Boron deficiency symptoms and control in watermelon

  • नई पत्तियों सिकुड़ी हुई होती हैं जो की सामान्य पत्तियों की तुलना में छोटी होती हैं|
  • पत्तियों में पीलापन दिखने लगता हैं जो की सिरों के आस पास ज्यादा होता है|
  • नई पत्तियों के सिरे सूखे हुए दिखाई देते हैं|
  • तने की सतह फटने लगती हैं साथ ही लताओं की लम्बाई कम हो जाती हैं |
  • पौधे का विकास रुक जाता हैं वह बोना रह जाता हैं|
  • बेल का शीर्ष मर जाता हैं और फुल और फलो दोनों की संख्या कम हो जाती हैं |
  • फलो में खोखला पन होना बोरान की कमी का मुख्य लक्षण हैं|
  • खेत में अधिक नमी होने पर या pH अधिक होने पर यह आमतोर पर देखने को मिलती हैं |

नियंत्रण:-

  • बोरॉन युक्त कैल्शियम नाइट्रेट 25 किलो प्रति एकड़ के अनुसार जमीन से दें|
  • फॉस्फोरस घुलनशील बैक्टेरिया 4 किलो प्रति एकड़ के अनुसार दें|
  • बोरॉन 20% @ 200 ग्राम प्रति एकड़ के अनुसार फूल की अवस्था पर दो बार स्प्रे करें|

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Control measures of aphids in Watermelon

  • ग्रसित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिये ताकि यह कीट फैलने न पाये।
  • माहू का प्रकोप दिखाई देने पर एसीफेट 75 % एसपी @ 300- 400 ग्राम / एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 17% एस एल @ 100 मिली प्रति एकड या एसीटामाप्रिड 20 % एसपी @ 150 ग्राम  प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर पंद्रह दिन के अंतराल से छिड़काव कर इनका प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है |

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Stem gall fly management in snake gourd

  • मैगॉट्स पौधो में अंदर जाकर शीर्ष तने में छेद करती हैं और गांठ बनाती हैं |
  • वयस्क: पतले गहरे भूरे मच्छर जैसी होती हैं |
  • इनमे से किसी एक कीटनाशक का छिड़काव करने से प्रभावी नियंत्रण किया सकता हैं |
  • डाइमेथोएट 30% ईसी 250 मिली / एकड़
  • डायक्लोरवास 76% ईसी @ 250 मिली / एकड़

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Hormone application in snake gourd for more yield

  • छह से आठ पत्तियों की अवस्था में ईथीलीन या जिब्रेलिक एसिड का 0.25-1 मिली प्रति 10 लीटर पानी में घोल बना कर बेलों और फूलो पर स्प्रे करने से मादा फूलों की संख्या बढ़ जाएगी और फलों की संख्या दोगुनी हो जाएगी, यहाँ 80 दिन तक असर दिखाता हैं|

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Management of fruit fly in bottle gourd

  • मेगट (लार्वा) फलों में छेंद करने के बाद उनका रस चूसते है।
  • इनसे ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते है।
  • मक्खी अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेंद करके उन्हे  हानि पहुचाती है। इन छेदों से फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है।  
  • ग्रसित फलों को इकठ्ठा करके नष्ट कर देना चाहिये।
  • अंडे देने वाली मक्खी की रोकथाम करने के लिये खेत में प्रकाश प्रपंच या फेरो मोन ट्रेप को लगाना चाहिये, इस प्रकाश प्रपंच में  मक्खी को मारने के लिये 1% मिथाइल इंजीनाँल या सिनट्रोनेला तेल या एसीटिक अम्ल या लेक्टीक एसिड का घोल बनाकर रखा जाता है।
  • परागण की क्रिया के तुरन्त बाद तैयार होने वाले फलों  को पाँलीथीन या पेपर के द्वारा लपेट देना चाहिये।
  • इन मक्खीयों को नियंत्रण करने के लिये लौकी के खेत में कतारों के बीच में मक्के के पौधों को उगाया जाना चाहिये, इन पौधों की ऊँचाई ज्यादा होने के कारण मक्खी द्वारा पत्तों के नीचे अण्डे देती है।
  • जिन क्षेत्रों में फल मक्खी का प्रकोप ज्यादा देखा गया है, वहाँ पर कार्बारिल 10 प्रतिशत पाउडर खेत में मिलाये।
  • गर्मी के दिनों में गहरी जुताई करके भूमि के अंदर की  मक्खी की सुप्त अवस्थाओ को नष्ट करना चाहिये।
  • डाइक्लोरोवोस 76% ईसी 250 से 500 मि.ली. / एकड़ की दर से छिड़काव करे |

