जीवामृत बनाने की विधि

Method of Making Jeevamrut
  • सर्वप्रथम प्लास्टिक ड्रम छायां में रखकर 10 किलो गोबर, 10 लीटर पुराना गोमूत्र, 1 किलोग्राम किसी भी दाल का आटा, 1 किलोग्राम बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी, 1 किलो गुड़ (तैयार घोल में उपस्थित बैक्ट्रिया ज्यादा सक्रिय हो जाये ), को 200 लीटर पानी में अच्छी तरह से लकड़ी की सहायता से मिलाये।
  • अब इस ड्रम को कपड़े से मुह को ढक दें। इस घोल पर सीधी धूप नही पड़नी चाहिए।
  • अगले दिन इस घोल को फिर से किसी लकड़ी की सहायता से दिन में 2-3 बार हिलाए। 5-6 दिनों तक प्रतिदिन इसी कार्य को करते रहे।
  • लगभग 6 दिन के बाद, जब घोल में बुलबुले उठने कम हो जाये तब जीवामृत उपयोग के लिए बनकर तैयार हो जायेगा।
  • यह 200 लीटर जीवामृत एक एकड़ भूमि के लिये पर्याप्त है।
Share

मध्य प्रदेश: 15 लाख किसानों को बड़ी राहत, फसल बीमा के अंतर्गत मिलेंगे 2990 करोड़

Relief for farmers, Govt. extended the duration of short-term crop loan

मध्यप्रदेश में किसानों के लिये सरकार की तरफ से एक बड़ी खुशख़बरी आई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य के 15 लाख किसानों को फसल बीमा के अंतर्गत कुल 2990 करोड़ की बीमा राशि देने की बात कही है।

बता दें की यह बड़ी राशि प्रदेश के किसानों को अगले सप्ताह तक दे भी दी जाएगी। फसल बीमा के तहत यह राशि सीधे किसानों के खातों में पहुंचा दी जायेगी। मंत्रालय में कृषि विभाग की बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया जहाँ मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव कृषि अजीत केसरी एवं अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे।

दरअसल साल 2018 के खरीफ सीजन के दौरान प्रदेश के करीब 35 लाख किसानों ने अपनी फ़सलों का बीमा कराया था। अब इनमें से 8.40 लाख किसानों को 1930 करोड़ की बीमा राशि मिलनी है। इसके अलावा 2018-19 के रबी सीजन में प्रदेश के 25 लाख किसानों ने रबी फ़सलों के लिए बीमा कराया था, इनमें से भी 6.60 लाख किसानों को 1060 करोड़ की बीमा राशि मिलनी है।

स्रोत: एनडीटीवी

Share

मूंग और उड़द की फसल को सफेद मक्खी से बचा कर फूलों की संख्या बढ़ाएं

Increase the number of flowers by protecting the crop of moong and urad from white fly
  • सफेद मक्खी पत्तियों के निचली सतह पर रहकर रस चूसती हुई पाई जाती है।
  • इसके शिशु एवं वयस्क रूप दोनों रस चूसकर पौधे की बढ़वार को रोक देता है, जिससे पत्तिया पीली पड़कर गिर जाती है अतः उपज में कमी आती है।
  • विषाणुजनित मोजैक रोग फैलाने के लिए आम तौर पर सफेद मक्खी जिम्मेदार होती है।
  • इसके नियंत्रण हेतु डाइफेनथूरोंन 50% WP 200 ग्राम या पायरिप्रोक्सिफ़ेन 10% + बाइफेन्थ्रिन 10% EC 200 मिली या एसिटामिप्रिड 20% SP 100 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
  • मूंग और उड़द में फूलों की संख्या बढ़ाने के लिए होमोब्रेसिनीलॉइड 0.04 % @ 100 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
Share

