहुंचाते है l 

  • यह सभी कीट भंडारण के दौरान अनाज को खाकर खोखला कर देते है। जिससे उपज का बाजार मूल्य प्रभावित होता है l 

  • इन कीटो से अनाज को सुरक्षित रखने के लिए भंडारण करने के पहले गोदामों की अच्छी प्रकार से साफ-सफाई करें, एवं नीम की पत्तियां जलाकर, भण्डार गृह में धुआँ करें।

  • अनाज को अच्छी तरह से सुखाकर ही भंडारित करें एवं भंडारित करते समय रसायन ग्रेन गोल्ड 1 एम्पुल प्रति क्विंटल अनाज की दर से उपयोग करें l

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जाने क्या है जिंक सोल्यूबिलाइजिंग बैक्टीरिया के कार्य?

Know what is the function of zinc solubilizing bacteria
  • किसान भाइयों ज़िंक सोलुब्लाइज़िंग बैक्टीरिया सबसे महत्वपूर्ण बैक्टीरिया कल्चर है।

  • यह बैक्टीरया मिट्टी में मौजूद अघुलनशील ज़िंक को घुलनशील रूप में पौधों को उपलब्ध कराता है। यह पौधों के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्वों में से एक है।

  • इसका उपयोग मृदा उपचार, बीज उपचार एवं छिड़काव के रूप में भी कर सकते है l

  • मृदा उपचार करने के लिए 4 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से 50-100 किलोग्राम पकी हुई गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट में मिलाकर बुवाई के पहले खेत में भुरकाव करें। 

  • बीज़ उपचार के लिए 5-10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज उपचार करें। 

  • बुवाई के बाद छिड़काव के रूप में 500 ग्राम – 1 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें। 

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मध्य भारत में बारिश और पहाड़ों पर हिमपात के आसार, देखें मौसम पूर्वानुमान

know the weather forecast,

4 फरवरी से लेकर 21 फरवरी के बीच तीन पश्चिमी विक्षोभ पहाड़ों को प्रभावित करेंगे। दिल्ली सहित पंजाब हरियाणा राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश में दिन के तापमान बढ़ेंगे। उत्तर पूर्वी राज्यों में हल्की बारिश तथा दक्षिणी तमिलनाडु केरल लक्षद्वीप और अंडमान में भी हल्की बारिश संभव है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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सरकार देगी 15 लाख लाख रूपये, किसान शुरू कर सकते हैं कृषि व्यवसाय

Pradhan Mantri Kisan FPO Scheme

किसानों की आमदनी में वृद्धि करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार कई योजनाएं चला रही है। ऐसी ही एक महत्वपूर्ण योजना है प्रधान मंत्री किसान एफपीओ योजना जिसके अंतर्गत किसानों को कृषि से संबंधित व्यवसाय शुरू करने के लिए राशि उपलब्ध कराई जाती है।

किसानों को नया कृषि से सम्बंधित बिजनेस शुरू करने के लिए इस योजना के तहत 15 लाख रुपये मुहैया कराई जाती है। इस योजना के अंतर्गत फॉर्मर्स प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन को 15 लाख रुपये उपलब्ध कराये जाएंगे।

इस योजना के माध्यम से सम्पूर्ण देश के किसानों को नया कृषि से सम्बंधित बिजनेस शुरू करने के लिए वित्तीय मदद दी जाएगी। इस योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के लिए 11 किसान मिलकर एक संगठन या कंपनी बना सकते हैं। इसके अंतर्गत किसानों को कृषि से संबंधित उपकरण या फर्टिलाइजर्स, बीज या दवाएं पाने में काफी आसानी होगी।

स्रोत: कृषि जागरण

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प्याज भाव में तेजी कायम, देखें 12 फरवरी को इंदौर मंडी में क्या रहे भाव?

Indore onion Mandi Bhaw

वीडियो के माध्यम से जानें आज यानी 12 फरवरी के दिन इंदौर के मंडी में क्या रहे प्याज के मंडी भाव?

वीडियो स्रोत: यूट्यूब

अब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी लहसुन-प्याज जैसी फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें।

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चंदन की खेती से बनें लखपति, कमाएं 60 लाख हर महीने

Become a millionaire by cultivating sandalwood

हर महीने 60 लाख रूपए तक की कमाई सुनकर आपको यकीन नहीं आ रहा होगा पर ये सच है। आप यह कमाई चन्दन की खेती कर के कमा सकते हैं। चंदन की मांग ना सिर्फ अपने देश में बल्कि विदेशों में भी खूब रहती है। इसीलिए इसकी खेती से अच्छा मुनाफा अर्जित किया जा सकता है।

ऐसे कई किसान हैं जो चंदन की खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं। इनमे से एक किसान हैं उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के निवासी उत्कृष्ट पांडेय। इन्होने महज 1 लाख रूपए से चंदन का व्यापार शुरू किया और उनकी मासिक आमदनी 60 से 80 लाख रूपए हो गई है।

हरियाणा के सुरेंद्र ने भी सिर्फ 1 लाख रूपए से चंदन की खेती शुरू की वो भी बहुत ही छोटे स्तर पर। उन्हें भी बेहद कम समय में अच्छा मुनाफा मिलने लगा। सुरेंद्र और उत्कृष्ट की तरह ही कई उदाहरण है जो ऐसा कर रहे हैं।

