प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जारी किये 17 नए बॉयोफोर्टीफाइड बीज किस्म

Prime Minister Modi released 17 new biofortified seed variety

खाद्य और कृषि संगठन (FPO) के 75वें वर्षगांठ पर पीएम मोदी ने हाल ही में विकसित की गई फ़सलों की 17 किस्मों को राष्ट्र को समर्पित किया। यह सभी किस्में देश के कृषि वैज्ञानिकों ने हाल ही में विकसित की है |

गेहूं और धान समेत अन्य कई फ़सलों के ये 17 नए बीजों की वैरायटी, देश के किसानों को उपलब्ध कराये जा रहे हैं। आइये जानते हैं इन बीज किस्मों के बारे में।

  • गेहूं– एचआई-1633 (HI 1633), एचडी-3298 (HD-3298), डीबीडब्ल्यू-303 (DBW-303) और एमएसीएस-4058 (MACS-4058).
  • चावल– सीआरधान-315 (CR Dhan-315).
  • मक्का– एलक्यूएमएच-1 (LQMH-1), एलक्यूएमएच-3 (LQMH-3).
  • रागी – सीएफएमवी-1 (CFMV-1), सीएफएमवी-2 (CFMV-2).
  • सावा– सीएलएवी-1 (CLMV-1).
  • सरसों– पीएम-32 (PM-32).
  • मूंगफली– गिरनार-4 (Girnar-4), गिरनार-5 (Girnar-5).
  • रतालू– डीए-340 (DA-340) एवं श्रीनीलिमा (Srin Neelima).

स्रोत: किसान समाधान

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गेहूं की अच्छी उपज प्राप्ति के लिए ग्रामोफ़ोन लाया है गेहूं समृद्धि किट

wheat samriddhi Kit
  • गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए ग्रामोफ़ोन लेकर आया है गेहूं समृद्धि किट। 
  • यह किट भूमि सुधारक की तरह कार्य करती है। 
  • इस किट को चार आवश्यक बैक्टीरिया NPK एवं ज़िंक को मिलाकर बनाया गया है, जो की मिट्टी  NPK की पूर्ति करके फसल की वृद्धि में सहायता करते हैं एवं ज़िंक का जीवाणु मिट्टी में  मौजूद अधुलनशील जिंक को घुलनशील रूप में फसल को प्रदान करने का कार्य करता है।. 
  • इस किट में समुद्री शैवाल, एमिनो एसिड ह्यूमिक एसिड एवं मायकोराइज़ा जैसी सामग्री का संयोजन है जो मिट्टी की विशेषताओं और गुणवत्ता में काफी सुधार करता है, साथ ही साथ मायकोराइज़ा सफेद जड़ के विकास में भी मदद करता है। ह्यूमिक एसिड प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में सुधार करके गेहूं की फसल के बेहतर वनस्पति विकास में सहायता करता है।
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लहसुन की फसल में 15-20 दिनों में छिड़काव प्रबंधन

Spray management of garlic crop in 15-20 days
  • लहसुन की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए बुआई के बाद समय-समय पर छिड़काव प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
  • इसके द्वारा लहसुन की फसल को अच्छी शुरुआत मिलती है साथ ही लहसुन की फसल रोग रहित रहती है।
  • कवक जनित रोगों के निवारण के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक कवक नाशी के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • कीट नियंत्रण के लिए एसीफेट 75% SP@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक कीटनाशक के रूप में बवेरिया बेसियाना@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • पोषक तत्व प्रबधन लिए सीवीड@ 400 मिली/एकड़ या जिब्रेलिक एसिड@ 300 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • इन सभी छिड़काव के साथ सिलिकॉन आधारित स्टीकर 5 मिली/15 लीटर पानी का उपयोग अवश्य करें।
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कीटनाशकों के द्वारा बीज उपचार करने से होंगे कई लाभ

