मंडी भाव: मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या है सब्जियों और अन्य अनाजों का भाव?

इंदौर डिविज़न के अंतर्गत आने वाले बडवानी जिले के सेंधवा मंडी में बिना ओटी हुई कपास का भाव 5610 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। इसके अलावा इसी मंडी में टमाटर, पत्ता गोभी, फूलगोभी, बैंगन, भिण्डी, लौकी आदि सब्जियों का भाव क्रमशः 950, 950, 1050, 1100, 1050,1050 रुपये प्रति क्विंटल है।

इसके अलावा उज्जैन डिविज़न के अंतर्गत आने वाले शाजापुर जिले के शुजालपुर कृषि उपज मंडी में गेहूं 1530 रुपये प्रति क्विंटल, कांटा चना 4500 रुपये प्रति क्विंटल, काबुली चना 5000 रुपये प्रति क्विंटल, मौसमी चना 4650 रुपये प्रति क्विंटल, हरा चना 5000 रुपये प्रति क्विंटल और मसूर 5100 रुपये प्रति क्विंटल है।

स्रोत: किसान समाधान

Share

भिंडी की फसल में नाइट्रोज़न बैक्टेरिया का होता है विशेष महत्व

Importance of Nitrogen Bacteria in Okra Crop
  • एज़ोटोबैक्टर एक नाइट्रोज़न बैक्टेरिया है जो स्वतंत्रजीवी नाइट्रोजन स्थिरिकरण वायवीय जीवाणु है।
  • यह जमीन में उपलब्ध नाइट्रोज़न को सरल रूप में परिवर्तित करके पौधे को प्रदान करने में  महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। 
  • उपलब्ध नाइट्रोज़न का उपयोग भिंडी की फसल के द्वारा किया जाता है जिसके कारण 20% से 25% तक कम नाइट्रोजन उर्वरक की आवश्यकता होती है।
  • ये जीवाणु बीजों के अंकुरण प्रतिशत को बढ़ाने में भी मदद करते हैं।
  • भिंडी की फसल में तना और जड़ की संख्या और लंबाई बढ़ाने में भी यह सहायक होता है।
Share

गेंदे के फूलों की बढ़ती माँग ने बनाया है इसे एक फायदे की फसल

Marigold demand has made it a profitable crop
  • गेंदे की फसल कम समय और कम लागत की फसल है इसी वजह से यह एक काफी लोकप्रिय फसल बन गई है। 
  • इसकी खेती आसान होने के कारण किसानों द्वारा इसे व्यापक रूप से अपनाया जा रहा है। यह दो अलग-अलग रंगो नारंगी एवं पीला होता है। रंग एवं आकर के आधार पर इसकी दो किस्में होती हैं- अफ्रीकी गेंदा और फ्रैंच गेंदा।
  • गेंदा की खेती लगभग हर क्षेत्र में की जाती है। यह सबसे महत्त्वपूर्ण फूल की फसल है। इसका उपयोग व्यापक रूप से धार्मिक और सामाजिक कार्यों में किया जाता है। 
  • गेंदे की खेती कैरोटीन पिगमेंट को प्राप्त करने के लिए भी की जाती है। इसका उपयोग विभिन्न खाद्य पदार्थों में पीले रंग के लिए किया जाता है। 
  • गेंदे के फूल से प्राप्त तेल का उपयोग इत्र तथा अन्य सौंदर्य प्रसाधन बनाने में किया जाता है साथ ही यह अपने औषधीय गुणों के लिए भी विशेष पहचान रखता है। 
  • दूसरे फ़सलों में कीटों के प्रकोप को कम करने के लिए इसे फ़सलों के बीच एक रक्षा कवच के रूप में भी लगाया जाता है।
Share

कद्दू वर्गीय फ़सलों में मृदुल आसिता (डाउनी मिल्ड्यू) की पहचान एवं नियंत्रण

Identification and control of Downy Mildew in Cucurbitaceae crops
  • कद्दू वर्गीय सब्जियों में इस बीमारी के प्रभाव से पत्तियों की निचली सतह पर राख के रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। 
  • इसके कारण ऊपरी सतह पर पीले-पीले धब्बे बनते हैं। इससे खीरा, तोरई तथा खरबूज की फसल को ज्यादा हानि होती है।
  • इसके अलावा इसके कारण पत्तियों पर भूरापन लिए हुए काले रंग की पर्ते भी चढ़ जाती हैं। यदि गर्मियों के मौसम में बरसात हो जाए तो यह बीमारी बहुत आम हो जाती है  
  • इस रोग के नियंत्रण लिए मेटालैक्सिल 4% + मैनकोज़ेब 64% WP @ 600 ग्राम/एकड़ या सल्फर 80% WDG @ 500 ग्राम/एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG@ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम की दर छिड़काव करें।  
Share

