मध्‍य प्रदेश में इस दिन शुरू होगी चना एवं मसूर की समर्थन मूल्य पर खरीदी

Purchase of Gram and Lentils on support price will begin in Madhya Pradesh on this day

मध्यप्रदेश में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी शुरू हुए दो हफ्ते से ज्यादा बीत चुके हैं। अब सरकार किसानों से चना एवं मसूर की खरीदी शुरू करने वाली है। प्रदेश में समर्थन मूल्य पर चना एवं मसूर की खरीदी 29 अप्रैल से शुरू हो जाएगी।

इस विषय पर रविवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने समीक्षा की और इस दौरान उन्होंने वहां मौजूद अधिकारियों को चना और मसूर की खरीदी की प्रक्रिया के दौरान लॉकडाउन संबंधी दिशा निर्देशों के साथ सामाजिक दूरी का पालन कराने के निर्देश भी दिए हैं।

इस समीक्षा बैठक में बताया गया अब तक तीन लाख 72 हजार किसानों से 16 लाख 73 हजार मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी समर्थन मूल्य पर कर ली गई है और इसके एवज में किसानों को भुगतान भी कर दिया गया है।

स्रोत: नई दूनिया

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मिट्टी परीक्षण में मिट्टी के पी.एच. मान एवं विद्युत चालकता का महत्व

मिट्टी के पी एच मान का महत्त्व?

  • इसके द्वारा मिट्टी की अभिक्रिया का पता चलता है, कि मिट्टी सामान्य, अम्लीय या क्षारीय प्रकृति की है। मृदा पी.एच. घटने या बढ़ने से पादपों की वृद्धि पर असर पड़ता है।
  • समस्याग्रस्त क्षेत्रों में फसल की उपयुक्त किस्मों की संस्तुति की जाती है। जो कि अम्लीयता और क्षारीयता को सहन करने की क्षमता रखती हो। 
  • मिट्टी पी.एच. मान 6.5 से 7.5 की बीच होने पर पौधों द्वारा पोषक तत्वों को सबसे अधिक ग्रहण किया जाता है। पी.एच. मान 6.5 से कम होने पर भूमि अम्लीय और 7.5 से अधिक होने पर भूमि क्षारीय होती है।
  • अम्लीय भूमि के लिए चूना एवं क्षारीय भूमि के लिए जिप्सम डालने की संतुति की जाती है। 

विद्युत चालकता (लवणों की सांद्रता) का महत्त्व?

  • मृदा विद्युत चालकता (ईसी) एक अप्रत्यक्ष माप है जो मिट्टी के भौतिक और रासायनिक गुणों के साथ बहुत गहरा संबंध रखता है। मृदा विद्युत चालकता मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता का एक संकेत है। 
  • मिट्टी में लवणों की अधिक सान्द्रता पोषक तत्वों के अवशोषण की क्रिया पर हानिकारक प्रभाव छोड़ती है। 
  • मृदा विद्युत चालकता स्तर का बहुत कम होना कम उपलब्ध पोषक तत्वों को इंगित करते हैं, और बहुत अधिक ईसी स्तर पोषक तत्वों की अधिकता का संकेत देते हैं। 
  • कम ईसी वाले अक्सर रेतीली मिट्टी में कम कार्बनिक पदार्थ के स्तर के साथ पाए जाते हैं, जबकि उच्च ईसी स्तर आमतौर पर मिट्टी में उच्च मिट्टी सामग्री (अधिक क्ले) के साथ पाए जाते हैं।
  • मृदा कण में ‘बनावट, लवणता और नमी’ मिट्टी के गुण हैं जो ईसी स्तर को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं।
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आइए जानते हैं देसी नस्ल की गायों का महत्व

Let's Know the Importance of Desi breed cows
  • भारत में देसी गायों की दुधारू नस्लों में गिर, रेड सिंधी, साहीवाल, राठी, देवनी, हरियाणा, थारपारकर, कांकरेज, मालवी, निमाड़ी इत्यादि प्रमुख हैं।
  • देसी गाय का दूध A2 प्रकार का दूध है जिसके सेवन से शरीर में रोग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है इस कारण दूध की कीमत भी अधिक मिलती है।
  • ये नस्लें पर्यावरणीय बदलावों और विपरीत परिस्थिति से लड़ने की क्षमता रखती है।
  • इन नस्लों में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है और रखरखाव खर्च भी कम आता है।
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दस्तावेज़ों के कारण रुकी पीएम किसान की राशि तो ऑनलाइन करें अपलोड, पाएं 6000 सालाना