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Staking in Snake gourd

  • करेला अत्यधिक तेजी से बढ़ने वाली फसल है बीज की बुआई के दो सप्ताह बाद लताये तेजी से बढ़ने लगती है|
  • जालीदार मंडप की सहायता से करेले के फलों के आकार एवं उपज में वृद्धि होती है, साथ ही फलों में सडन कम होती है, और फलों की तुड़ाई एवं कीटनाशकों का छिड़काव आसानी से किया जा सकता है|
  • मंडप 1.2- 1.8 मीटर ऊँचाई के होने चाहिए|

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Land Preparation in Green gram (Moong)

  • खरीफ की फसल हेतु एक गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करना चाहिए एंव वर्षा प्रारम्भ होते ही 2-3 बार देशी हल या कल्टीवेटर से जुताई कर खरपतवार रहित करने के उपरान्त खेत में पाटा चलाकर समतल करें।
  • दीमक से बचाव के लिये क्लोरपायरीफॉस 1.5 % डी.पी.चूर्ण 10-15 कि.ग्रा/एकड़ के मान से खेत की तैयारी के समय मिट्टी में मिलाना चाहिये।
  • ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती के लिये रबी फसलों के कटने के तुरन्त बाद खेत की तुरन्त जुताई कर 4-5 दिन छोड कर पलेवा करना चाहिए।
  • पलेवा के बाद 2-3 जुताइयाँ देशी हल या कल्टीवेटर से कर पाटा लगाकर खेत को समतल एवं भुरभुरा बनावे। इससे उसमें नमी संरक्षित हो जाती है व बीजों से अच्छा अंकुरण मिलता हैं।

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Control of sucking pest in Bottle gourd by neem-based products

  • नीम तेल छोटे, मुलायम शरीर वाले कीटों और मकड़ी के खिलाफ सबसे प्रभावी होते हैं जैसे कि थ्रिप्स, एफिड्स, स्केल, जैसिड और सफ़ेद मक्खी।
  • बुआई के समय और 30 दिनों के बाद नीम केक @ 40 किग्रा प्रति एकड़ के अनुसार जमीन से दें ।
  • 10 दिनों के अंतराल पर PNSPE (4%) या नीम / पोंगामिया साबुन (8-10 ग्राम / लीटर) का छिड़काव करें।

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Advantages of N fixation bacteria in okra

  • एज़ोटोबैक्टर स्वतंत्रजीवी नाईट्रोजन स्थिरिकरण वायवीय जीवाणु हैं |
  • यह जीवाणु वातावरण की नाईट्रोजन को लगातार जमीन में जमा करता रहता हैं|
  • इसका उपयोग करने पर प्रति फसल 20 % से 25 % तक कम नाईट्रोजन उर्वरक की आवश्यकता होती हैं|
  • ये जीवाणु बीजो का अंकुरण प्रतिशत बढ़ाते हैं|
  • तना और जड़ो की संख्या और लंबाई बढ़ाने में सहायक होता हैं|
  • रोगों की संभावना को कम करता हैं|

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Control of gummy stem blight in bottle gourd

  • इस बीमारी में पोधे की जड़ो को छोड़कर सभी भागो में संक्रमण हो जाता है|
  • प्रारम्भिक लक्षण पोधे की पत्ती के किनारों पर पीलापन /हरिम्हीनता दिखाई पड़ती है,और सतह पर जल भरे हुवे धब्बे दिखाई देते है|
  • इस रोग से ग्रसित पोधे के तने पर घाव बन जाते हैं जिससे लाल-भूरे, काले रंग का चिपचिपा पदार्थ (गम) निकलता हैं|  तने पर भूरे-काले रंग के धब्बे बन जाते जो बाद में जाकर घाव से मिल जाते हैं |
  • लौकी के बीजो पर मध्यम-भूरे, काले धब्बे पड़ जाते है|

प्रबंधन:

  • स्वस्थ बीजो का चयन करें |
  • रोपाई का निरीक्षण करें एवं संक्रमित पोधौ को उखाड़ कर खेत से बाहर फैंक दें|
  • बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत ही क्लोरोथालोनिल 75% WP @ 350 ग्राम/ एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 25.9% EC @ 200 मिली/ एकड़ का घोल बना कर छिड़काव करें|

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