जीवामृत क्या है, इसके फायदे एवं प्रयोग की विधि

What is Jeevamrut, its benefits and method of use
  • जीवामृत एक अत्यधिक प्रभावशाली जैविक खाद है। जिसे गोबर के साथ पानी मे कई और पदार्थ जैसे गौमूत्र, बरगद या पीपल के नीचे की मिटटी, गुड़ और दाल का आटा मिलाकर तैयार किया जाता है।
  • जीवामृत पौधों की वृद्धि और विकास में सहायक है। यह पौधों की विभिन्न रोगाणुओं से सुरक्षा करता है तथा पौधों की प्रतिरक्षा क्षमता को भी बढ़ाता है। जिससे पौधे स्वस्थ बने रहते हैं तथा फसल से बहुत ही अच्छी पैदावार मिलती है।
  • पलेवा और प्रत्येक सिंचाई के साथ 200 लीटर जीवामृत का प्रयोग एक एकड़ में सामान्य रूप से प्रयोग करना चाहिए।
  • अच्छी तरह से छानकर टपक या छिड़काव सिंचाई के माध्यम से भी प्रयोग कर सकते है, जो कि 1 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए पर्याप्त है।
Share

कैसे बचाएं अमरुद के वृक्ष को उकटा रोग के प्रकोप से

How to save Guava tree from wilt disease
  • रोग का पहला बाहरी लक्षण पत्तियों का हल्का पीले रंग हो जाना साथ ही साथ शीर्ष शाखाओं की पतियों का घुमावदार हो जाना है।
  • आगे की अवस्था में पत्तियां पीली से लाल जैसे रंग में बदल जाती है और समय पहले झड़ जाती है।
  • कुछ टहनियाँ खाली हो जाती हैं और नई पत्तियों या फूलों को लाने में असफल हो जाती हैं अंत में सूख जाती हैं।
  • बाग में उचित स्वच्छता से बीमारी को जांच के दायरे में रखा जा सकता है। संक्रमित पेड़ों को उखाड़ देना चाहिए, जलाया जाना चाहिए और पेड़ के तने के बीच खाई खोदी जानी चाहिए।
  • एस्परजिलस नाईजर NA-7 से या ट्राइकोडर्मा विरिडी उपचारित देशी खाद 5 किलोग्राम प्रति गढ्ढा पौधा लगाते समय तथा 10 किलोग्राम प्रति गढ्ढा पुराने पौधो में गुड़ाई कर डालें।
  • अमरूद के पौधे के चारों ओर थाले बनाएं और उसमें कार्बन्डाजिम दवा की दो ग्राम मात्रा को एक लीटर पानी में घोलकर उससे थाले में डेचिंग करें।
Share

जाने गाय के रंग का महत्व

Know the importance of color of cow
  • सफेद रंग की गाय का दूध पाचक होता है, जो शरीर को हृष्ट-पुष्ट बनाता है।
  • चितकबरी गाय का दूध पित्त बढ़ाता है, जो शरीर को चंचल बनाता है।
  • काले रंग की गाय का दूध मीठा होता है, जो गैस के रोगों को दूर करता है।
  • लाल रंग की गाय का दूध रक्त बढ़ाता है, जो शरीर को स्फूर्तिवान बनाता है।
  • पीले रंग की गाय का दूध पित्त को संतुलित करता है, जो शरीर को ओजपूर्ण बनाता है।
Share

लांच हुआ किसान रथ मोबाइल एप, कृषि उत्पाद के बेहतर परिवहन में होगा मददगार

Kisan Rath App launched, will be helpful in better transportation of agricultural produce

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच देश भर में चल रहे लॉकडाउन को मद्देनज़र रखते हुए ख़ास कर के कृषि से जुड़े लोगों को सरकार की तरफ से हर संभव मदद और राहत देने का कार्य चल रहा है। अब इसी कड़ी में केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को किसान रथ मोबाइल एप लांच किया है जो कृषि उत्पादों के परिवहन में सुगमता लाएगा।

श्री तोमर के साथ इस मौके पर केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला एवं श्री कैलाश चौधरी तथा मंत्रालय के सचिव श्री सजंय अग्रवाल सहित अन्य संबंधित वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। इस मौके पर श्री तोमर ने कहा कि “मौजूदा संकट के दौर में ही, कृषि का काम भी बहुत तेज़ी के साथ करने की आवश्यकता है।”

