Control of White fly in Green Gram

मुंग में सफ़ेद मक्खी का नियंत्रण:-

  • शिशु एवं वयस्क पत्तियों के निचले सतह से रस चूसते है एवं मधु स्त्राव के उत्सर्जन से प्रकाश संश्लेषण में बाधा आती है|
  • पत्तियाँ रोगग्रस्त दिखती है सुटी मोल्ड से ढक जाती है | यह कीट पत्ति मोड़क विषाणु रोग व पीला शिरा विषाणु रोग का वाहक होकर इसे फैलाता है|
  • नियंत्रण:- पीले रंग वाले चिपचिपे प्रपंच खेत में कई जगह लगाए|
  • डायमिथोएट 30 मिली./पम्प या थायमेथोक्जोम 5 ग्राम/पम्प या एसीटामीप्रिड 15 ग्राम/ पम्प का स्प्रे 4-5 बार 10 दिन के अंतराल पर करे|

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Land preparation for Ginger/Turmeric

अदरक/हल्दी के लिए खेत की तैयारी:-

  • जमीन की 20 सेमी. गहराई तक जुताई करे |
  • ढ़ेलों को तोड़े |
  • इसके बाद एक और जुताई क्रास में करें |
  • लगभग 25 टन गोबर की खाद प्रति हे. की दर से मिलाये |
  • खाद मिलाने के लिए दो बार बखर करें |
  • फिर लेवलर की सहायता से जमीन समतल करे |

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Land Preparation of Cotton

कपास के लिए खेत की  तैयारी:-

  • खेत की चार-बार जुताई करने के पश्चात पाटा चलाकर भूमि को नरम,भुरभुरी एवं समतल कर लेना चाहिये |
  • भूमि को तैयार करते समय 25 टन प्रति हेक्टेयर गोबर या कम्पोस्ट की पकी हुई खाद का प्रयोग करना  चाहिये |
  • नीम केक एवं पोल्ट्री फार्म खाद का उपयोग करने से पौधों की वृद्धि, गुणवत्ता एवं उत्पादन में बढ़ोत्तरी होती है साथ ही उर्वरकों की मात्रा को कम किया जा सकता है|
  • फास्फोरस एवं  पोटाश की पुरी मात्रा और नाइट्रोजन की 25 से 33 प्रतिशत मात्रा का प्रयोग करना चाहिये |

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अक्षय तृतीया की हार्दिक शुभकामनाए

क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया?
हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया को लेकर कई मान्यताएं हैं। जिसमें से ये कुछ हैं :-

1- भगवान विष्‍णु के छठें अवतार माने जाने वाले भगवान परशुराम का जन्‍म हुआ था। परशुराम ने महर्षि जमदाग्नि और माता रेनुकादेवी के घर जन्‍म लिया था। यही कारण है कि अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्‍णु की उपासना की जाती है। इसदिन परशुरामजी की पूजा करने का भी विधान है।

2- इस दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरीत हुई थीं। राजा भागीरथ ने गंगा को धरती पर अवतरित कराने के लिए हजारों वर्ष तक तप कर उन्हें धरती पर लाए थे। इस दिन पवित्र गंगा में डूबकी लगाने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।

3- इस दिन मां अन्नपूर्णा का जन्मदिन भी मनाया जाता है। इस दिन गरीबों को खाना खिलाया जाता है और भंडारे किए जाते हैं। मां अन्नपूर्णा के पूजन से रसोई तथा भोजन में स्वाद बढ़ जाता है।

4- अक्षय तृतीया के अवसर पर ही म‍हर्षि वेदव्‍यास जी ने महाभारत लिखना शुरू किया था। महाभारत को पांचवें वेद के रूप में माना जाता है। इसी में श्रीमद्भागवत गीता भी समाहित है। अक्षय तृतीया के दिन श्रीमद्भागवत गीता के 18 वें अध्‍याय का पाठ करना चाहिए।

5- बंगाल में इस दिन भगवान गणेशजी और माता लक्ष्मीजी का पूजन कर सभी व्यापारी अपना लेखा-जोखा (ऑडिट बुक) की किताब शुरू करते हैं। वहां इस दिन को ‘हलखता’ कहते हैं।

6- भगवान शंकरजी ने इसी दिन भगवान कुबेर माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने की सलाह दी थी। जिसके बाद से अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और यह परंपरा आज तक चली आ रही है।

7- अक्षय तृतीया के दिन ही पांडव पुत्र युधिष्ठर को अक्षय पात्र की प्राप्ति भी हुई थी। इसकी विशेषता यह थी कि इसमें कभी भी भोजन समाप्त नहीं होता था।

स्त्रोत:- नवभारत टाइम्स

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Land Preparation of Coriander

