आलू की फसल में बुआई के 15 दिनों में पोषण प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
आलू एक कन्दवर्गीय फसल है इसी कारण आलू की फसल को पोषक तत्वों की ज्यादा आवश्यकता होती है एवं कीट जनित एवं कवक जनित रोगों का प्रकोप भी इसमें बहुत अधिक होता है।
बुआई के 15 दिनों में आलू की फसल अपनी वृद्धि के शुरूआती अवस्था में होती है, इसी कारण अच्छी वृद्धि एवं विकास के लिए पोषण प्रबंधन किया जाता है। ऐसा करने से कीट जनित एवं कवक जनित रोगों के प्रकोप से बचाव हो जाता है।
कीट प्रबंधन के लिए थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC @ 80 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG@ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
कवक जनित रोगों के लिए थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ़्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
पोषण प्रबंधन के लिए सीवीड एक्सट्रेक्ट @ 400 मिली/एकड़ या जिब्रेलिक एसिड@ 300 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।