- विगरमैक्स जेल आपकी फसल को जबरदस्त पोषण देता है।
- यह फसल की उपज को बढ़ाने में मदद करता है और उन्हें तनाव से दूर रखता है।
- यह मिट्टी में मौजूद सभी सूक्ष्म पोषक तत्वों को अवशोषित कर पौधों को उपलब्ध करवा कर विकास को बढ़ावा देता है।
- यह आपके खेत की मिट्टी की सघनता को बढ़ाता है।
- साथ ही मिट्टी में हवा और पानी की अवधारण क्षमता में भी सुधार करता है।
- यह प्रकाश संश्लेषण, कोशिका वृद्धि, कोशिका विभाजन और ऊर्जा हस्तांतरण जैसी प्रक्रियाओं से फसल के स्वस्थ विकास को बढ़ावा देता है।
ऑनलाइन पोर्टल E-Nam से जुड़ेगी 1000 नई मंडी, किसानों को होगा लाभ
किसानों को अपनी उपज बेचने के कई बार बहुत समस्या का सामना करना पड़ता है। कभी उन्हें सही दाम नहीं मिलते तो कभी ख़रीदार नहीं मिलते। इसी समस्या को दूर करने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है। इसी कड़ी में वित्त वर्ष 2021-22 के बजट भाषण में केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1000 नई मंडी को E-Nam स्कीम से जोड़ने का ऐलान किया है।
बता दें की साल 2016 में ऑनलाइन पोर्टल ई-नाम की शुरुआत की गई थी | इसका पूरा नाम ई- नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट है। इसके माध्यम से किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए ऑनलाइन ट्रेडिंग करने की सुविधा मिल जाती है। बताया जाता है की इस प्लेटफॉर्म पर पहले से ही करीब 1.68 करोड़ किसान रजिस्टर हो चुके हैं।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareमध्यप्रदेश के कई क्षेत्रों में हो सकता है मौसम में बदलाव, जानें मौसम पूर्वानुमान
मध्य भारत के क्षेत्रों में फिलहाल उत्तरी तथा पूर्वी मध्य प्रदेश के साथ साथ उत्तरी छत्तीसगढ़ में मौसम में बदलाव हो सकता है इसके अलावा मध्य भारत के अन्य क्षेत्रों में मौसम पूर्ववत बना रहेगा।
वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर
Shareप्याज की 40-50 दिनों की फसल में जरूर अपनाएं ये प्रबंधन प्रक्रिया
- प्याज की फसल की 40-50 दिनों की अवस्था में कवक जनित रोगों तथा कीटों से बचाव के साथ-साथ पोषण सम्बन्धी आवश्यकता की भी पूर्ति करनी पड़ती है।
- इसीलिए प्याज की फसल की इस अवस्था में तीन अलग-अलग रूपों में फसल प्रबंधन करना आवश्यक होता है।
- कवक रोगो से रक्षा के लिए: टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG @ 500 ग्राम/एकड़ मेटालैक्सिल 4% + मैनकोज़ेब 64% WP @ 600 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- कीटों से रक्षा के लिए: फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG@ 40 ग्राम/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC@ 80 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- पोषण प्रबंधन: प्याज की इस अवस्था में पोषण प्रबंधन मिट्टी उपचार के रूप में किया जाता है। इसके लिए कैल्शियम नाइट्रेट @ 10 किलो/एकड़ + पोटाश @ 20 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- प्याज की फसल में छिड़काव करते समय एक बात का विशेष ध्यान रखें की उत्पाद का पत्तियों द्वारा अच्छे से अवशोषण हो सके या उपयोग हो सके। इसके लिए हर छिड़काव के समय प्रति पंप 5 मिली/पंप चिपको का उपयोग अवश्य करें।
चने की 75-90 दिनों की फसल में जरूर अपनाएं ये प्रबंधन उपाय
चने की फसल की 75 से 90 दिनों की अवस्था दरअसल परिपक्वता की अवस्था होती है। इसलिए इस समय फसल की सुरक्षा करना बहुत आवश्यक होता है।
कवक जनित रोगो के लिए: हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @ 400 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/P@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें। जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
कीट प्रबंधन के लिए: इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @ 100 ग्राम/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें। जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