मध्य प्रदेश के 5 लाख किसानों के बैंक खातों में दी गई 2000 रुपये की किश्त

2000 rupees given in bank accounts of 5 lakh farmers of Madhya Pradesh

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की तर्ज पर कुछ राज्य सरकारों की तरफ से भी किसानों को आर्थिक मदद देने हेतु योजनाएं बनाई गई है। ऐसी ही एक योजना मध्यप्रदेश सरकार ने भी शुरू की है जिसका नाम है “मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना” और इस योजना के अंतर्गत पीएम किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थी किसान परिवारों को 4000 रुपये 2 किस्तों में दिए जाने हैं।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 2 नवम्बर को इसी योजना के अंतर्गत प्रदेश के उपचुनाव वाले 19 जिलों को छोड़कर 5 लाख किसानों को कुल 100 करोड़ रुपए भेजे। बता दें की इस योजना के अंतर्गत किसान परिवारों को दी गई 2000 रुपये की यह पहली किश्त है।

स्रोत: किसान समाधान

Share

फूल आने की अवस्था में अरहर की फसल में ऐसे करें प्रबंधन

Crop Management in Pigeonpea at Flowering Stage
  • अरहर की खेती करने वाले किसानों के लिए यह बहुत ही सावधान रहने का समय है क्योंकि इस समय अरहर की फसल में फूल आते हैं।
  • ऐसे में थोड़ी सी सावधानी बरत कर किसान अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं। फूल आने की अवस्था में अरहर की फसल में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए।  
  • अरहर में फूल झड़ने का एक कारण थ्रिप्स का प्रकोप भी है जिसका नियंत्रण समय पर करना बहुत आवश्यक होता है। 
  • इसी के साथ यदि इस अवस्था में अरहर की फसल में तनाव की स्थिति बनती है तो इसके निवारण के लिए होमोब्रेसिनोलाइड @ 100 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें। 
  • थ्रिप्स के प्रकोप के निवारण के लिए फिप्रोनिल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ या लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 200 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG@ 40 ग्राम/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC @ 80 मिली/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC @ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें 
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
Share

चना समृद्धि किट का फसल पर उपयोग कैसे करें?

How to use Gram samridhi Kit
  • चने की फसल के लिए ग्रामोफ़ोन की ख़ास पेशकश ‘चना समृद्धि किट’ का उपयोग मिट्टी उपचार के रूप में किया जाता है। 
  • इस किट की कुल मात्रा 4.5 किलो है और यह मात्रा एक एकड़ के खेत के लिए पर्याप्त है।
  • इसका उपयोग DAP या पोटाश में मिलाकर किया जा सकता है। 
  • इसका उपयोग 50 किलो पकी हुई गोबर की खाद, कम्पोस्ट या मिट्टी में भी मिलाकर कर सकते हैं।
  • इसके उपयोग के समय खेत में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है।
  • अगर बुआई समय इस किट का उपयोग नहीं कर पाए हैं तो बुआई बाद 15-20 दिनों के अंदर इसका उपयोग मिट्टी में भुरकाव के रूप में कर सकते हैं।
Share

किसानों की आय 40% तक बढ़ाने में सफल हो रहा है ग्रामोफ़ोन एप

Gramophone app is increasing farmers' income by 40%

साल 2016 में अपने शुरुआत के समय से अब तक पांच लाख से ज्यादा किसान ग्रामोफ़ोन से जुड़ चुके हैं और उनकी कृषि में बहुत सारे सकारात्मक सुधार भी देखने को मिले हैं। ग्रामोफ़ोन के कृषि विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में हज़ारों किसानों के आय में अच्छी वृद्धि देखने को मिली है। बहुत सारे किसानों की आय में औसतन 40% तक की वृद्धि देखने की मिल रही है।