बता दें की चंदन की खेती दो तरह से होती है जिनमे एक परंपरागत तरीका है और दूसरा ऑर्गोनिक तरीका है। भारत चंदन की लकड़ी की कीमत 8 से 10 हजार रूपए वहीं विदेशों में 20 से 22 हजार रूपए होती है।

स्रोत: कृषि जागरण

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तरबूज की फसल में समृद्धि किट डालें और जबरदस्त उपज निकालें

Add Samriddhi kit to watermelon crop and extract tremendous yield
  • तरबूज की फसल के लिए तैयार किये गए समृद्धि किट में एनपीके बैक्टीरिया का कंसोर्टिया (टी बी 3), जिंक सोल्यूब्लाज़िंग बैक्टेरिया (ताबा जी), समुद्री शैवाल, अमीनो अम्ल, ह्यूमिक अम्ल और माइकोराइजा (मैक्समायको) व ट्राइकोडर्मा विरिडी (कॉम्बैट) सम्मिलित है जो फसल के बेहतर उपज में सहायक होता है।

आइये इस किट के उत्पादों को विस्तार से जानते हैं

  • टी बी 3 – इस उत्पाद में तीन प्रकार के बैक्टीरिया नाइट्रोजन फिक्सेशन, फॉस्फोरस घुलनशील, पोटाश मोबीलाइसिंग बैक्टीरिया को शामिल किया गया है। यह मिट्टी एवं फसल में तीन प्रमुख तत्व नाइट्रोजन, पोटाश और फास्फोरस की पूर्ति में सहायक होता है।

  • ताबा जी – इसमें उपलब्ध बैक्टीरिया मिट्टी में मौजूद अघुलनशील जिंक को घुलनशील में परिवर्तित करता है और पौधों को उपलब्ध करवाता है। जिंक पौधों की वृद्धि के लिए सबसे महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्वों में से एक है।

  • मैक्समायको – इसमें उपलब्ध समुद्री शैवाल, अमीनो अम्ल, ह्यूमिक अम्ल फूलों और फलों की संख्या बढ़ाते हैं। पौधे की कमजोरियों को दूर कर मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाते हैं।

  • माइकोराइजा पौधे की जड़ों और उनके आस-पास की मिट्टी के बीच एक अच्छा संबंध बनाता है, जो कवक को पौधे के लिए नाइट्रोजन और फास्फोरस जैसे पोषक तत्वों को बढ़ाने और जड़ों के विकास में सहायक होता है।

  • कॉम्बैट- यह एक जैविक कवकनाशी है जो मिट्टी और बीज द्वारा होने वाले रोगजनकों को मारता है जिसकी वजह से जड़ सड़न, तना गलन, उकठा रोग जैसी गंभीर बीमारियों से रोकथाम करता है साथ ही जड़ विकास को तेज करता है।

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गेहूँ में रतुआ या गेरुआ रोग की रोकथाम के उपाय

Management of rust disease in wheat

  • किसान भाइयों गेहूँ की फसल में मुख्यतः देखा जाने वाला प्रमुख रोग है रतुआ या गेरुआ रोग l यह पक्सीनिया रिकोंडिटा ट्रिटिसाई नामक फफूंद से होता है यह 3 प्रकार का भूरा रतुआ, पीला रतुआ या काला रतुआ होता है। 

  • इस रोग की पहचान यह है कि शुरुआती अवस्था में इस रोग के लक्षण नारंगी रंग के धब्बे पत्तियों की ऊपरी सतह पर उभरते हैं जो बाद में और घने होकर पूरी पत्तियों पर फैल जाते हैं। 

  • रोगी पत्तियां जल्दी सुख जाती हैं जिससे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में बाधा आती है और दाना हल्का बनता है। तापमान बढ़ने की स्थिति में इन धब्बों का रंग, पत्तियों की निचली सतह पर काला हो जाता है।  

  • इस रोग के रासायनिक नियंत्रण के लिए हेक्साकोनाजोल 5% एससी @ 400 मिली या प्रोपिकोनाज़ोल 25% ईसी @ 200 मिली या टेबुकोनाज़ोल 25.9% ईसी @ 200 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।  

  • जैविक नियंत्रण के लिए ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

फसल की बुआई के साथ ही अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

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कम कृषि खर्च में किसान हुआ मालामाल, ग्रामोफ़ोन ने खेती बना दी आसान

Gramophone made farming easier

आज के इस वीडियो के माध्यम से हम देखेंगे कि कैसे किसान श्री तूफान सिंह देवड़ा जी ने प्याज, लहसुन एवं आलू की फसल में समृद्धि किट का उपयोग कर स्वस्थ एवं गुणवत्तायुक्त जबरदस्त पैदावार प्राप्त की है। वीडियो के माध्यम से देखें पूरी कहानी।

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कुछ क्षेत्रों बारिश और कुछ क्षेत्र रहेंगे शुष्क, देखें मौसम पूर्वानुमान

Weather Forecast

फरवरी के महीने में लगातार तीन पश्चिमी विक्षोभ आने से कई राज्यों में बारिश तथा बेमौसम बारिश हुई पहाड़ों पर भारी हिमपात हुआ। अब इन पश्चिमी विक्षोभ के ऊपर ब्रेक लगेगा तथा अगले 1 सप्ताह तक कोई बहुत सशक्त पश्चिमी विक्षोभ नहीं आएगा। उत्तर पश्चिम, मध्य तथा पूर्वी भारत का मौसम शुष्क रहेगा। उत्तर के साथ-साथ तमिलनाडु और केरल में बारिश संभव है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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