मध्य प्रदेश में बन रहा है शहद हब, किसानों को होगा फायदा

Honey hub is being built in Madhya Pradesh

मध्य प्रदेश के मुरैना में शहद उत्पादन का हब बनाने की योजना हैं। यह योजना मुरैना जिले के देवरी गांव में नेफेड द्वारा राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एन.बी.बी.) के सहयोग से, राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन (एन.बी.एच.एम.) के अंतर्गत प्रारंभ की जाने वाली है।

यहाँ शहद व मधुमक्खीपालन के अन्य दूसरे उत्पादों के प्रसंस्करण व गुणवत्ता परीक्षण हेतु प्रयोगशाला का निर्माण होगा जिसके लिए भूमि पूजन किया गया। यह भूमि पूजन केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया।

केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने इस दौरान कहा कि “शहद उत्पादन में मध्य प्रदेश का मुरैना अग्रणी हैं। यहां लगभग 6 हजार मधुमक्खी पालक व 1 लाख मधुमक्खियों के बक्सों की संख्या है, जिससे 3 हजार टन शहद उत्पादन होता है। नेफेड के जरिये केंद्र सरकार ने यहाँ एक एफ.पी.ओ. बनाया है।” मीठी क्रांति को आगे बढ़ाने का जिम्मा लेने के लिए कृषि मंत्री श्री तोमर ने नेफेड को बधाई व शुभकामनाएं दी।

स्रोत: कृषक जगत

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सरकार किसानों को देगी 15 लाख रुपये, जानें आवेदन की पूरी प्रक्रिया

Government will give 15 lakh rupees to farmers

किसानों को नया कृषि से सम्बंधित बिजनेस शुरू करने के लिए 15 लाख रुपये मुहैया कराएगी। किसानों को यह वित्तीय मदद पीएम किसान एफपीओ योजना के अंतर्गत मिल सकती है। इस योजना के अंतर्गत फॉर्मर्स प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन को 15 लाख रुपये उपलब्ध कराये जाएंगे।

इस योजना के माध्यम से सम्पूर्ण देश के किसानों को नया कृषि से सम्बंधित बिजनेस शुरू करने के लिए वित्तीय मदद दी जाएगी। इस योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के लिए 11 किसान मिलकर एक संगठन या कंपनी बना सकते हैं। इसके अंतर्गत किसानों को कृषि से संबंधित उपकरण या फर्टिलाइजर्स, बीज या दवाएं पाने में काफी आसानी होगी।

स्रोत: इंडिया डॉट कॉम

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सोयाबीन को काफी नुकसान पहुंचाएगी पत्ती खाने वाली ये इल्ली, जानें नियंत्रण विधि

How to control leaf eating caterpillar in soybean crop

इस कीट के लार्वा पत्ती पर आक्रमण करते हैं और पत्ती के नरम ऊतकों (भागों) को खाकर नुकसान पहुंचाते हैं। यह इल्ली एक पत्ती को खाने के बाद नई पत्तियों पर भी आक्रमण करती है फलस्वरूप यह इल्ली 40-50% सोयाबीन की फसल को नुकसान पहुंचाती हैं। जब सोयाबीन की फसल को अलग से यूरिया दी जाती है तो सोयाबीन की फसल में इल्ली के हमले की संभावना अधिक हो जाती है।

सोयाबीन की फसल को इस इल्ली से बचाने के लिए यांत्रिक, रसायनिक एवं जैविक
विधियों से रोकथाम की जा सकती है।

यांत्रिक नियंत्रण: सोयाबीन की बुआई के पहले गर्मियों में खेत की गहरी जुताई करें। इससे इस इल्ली के प्यूपा ज़मीन में ही नष्ट हो जाएंगे। मानसून पूर्व बुवाई ना करें क्योंकि इससे इल्ली को अपनी संख्या बढ़ाने के लिए उचित तापमान मिल जाता है। फसल की बहुत अधिक घनी बुवाई ना करें। यदि कोई संक्रमित पौधा दिखाई से तो उसे उखाड़ कर नष्ट कर दें। इल्ली के अच्छे नियंत्रण के लिए खेत में 10 नग प्रति एकड़ की दर से फेरामोन ट्रैप स्थापित करें और इस ट्रैप में लगने वाले ल्युर को हर 3 सप्ताह के अंतराल से बदलते रहें।

