Seed rate for Cauliflower

  • हाईब्रीड किस्मों  के लिए:- 175-200 ग्राम/एकड़ बीज की आवश्यकता होती हैं।
  • उन्नत किस्मों के लिए:- 400-500 ग्राम/एकड़ बीज की आवश्यकता होती हैं।

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Sowing method of sweet corn

  • मेढ़ो के शीर्ष से थोड़ा नीचे लगभग एक तिहाई दूरी पर बीज हाथ से बोये जाते हैं |
  • अंकुरण के 10 दिन बाद अतिरिक्त पौधा को निकाल कर पौधों की संख्या संतुलित कर ली जाती हैं ताकि प्रत्येक पौधों को पर्याप्त जगह मिल सके |

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Seed rate for Cabbage

  • हाईब्रीड किस्मों  के लिए:- 175-200 ग्राम/एकड़ बीज की आवश्यकता होती हैं।
  • उन्नत किस्मों के लिए:- 400-500 ग्राम/एकड़ बीज की आवश्यकता होती हैं।

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Seed treatment in Cabbage

  • स्वस्थ बीजों की बुवाई करें ।
  • बुवाई के पूर्व बीजों को 2 ग्राम कार्बोक्सिन 37.5% + थाइरम 37.5% WP प्रति कि.ग्राम की दर से उपचारित करें  ।
  • पौधशाला को खेत में एक ही जगह लगातार नहीं उगाना चाहिये ।  

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Climate and soil for sweet corn

  • मक्के की फसल के लिए गर्म मौसम अच्छा होता हैं |
  • अच्छे अंकुरण के लिए तापमान 18 °C से ऊपर होना चाहिए।
  • अच्छे विकास और गुणवत्ता के लिए तापमान 24 °C से 30 °C तक है।
  • स्वीट कॉर्न के लिए अच्छे जल निकास वाली मिट्टी जिसमे पर्याप्त मात्रा में नमी हो आवश्यक हैं
  • स्वीट कॉर्न की अच्छी उपज के लिए 5.8 – 6.5 pH अच्छा होता हैं |

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Suitable soil for Cauliflower

  • फूल गोभी की खेती, हल्की एवं दोमट मिट्टी जिसका जल निकास अच्छा हो तथा पी.एच. 5.5 से 6.8 हो उपयुक्त होती हैं।
  • अगेती किस्मों के लिए हल्की मिट्टी व मध्य अवधि किस्मों और पिछेती किस्मों के लिए भारी दोमट भूमि उपयुक्त हैं।
  • लवणीय भूमि में फंगस व जीवाणु से फैलने वाले रोग ज्यादा होते हैं।

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Nursery bed preparation for Cabbage

  • बीजों की बुवाई क्यारियों में की जाती हैं। प्रायः 4 – 6 सप्ताह पुरानी पौध को रोपित किया जाता हैं।
  • क्यारियों की ऊंचाई 10 से 15 से.मी. होती है तथा आकार 3 x 6 मी. होता हैं।
  • दो क्यारियों के बीच की दूरी 70 से.मी. होती है जिससे अंतरशस्य क्रियायें जैसे निदाई, आसानी से की जा सके।
  • नर्सरी क्यारियों की सतह भूरभूरी एवं समतल होनी चाहिये।
  • नर्सरी क्यारियों का निर्माण करते समय 8-10 कि.ग्रा. गोबर की खाद को प्रति वर्ग मीटर की दर से मिलाना चाहिये।
  • भारी भूमि में ऊंची क्यारियों का निर्माण करके जल भराव की समस्या को दूर किया जा सकता हैं।
  • आर्द्रगलन बीमारी द्वारा पौध को होने वाली हानि से बचाने के लिये थायोफेनेट मिथाइल 70% का 30 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी में घोल बनाकर अच्छी तरह से भूमि में मिलाना चाहिये।

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