इस कीट के लार्वा पत्ती पर आक्रमण करते हैं और पत्ती के नरम ऊतकों (भागों) को खाकर नुकसान पहुंचाते हैं। यह इल्ली एक पत्ती को खाने के बाद नई पत्तियों पर भी आक्रमण करती है फलस्वरूप यह इल्ली 40-50% सोयाबीन की फसल को नुकसान पहुंचाती हैं। जब सोयाबीन की फसल को अलग से यूरिया दी जाती है तो सोयाबीन की फसल में इल्ली के हमले की संभावना अधिक हो जाती है।
सोयाबीन की फसल को इस इल्ली से बचाने के लिए यांत्रिक, रसायनिक एवं जैविक
विधियों से रोकथाम की जा सकती है।
यांत्रिक नियंत्रण: सोयाबीन की बुआई के पहले गर्मियों में खेत की गहरी जुताई करें। इससे इस इल्ली के प्यूपा ज़मीन में ही नष्ट हो जाएंगे। मानसून पूर्व बुवाई ना करें क्योंकि इससे इल्ली को अपनी संख्या बढ़ाने के लिए उचित तापमान मिल जाता है। फसल की बहुत अधिक घनी बुवाई ना करें। यदि कोई संक्रमित पौधा दिखाई से तो उसे उखाड़ कर नष्ट कर दें। इल्ली के अच्छे नियंत्रण के लिए खेत में 10 नग प्रति एकड़ की दर से फेरामोन ट्रैप स्थापित करें और इस ट्रैप में लगने वाले ल्युर को हर 3 सप्ताह के अंतराल से बदलते रहें।
रासायनिक नियंत्रण: प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC @ 400 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @ 100 ग्राम/एकड़ या फ्लूबेण्डामाइड 20% WG @ 100 ग्राम/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC @ 60 मिली/एकड़ का छिड़काव करें।
जैविक नियंत्रण: बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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