रासायनिक नियंत्रण: प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC @ 400 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @ 100 ग्राम/एकड़ या फ्लूबेण्डामाइड 20% WG @ 100 ग्राम/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC @ 60 मिली/एकड़ का छिड़काव करें।

जैविक नियंत्रण: बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

फसल की बुआई के साथ ही अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

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5 जुलाई को मध्य प्रदेश की मंडियों में क्या रहे अलग अलग फसलों के भाव

Mandi Bhaw Madhya Pradesh

मंडी

फसल

न्यूनतम

अधिकतम

मॉडल

रतलाम _(नामली मंडी)

गेहूँ लोकवन

1666

1871

1730

रतलाम _(नामली मंडी)

यलो सोयाबीन

6300

7426

7150

हरसूद

सोयाबीन

7370

7519

7331

हरसूद

गेहूँ

1661

1683

1671

हरसूद

तूवर

5000

5000

5000

हरसूद

मूंग

4800

5999

5751

हरसूद

चना

3501

4410

4201

हरसूद

सरसो

5400

5400

5400

रतलाम _(सेलाना मंडी)

सोयाबीन

7000

7930

7450

रतलाम _(सेलाना मंडी)

गेहूँ

1600

1965

1782

रतलाम _(सेलाना मंडी)

चना

4525

4600

4562

रतलाम _(सेलाना मंडी)

डॉलर चना

6000

6000

6000

रतलाम _(सेलाना मंडी)

मटर

3500

4599

4049

रतलाम _(सेलाना मंडी)

मेधी दाना

5699

6470

6084

रतलाम _(नामली मंडी)

लहसून

1500

9090

5000

रतलाम _(सेलाना मंडी)

प्याज

560

2100

1330

रतलाम _(सेलाना मंडी)

लहसून

1471

8900

5185

रतलाम_एपीएमसी

प्याज

720

2045

1380

रतलाम_एपीएमसी

लहसून

800

8282

4100

अब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी फसल की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें।

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5 जुलाई को इंदौर मंडी में क्या रहे प्याज, लहसुन और आलू के भाव?

Indore Mandi Bhaw

वीडियो के माध्यम से जानें आज यानी 5 जुलाई के दिन इंदौर के मंडी में क्या रहे प्याज, आलू और लहसुन के मंडी भाव?

वीडियो स्रोत: यूट्यूब

अब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी लहसुन-प्याज जैसी फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें।

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अगले 7 दिन मध्यप्रदेश में कैसा रहेगा मौसम, कहाँ कहाँ होगी बारिश?

Weekly Madhyapradesh weather update

वीडियो के माध्यम से जानें कैसा रहेगा मध्यप्रदेश में मौसम का हाल पूरे सप्ताह।

वीडियो स्रोत: मौसम तक

मौसम सम्बंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। नीचे दिए गए शेयर बटन को क्लिक कर इस लेख को अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

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मध्य प्रदेश के किसान भी कर पाएंगे नैनो यूरिया का इस्तेमाल, होगा लाभ

Farmers of Madhya Pradesh will also be able to use Nano Urea

अब मध्य प्रदेश के किसानों को भी इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (IFFCO) द्वारा बनाये गए नैनो यूरिया मिलनी शुरू हो जायेगी। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मध्य प्रदेश के लिए नैनो यूरिया की पहली खेप रवाना कर दी है।

बता दें की यह यूरिया लिक्विड यानी तरल अवस्था में होगा और किसान को एक बोरी यूरिया खाद की जगह इसकी सिर्फ आधे लीटर की मात्रा का इस्तेमाल करना होगा। इसे स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है और इसकी कीमत 240 रुपये प्रति 500 मिलीलीटर है। यह सामान्य यूरिया की कीमत से 10% कम दाम में उपलब्ध होगा।

IFFCO ने कहा है कि यह नैनो लिक्विड यूरिया 500 मिलीलीटर की बोतल में उपलब्ध होगा और सामान्य यूरिया की एक बोरी के समान कार्य करेगा। इससे किसानों की कृषि लागत कम होगी। बता दें कि नैनो यूरिया का निर्माण इसी महीने से शुरू हो जाएगा।

स्रोत: टीवी 9 भारतवर्ष

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जिप्सम का उपयोग खेतों में कब करना होता है लाभकारी?

