कपास की फसल में सफेद मक्खी के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय

Protection of whitefly in cotton
  • यह कीट शिशु एवं वयस्क दोनों ही अवस्था में कपास की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुँचाते हैं।
  • यह पत्तियों का रस चूसकर पौधे के विकास को बाधित कर देते हैं।
  • यह कीट पौधे पर उत्पन्न होने वाली काली कवक नामक हानिकारक कवक के संक्रमण का कारण भी बनती है।
  • इसके अधिक प्रकोप की स्थिति में कपास की फसल पूर्णतः संक्रमित हो जाती है।
  • फसल के पूर्ण विकसित हो जाने पर भी इस कीट का प्रकोप होता है और इसके कारण कपास के पौधों की पत्तियां सूख कर गिर जाती हैं।
  • प्रबंधन: इस कीट के नियंत्रण के लिए डायफैनथीयुरॉन 50% WP @250 ग्राम/एकड़ या फ्लोनिकामिड 50% WG @ 60 मिली/एकड़ या एसिटामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या पायरीप्रोक्सीफैन 10% + बॉयफैनथ्रिन 10% EC @ 250मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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प्याज़ की नर्सरी में छिड़काव प्रबंधन

  • प्याज़ की नर्सरी में बुआई के सात दिनों के अंदर छिड़काव प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
  • यह छिड़काव कवक जनित बीमारियों, कीट के नियंत्रण, एवं पोषण प्रबंधन लिए किया जाता है।
  • इस समय छिड़काव करने से प्याज़ की नर्सरी को एक अच्छी शुरुआत मिलती है।
  • कवक जनित रोगों लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 30 ग्राम/पंप की दर छिड़काव करें।
  • कीट प्रबंधन के लिए थियामेंथोक्साम 25% WG@ 10 ग्राम/पंप की दर से छिड़काव करें।
  • पोषण प्रबंधन के लिए ह्यूमिक एसिड@ 10 ग्राम/पंप की दर से छिड़काव करें।
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1.22 करोड़ किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड योजना का मिला लाभ

Kisan Credit Card will also help you in meeting domestic needs in lockdown

कोरोना महामारी से किसानों को बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ा है। इस दौरान किसानों को पैसे की कमी ना हो इसका ख्याल सरकार की तरफ से रखा गया और केंद्र सरकार के तरफ से जारी आकड़ों के अनुसार 17 अगस्त 2020 तक देश भर में 1.22 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गये।

इन सभी किसान कार्ड धारी को 1,02,065 करोड़ रूपये की ऋण सीमा के साथ स्वीकृति भी दी गई है। सरकार का ऐसा मानना है कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने और कृषि क्षेत्र के विकास की गति तेज करने में काफी मदद मिलेगी |

स्रोत: किसान समाधान

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मिट्टी समृद्धि किट का महत्व

  • ग्रामोफोन लेकर आया है रबी फसलों के लिए मिट्टी समृद्धि किट।
  • यह किट मिट्टी में पाए जाने वाले आवश्यक पोषक तत्वों को घुलनशील रूप में परिवर्तित करके पौधे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • यह किट मिट्टी को अघुलनशील रूप में पाए जाने वाले पोषक तत्वों को घुलनशील रूप में बदल कर पौधे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • मिट्टी में पाए जाने वाले हानिकारक कवकों को खत्म करके पौधे को होने वाले नुकसान से बचाती है।
  • यह उत्पाद उच्च गुणवत्ता वाले प्राकृतिक अवयवों से बना है और यह मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को बढ़ाने में सहायक है।
  • मिट्टी के पीएच को बेहतर बनाने में मदद करता है और जड़ों को एक अच्छी शुरुआत प्रदान करता है, ताकि जड़ पूरी तरह से विकसित हो जाए। ऐसे होने से फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है।
  • यह किट मिट्टी की संरचना में सुधार करके मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता को कम नहीं होने देता है। यह जड़ प्रणाली द्वारा पोषक तत्वों में सुधार करता है और जड़ के विकास को बढ़ावा देता है।
  • जड़ों के द्वारा मिट्टी से पोषक तत्वों के अवशोषण में भी यह किट मदद करता है और मिट्टी में सूक्ष्म जीवों की गतिविधि को बढ़ावा देता है।
  • खेत में पड़ी पुरानी फसलों के अवशेषों को नष्ट करके उपयोगी खाद में बदल कर फसलों के विकास में भी यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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सोयाबीन की फसल में गर्डल बीटल का प्रबंधन