धनिया के लिये खेत की तैयारी:-

  • दो बार गहरी जुताई करने के बाद दो या तीन बखर से भूमि को भुरभुरी एवं ज़रुरी हो तो पाटा चला कर समतल बना लेना चाहिए|
  • खेत की तैयारी के समय अंतिम बखर करने से पहले 25 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर की दर से मिलाना चाहिए|
  • धनिया की बुवाई समतल ज़मीन पर की जाती है |
  • नीम केक एवं पोल्ट्री फार्म खाद का उपयोग करने से पौधों की वृद्धि, गुणवत्ता एवं उत्पादन में बढ़ोत्तरी होती है साथ ही उर्वरकों की मात्रा को कम किया जा सकता है|

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Red Pumpkin Beetle in Bitter Gourd

करेला में लाल कीट का नियंत्रण:-

  • अंडे से निकले हुये ग्रब जड़ो, भूमिगत भागो एवं जो फल भूमि के संपर्क में रहते है उन्है खाता है|
  • उसके बाद ग्रसित जड़ो एवं भूमिगत भागों पर मृतजीवी फंगस का आक्रमण हो जाता है जिसके फलस्वरूप अपरिपक्वफल व लताएँ सुख जाती है|
  • इसमें ग्रसित फल उपयोग करने हेतु अनुपयुक्त होते है|
  • बीटल पत्तियों को खाकर छेद कर देते है |
  • पौध अवस्था में बीटल का आक्रमण होने पर मुलायम पत्तियों को खाकर हानि पहुचाते है जिसके कारण पौधे मर जाते है |

नियंत्रण:-

  • गहरी जुताई करने से भूमि के अन्दर उपस्थित प्यूपा या ग्रब ऊपर आ जाते है सूर्य की किरणों में मर जाते है |
  • बीजो के अंकुरण के बाद पौध के चारों तरफ भूमि में कारटाप हाईड्रोक्लोराईड 3 G दाने डाले|
  • बीटल को इकट्ठा करके नष्ट करें|
  • साईपरमेथ्रिन (25 र्इ.सी.) 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी + डायमिथोएट 30% ईसी. 2  मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोल बना कर छिडकाव करें। या कार्बारिल 50% WP 3 ग्राम प्रति ली पानी की दर से घोल बना दो छिड़काव करें। पहला छिडकाव रोपण के 15 दिन व दूसरा इसके 7 दिन बाद करें|

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Land Preparation of Chilli

मिर्च  के लिए खेत की  तैयारी:-

  • खेत की चार-बार जुताई करने के पश्चात पाटा चलाकर भूमि को नरम,भुरभुरी एवं समतल कर लेना चाहिये |
  • भूमि को तैयार करते समय 25 टन प्रति हेक्टेयर गोबर या कम्पोस्ट की पकी हुई खाद का प्रयोग करना  चाहिये |
  • फास्फोरस  एवं  पोटाश की पुरी मात्रा  और नाइट्रोजन की 25 से 33  प्रतिशत मात्रा का प्रयोग करना चाहिये |

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कपास की कीमतों में बढ़ोतरी के आसार

27% बढ़ सकता है कॉटन एक्सपोर्ट :- चीन द्वारा अमरीका से आयातित उत्पादों पर आयात शुल्क लगा देने से अमरीकन कपास मंहगी हो गई है| इसलिए चीन ने हाल में भारत से 2 लाख गाँठ कपास के आयात सौदे किये है | आगामी फसल सीजन में भारत से चीन को 25-30 लाख गाँठ निर्यात होने का अनुमान है | देश में कपास का निर्यात 70 लाख गाँठ तक पहुचने की उम्मीद है निर्यात पिछले अनुमान से करीब 27 फीसदी अधिक रहा सकता है| जानकारों का कहना है की कॉटन की एक्सपोर्ट मांग बेहतर होने से घरेलु कपास उत्पादकों को फायदा होगा |

स्त्रोत :- पत्रिका न्यूज नेटवर्क

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Suitable Soil for Chilli Production

मिर्च उत्पादन के लिए उपयुक्त मृदा (भूमि):-

  • सभी प्रकार की मिट्टी जहां से जल  निकास की व्यवस्था अच्छी हों की जा सकती हैं |
  • रेतीली दोमट मिट्टी सर्वोत्तम हैं |
  • अधिक क्षारीय व् अम्लीय भूमि उपयुक्त नहीं  हैं |  
  • भूमि का पी.एच. मान 6- 7 होना चाहिये |
  • अधिक लवणीय भूमि अंकुरण एवं बढवार को कम करता हैं |   

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Suitable Climate for Chilli

मिर्च के लिए उपयुक्त जलवायु :-

  • गर्म आद्र जलवायु में उष्णकटिबंधीय एवं क्षेत्रो  में ऊगाई जाती हैं |
  • 15-30  डिग्री से तापमान,मिर्च की खेती के लिए उपयुक्त है |
  • जहां पर औसत वार्षिक वर्षा- 1200 मि.मि. होते हे  वहा पर यह वर्षा आधारित फसल के रूप में उगाई जाती है |
  • अधिक गर्मी में फूल एवं फल झड जाते है |
  • प्रतिदिन 9-10 घंटे की धूप रहने पर फसल उत्पादन 21-24% तक बढ़ जाती हैं |

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