When should farmers use gypsum?
  • जिप्सम एक अच्छा भू सुधारक है। यह क्षारीय भूमि को सुधारने का कार्य करता है।

  • जिप्सम का उपयोग किसी भी फसल की बुआई के पूर्व खेत में करना चाहिए।

  • जिप्सम को खेत में बिखेर दें और खेत की हल्की जुताई करें।

  • जिप्सम को मृदा में अधिक गहराई तक नहीं मिलाना चाहिए।

  • जिप्सम का उपयोग करने पर, फसल को कैल्शियम 22% एवं सल्फर 18% मिलता है।

  • मृदा परिक्षण के परिणाम के अनुसार ही, जिप्सम की उचित मात्रा का उपयोग अपने खेत में करें।

  • फसलों में जड़ों की सामान्य वृद्धि एवं विकास में जिप्सम के उपयोग से सहायता मिलती है।

  • जिप्सम का उपयोग सभी प्रकार की फसल में कर सकते हैं, खासकर के सब्जी और तिलहनी फसल में इसके प्रयोग से काफी लाभ होता है।

स्मार्ट कृषि एवं उन्नत कृषि उत्पादों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। उन्नत कृषि उत्पादों व यंत्रों की खरीदी के लिए ग्रामोफ़ोन के बाजार विकल्प पर जाना ना भूलें।

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पीएम किसान की अगली किस्त के 2000 रुपये पाना है तो जरूर कर लें ये काम

Pradhan Mantri Kisan Samman Nidhi Yojana

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत अगली क़िस्त जल्द आ सकती है। बताया जा रहा है की इस योजना के सभी पात्र किसानों के बैंक खातों में 2000 रुपये की अगली किस्त एक अगस्त से आनी शुरू हो जायेगी। बता दें की यह क़िस्त, इस योजना की 9वीं क़िस्त है और इससे पहले आठ क़िस्त किसानों को दी जा चुकी है।

अगर आप इस योजना के पात्र किसान हैं तो अपना स्टेटस चेक कर लें और यह निश्चित कर लें की आपके आवेदन में कोई त्रुटि तो नहीं है।

अपना स्टेटस चेक करने के लिए :

  • योजना की अधिकारिक वेबसाइट ? pmkisan.gov.in पर जाएँ और फार्मर कॉर्नर पर क्लिक करें। इसके बाद आपको लाभार्थी की स्थिति दिखाई देगी। अब आप उस पर क्लिक कर दें।

  • लाभार्थी की स्थिति पर क्लिक करने के बाद आपको अपना आधार नंबर, खाता नंबर और मोबाइल नंबर दर्ज करना होगा।

  • इतना करने के बाद आपको इस बात की जानकारी मिल जाएगी कि आपका नाम पीएम किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थियों की सूची में है या नहीं।

  • अगर आपका नाम इस लिस्ट में है और उसमें किसी प्रकार की गलती नहीं है, तो आपको योजना का लाभ जरूर मिलेगा।

स्रोत : कृषि जागरण

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सोयाबीन में होगा गर्डल बीटल का प्रकोप, जानें रोकथाम के उपाय

Damage and prevention measures of girdle beetle in soybean

गर्डल बीटल कीट की मादा तने के अंदर अंडे देती है एवं जब अंडे से इल्ली निकलती है तो वो तने को अंदर से खाकर कमजोर कर देती है। इसके कारण, तना खोखला हो जाता है, पोषक तत्व पत्तियों तक नहीं पहुंच पाते है एवं पत्तियां मुरझाकर सूख जाती हैं। फसल के उत्पादन में भी काफी कमी हो जाती है।

यांत्रिक प्रबंधन: गर्मियों में खाली खेत की गहरी जुताई करें। अधिक घनी फसल ना बोयें। अधिक नाइट्रोजन युक्त उर्वरक का उपयोग ना करें, यदि संक्रमण बहुत अधिक हो तो उचित रसायनों का उपयोग करें।

रासायनिक प्रबंधन: लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% EC @ 200 मिली/एकड़ या बीटासायफ्लूथ्रिन 8.49% + इमिडाक्लोप्रिड 19.81 OD% @ 150 मिली/एकड़ प्रोफेनोफोस 40% + साइपरमेथ्रिन 4% EC @ 400 मिली/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC @ 80 मिली/एकड़, फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG @ 40 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

जैविक प्रबंधन: बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

फसल की बुआई के साथ ही अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

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