Suggestions for control of yellowing of Coriander Leaves

  • धनिया एक मसाले वाली महत्वपूर्ण फसल हे, जिसके सभी भाग तना,पत्ती एवं बीज का उपयोग किया जाता हैं।
  • यदि इसका प्रबंधन सही नही हो, तो यह पीली पड़ जाती हे, जिससे उत्पादन में कमी होती है।
  • भूमि में नाईट्रोजन की कमी एवं बीमारी ओर कीट की समस्या होने से धनिया की पत्तीया पीली पड़ जाती है।
  • इसके प्रबंधन के लिए बेसल डोज में उर्वरको के साथ  नाईट्रोजन एवं फस्फोरस स्थरीकरण जीवाणु की मात्रा 2 kg प्रति एकड़ की दर से खेत में अच्छी तरह से मिला दे।
  • थायोफिनेट मिथाईल 70 % डब्लूपी @ 250-300 ग्राम और क्लोरोपयरिफोस 20 % ईसी @ 500 ml प्रति एकड को सिचाई के साथ दे।
  • इस स्प्रे के बाद 19:19:19 का 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करना चाहिए।

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How to protect our crops from White Grubs

किसानों के  लिए सफ़ेद ग्रब एक चुनौतीपूर्ण विषय बन गया है। इस कीट के  हमले से 80-100

प्रतिशत तक की नुक्सान होने की संभावना बताई गयी हे फसलो में 2-14 ग्रब से 64.7 प्रतिशत तक की हानि रिकॉर्ड की गयी हे

जीवन चक्र:-

  1. इस कीड़े के वयस्क पहली बारिश के बाद प्यूपा अवस्था से बहार आते हे और अगले एक महीने में जमीन में 8 इंच नीचे अपने अंडे  देते है
  2. ये अंडे 3-4 सप्ताह में लार्वा अवस्था (इल्ली अवस्था ) में बदल जाते है
  3. इस कीट के लार्वा अगले 4-5 महीनो में अपनी अवस्था बदलते हुए फसल को नुकसान पहूंचाते है और गर्मी शुरू होने से पहले पुनः प्यूपा अवस्था में चले जाते है

नियंत्रण केसे करे ?

रसायनिक उपचार:- फेनप्रोपेथ्रिन 10% ईसी  @ 500 मिली प्रति एकड़, फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% डब्ल्यूजी @ 100 ग्राम / एकड़ या क्लोरपायरीफॉस 20% ईसी @ 500 मिली / एकड़ का मिटटी में छिडकाव करे।

जैविक उपचार:– मेटाराइजियम स्पी. @ 1 किग्रा / एकड़ और बेवरिया + मेटाराइजियम  स्पी. @ 2 किग्रा / एकड़ की दर से पहले उर्वरक छिडकाव के साथ दे।

यांत्रिक नियंत्रण:-  लाइट ट्रैप का उपयोग करे।

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Thing to keep in mind before selecting Suitable cotton variety to your field

अधिक उपज के लिए सही व उचित किस्म का चयन करना जरूरी हैं। किस्म का चुनाव खेती के उद्देश्य पर निर्भर करता हैं। इसलिए हम यहां ख़ास उद्देश्य हेतु लोकप्रिय किस्मों के बारे में बता रहे हैं।

अगेती किस्मे:- ( 140-160 दिन )

  • आरसीएच 659 बीजी-2 ( रासी )
  • मनीमेकर ( कावेरी )
  • भक्ती ( नुजिवीडू)

मिट्टी के किस्म के आधार पर:-

  • आरसीएच 659 बीजी-2 ( रासी ) ( मध्यम से भारी मिट्टी के लिये )
  • नीओ ( रासी ) ( मध्यम से हल्की मिट्टी के लिये )

अच्छे आकार की बोल वाली किस्मे:-

  • आरसीएच 659 बीजी-II
  • मनीमेकर ( कावेरी )
  • एटीएम केसीएच- बीजी-2 ( कावेरी )
  • जेकपॉट ( कावेरी )

अच्छे बोल वजन वाली किस्मे (6-7.5 ग्राम)  :-

  • जेकपॉट ( कावेरी )
  • जादू ( कावेरी )
  • एटीएम केसीएच- बीजी-2 ( कावेरी )

रस चुसक कीटो के प्रति सहिष्णु:-

  • नीओ ( रासी )
  • भक्ति ( नुज़िवीडू )

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How to prepare Nursery for chilli

  • मिर्च के लिए नर्सरी तैयार करने का समय 1 मई से 30 मई हैं |
  • सबसे पहले मिट्टी को जुताई कर बारीक कर ले।
  • एक एकड़  क्षेत्रफल के लिए 60 मीटर वर्ग क्षेत्रफल की आवश्यकता होती है इस जगह को 3 मीटर लंबाई तथा 1.25 मीटर चौड़ाई के 16 से18 नर्सरी बेड में विभाजित कर लेते हैं
  • 60 मीटर वर्ग क्षेत्र के लिए 750 gm डीएपी 150 किलो गोबर की खाद की आवश्यकता होती हैं |
  • फफूंद जनित रोगों से बचाव के लिए थियोफैनेट मिथाइल 0.5 ग्राम / वर्ग मीटर की दर से मिट्टी में मिलाइये।
  • मिर्च  के लिये उपयुक्त  बीज की दर 100 ग्राम / एकड़ हैं |

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Popular varieties of chilies preferred by farmers of Madhya Pradesh