पोषण प्रबंधन के लिए: 00:00: 50@ 1 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।
Shareउज्ज्वला योजना के तहत 1 करोड़ लोगों को मिलेगा फ्री एलपीजी गैस कनेक्शन
वर्ष 2021 के राष्ट्रीय बजट में 1 करोड़ लोगों को उज्ज्वला योजना के तहत फ्री एलपीजी गैस कनेक्शन देने की बात कही गई है। इससे खासकर के ग्रामीण महिलाओं को काफी लाभ मिलेगा।
बता दें की प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के अंतर्गत बीपीएल कैटेगरी के लोगों को फ्री एलपीजी गैस कनेक्शन दिए जाते हैं। इस योजना के माध्यम से लगभग 8 करोड़ परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन देने का लक्ष्य है।
उज्ज्वला योजना केंद्र सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सहयोग से चलाई जाती है। सरकार ने इस स्कीम की शुरुआत 1 मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया से की थी।
स्रोत: पत्रिका
Shareफोटो प्रतियोगिता में इन किसानों को मिलेंगे आकर्षक पुरस्कार
ग्रामोफ़ोन कृषि मित्र एप पर 22 जनवरी से शुरू हुआ ‘मेरा गांव मेरा अभिमान’ फोटो प्रतियोगिता 31 जनवरी को समाप्त हो गया है। इस प्रतियोगिता में हजारों किसानों ने भाग लिया और अपने गांव की खूबसूरत तस्वीरें पोस्ट की साथ ही अपने मित्रों से उस तस्वीर पर लाइक भी बढ़वाए। इस प्रतियोगिता की समाप्ति पर कई किसानों को आकर्षक पुरस्कार दिए जाएंगे।
इन टॉप 3 किसानों को मिलेंगे बम्पर पुरस्कार
दीपेश सोलंकी: हरदा, मध्य प्रदेश
भूपेंद्र सिंह: धार, मध्य प्रदेश
धर्मेंद्र विश्वकर्मा: उज्जैन, मध्य प्रदेश
इन 12 किसानों को भी मिलेंगे आकर्षक पुरस्कार
एस के अलेरिया वर्मा: सीहोर, मध्य प्रदेश
शिवशंकर यादव: खंडवा, मध्य प्रदेश
प्रिंस सिंह: उत्तरप्रदेश
प्रेम पाटीदार: मंदसौर, मध्य प्रदेश
नरेंद्र सिसोदिया: खातेगांव, मध्य प्रदेश
सुमित राजपूत: हरदा, मध्य प्रदेश
धरम कन्नोज: धार, मध्य प्रदेश
नागेश पाटीदार: मंदसौर, मध्य प्रदेश
सतीश बाडिया: शाजापुर, मध्य प्रदेश
सतीश मेवाड़ा: सीहोर, मध्य प्रदेश
भुरू पटेल: इंदौर, मध्य प्रदेश
मोतीलाल पाटीदार: धार, मध्य प्रदेश
सभी विजेताओं को ग्रामोफ़ोन की तरफ से हार्दिक बधाई। आपके पुरस्कार आने वाले हफ्ते में आप तक पहुंचा दिए जाएंगे।
Shareमध्य प्रदेश समेत देश के कई क्षेत्रों में फरवरी के पहले हफ्ते में होगी बारिश
फरवरी के पहले सप्ताह में देश के विभिन्न राज्यों में बारिश होने के लिए मौसम अनुकूल बन रहा है। बारिश की गतिविधियां मुख्यतः उत्तर, मध्य और पूर्वी राज्यों में देखने को मिलेंगी। दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर राज्यों में मौसम में नहीं होगा विशेष बदलाव।
वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर
Shareगेहूँ की फसल में 80-90 दिनों की अवस्था में जरूर करें पोषण प्रबंधन
- गेहूँ की फसल की 80-90 दिनों की अवस्था परिपक्वता की अवस्था रहती है। इस अवस्था में फसल को पर्याप्त आवश्यक तत्व प्रदान करना बहुत आवश्यक होता है।
- इसके लिए कवक जनित रोगों से बचाव के लिए प्रोपिकोनाज़ोल 25% EC @ 200 मिली/एकड़ की दर छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- पोषण प्रबंधन के लिए 00:00:50 @ 1 किलो/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
मिट्टी में उपस्थित अति सूक्ष्म पोषक तत्वों से क्या लाभ मिलता है?
- सूक्ष्म पोषक तत्व या पोषक तत्व दरअसल वे तत्व हैं जिनका मिट्टी में अच्छी मात्रा में होना एक अच्छी मिट्टी की पहचान होती है।
- मिट्टी में इन तत्वों की उपस्थिति बहुत जरूरी होती है हालाँकि इन तत्वों की आवश्यकता बहुत कम मात्रा में होती है।
- इन सूक्ष्म पोषक तत्वों में लोहा, कोबाल्ट, क्रोमियम, तांबा, आयोडीन, मैंगनीज, सेलेनियम, जस्ता और मोलिब्डेनम आदि शामिल होते हैं।
- इन तत्वों की संतुलित मात्रा मिट्टी की उर्वरा शक्ति एवं फसल उत्पादन को बढ़ाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।