उन्होंने कहा की “कृषि उत्पादों के परिवहन में कुछ दिक्कतें थी, और इसी को दूर करने के लिए किसान रथ मोबाइल एप लांच किया गया है। यह मोबाइल एप निश्चित रूप से पूरे देश में कृषि उत्पादों के सुचारू परिवहन की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।”

इस एप को आप प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं और फिर इसपर खुद को रजिस्टर कर सकते हैं। इस एप में किसान, ट्रेडर और सर्विस प्रोवाइडर तीनों खुद को रजिस्टर कर सकते हैं।

Share

छिड़काव की कार्यकुशलता बढ़ाये नेपच्युन स्प्रेयर द्वारा

Increase spray efficiency by Neptune sprayer
  • नेपच्युन बैटरीचलित स्प्रेयर बैटरी से संचालित है जिसकी टंकी की क्षमता 16 लीटर है।
  • इसका प्रेसर 0.2 से 0.45 Mpa का है जो 12 V/8AH बैटरी पर काम करता है।
  • रेगुलेटर के माध्यम से प्रेसर को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • इस स्प्रेयर में कीटनाशी, कवकनाशी, शाकनाशी आदि का व्यापक प्रयोग कृषि, बागवानी, वानिकी एवं उद्यान में किया जा सकता हैं।
Share

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से लॉकडाउन मेंं किसानों को मिले 2424 करोड़ रुपये

Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana

लॉकडाउन के दौरान सरकार ख़ास कर के किसानों को मदद पहुंचाने के लिए कई कदम उठा रही है। इसी कड़ी में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत लॉकडाउन के दौरानअब तक 12 राज्यों के बहुत सारे किसानों को 2424 करोड़ के दावों का भुगतान किया गया है।

इसके साथ साथ सरकार इस बात पर भी ध्यान दे रही है कि इस योजना से अधिक से अधिक किसान जुड़ें और लाभान्वित हों। इसके लिए सरकार किसानों को फोन पर मैसेज भेजकर बीमा में शामिल होने की अपील कर रही है। इसकी मदद से खेती में किसानों का जोखिम कम हो जाएगा।

किसानों को इस योजना से जोड़ने के साथ साथ सरकार बीमा कंपनियों के समक्ष कई प्रकार के शर्त रख रही है जिससे किसानों का हित को सुरक्षित करने में मदद मिले। इसके अंतर्गत बीमा का अधिकांश प्रीमियम केंद्र व राज्य सरकारें मिलकर देती हैं।

ज्यादा जानकारी के लिए https://pmfby.gov.in/ पर जाएँ

Share

स्वास्थ्य के लिए वरदान है बकरी का दूध

Goat milk is a boon for health
  • बकरी का दूध प्रोटीन, लिपिड, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और खनिज व इम्युनोग्लोबुलिन की पर्याप्त मात्रा से युक्त होता है जो स्वास्थ्य को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता हैं।
  • गाय के दूध की तुलना में बकरी के दूध में अल्फा कैसिइन की मात्रा कम, कपा कैसिइन की बराबर और बीटा कैसिइन की उच्च मात्रा होती है। बकरी के दूध में कम अल्फा कैसिइन पाचनशक्ति को बढ़ाता है।
  • बकरी का दूध पेट व आंत के रोगों के उपचार में सहायक है।
  • एलर्जी और कैंसर के उपचार के लिए भी बकरी का दूध उत्तम माना गया है।
  • बकरी के दूध में संयुग्मित लिनोलिक एसिड (सीएलए) की उच्च मात्रा होती है। सीएलए की इसके एंटी कारसिनोजेनिक गुण के कारण कोलोरेक्टल और स्तन कैंसर के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका पाई गई है।
  • डेंगू व चिकनगुनिया जैसे रोगों में बकरी का दूध इस रोग की रोकथाम व इलाज के लिए औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • बकरी का दूध शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।
Share