Benefits of seed treatment with insecticide
  • जिस प्रकार कवकनाशकों से बीज़ उपचार करने से फसल की अंकुरण क्षमता बढ़ती है ठीक उसी तरह कीटनाशकों के द्वारा बीज़ उपचार करने से फसल में अंकुरण क्षमता बढ़ती है।
  • कीटनाशकों के द्वारा बीज़ उपचार करने से फसल में मिट्टी जनित कीटों के साथ-साथ रस चुसक कीटो का भी नियंत्रण होता है।
  • जैविक कीटनाशक से बीज़ उपचार करने से भूमि में दीमक एवं सफेद ग्रब आदि की रोकथाम के लिए लाभकारी है।
  • कीटनाशकों में प्रमुख रूप से इमिडाक्लोप्रिड 48% FS एवं थियामेंथोक्साम 30% FS उत्पाद का उपयोग किया जाता है।
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उकठा रोग का जैविक उपचार के द्वारा प्रबंधन कैसे करें?

How to manage wilt disease with biological treatment
  • यह रोग एक जीवाणु एवं कवक जनित रोग है जो फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाता है।
  • जीवाणु जनित विल्ट या कवक जनित विल्ट संक्रमण के लक्षण संक्रमित पौधों के सभी भागों पर देखे जा सकते हैं।
  • शुरूआती अवस्था में इसके कारण पत्तियाँ लटक जाती हैं, पत्तियां पीली हो जाती हैं, फिर पूरा पौधा सूख जाता है और मर जाता है।
  • इसके कारण फसल गोल घेरे में सूखना शुरू हो जाती है।
  • इस रोग के निवारण के लिए मिट्टी उपचार सबसे कारगर उपाय है।
  • जैविक उपचार के रूप मायकोराइजा @ 4 किलो/एकड़ या ट्राइकोडर्मा विरिडी@ 1 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार करें।
  • इससे बचाव के लिए स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव के रूप में उपयोग करें।
  • रासायनिक उपचार के रूप में कासुगामायसिन 5% + कॉपरआक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ याथायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@ 250 ग्राम/एकड़ के दर से ड्रैंचिंग करें।
  • इन सभी उत्पादों को 100 -50 किलो FYM के साथ मिलाकर मिट्टी उपचार भी किया जा सकता है।
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मंडी भाव: मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या है कपास, गेहूं, मक्का, सोयाबीन के भाव?

Mandi Bhaw

इंदौर डिविज़न के अंतर्गत आने वाले खरगोन जिले के भीकनगांव मंडी में कपास, गेहूं, मक्का, सोयाबीन आदि फसलों का भाव क्रमशः 3600, 1585, 1070, और 3890 रुपये प्रति क्विंटल है।

इसके अलावा इंदौर डिविज़न के ही अंतर्गत आने वाले धार जिले के धार कृषि उपज मंडी में गेहूं 1830 रुपये प्रति क्विंटल, देशी चना 4910 रुपये प्रति क्विंटल, ज्वार 1480 रुपये प्रति क्विंटल, डॉलर चना 6030 रुपये प्रति क्विंटल, मक्का 1050 रुपये प्रति क्विंटल, मटर 3460 रुपये प्रति क्विंटल, मसूर 4800 रुपये प्रति क्विंटल और सोयाबीन
3920 रुपये प्रति क्विंटल है।

स्रोत: किसान समाधान

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बैगन की फसल में फल सड़न रोग की रोकथाम

Fruit Rot in Brinjal
  • बैगन की फसल में इस रोग का प्रकोप अत्यधिक नमी की वजह से होती है।
  • इसके कारण फलों पर जलीय सूखे हुये धब्बे दिखाई देते है जो बाद में धीरे धीरे दूसरे फलो में फैल जाते हैं।
  • प्रभावित फलों की ऊपरी सतह भूरे रंग की हो जाती है जिस पर सफ़ेद रंग के कवक का निर्माण हो जाता है।
  • इस रोग से ग्रसित पौधे की पत्तियों एवं अन्य भागों को तोड़कर नष्ट कर दें।
  • इस रोग के निवारण के लिए फसल पर मेंकोजेब 75% WP @ 600 ग्राम/एकड़, या कासुगामायसिन 5% + कॉपरआक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़
  • हेक्साकोनाज़ोल 5% SC@ 300 ग्राम/एकड़ या स्ट्रेप्टोमायसिन सल्फेट 90% + टेट्रासायक्लीन हाइड्रोक्लोराइड 10% W/W@ 30 ग्राम/एकड़ की दर से छिडकाव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ या ट्राइकोडर्मा विरिडी @500 ग्राम/एकड़ के रूप में उपयोग करें।
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अब ‘किसान रेल’ से आधे किराए पर ही हो जायेगी फल और सब्जियों की माल ढुलाई