Girdle beetle in soybean
  • इस कीट की मादा पौधे के तने के अंदर अंडे देती है और जब अंडे से शिशु निकलते हैं तो वे तने को खाकर कमजोर कर देते हैं।
  • इससे तना बीच में से खोखला हो जाता है जिसके कारण खनिज तत्व पत्तियों तक नहीं पहुंच पाते एवं पत्तियां सुख जाती हैं।
  • इस कारण फसल के उत्पादन में भी काफी कमी आ जाती है।
    यांत्रिक प्रबंधन:
  • गर्मियो के समय खाली खेत में गहरी जुताई करें। अधिक घनी फसल की बुआई ना करें।
  • अधिक नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का उपयोग ना करें, यदि संक्रमण बहुत अधिक हो तो उचित रसायनों का उपयोग करें।
    रासायनिक प्रबंधन:
  • लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 200 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC @400 मिली/एकड़ का उपयोग करें। 
  • क्युँनालफॉस 25% EC @400 मिली/एकड़ या बायफैनथ्रिन 10% EC  @300 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
  • थियामेंथोक्साम 25% WG  @ 100 ग्राम/एकड़ + फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ का उपयोग करें।

जैविक प्रबंधन:

  • बवेरिया  बेसियाना @500 ग्राम /एकड़ की दर से छिड़काव करे 
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मध्य प्रदेश में बारिश ने तोड़ दिए रिकॉर्ड, जनजीवन हुआ अस्त व्यस्त

Heavy rains may occur in these states, Meteorological Department issued alert

पिछले तीन दिनों से मध्य प्रदेश के कई जिलों में बादल जमकर बरस रहे हैं। खासकर राजधानी भोपाल और आर्थिक राजधानी इंदौर को ज़बरदस्त बारिश ने बेहाल कर दिया। दोनों ही शहरों के कई मोहल्ले में जल जमाव की स्थिति बन गई।

राजधानी भोपाल में महज 24 घंटे में 8.5 इंच बारिश हुई, जो 14 साल बाद अगस्त में एक दिन में हुई बारिश का रिकॉर्ड है। वहीं इंदौर में 100 साल में पहली बार एक दिन में 12.5 इंच पानी बरसा। इस मानसून में पहली बार सभी 52 जिलों में बारिश हुई है।

इंदौर में खान नदी में जलस्तर बढ़ने से करीब 300 लोगों को नाव के जरिए रेस्क्यू किया गया। मालवा जिले में डैम फूटने के कारण बड़ोदिया निपानिया मार्ग आवागमन के लिए बंद कर दिया गया है।

स्रोत: एनडीटीवी

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ट्राइकोडर्मा क्या है

  • ट्राइकोडर्मा एक जैविक कवकनाशी है जो फसलों में होने वाले रोगों के प्रबंधन के लिए एक बहुत ही प्रभावी जैविक साधन है।
  • ट्राइकोडर्मा एक शक्तिशाली बायोकंट्रोल एजेंट हैं और इसका उपयोग मृदा जनित बीमारियों जैसे फ्यूजेरियम, फाइटोपथोरा, स्क्लेरोशिया आदि के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है।
  • ट्राइकोडर्मा फसल वृद्धि कारक की तरह भी कार्य करता है। यह सुरक्षात्मक रूप में डाला जाये तो निमेटोड का भी नियंत्रण कर लेता है।
  • इसका उपयोग बीज़ उपचार के लिए भी किया जाता है। बीज़ उपचार करने से अंकुरण तो बहुत जल्दी से होता है साथ ही बीज़ जनित बीमारियों से भी सुरक्षा होती है।
  • ट्राइकोडर्मा का उपयोग जड़ गलन, तना गलन, उकठा रोग आदि के प्रभावी नियंत्रक के रूप में किया जाता है।
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नाइट्रोजन बैक्टीरिया की आलू की फसल के लिए उपयोगिता

