Control of bacterial wilt in tomato

  • रोगग्रस्त पौधों की पत्तियां पीले रंग की होकर सूखने लगती हैं एवं कुछ समय बाद पौधा सूख जाता हैं
  • नीचे की पत्तियां पौधे के सूखने से पहले गिर जाती हैं
  • पौधे के तने के नीचे के भाग को काटने पर उसमें से जीवाणु द्रव दिखाई देता हैं
  • पौधों के तने के बाहरी भाग पर पतली एवं छोटी जड़े निकलने लगती हैं
  • कद्दू वर्गीय सब्जिया, गेंदा या धान की फसल को उगाकर फसल चक्र अपनायें।
  • खेत में पौधे लगाने से पहले ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव 6 कि.ग्राम प्रति एकड़ की दर से करें।
  • स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट I.P. 90% w/w + टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड I.P. 10% w/w  20 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग।
  • कसुगामाइसिन 3% एस.एल. 300 मिली/एकड़ के प्रयोग करके भी इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।

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Weed management in muskmelon

  • खरबूज की फसल में खरपतवार की समस्या, कम उत्पादन का मुख्य कारण हैं क्यो की यह खेत में फसल के साथ स्थान, पानी और पोषक तत्वों के लिए प्रतियोगिता करते हैं |  
  • खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए केवल उतनी ही गहरी जुताई करें जितनी आवश्यक हो।
  • समय पर बुवाई करना भी बेहद जरूरी हैं।
  • गहरी जड़ वाले खरपतवारों को हल से या हौ चलाकर निकाल दे, या हाथो से खरपतवारो की निंदाई करे
  • खरबूज के खेत में खरपतवार की समस्या से बचने के लिए, पॉलीथीन मल्चिंग करना एक अच्छा उपाय हैं।

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Sowing method of makkhan grass

  • मक्खन घास 30 सेमी. पर पंक्तियों में प्लॉट बना कर बोया जाता हैं
  • बीज की बोवाई स्प्रेडर, सीडर, हाइड्रोसीडर या हाथ से की जा सकती हैं

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Soil and Climate in makkhan grass

  • मक्खन घास हेतु लगभग सभी प्रकार की मृदा जिसका pH 6.5 से 7 हो उपयुक्त होती हैं |
  • मिट्टी का तापमान 18 oC से ऊपर होना चाहिए।
  • अंकुरण और जड़ के विकास लिए मिट्टी का इष्टतम तापमान 24 oC से 27 oC तक होता हैं

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Seed rate of Makkhan Grass

  • एकल बुवाई हेतु – 5 से 6 किलोग्राम प्रति एकड |  
  • बरसीम के साथ  – 2 से 3 किलोग्राम प्रति एकड़ |

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Irrigation scheduling in Brinjal

  • पौधो की अच्छी वृद्वि के लिये, फूलों एवं फलों के वृद्वि एवं विकास के लिये समय पर सिंचाई करना आवश्यक होता हैं।
  • ठंड के समय हल्की सिंचाई 8 से 10 दिन के अंतराल एवं 5 से 6 दिन के अंतराल से ग्रीष्म ऋतु में देना चाहिये।  
  • ठंड के मौसम में हल्की सिंचाई देकर अधिक ठण्ड से होने वाली हानि को कम कर सकते है ।

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Storage technique in wheat

  • 10 % नमी बीज के भण्डारण के लिए उचित रहती है इसके लिए बीजो को धुप में सुखना चाहिए|
  • अनाज को साफ करने के बाद अनाज को  बोरो में भर कर भंडारण करें।
  • मिश्रण से बचने के लिए हमेशा नए बैग में बीज रखें।
  • बीज के लिए उपयोग होने वाले अनाज का उच्च गुणवत्ता वाला होना आवश्यक है ।
  • गर्मियों में भंडार गृह का तापमान ठंडा रखें।  
  • समय समय पर अनाज की जांच करें।

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Post-harvest management in wheat

  • जब गेहूँ की बाली पीली होकर सूख जाये, तब फसल की कटाई शुरू कर सकते हैं|
  • गेहूँ की कटाई के दौरान इसमें 13-14% नमी होनी चाहिए |
  • गेहू को राइपर (मशीन) द्वारा काटने के बाद थ्रेशिंग फ्लोर पर 3-4 दिनों के लिए सुखाया जाता है|
  • बीजो को हमेशा नए थैलों में संग्रहित करना चाहिए| आमतौर पर गोदामों में रखे अनाजों पर कीटो का प्रकोप हो जाता  है, इससे बचने के लिए समय समय पर कीटनाशक रसायनो का ध्रुमन करना चाहिए|
  • भंडार गृह में गेहूँ के बीज में 10-11%  नमी होनी चाहिए।

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Use of wheat and gram sawdust/straw

  • भूसा वह फसल सामग्री हैंं। जो फसल से अनाज को अलग करने के बाद बचा हुआ अवशेष होता है
  • जिसका अनेक तरह से उपयोग किया जा सकता है जैसे खाद बनाने, मल्च के रूप  में, नर्सरी की तैयारी के समय, इसके आलावा मिट्टी की जैविक क्षमता को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण होता है |  
  • गेहूं का भूसा/ पुआल मशरुम उत्पादन के लिए उपयुक्त सामग्री हैंं।
  • गेंहू और चने के भूसे का उपयोग गोबर की खाद बनाने में भी किया जाता है | और इसके साथ साथ गोबर के उपले बनाने के लिए भी इसे, गोबर के साथ मिलाया जाता हैंं।
  • कृषि उद्योग जैसे मुर्गी पालन आदि में सतह को सूखा रखने एवं तापमान नियंत्रित करने के लिए बिछाली के रूप में भी उपयोग किया जाता हे ।
  • गेहूं का भूसा / पुआल का उपयोग पशु आहार में भी किया जाता हैंं।

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Harvesting in wheat

  • जब पुआल पीला सूखा और भंगुर हो जाए एवं दाना कठोर हो जाए तब फसल की कटाई की जाती हैं |
  • हाल के वर्षों में देश के कई राज्यों में फसल की कटाई और गहाई के लिए थ्रेशिंग मशीन का उपयोग किया जाने लगा हैं|
  • जब अनाज में लगभग 15 प्रतिशत नमी हो तब फसल की कटाई कर लेना चाहिए।
  • गेहूं की बाली पीली होने पर ही फसल की कटाई की जाती हैं।
  • गेहूं की बुआई, से 110-130 दिनों अंतराल पर गेहूं कटाई की जाती हैंं।

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