Kisan Rail

अब किसान रेल से फल और सब्जियां भेजने पर मालभाड़े में 50% तक की सब्सिडी दी जाएगी। इसके अंतर्गत आम, केला, अमरूद, कीवी, लीची, पपीता, मौसंबी, संतरा, कीनू, नींबू, पाइनएपल, अनार, जैकफ्रूट, सेब, बादाम, आवंला और नासपाती जैसे फल और मटर, करेला, बैंगन, गाजर, शिमला मिर्च, फूल गोभी, हरी मिर्च, खीरा, फलियां, लहसुन, प्याज, टमाटर, आलू जैसी सब्जियों की ढुलाई शामिल होगी।

फल और सब्जियों की माल ढुलाई पर सब्सिडी की यह व्यवस्था बुधवार से लागू कर दी गई है। किसान ही नहीं बल्कि कोई भी व्यक्ति इस सब्सिडी का लाभ ले सकता है और किसान रेल के माध्यम से केवल 50% भाड़े पर फल और सब्जियां भेज सकता है। ग़ौरतलब है कि सरकार ने इस वित्त वर्ष के बजट में विशेष पार्सल ट्रेन ‘किसान रेल’ चलाने का एलान किया था।

स्रोत: ज़ी न्यूज़

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ककड़ी/खीरे में एन्थ्रेक्नोज रोग नियंत्रण कैसे करें?

Anthracnose disease in Cucumber
  • इस बीमारी के लक्षण पत्तियों, तने एवं फलों पर दिखाई देते हैं।
  • इसके कारण नये फलों के ऊपर अण्डाकार जल रहित धब्बे निर्मित होते है जो आपस में मिलकर बहुत बड़े हो जाते हैं।
  • अत्यधिक नमी के कारण इन धब्बों का निर्माण होता है और इन धब्बों से गुलाबी चिपचिपा पदार्थ निकलने लगता है।
  • इस बीमारी में प्रभावित भागों पर अंगमारी रोग के समान लक्षण निर्मित हो जाते हैं।
  • खेतों को साफ रखे एवं उचित फसल चक्र अपनाकर इस बीमारी को फैलने से रोकें।
  • बुआई से पहले बीजों को कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP से 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।
  • इस रोग के निवारण के लिए मैनकोज़ेब 75% WP@ 500 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या हेक्साकोनाज़ोल 5% SC@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ या ट्राइकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ के रूप में उपयोग करें।
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रबी फ़सलों की MSP पर खरीदी में मध्यप्रदेश सबसे आगे

Madhya Pradesh leads in procurement of Rabi crops on MSP

फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के द्वारा जारी किये गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020-21 में रबी फसलों की खरीद के 43 लाख 35 हजार 477 किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ उठाया है। सभी किसानों को मिलाकर 389.77 लाख मिट्रिक टन अनाज की खरीद की गई है। इसमें सबसे ज्यादा 15 लाख 93 हजार 793 मध्यप्रदेश के किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ उठाया है।

रबी फसलों में सबसे प्रमुख गेहूं के उत्पादन में पंजाब इस बार मध्यप्रदेश से पिछड़ गया। यही कारण है कि इस साल न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ उठा पाने में पंजाब के किसान दूसरे नंबर पर पहुंच गए हैं। एफसीआई के आंकड़ों के मुताबिक पंजाब के 10 लाख 49 हजार 982 किसानों ने रबी की फसल के लिए एमएसपी का लाभ उठाया है। इसके अलावा हरियाणा के 7 लाख 82 हजार 240, उत्तर प्रदेश के 6 लाख 63 हजार 810 और राजस्थान के 2 लाख 18 हजार 638 किसानों ने एफसीआई के जरिए अपनी फसलें बेचकर न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ उठाया है।

स्रोत: अमर उजाला

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