  • नाइट्रोजन बैक्टीरिया आलू की फसल के लिए बहुत महत्वपूर्ण बैक्टीरिया है।
  • नाइट्रोजन बैक्टीरिया का उपयोग बुआई से पहले मिट्टी उपचार के रूप में करने से फसल को बहुत लाभ मिलता है।
  • यह बैक्टेरिया मिट्टी व पौधों की जड़ों के आसपास मुक्त रूप से रहते हुए वायुमंडलीय नाइट्रोजन को पोषक तत्वों में परिवर्तित करके पौधों को उपलब्ध कराते हैं।
  • नाइट्रोजन बैक्टीरिया आलू के पौधों की पैदावार को बढ़ाने वाले हार्माेन भी बनाते हैं, जो फसल के विकास में सहायक होते हैं।
  • इनके प्रयोग से फसल की पैदावार में 10-20 प्रतिशत तक की वृद्धि होती है।
  • इस जैविक उर्वरक से पौधों की नाइट्रोजन की आवश्यकता आंशिक रूप से पूरी हो सकती है।
  • नाइट्रोजन बैक्टीरिया के प्रयोग से लगभग 15 से 20 किग्रा नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर की बचत की जा सकती है।
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मध्यप्रदेश में शुक्रवार से शुरू हुई भारी बरसात, अगले कुछ दिन रहेगी जारी

Possibility of heavy rains in many states, Orange alert issued

देश के कई इलाकों में भारी बारिश के कारण जनजीवन अस्त व्यस्त है। बात करें मध्यप्रदेश की तो, शुक्रवार शाम से ही मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों में भारी बारिश जारी है। मौसम विभाग का मानना है की आने वाले समय में भी भारी बरसात जारी रह सकती है। 

इसके अलावा भारतीय मौसम विज्ञान विभाग  ने मुंबई, ठाणे, रायगढ़ और कोंकण के अन्य क्षेत्रों में भारी बारिश के लिए ‘ऑरेंज अलर्ट’ भी जारी किया है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों के दौरान ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बंगाल के दक्षिणी हिस्सों में भारी बारिश होने का अनुमान जताया है। विभाग ने मध्य प्रदेश के छह जिलों होशंगाबाद, जबलपुर,बेतुल, नरसिंहपुर, सिवनी और हरदा जिले को रेड अलर्ट जारी किया है। 

स्रोत: जागरण

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आलू समृद्धि किट का महत्व

Potato
  • ग्रामोफ़ोन की नई पेशकश आलू समृद्धि किट मिट्टी में पाए जाने वाले आवश्यक पोषक तत्वों को घुलनशील रूप में परिवर्तित करके पौधे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • इस किट के माध्यम से मिट्टी में पाए जाने वाले हानिकारक कवकों को खत्म करके पौधे को होने वाले नुकसान से बचाती है।
  • यह उत्पाद उच्च गुणवत्ता वाले प्राकृतिक अवयवों से बना है, यह मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को बढ़ाने में सहायक है।
  • यह मिट्टी के पीएच को बेहतर बनाने में मदद करता है और जड़ों को एक अच्छी शुरुआत प्रदान करता है। इससे जड़ पूरी तरह से विकसित होती है, जो फसल के अच्छे उत्पादन का कारण बनती है।
  • यह किट मिट्टी की संरचना में सुधार करके मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता को कम नहीं होने देता है। यह जड़ प्रणाली द्वारा पोषक तत्वों में सुधार कर के जड़ विकास को बढ़ावा देता है।
  • जड़ों के द्वारा मिट्टी से पोषक तत्वों के अवशोषण में भी यह मदद करता है और मिट्टी में सूक्ष्म जीवों की गतिविधि को बढ़ावा देता है।
  • यह खेत में पड़ी पिछली फसल के अवशेषों को नष्ट करके उपयोगी खाद में बदल कर फसलों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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