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किसान भाइयों गेहूँ की फसल में मुख्यतः देखा जाने वाला प्रमुख रोग है रतुआ या गेरुआ रोग l यह पक्सीनिया रिकोंडिटा ट्रिटिसाई नामक फफूंद से होता है यह 3 प्रकार का भूरा रतुआ, पीला रतुआ या काला रतुआ होता है।
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इस रोग की पहचान यह है कि शुरुआती अवस्था में इस रोग के लक्षण नारंगी रंग के धब्बे पत्तियों की ऊपरी सतह पर उभरते हैं जो बाद में और घने होकर पूरी पत्तियों पर फैल जाते हैं।
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रोगी पत्तियां जल्दी सुख जाती हैं जिससे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में बाधा आती है और दाना हल्का बनता है। तापमान बढ़ने की स्थिति में इन धब्बों का रंग, पत्तियों की निचली सतह पर काला हो जाता है।
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इस रोग के रासायनिक नियंत्रण के लिए हेक्साकोनाजोल 5% एससी @ 400 मिली या प्रोपिकोनाज़ोल 25% ईसी @ 200 मिली या टेबुकोनाज़ोल 25.9% ईसी @ 200 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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जैविक नियंत्रण के लिए ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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