कद्दू वर्गीय फसलों की मचान बना कर करें खेती, मिलेंगे कई लाभ

Benefits of cultivating by making machan in cucurbitaceous crops
  • मचान विधि क्या है: इस विधि में तार का जाल बनाकर कद्दू वर्गीय फसलों की बेल को जमीन से ऊपर रखा जाता है। इससे बेल वाली सब्जियों को आसानी से उगा सकते हैं। इसके साथ ही फसल को कई प्रकार के रोगों से बचाया जा सकता है। इससे फसल का ज्यादा उत्पादन प्राप्त होता है।

  • गर्मी के मौसम में खीरा, तोरई, करेला, लौकी समेत कई अन्य सब्जियों की खेती की जाती है लेकिन बारिश होने के कारण यह फसलें गलने लगती हैं। अगेती किस्म की बेल वाली सब्जियों को मचान विधि से लगाकर किसान अच्छी उपज पा सकते हैं।

  • सबसे पहले इनकी नर्सरी तैयार की जाती है। फिर मुख्य खेत में जड़ों को बिना नुकसान पहुंचाए रोपण किया जाता है। मचान बनाने के लिए, बांस या तार की मदद से जाल बनाकर सब्जियों की बेल को ऊपर पहुंचाया जाता है। बरसात के मौसम में, मचान की खेती फल को नुकसान से बचाती है। फसल में यदि कोई रोग लगता है तो मचान में दवा छिड़कने में भी आसानी होती है।

  • मचान विधि से खेती करने का लाभ: फसल की बेल खुल कर फैल पाती है, फसल को भरपूर धूप और हवा मिलती है, खरपतवार और घास भी कम निकलती है, मचान को 3 साल तक उपयोग कर सकते हैं, कीट और रोग का खतरा कम हो जाता है क्योंकि इससे फसल भूमि के संपर्क में आने से बच जाती है एवं बीमारियों का प्रकोप बहुत कम होता है। फसल की देखभाल आसानी से हो जाती है और छिड़काव आदि करने में आसानी होती हैं, एक समय में 2 से 3 सब्जियों की खेती कर सकते हैं।

  • मचान विधि किसान की आमदनी को दोगुना करने में सफल साबित हो सकती है। इस विधि के माध्यम से किसान 90 प्रतिशत फसल को खराब होने से बचा सकता है। इसके साथ ही किसानों को खेती में नुकसान भी कम होगा।

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मध्य प्रदेश के इन इलाकों में होती रहेगी मानसून की बारिश, जानें मौसम पूर्वानुमान

Monsoon

पिछले दो दिनों के दौरान मानसून काफी तेज गति से आगे बढ़ा है जिसके कारण देश के कई इलाके में बारिश जारी है। मध्य प्रदेश व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकांश विभागों को कवर कर चुका है मानसून। गुजरात को कवर करते हुए दक्षिणी राजस्थान के कुछ और भागों में भी पहुंच गई है मानसून। परंतु अब मानसून की प्रगति में ब्रेक लग सकते हैं दिल्ली, पंजाब, हरियाणा तथा उत्तरी राजस्थान को कुछ और दिन इंतजार करना पड़ेगा। पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित पूर्वी उत्तर पूर्वी भारत और भारत के पश्चिमी तट पर भारी वर्षा जारी रहेगी।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

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19 जून को मध्य प्रदेश की मंडियों में क्या रहे अलग अलग फसलों के भाव

Mandi Bhaw Madhya Pradesh

मंडी

फसल

न्यूनतम

अधिकतम

मॉडल

रतलाम _(नामली मंडी)

गेहूँ लोकवन

1596

1760

1610

रतलाम _(नामली मंडी)

इटालियन चना

4100

4500

4344

रतलाम _(नामली मंडी)

डॉलर चना

6699

6699

6699

रतलाम _(नामली मंडी)

यलो सोयाबीन

6000

6700

6250

रतलाम _(सेलाना मंडी)

सोयाबीन

6500

9600

8050

रतलाम _(सेलाना मंडी)

गेहूँ

1586

2126

1856

रतलाम _(सेलाना मंडी)

चना

4027

4851

4439

रतलाम _(सेलाना मंडी)

अलसी

6250

6873

6561

रतलाम _(सेलाना मंडी)

मेधी दाना

6000

6245

6122

रतलाम _(सेलाना मंडी)

मक्का

1500

1500

1500

अपनी फसल की बिक्री के लिए ना हों परेशान, ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार पर घर बैठे भरोसेमंद खरीददारों से करें डायरेक्ट बात और सौदा करें तय।

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इंदौर मंडी में 19 जून को क्या रहे प्याज के भाव?

mandi bhaw of onion

वीडियो के माध्यम से जानें आज यानी 19 जून के दिन इंदौर के मंडी में क्या रहे प्याज के मंडी भाव?