PM kisan samman

किसानों के लिए भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ के अंतर्गत मिलने वाले 6 हजार रुपये की पहली क़िस्त पिछले कुछ दिनों में किसानों के खातों में पहुंचा दी गई है। हालाँकि कुछ किसान इस क़िस्त को पाने में कामयाब नहीं भी हो पाए हैं जिसका कारण उनके आवेदन में गड़बड़ी या दस्तावेज़ों की कमी भी हो सकती है।

बता दें की इस योजना के अंतर्गत किसान ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरह से आवेदन करते हैं। कई बार आवेदन को स्वीकार नहीं किया जाता क्योंकि दस्तावेज़ जैसे कि आधार, मोबाइल नंबर या बैंक खाते की जानकारी नहीं दी गई होती।

ऐसा होने पर किसान घर से ही अपने दस्तावेज़ ऑनलाइन माध्यम से अपलोड कर सकते हैं। इसके लिए किसानों को pmkisan.gov.in के लिंक पर जाकर ‘Farmers Corner’ में जाना होता है और अपने दस्तावेज़ अपलोड करने होते हैं।

स्रोत: जनसत्ता

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किसानों के लिए लाभकारी है डायरेक्ट मार्केटिंग, कोरोना संकट के बीच दिया जा रहा है बढ़ावा

Direct marketing is beneficial for farmers, boost is being given in Corona crisis

कोरोना संकट के बीच भारत सरकार किसानों के बीच डायरेक्ट मार्केटिंग या प्रत्यक्ष विपणन को बढ़ावा दे रही है। इसके अंतर्गत किसानों की सुविधा और बेहतर रिटर्न मिले सरकार इसके लिए प्रयासरत है। इसके साथ ही केंद्र सरकार की तरफ से राज्यों को भी अनुरोध किया गया है कि वे किसानों/किसान समूहों/एफपीओ/सहकारी समितियों को थोक खरीदारों/बड़े खुदरा विक्रेताओं/प्रोसेसरों आदि को अपनी उपज बेचने में सुविधा प्रदान करने के लिए ’डायरेक्ट मार्केटिंग’ को बढ़ावा दें।

बहरहाल कई राज्यों ने ’डायरेक्ट मार्केटिंग’ को बढ़ावा दिया भी है। इन राज्यों में कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और गुजरात जैसे राज्य शामिल है।

लॉकडाउन के दौरान कई राज्यों में ’डायरेक्ट मार्केटिंग’ के अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं। राजस्थान में लॉकडाउन के दौरान 1,100 से ज्यादा डायरेक्ट मार्केटिंग के लाइसेंस दिए गए जिससे किसानों को अपनी उपज बेचने में आसानी हुई।

तमिलनाडु में इसके अंतर्गत बाजार शुल्क माफ हो गए जिसकी वजह से व्यापारियों ने किसानों से उनके खेतों से उपज खरीद लिया। वहीँ उत्तर प्रदेश में किसानों तथा व्यापारियों के साथ एफपीओ शहरों के उपभोक्ताओं को उपज की आपूर्ति कर रहे हैं। इससे किसानों के अपव्यय में बचत और प्रत्यक्ष लाभ मिल रही है।

स्रोत: कृषक जगत

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बागवानी वाली फसलों में ऐसे करें दीमक (उदई) नियंत्रण

Control of termites in horticultural crops
  • दीमक की समस्या बागवानी वाली फसल जैसे अनार, आम, अमरुद, जामुन, निम्बू, संतरा, पपीता, आंवला आदि में देखने को मिलता है।
  • यह जमीन में सुरंग बनाकर पौधों की जड़ों को खाते हैं। इसका अधिक प्रकोप होने पर ये तने को भी खाने लगते हैं और मिट्टी युक्त संरचना बनाते हैं।
  • गर्मियों में मिट्टी में दीमक को नष्ट करने के लिए गहरी जुताई करें और हमेशा अच्छी सड़ी खाद का हीं प्रयोग करें।
  • 1 किग्रा बिवेरिया बेसियाना को 25 किग्रा गोबर की सड़ी खाद में मिलाकर पौधरोपण से पहले डालना चाहिए।
  • दीमक के टीले को केरोसिन से भर दे ताकि दीमक की रानी के साथ-साथ अन्य सभी कीट मर जाएँ।
  • दीमक द्वारा तनों पर बनाये गए छेद में क्लोरोपायरिफोस 50 ईसी @ 250 मिली प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर प्रयोग करें और पेड़ की जड़ों के पास यही दवा 50 मिली प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर डाले।
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तुलसी के पौधे की क्या है वैज्ञानिक महत्ता

