मध्य प्रदेश: ख़रीफ़ सीजन के लिए रखा गया 144.6 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई का लक्ष्य

Madhya Pradesh Sowing target set for 144.6 lakh hectare in Kharif season

कोरोना महामारी की वजह से चल रहे लॉकडाउन में कुछ दिनों के लिए कृषि कार्य धीमी पड़ी थी पर अब इसने रफ़्तार पकड़ ली है। इसी कड़ी में अब मध्यप्रदेश में खरीफ फ़सलों की बुआई को लेकर लक्ष्य का निर्धारण कर लिया गया है। इस बार प्रदेश में 144.6 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फ़सलों की बुआई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

कृषि विभाग के प्रमुख सचिव श्री अजीत केसरी ने कहा है कि इस बार सबसे ज्यादा 60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बुआई का लक्ष्य है। इसके अलावा उन्होंने धान 31 लाख हेक्टेयर, उड़द 17.50 लाख हेक्टेयर, मक्का 16 लाख हेक्टेयर, कपास 6.50 लाख हेक्टेयर, अरहर 4.50 लाख हेक्टेयर, तिल/राम-तिल 4.50 लाख हेक्टेयर, मूंगफली 2.50 लाख हेक्टेयर, मूंग 2 लाख हेक्टेयर तथा अन्य दलहन फ़सलें 0.10 लाख हेक्टेयर में लगाए जाने का लक्ष्य रखा है।

स्रोत: कृषक जगत

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बुआई से पहले कैसे करें कपास के बीजों का उपचार

How to do Seed treatment of cotton seeds before sowing
  • सबसे पहले बीजों को 2.5 ग्राम कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% WP से उपचारित करें उसके बाद 5 मिली इमिडाक्लोप्रिड 48% FS से उपचारित कर अगला उपचार 2 ग्राम पीएसबी बैक्टीरिया और 5-10 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी से प्रति किलो बीज की दर से करें।
  • इन उपचारों से कवकजनित रोगों एवं रसचूसक कीटों से बचाव के साथ साथ उपलब्ध अवस्था में फास्फोरस पौधे को मिलता है जिससे जड़ विकास बेहतर होता है।
  • याद रखें की सबसे पहले फफूंदनाशी, उसके बाद कीटनाशी और अंत में जैविक कल्चर का उपयोग करना चाहिए।
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मशरूम के औषधीय गुण

Medicinal Properties of Mushroom
  • यह दुनिया के सबसे ज्यादा प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थों में से एक है, जो कुपोषण से बचाता है।
  • मशरूम में मौजूद एंजाइम तथा रेशे काॅलेस्ट्रोल कम करके हृदय रोग से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
    कार्बोहाइड्रेट व वसा कम होने के कारण यह दिल के रोगियों, मधुमेह व मोटापे जैसे रोगों व विकारों से ग्रसित व्यक्तियों के लिये एक बेहतरीन आहार है।
  • यह एक ऐसा आहार है, जिसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन-डी भी पाया जाता है, जो मानव हड्डियों को मजबूत करने के साथ-साथ कैल्शियम तथा फाॅस्फोरस के अवशोषण में सहयोग करता है।
  • इसमें उपलब्ध रेशा शरीर के पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है तथा भूख भी बढ़ाता है।
  • हड्डियों की मज़बूती व शरीर की रोगरोधक क्षमता बढ़ाने में इसकी विशेष भूमिका है।
  • मशरूम की कुछ किस्में शरीर में गांठें बनने से भी रोकती हैं, जो गांठें बाद में कैंसर का कारण बन सकती हैं।
  • इसमें मौजूद फोलिक अम्ल व आयरन रक्त में लाल कणिकाएं बनाने में मददगार होते है।
  • 100 ग्राम मशरूम 20% से अधिक विटामिन-बी, जरूरी खनिज लवणों जैसे-सेलेनियम 30%, काॅपर 25% तथा 10-19% फाॅस्फोरस व पोटेशियम की दैनिक पूर्ति करता है।
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रिजर्व बैंक ने दी करोड़ों किसानों को राहत, बढ़ाई फसली ऋण चुकाने की तारीख

Gramophone's onion farmer

कोरोना संक्रमण के कारण चल रहे देशव्यापी लॉकडाउन के बीच रिजर्व बैंक ने करोड़ों किसानों को राहत दी है। यह राहत किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से बैंकों से फसली ऋण लेने वाले देश के करोड़ों किसानों को मिलेगी। भारतीय रिजर्व बैंक ने फसली ऋण की अगली किस्त चुकाने की अवधि बढ़ा कर 31 मई कर दी है।

इसके अलावा आरबीआई ने किसानों की ब्याज में भी राहत प्रदान की है। अब किसान अपनी फसल ऋण की अगली किस्त 31 मई तक सिर्फ 4% वार्षिक के पुराने दर पर ही चुका सकते हैं।