वीडियो स्रोत: यूट्यूब

अब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी लहसुन-प्याज जैसी फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें।

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किसान ऑनलाइन माध्यम से कराएं खरीफ फसलों का बीमा, जानें प्रक्रिया?

Farmers should get insurance of Kharif crops online

बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं की वजह से अक्सर किसानों की फसल प्रभावित होती है। किसानों को होने वाले इन्हीं नुकसानों से बचाता है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना। फिलहाल खरीफ-2021 की फसलों के लिए फसल बीमा आवेदन की प्रक्रिया जारी है।

कैसे करें आवेदन?

इसका आवेदन आप बैंक के माध्यम से और ऑनलाइन भी कर सकते हैं। ऑनलाइन आवेदन देने के लिए https://pmfby.gov.in/ लिंक पर जाकर फॉर्म भरें। इसके आवेदन के लिए एक फोटो और पहचान पात्र हेतु पैन कार्ड, ड्रायविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड या आधार कार्ड की जरुरत होती है। इसके अलावा एड्रेस प्रूफ के लिए भी एक दस्तावेज़ जरूरी होता है जिसके लिए किसान को खेती से जुड़े दस्तावेज़ और खसरा नंबर दिखाने होते हैं। फसल की बुआई हुई है इसकी सत्यता हेतु प्रधान, पटवारी या फिर सरपंच का पत्र देना होता है। एक कैंसिल चेक भी देना होता है ताकि क्लेम की राशि खाते में सीधे आए।

स्रोत: कृषि जागरण

फसल की बुआई के साथ ही अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

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आखिर कौन से कारक फसल के उत्पादन को प्रभावित करते हैं?

What factors affect crop production?
  • जलवायु: यह फसल प्रारूप को प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारक है। जलवायु ही यह निर्धारित करती है कि कौन-सी फसल किस क्षेत्र में अच्छा उत्पादन प्रदान करेगी। एक क्षेत्र की फसल उत्पादन क्षमता मुख्य रूप से वहां की जलवायविक तथा मिट्टी की दशा पर निर्भर करती है।

  • मिट्टी: मिट्टी भी फसल प्रारूप को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है। प्रत्येक मिट्टी में कुछ विशेष गुण होते हैं तथा जो किसी फसल विशेष के उत्पादन हेतु अधिक अनुकूल होते हैं। इसी तरह किसी क्षेत्र की मिट्टी अधिक उपजाऊ तो किसी क्षेत्र की मिट्टी कम उपजाऊ होती है।

  • वर्षा: कम या अधिक वर्षा के कारण भी फसल बहुत प्रभवित होती है क्योंकि कुछ फसलें अधिक वर्षा के कारण कवक रोगों से ग्रसित हो जाती हैं एवं कुछ फसलें कम वर्षा के कारण अच्छे से अंकुरित नहीं हो पाती हैं। दाना भरते समय अगर वर्षा न हो और पानी की कमी हो जाये तो दाना नहीं भरता है और उपज में कमी हो जाती है।

  • तापमान: तापमान पौधों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह पौधों के चयापचय की भौतिक प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। यदि तापमान कम व अधिक होगा तो फसल की वृद्धि रुक जायेगी।

  • सिंचाई: सिंचाई गैर-भौतिक कारकों में महत्वपूर्ण कारक है। हम सिंचाई द्वारा वर्षा की कमी की भरपाई कर सकते हैं। नहरों का निर्माण कर हम सिंचाई का प्रबंध कर सकते हैं। सिंचाई सुविधा से प्रति हेक्टेयर उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है।

  • बीज: बीजों की गुणवत्ता भी फसल प्रारूप को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उच्च पैदावार वाले बीजों को बोने से भारत जैसी कृषि-अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण सुधार किया जा सकता है। उन्नत बीजों से क्षेत्र-विशेष की उपज को 10 से 20 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है।