निमाड़ क्षेत्र में किसान अप्रैल के तीसरे सप्ताह से मिर्च की नर्सरी की तैयारी शुरू करते हैं। बुवाई से 5-7 दिन पहले किस्म का चुनाव करना चाहिए। अधिक उपज के लिए सही व उचित किस्म का चयन करना जरूरी हैं। किस्म का चुनाव खेती के उद्देश्य पर निर्भर करता हैं। इसलिए हम यहां ख़ास उद्देश्य हेतु लोकप्रिय किस्मों के बारे में बता रहे हैं।

हरी मिर्च तुड़ाई के उद्देश्य के लिए उपयुक्त किस्मे:-

  • नंदिता (नन्हेम्स)
  • एचपीएच -12 (सिजेंटा)
  • उजाला (नन्हेम्स)
  • एमएचसीपी 310 – तेजा (महिको)

यदि किसान भाई सुखी मिर्च उत्पादन के उद्देश्य से मिर्च की बुवाई करना चाहते हैं तो उपयुक्त किस्में:-

  • सोनल (रासी सीड्स)
  • यूएस 720 (नन्हेम्स)
  • यूएस 611 (नन्हेम्स)
  • एचपीएच -12 (सिजेंटा)

वायरस के प्रति सहिष्णु किस्मे :-

  • एचपीएच -12 (सिजेंटा)
  • सोनल (रासी सीड्स)
  • प्राईड (रासी सीड्स)
  • नंदिता (नन्हेम्स)

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Why & how to apply FYM in soil?

  • देश भर में अधिकांश कृषि योग्य भूमि में 11% से 76% तक कार्बनिक कार्बन की कमी हैं |
  • गोबर की खाद कार्बनिक कार्बन का एक अच्छा स्रोत है|
  • मृदा जैविक कार्बन मिट्टी की उर्वरता का प्रमुख कारक है, जो पौधों की उचित बढ़वार के लिए, मिट्टी के भौतिक गुणों जैसे, जल धारण क्षमता, सरंध्रता आदि में सुधार करते हैं।
  • गोबर की खाद एक कार्बनिक खाद हैं, जो कृषि में उर्वरक की तरह उपयोग की जाती हैं यह खेत की उर्वरता को बढ़ाता हैं | औसत रूप से अच्छी खाद में 0.5% नाइट्रोजन, 0.2% फास्फोरस 0.5% पोटाश होता हैं।
  • यह सूक्ष्म पोषक तत्व एवं पादप पोषक तत्वों की मिट्टी में पूर्ति करते हैं तथा इन तत्वों की उपलब्धता को भी बढ़ाते हैं |
  • यह मिट्टी के भौतिक गुणों जैसे, जल धारण क्षमता, सरंध्रता आदि में सुधार करते हैं।
  • वर्षा के पानी के कारण लीचिंग की वजह से मिट्टी में मौजुद पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं | इसलिए अच्छी तरह से तैयार या पकी हुई खाद 8-10 टन प्रति एकड़ की दर से खेत में जुताई से पहले ठीक तरह से मिला देना चाहिए।

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Suitable soil for Cabbage

  • फूल गोभी की खेती, हल्की एवं दोमट मिट्टी जिसका जल निकास अच्छा हो तथा पी.एच. 5.5 से 6.8 हो उपयुक्त होती हैं।
  • अगेती किस्मों के लिए हल्की मिट्टी व मध्य अवधि किस्मों और पिछेती किस्मों के लिए भारी दोमट भूमि उपयुक्त हैं।
  • लवणीय भूमि में फंगस व जीवाणु से फैलने वाले रोग ज्यादा होते हैं।

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Seed treatment for Sweet corn

  • बुवाई के पूर्व बीजों को 2 ग्राम कार्बोक्सिन 37.5% + थाइरम 37.5% डब्ल्यू पी प्रति कि.ग्राम की दर से उपचारित करें|

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Spacing for cabbage

किस्मों, भूमि के प्रकार व मौसम के अनुसार पौध अन्तराल निर्भर करती है।

सामान्यतः पौध अन्तराल इस प्रकार रखा जाता हैं।

  • अगेती किस्म के लिए  45 x 45 से.मी. |
  • मध्य अवधि किस्म के लिए 60 x 40 से.मी. |
  • पिछेती किस्म के लिए 60 x 60 से.मी. या 60 x 45 से.मी. |

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Soil solarization in chilli nursery

  • फफूंद जनित रोग तथा कीट आदि से बचाव के लिए मिर्च फसल की नर्सरी तैयार करने से पहले ग्रीष्म कालीन सौरीकरण किया जाना चाहिए|
  • सौरीकरण के लिए उपयुक्त समय अप्रैल-मई होता हैं क्योकि इस समय वातावरण का तापमान 40ºC तक बढ़ जाता हैं।
  • सर्वप्रथम मिट्टी को पानी से गीला करें, या पानी से संतृप्त करें।
  • इसके बाद लगभग 5-6 सप्ताह के लिए पूरे नर्सरी क्षेत्र पर 200 गेज (50 माइक्रोन) की पारदर्शी पॉलीथीन फैलाएं।
  • पॉलिथीन के किनारो को गीली मिट्टी की सहायता से ढंकना चाहिए जिससे हवा का प्रवेश पॉलीथीन के अंदर न होने पाए।
  • 5-6 सप्ताह के बाद पॉलीथिन शीट को हटा दें|

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