इस विषय पर रिजर्व बैंक की तरफ से बुधवार को एक पत्र जारी किया गया था। इस पत्र में यह साफ़ किया गया है की कोरोना संकट के कारण फसल ऋण पर तीन महीने के मोराटोरियम का लाभ मिलने के साथ साथ तीन महीने की अवधि हेतु दंडात्मक ब्याज भी किसानों को नहीं चुकाना पड़ेगा।

स्रोत: आउटलुक

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कोरोना संकट पर G-20 की बैठक में किसानों की जीविका पर हुई चर्चा, कृषि मंत्री तोमर हुए शामिल

Agriculture Minister Tomar attends discussion on the livelihood of farmers in the G-20 meeting

कोरोना वैश्विक महामारी के कारण भारत सहित विश्व के तमाम देश परेशान है। कोरोना के इसी ज्वलंत मुद्दे पर मंगलवार को G-20 देशों के नेताओं के बीच वीडियो कॉन्फ़्रेंस के माध्यम से सम्मेलन आयोजित हुआ। इस सम्मेलन में G-20 देशों में शामिल सभी देशों के कृषि मंत्री ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

इस बैठक में मुख्य रूप से विश्व में खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को सुगम बनाये रखने तथा किसानों की जीविका को आगे बढ़ाने के तौर तरीकों पर वृहत चर्चा हुई। भारत की तरफ से इस बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर उपस्थित रहे। इस सम्मेलन की अध्यक्षता सऊदी अरब के पर्यावरण, जल एवं कृषि मंत्री अब्दुलरहमान अलफाजली ने की।

केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने सऊदी अरब की पहल पर जी-20 देशों को किसानों की आजीविका सहित खाद्य आपूर्ति की निरंतरता सुनिश्चित करने के तरीकों पर विचार करने के लिए एक मंच पर आने का स्वागत किया। तोमर ने भारत में चल रहे लॉकडाउन के बीच कृषि कार्यों में दी जा रही छूटों की चर्चा की और अपने सभी समकक्ष कृषि मंत्रियों को इससे अवगत कराया।

स्रोत: आज तक

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कपास की फसल में कैसे करे भूमि उपचार?

How to do soil treatment in Cotton crop?
  • कपास में कृषि प्रक्रिया गहरी जुताई के साथ आरंभ करने के बाद 3-4 बार हैरो चला दे ताकि मिट्टी भुरभुरी होने साथ जलधारण क्षमता बढ़ जाये। ऐसा करने से मिट्टी में उपस्थित हानिकारक कीट, उनके अंडे, प्युपा तथा कवकों के बीजाणु भी नष्ट हो जायेंगे।
  • मिट्टी उपचार अवश्य करे अतः 4 किलो जिंक सोलूबलाइज़िंग बैक्टेरिया, 2 किलो ग्रोमेक्स (समुंद्री शैवाल, एमिनो एसिड, ह्यूमिक एसिड और माइकोराइजा), 2 किलो ट्राइकोडर्मा विरिडी और 100 ग्राम एनपीके कन्सोर्टिया बैक्टेरिया को 4 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में प्रति एकड़ की दर से अच्छी तरह मिला कर खेत में बिखेर दे।
  • ऐसा करने से भूमि की संरचना सुधारने, पौधें का संपूर्ण विकास व संपूर्ण पोषण वृद्धि के साथ-साथ हानिकारक मृदाजनित कवक रोगों से भी सुरक्षा हो जाती है।
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मूंग और उड़द की फसल में जीवाणु अंगमारी से बचाव कैसे करें?

How to protect bacterial blight from Green gram and black gram
  • पत्तियों की सतह पर भूरे, सूखे और उभरे हुए धब्बे इस रोग की पहचान है।
  • पत्तियों की निचली सतह पर ये धब्बे लाल रंग जैसे पाये जाते हैं।
  • जब रोग का प्रकोप बढ़ता है तो धब्बे आपस में मिल जाते है और पत्तियां पीली पड़ जाती है अतः समय से पहले झड़ जाती है।
  • इससे नियंत्रण हेतु स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट आईपी 90% + टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 10% w/w @ 20 ग्राम प्रति एकड़ या कसुगामाइसिन 3% SL @ 300 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। या
  • कसुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% WP @ 250 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
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मौसम विभाग का अलर्ट: इन राज्यों में भारी बारिश के साथ गिर सकते हैं ओले

Indian Meteorological Department alert hail may fall in these states with heavy rains

पिछले दिनों देश के कई राज्यों में बारिश और ओले गिरने के कारण किसानों को नुकसान झेलना पड़ा था। अब भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने आने वाले दिनों के लिए भारी बारिश के साथ ओलावृष्टि की संभावना जताई है।