  • उर्वरक: उर्वरक मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि कर खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि करने में सहायक होते हैं। जिन क्षेत्रों में संतुलित उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है वहां की कृषि उपज में वृद्धि होती है।

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मानसून ने फिर पकड़ी रफ़्तार, मध्य प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में होगी बारिश

Remove term: Monsoon Rain Monsoon Rain

मध्य प्रदेश के पूर्वी जिलों के साथ पश्चिमी जिलों की तरफ भी बाद सकता है मानसून और हो सकती है भारी बारिश। उत्तर प्रदेश में भी बारिश की गतिविधियां बढ़ने के साथ-साथ मानसून भी आगे बढ़ने की संभावना है। गुजरात में बारिश की गतिविधियां बढ़ी हैं जिससे मानसून के आगे बढ़ने की राह सुगम हो चली है। दिल्ली पंजाब और हरियाणा सहित राजस्थान को अभी मानसून का थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा। पश्चिमी तट पर भारी वर्षा की गतिविधियां जारी रहने की संभावना है।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

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18 जून को मध्य प्रदेश की मंडियों में क्या रहे अलग अलग फसलों के भाव

Mandi Bhaw Madhya Pradesh

मंडी

फसल

न्यूनतम

अधिकतम

मॉडल

रतलाम _(नामली मंडी)

गेहूँ लोकवन

1521

1741

1600

रतलाम _(नामली मंडी)

इटालियन चना

3801

4445

4445

रतलाम _(नामली मंडी)

डॉलर चना

6515

6515

6515

रतलाम _(नामली मंडी)

यलो सोयाबीन

5100

6613

5900

रतलाम _(सेलाना मंडी)

सोयाबीन

6100

10000

8050

रतलाम _(सेलाना मंडी)

गेहूँ

1591

2100

1845

रतलाम _(सेलाना मंडी)

चना

4690

4753

4721

रतलाम _(सेलाना मंडी)

डॉलर चना

5901

6476

6188

रतलाम _(सेलाना मंडी)

मेधी दाना

6201

6201

6201

हरसूद

मूंग

5600

6359

6280

हरसूद

सोयाबीन

5000

6859

6705

हरसूद

चना

4200

4500

4360

हरसूद

तुवर

4800

4850

4800

हरसूद

मक्का

1401

1401

1401

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क्या है मध्य प्रदेश में प्याज की खेती पर मिल रही 40% की सब्सिडी पाने की प्रक्रिया?

What is the process of getting subsidy on onion cultivation in Madhya Pradesh

इस खरीफ सीजन प्याज उत्पादन को बढ़ाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार प्याज की खेती करने वाले 25 जिलों के चयनित किसानों को भारी सब्सिडी देने जा रही है।

मध्य प्रदेश के इन 25 जिलों में रायसेन, राजगढ़, होशंगाबाद, हरदा, बेतुल, ग्वालियर, गुना, दतिया, अशोकनगर, अलीराजपुर, खरगौन, बड़वानी, खंडवा, बुरहानपुर, उज्जैन, शाजापुर, मंदसौर, आगर-मालवा, जबलपुर, छिंदवाडा, डिंडोरी, सिंगरौली, सागर, छत्तरपुर, दमोह शामिल हैं और इन जिलों के किसानों से ऑनलाइन आवेदन मांगे गए हैं। सरकार ने इस योजना के अंतर्गत लागत 50 हजार निर्धारित की है और हितग्राही किसान को 20 हजार प्रति इकाई का अनुदान मिलेगा।

इस योजना का लाभ अधिकतम 2 हेक्टेयर भूमि वाले किसान उठा सकते हैं। इसके लिए आवेदन करते वक़्त आधार कार्ड , बैंक खाता नंबर, मोबाइल नंबर, खसरा नंबर/ बी -1 की कॉपी, जाति प्रमाण पत्र अपने साथ रखना होगा। 7 जून 2021 से आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई है। आवेदन हेतु https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/ पर जाएँ।

स्रोत: ट्रैक्टर जंग्सन डॉट कॉम

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इंदौर मंडी में 18 जून को क्या रहे प्याज के भाव?

mandi bhaw of onion

वीडियो के माध्यम से जानें आज यानी 18 जून के दिन इंदौर के मंडी में क्या रहे प्याज के मंडी भाव?

वीडियो स्रोत: यूट्यूब

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