Pod Borer in Gram(Chickpea)

फली छेदक चने की एक प्रमुख कीट हैंं  जो फसल को भारी नुकसान पहुंचाता हैं। फली छेदक के कारण पैदावार में औसतन नुकसान 21% होता हैं। इस कीट के कारण कि चने की फली में लगभग 50 से 60% तक नुकसान हो सकता हैं| चना के अलावा यह कीट अरहर, मटर, सूरजमुखी, कपास, कुसुम, मिर्च, ज्वार, मूंगफली, टमाटर और अन्य कृषि और बागवानी फसलों पर भी आक्रमण  करता हैं। यह दालों और तिलहनों का एक विनाशकारी कीट हैं।

संक्रमण:- कीट की शुरूआत आमतौर पर अंकुरण के एक पखवाड़े के बाद होती हैं | और यह कली निकलने के शुरुआत के साथ बादल और उमस वाले मौसम में गंभीर हो जाती हैं। मादा कई छोटे सफेद अंडे देती  हैं 3-4 दिनों में अंडे से इल्लियाँ निकलती हैं, यह इल्लीया कोमल पत्तियों को थोड़े समय के लिए खाती हैंं और बाद में फली पर आक्रमण करती हैंं। एक पूर्ण विकसित इल्ली लगभग 34 मिमी लंबी, हरी से भूरे रंग की होती हैं व्यस्क इल्ली मिट्टी में चली जाती तथा प्यूपा  बन कर रहती हैं| इस कीट का जीवन चक्र लगभग 30-45 दिनों में पूरा हो जाता हैं। कीट एक साल में आठ पीढ़ियों को पूरा कर सकती हैं।

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Nutrient Management in Wheat

गेहूं मे पौषक तत्व प्रबंधन:- गेंहू की उपज में पौषक तत्त्व प्रबंधन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है मृदा मे उपलब्ध पौषक तत्त्व की जानकारी हेतु मिट्टी की जाँच बहुत आवश्यक है| इसी के आधार पर फसलो में पौषक तत्त्व प्रबंधन किया जाता हैं | सामन्यतः गेहू के लिए अनुसंशित मात्रा इस प्रकार हैं 

  • अच्छे से सडी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट को 6 -8  टन/एकड़ के हिसाब से हर 2 साल में मिट्टी में मिलाना चाहिये|
  • गोबर की खाद डालने से भूमि की संरचना में सुधार और पैदावार में बढ़ोतरी होती है।
  • गेंहू में 88  कि.ग्रा. यूरिया, 160 कि.ग्रा ,सिंगल सुपर फॉस्फेट एवं 40 कि.ग्रा. म्युरेट ऑफ़ पोटाश प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग करना चाहिये|
  • युरिया का उपयोग तीन भागों में करना चाहिए|
    1.) 44  कि.ग्रा. यूरिया की मात्रा बोनी के समय करें।
    2.) शेष 22 कि.ग्रा. पहली सिंचाई के समय डाले।
    3.) शेष 22 कि.ग्रा., दुसरी सिंचाई के समय डाले।
  • आशिंक सिंचाई उपलब्ध हो एवं अधिकतम दो सिंचाई होने पर यूरिया @ 175 , सुपर सिंगल फॉस्फेट@ 250 और म्युरेट ऑफ़ पोटाश @ 35-40 कि.ग्रा प्रति हेक्टेयर डाले।
    असिंचित अवस्था में नाइट्रोजन फास्फोरस एवं पोटॉश की पूरी मात्रा डालें|
  • यदि गेंहू की बुवाई मध्य दिसम्बर में करते है तो नत्रजन की 25 प्रतिशत मात्रा कम डालना चाहिये|

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