ग़ौरतलब है की पिछले कुछ दिनों से देश के कई क्षेत्रों में बादल छाए हुए हैं और कहीं कहीं बारिश भी हुई है जिसके कारण तापमान में भी गिरावट देखने को मिली है। अब भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने इसी कड़ी में अलर्ट जारी करते हुए चेतावनी जारी की है की आने वाले कुछ दिनों में भी मौसम ख़राब रह सकता है।

मौसम विज्ञान विभाग ने इस बाबत पांच दिनों का एक मौसम संबंधित बुलेटिन जारी किया है और कहा है की पश्चिम बंगाल का गंगा नदी के आस पास वाला क्षेत्र, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम-त्रिपुरा, असम-मेघालय, केरल-माहे और कर्नाटक के अलग-अलग क्षेत्रों में भारी वर्षा हो सकती है।

इसके साथ ही मौसम विज्ञान विभाग ने बिहार, असम मेघालय, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य महाराष्ट्र, मराठावाड़ा में 40-50 किमी प्रति घंटे की तीव्रता से हवाएं चलने, बिजली गिरने व ओलावृष्टि होने की संभावना जताई है। इसके अलावा जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, गिलगित-बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद, मध्य प्रदेश, विदर्भ, कोंकण और गोवा भी मौसम खराब रहने का अलर्ट मौसम विभाग ने जारी किया है।

स्रोत: जागरण

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मध्यप्रदेश में गेंहू की खरीदी जारी, अब तक 400 करोड़ रुपये के गेहूं की हुई खरीदी

कोरोना संकट के मद्देनज़र सभी जरूरी एहतिआत बरतते हुए पिछले 15 अप्रैल से इंदौर, उज्जैन और भोपाल को छोड़ कर मध्यप्रदेश के सभी जिले में समर्थन मूल्य पर गेंहू की खरीदी शुरू कर दी गई थी। आज इस खरीदी के कार्य को शुरू हुए एक हफ्ता बीत चुका है।

इस पूरे एक हफ्ते में प्रदेश की लगभग चार हजार सहकारी समितियों के माध्यम से प्रदेश के सवा लाख किसानों से 400 करोड़ रुपये के गेहूं की खरीदी की गई है। मंगलवार से खरीदी की प्रक्रिया को और विस्तार दिया जा रहा है। इसमें लगभग 25 हजार किसानों को मैसेज भेजे जाएंगे। एक सोसायटी में 25 किसानों को बुलाया जाएगा, जिसमें 20 छोटे और पांच बड़े किसान होंगे।

स्रोत: नई दुनिया

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प्याज और लहसुन के भंडारण में इन बातों का रखें ध्यान

How to storage onion and garlic
  • कंद को पूरी तरह बिना पके हुए ही निकाल देने से कन्द के अन्दर खाली जगह बच जाती है, जो की बाद में गर्मी और नमी के प्रभाव में आकर सड़न पैदा करती है।
  • इस स्थिति से बचने के लिए कन्द के ऊपरी तने यानि सतह से उपरी भाग को 80% तक सूखने के बाद ही निकाले अतः इस स्थिति में पोधे का तना मुड़कर ज़मीन की और हो जाता है तब निकाले।
  • यदि आपके पास पर्याप्त जगह हो और आप लहसुन को ज्यादा समय तक सुरक्षित रखना चाहते हो तो तने से कन्द को न काटे जब जरूरत हो तभी काटे। उन्हें एक गुच्छे में बांध कर फैला कर रख दे।
  • यदि कटाने की आवश्यकता हो तो सबसे पहले उन्हें 8-10 दिन तक तेज धुप में सूखने दे। लहसुन कंद की जड़ को तब तक सूखने दे जब तक जड़े बिखर न जाये। फिर कंद से तने के बीच में 2 इंच की दुरी रख कर ही काटे ताकी उनकी परत हटने पर कलिया बिखरे नही और कंद ज्यादा समय तक सुरक्षित रहे।
  • कई बार कुदाली या फावड़े से कंद को चोट लग जाती है। प्याज लहसुन के कंद की छटाई करते वक्त दाग लगे हुए कंद को अलग निकाल दे, बाद में इन्हीं दागी कंदो में सडन पैदा हो कर अन्य दूसरे कंदों में भी सडन फैल जाती है।
  • मानसून में वातावरण नमी बढ़ जाती है और वो कंद को ख़राब करती है अतः भण्डारित किये गए प्याज लहसुन को समय समय पर देखते भी रहे। यदि कही कंदो से सड़न या बदबू आती है तो उस जगह से ख़राब कंदो को अलग कर ले अन्यथा वह अन्य उपज को भी ख़राब कर देता है।
  • अच्छे भण्डारण के लिए भण्डार गृहों का तापमान 25-30 डिग्री सें. तथा आर्द्रता 65-70 प्रतिशत के मध्य होनी चाहिए।
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