खंडवा जिले के किसान पूनम चंद सिसोदिया ने अपनी सोयाबीन की फसल को बुआई के समय ही ग्रामोफ़ोन एप से जोड़ दिया और उन्हें सभी जरूरी सलाहें फ़ोन पर मिलती रहीं। इसका प्रतिफल उपज में 60% वृद्धि के रूप में सामने आया। इसके अलावा कृषि लागत में भी कमी आई।

खंडवा जिले के ही सागर सिंह सोलंकी ने भी ग्रामोफ़ोन एप के इस्तेमाल से अपनी कृषि लागत को 21% घटाया और आय में 25% की वृद्धि की। उनका कुल मुनाफ़ा पहले की तुलना में 37% तक बढ़ गया।

ऐसे ही एक किसान हैं देवास जिले निवासी विनोद गुज्जर जिनके लिए ग्रामोफ़ोन का मूंग समृद्धि किट किसी वरदान की तरह साबित हुआ। किट के उपयोग से 5 एकड़ में बोई गई फसल की उपज पहले के 25 क्विंटल से बढ़कर 30 क्विंटल हो गई। उपज बढ़ने के साथ ही आय में 38% और प्रॉफिट में 100% का इज़ाफा भी हुआ।

देवास के ही एक दूसरे किसान रामनिवास परमार की सोयाबीन की फसल को ग्रामोफ़ोन की सोया समृद्धि किट ने इतना अच्छा पोषण दिया की फसल से प्राप्त मुनाफ़ा पहले से 180% बढ़ गया और फसल से प्राप्त उपज की क्वालिटी इतनी बढ़िया हुई की मंडी में इसका मूल्य भी अन्य किसानों की उपज से अधिक मिला।

इन किसानों की तरह ही लाखों किसान ग्रामोफ़ोन की उच्च सेवाओं का लाभ ले रहे हैं और अपनी आय में वृद्धि करने के साथ साथ अपनी कृषि लागत को भी कम कर रहे हैं। महज चार साल में ग्रामोफ़ोन ने अपने ही द्वारा निश्चित किये गए लक्ष्य को प्राप्त करने लगा है। आने वाले दिनों में ग्रामोफ़ोन पूरे देश के किसानों से जुड़ कर भारतीय कृषि और भारतीय किसानों को आधुनिक स्मार्ट खेती करने के लक्ष्य पर चल पड़ा है।

Share

लहसुन की फसल में 15 दिनों में ऐसे करें फसल प्रबंधन

How to manage garlic crop in 15 days
  • लहसुन की फसल एक कंद वाली फसल है इस वजह से इसमें पोषण प्रबंधन एवं रोग प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है। 
  • इस समय फसल प्रबंधन करने से लहसुन की फसल में कवकजनित रोगों जैसे जड़ गलन, तना गलन, पीलेपन आदि से फसल की सुरक्षा की जा सकती है। इसके प्रबंधन लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 300 ग्राम/एकड़ या हेक्साकोनाज़ोल 5% SC@ 400 मिली/एकड़ दर से छिड़काव करें।
  • लहसुन की फसल लगने वाले रस चुसक कीटों से फसल की रक्षा करने के लिए एसीफेट 75% SP @ 300 ग्राम/एकड़ या जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • लहसुन की फसल की एक सामान वृद्धि एवं जड़ों के अच्छे बढ़ावार के लिए यूरिया @ 25 किलो/एकड़ + ज़िंक सल्फेट @ 5 किलो/एकड़+ सल्फर 90% @ 10 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी में मिलाकर बुआई के बाद 15 दिनों में भुरकाव करें।
Share

गेहूँ की फसल में बुआई के समय पोषण प्रबंधन जरूर करें

How to manage nutrition at the time of sowing in wheat
  • रबी के मौसम की मुख्य फसल गेहूँ की बुआई के समय पोषण प्रबंधन करने से गेहूँ की फसल को एक अच्छी शुरुआत मिलती है, जड़ें अच्छी बनती है एवं कल्ले अच्छे फूटते हैं।
  • इस समय पोषण प्रबंधन करने के लिए यूरिया @ 50 किलो/एकड़ + DAP@ 20 किलो/एकड़ + MOP @ 25 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • यूरिया नाइट्रोज़न का स्रोत है, DAP नत्रजन एवं फास्फोरस का स्रोत है एवं MOP आवश्यक पोटाश की पूर्ति करता है। इस प्रकार गेहूँ की फसल में बुआई के बाद पोषण प्रबंधन करने से उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।
Share