What is the scientific importance of Basil
  • तुलसी के पौधे के धार्मिक महत्व के साथ साथ इसका वैज्ञानिक महत्व भी खूब है। इसका काढा बुखार, जुकाम, खांसी दूर करने में फ़ायदेमंद होता है।
  • यह पौधा शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति बनाने के साथ-साथ जीवाणु और विषाणु संक्रमण से भी लड़ता है।
  • तुलसी का पौधा एक प्राकृतिक हवा शोधक है जो 24 में से 12 घंटे ऑक्सीजन छोड़ता है तथा कार्बन डाइऑक्साइड तथा सल्फर ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों को भी अवशोषित करता है।
  • यह आयरन व मैंगनीज का स्रोत होता है जो आपके शरीर में विभिन्न यौगिकों को चयापचय में मदद करता है।
  • एंटीऑक्सिडेंट का समृद्ध स्रोत होने के कारण यह पौधा तनाव को भी कम करने में सहायक है।
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फसल बीमा योजना: जरूरी दस्तावेज़ों के साथ करें आवेदन, फसल के नुकसान पर होगी भरपाई

Crop Insurance

बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं की वजह से अक्सर किसानों की फसल प्रभावित होती है। इससे बचने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की थी। इस योजना से किसान अपने फसल को होने वाले नुकसान की भरपाई कर सकते हैं। यह योजना साल 2016 में शुरू हुई जिससे अब तक देश के करोड़ो किसान लाभान्वित हो चुके हैं।

कैसे करें आवेदन?
इसका आवेदन आप बैंक के माध्यम से और ऑनलाइन भी कर सकते हैं। ऑनलाइन आवेदन देने के लिए https://pmfby.gov.in/ लिंक पर जाकर फॉर्म भरें। इसके आवेदन के लिए एक फोटो और पहचान पात्र हेतु पैन कार्ड, ड्रायविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड या आधार कार्ड की जरुरत होती है। इसके अलावा एड्रेस प्रूफ के लिए भी एक दस्तावेज़ जरुरी होता है जिसके लिए किसान को खेती से जुड़े दस्तावेज़ और खसरा नंबर दिखाने होते हैं। फसल की बुआई हुई है इसकी सत्यता हेतु प्रधान, पटवारी या फिर सरपंच का पत्र देना होता है। एक कैंसिल चेक भी देना होता है ताकि क्लेम की राशि खाते में सीधे आए।

स्रोत: नई दुनिया

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पशुओं में आफरा की समस्या होने पर उपचार कैसे करें?

How to treat when the animals have Afra
  • आफरा हो जाने पर इलाज में देर करने से पशु की मृत्यु तक हो जाती है। इसलिए इलाज में देरी नही करनी चाहिए। तुरन्त चिकित्सक बुलाये या निम्न में से कोई एक उपाय करने से भी पशु की जान बचाई जा सकती है।
  • एक लीटर छाछ में 50 ग्राम हींग और 20 ग्राम काला नमक मिला कर उसे पिलाए। या
  • सरसों, अलसी या तिल के आधा लीटर तेल में तारपीन का तेल 50 से 60 मी.ली. मिला कर पिलाये। या
  • आधा लीटर गुनगुने पानी में 15 ग्राम हींग घोल कर नाल द्वारा पिलाये।
  • ऊपर दिए गये आफरे के घरेलू उपचार है तथा कुछ दवाइयाँ भी पशुपालक को अपने पास रखनी चाहिए ताकि चिकित्सक के समय पर ना आने पर उचित इलाज हो सके।
  • आफरा नाशक दवाइयों में एफ़्रोन, गार्लिल, टीम्पोल, टाईम्पलेक्स आदि प्रमुख है जिसे चिकित्सक के परामर्श पर ही पशु को देना चाहिए।
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पशुओं में आफरा रोग के लक्षण और कारण

Symptoms and Causes of Afra disease in animals
  • पशु को सांस लेने में कठिनाई होना, पशु का पेट अधिक फूल जाना, ज़मीन पर लेट कर पाँव पटकना,पशु का जुगाली नही करना, चारा-पानी बंद कर देना, नाड़ी की गति तेज हो जाना किन्तु तापमान सामान्य रहना आदि आफरे के प्रमुख लक्षण है।
  • आफरा का असर बढ़ने पर पशु की हालत गंभीर हो जाती है और कभी-कभी मृत्यु भी हो जाती है।
  • बरसीम, जई और दूसरे रसदार हरे चारे, विशेषकर जब यह गीले होते है तब पशु द्वारा खाया जाना आफरे का कारण बनते है।
  • गेहूं, मक्का जैसे अनाज ज्यादा मात्रा में खाने से भी आफरा हो जाता है क्योंकि इनमें स्टार्च की मात्रा अधिक होती है।
  • बरसात के दिनों में कच्चा चारा अधिक मात्रा में खा लेना, गर्मी के दिनों में उचित तापमान न मिलना, पाचन क्रिया गड़बड़ाना, अपच हो जाना, पशु को खाने के तुरन्त बाद खूब सारा पानी पिलाने आदि से भी आफरा हो जाता है।
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